पुलिस स्मृति दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व | पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो |Police memorial day 2023

पुलिस स्मृति दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व 

पुलिस स्मृति दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व | पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो |Police memorial day 2022


पुलिस स्मृति दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व 


  • भारत में प्रत्येक वर्ष 21 अक्तूबर को ‘पुलिस स्मृति दिवस’ उन पुलिसकर्मियों को याद करने और उनका सम्मान करने के लिये मनाया जाता है, जिन्होंने अपने दायित्त्वों का निर्वाह करते हुए अपना जीवन दांव पर लगा दिया। साथ ही यह दिवस आम जनमानस को पुलिसकर्मियों के समक्ष मौजूद चुनौतियों को जानने और उनके साहस तथा कठिन परिश्रम का सम्मान करने का भी अवसर प्रदान करता है।  यह दिवस वर्ष 1959 में हुई एक घटना की स्मृति में मनाया जाता है, जब लद्दाख में चीन की सेना द्वारा किये गए हमले में 10 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई थी। तभी से प्रत्येक वर्ष 21 अक्तूबर को शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2018 में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारत के पहले राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का उद्घाटन किया था। दिल्ली स्थित इस राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में सभी केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों के 34,844 पुलिसकर्मियों को याद किया गया है, जिन्होंने वर्ष 1947 के बाद से अब तक ड्यूटी पर रहते हुए अपनी जान गंवाई है।


पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPRD):

  • भारत सरकार ने वर्ष 1970 में गृह मंत्रालय के अधीन इसकी स्थापना की।
  • पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के प्रमुख उद्देश्य के साथ इसने पुलिस अनुसंधान एवं परामर्श समिति (Police Research and Advisory Council, 1966) का स्थान लिया।
  • वर्ष 1995 में भारत सरकार ने सुधारात्मक प्रशासन से संबंधित कार्यों (Correctional Administration Work) को BPRD के अधीन सौंपने का निर्णय लिया।
  • फलस्वरूप कारागार सुधारों का क्रियान्वयन भी BPRD द्वारा ही सुनिश्चित किया जाता है।
  • वर्ष 2008 के दौरान भारत सरकार ने देश के पुलिस बलों का स्वरूप बदलने के लिये BPRD के प्रशासनिक नियंत्रण में नेशनल पुलिस मिशन (National Police Mission) के सृजन का निर्णय लिया।
  • वर्ष1986 से ही यह ‘पुलिस संगठनों के आँकड़े’ प्रकाशित कर रहा है


पुलिस सुधार का अर्थ:

  • पुलिस सुधारों का उद्देश्य पुलिस संगठनों के मूल्यों, संस्कृति, नीतियों और प्रथाओं को बदलना है।
  • यह पुलिस को लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवाधिकारों और कानून के शासन के सम्मान के साथ कर्तव्यों का पालन करने की परिकल्पना करता है।
  • इसका उद्देश्य पुलिस सुरक्षा क्षेत्र के अन्य हिस्सों, जैसे कि अदालतों और संबंधित विभागों, कार्यकारी, संसदीय या स्वतंत्र अधिकारियों के साथ प्रबंधन या निरीक्षण ज़िम्मेदारियों में सुधार करना भी है।
  • पुलिस व्यवस्था भारतीय संविधान की अनुसूची 7 की राज्य सूची के अंतर्गत आती है।

 

पुलिस बलों से संबंधित मुद्दे:

औपनिवेशिक विरासत: 

  • देश में पुलिस प्रशासन की व्यवस्था और भविष्य में किसी भी विद्रोह की स्थिति को रोकने के लिये वर्ष 1857 के विद्रोह के पश्चात् अंग्रेज़ों द्वारा वर्ष 1861 का पुलिस अधिनियम लागू किया गया था।


राजनीतिक अधिकारियों के प्रति जवाबदेही बनाम परिचालन स्वतंत्रता: 

  • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2007) ने उल्लेख किया है कि राजनीतिक कार्यपालिका द्वारा अतीत में राजनीतिक नियंत्रण का दुरुपयोग पुलिसकर्मियों को अनुचित रूप से प्रभावित करने और व्यक्तिगत या राजनीतिक हितों की सेवा करने के लिये किया गया है।

मनोवैज्ञानिक दबाव: 

  • भारतीय पुलिस बल में प्रायः निचली रैंक के पुलिसकर्मियों को अक्सर उनके वरिष्ठों द्वारा मौखिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है या वे अमानवीय परिस्थितियों में काम करते हैं।

जनधारणा:

  • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के मुताबिक, वर्तमान में पुलिस-जनसंपर्क के प्रति एक असंतोषजनक स्थिति है, क्योंकि लोग पुलिस को भ्रष्ट, अक्षम, राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण और अनुत्तरदायी मानते हैं।

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