धार ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी | Dhar History Fact in Hindi

धार ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी  (Dhar History Fact in Hindi)

धार ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी | Dhar History Fact in Hindi

धार ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी

धारमध्य प्रदेश के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है. धार शहर की स्थापना परमार राजा भोज ने की थी. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से धार मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर है. परमारों ने नौवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक मालवा के समीपवर्ती विशाल क्षेत्रफल पर 400 वर्षों तक राज्य किया. वाक्यपति मुंज तथा भोजदेव इस राजवंश के प्रसिद्ध शासक थे. मुंज एक महान सेनापतिएक प्रख्यात कवि तथा कला एवं साहित्य का महान संरक्षक था. उसके दरबार में धनंजयहलायुधधनिकनवसा. हसांक चरित के लेखक पद्मगुप्तअमितगति आदि जैसे कवि थे. उसने धार तथा माण्डू में मुंज सागर खुदवाया तथा अनेक स्थानों पर सुन्दर मन्दिर बनवाए.

 

धार ऐतिहासिक स्थल प्रमुख तथ्य (Dhar History Fact in Hindi)

 

  • परमारों में सबसे अधिक प्रसिद्धभोजदेवप्राचीन भारत का एक यशस्वी राजा था. उसका नाम भारत में न केवल सैनिक रूप में बल्कि एक निर्माताएक विद्धान् तथा एक लेखक के रूप में एक की जुबान पर है. 
  • वह व्याकरणखगोलशास्त्रकाव्यशास्त्रवास्तुकला और योग जैसे भिन्न-भिन्न विषयों पर अनेक पुस्तकों का रचयिता था. उसने अपनी राजधानी उज्जैन से धार स्थानांतरित कर दी थीजहाँ उसने संस्कृत के अध्ययन के लिए एक विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. 
  • धार में परमार वंश के राजा भोज ने 1010 से 1055 ईसवी तक 44 वर्ष शासन किया. उन्होंने 1034 में धार नगर में सरस्वती सदन की स्थापना की. यह एक महाविद्यालय थाजो बाद में भोजशाला के नाम से विख्यात हुआ. 
  • भोज के शासन में ही यहाँ माँ सरस्वती या वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गईमाँ ाग्देवी की यह प्रतिमा भोजशाला के समीप 1875 में हुई खुदाई में निकली थी.  
  • सन् 1305 ई. में धार तथा माण्डू पर अधिकार करते ही सम्पूर्ण मालवा अलाउद्दीन खिलजी के हाथों में आ गया. धार मुहम्मद द्वितीय के शासन काल तक दिल्ली के सुल्तानों के अधीन रहा. उस समय दिलावर खान घुरी मालवा का सूबेदार था. 
  • 1401 ई. में उसने शासन की बागडोर संभाली तथा स्वंतत्र मालवा राज्य की स्थापना की तथा उसने धार को अपनी राजधानी बनाया. 
  • उसके पुत्र तथा उत्तराधिकारी होशंगशाह ने धार को हटाकर माण्डू को अपनी राजधानी बनाया. 1435 में होशंगशाह की मृत्यु हो गई तथा उसे एक शानदार मकबरे में दफनाया गयाजो आज भी माण्डू में विद्यमान है. 
  • होशंगशाह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र गजनी खान उसका उत्तराधिकारी बना. उसने आदेश दिया कि उसकी राजधानी माण्डू को शादियाबाद (हर्षोल्लास कास (शहर) कहा जाए तथापि उसने बहुत कम राज किया तथा 1436 ई. में महमूद खिलजी ने उसे जहर देकर मार डाला. 
  • महमूद खान गद्दी पर बैठा तथा उसने मालवा में खिलजी सुल्तानों की नींव डाली. खिलजी सुल्तान 1531 ई. तक मालवा पर राज्य करते रहे. बाद में मालवा पर शेरशाह का अधिकार हो गया तथा उसे शुजात खाँ के प्रभार में रखा गया. 
  • शुजात खाँ का उत्तराधिकारी उसका पुत्र बाज बहादुर हुआमाण्डू तथा उसके आसपास रूपमती और बाज बहादुर के रोमांस की कहानियाँ गूंजती थीं. अकबर के प्रशासनिक संगठन में धारमालबा सूबा के अन्तर्गत माण्डू सरकार में महाल का मुख्य नगर था.
  • अकबर दक्षिण पर आक्रमण का संचालन करते समय 7 दिन तक धार में रहा. 
  • जब 1832 ई. में बाजीराव पेशवा ने मालवा को सिंधियाहोलकर तथा तीन पवार सरदारों में बाँट दिया तब धार आनन्द राव पवार को दे दिया गया.
  • 1857 की महान् क्रान्ति के बाद3 वर्षों की संक्षिप्त अवधि को छोड़कर 1948 तक इस क्षेत्र पर धार के शासकों का शासन बना रहा.

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