जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन | CBD Kya Hai

जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन , CBD Kya Hai 

जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन | CBD Kya Hai


जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity-CBD) 

  • जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (CBD) की स्थापना 1992 में आयोजित हुए रियो डी जनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। इस संधि को भविष्य की आवश्यकताएं एवं वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के क्रम में सतत विकास की रणनीतिपर बल देते हुए अपनाया गया। सीबीडी के द्वारा लोगों की आजीविका एवं वैश्विक आर्थिक विकास के मध्य सामंजस्य स्थापित करते हुए जैव विविधता को कायम रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। इस संधि पर 193 सरकारों द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत इस संधि का एक पक्षकार देश है।
  • जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (CBD) कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। 

जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के तीन प्रमुख लक्ष्य है :

  • जैव विविधता का संरक्षण;
  • जैव विविधता के घटकों का सतत उपयोग; और
  • आनुवांशिक संसाधनों से उत्पन्न होने वाले लाभ का न्यायोचित और समान बंटवारा


CBD प्रत्येक 2 वर्षों में सभी सदस्य देशों के COP सम्मेलन को आयोजित करता है। इन सम्मेलनों में जैव विविधता से जुड़े नए मुद्दों की पहचान, जैव विविधता के नुकसान और लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाती है।


जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (CBD) के द्वारा आयोजित सम्मेलनों में दो प्रोटोकॉल बहुत ही महत्वपूर्ण है- 

1. कार्टाजेना प्रोटोकॉल: 

2000 में जैव विविधता पर बुलाए गए कन्वेंशन में कार्टागेना प्रोटोकोल को स्वीकार किया गया और 11 सिंतबर 2003 से लागू हुआ। इस प्रोटोकॉल के तहत आधुनिक जैव प्रौद्योगिकियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए सजीव संवर्द्धित जीवों (living modified organisms LMOs) के सुरक्षित हैंडलिंग, परिवहन एवं उपयोग को सुनिश्चित किया गया जिससे जैव विविधता एवं मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े।


2. नागोया प्रोटोकॉल 

आनुवंशिक संसाधनों तक सभी देशों की पहुंच एवं लाभों में साझेदारी के लिए नागोया प्रोटोकॉल को अपनाया गया। इस प्रोटोकॉल को जापान के नागोया में आयोजित हुए जैव विविधता पर आयोजित हुए 10वें कोप, 2010 में अंगीकार किया गया। नागोया प्रोटोकॉल 12 अक्टूबर, 2014 से प्रभावी हुआ। भारत इस प्रोटोकॉल को हस्ताक्षरकर्ता देश है। नागोया प्रोटोकोल के साथ-साथ इस सम्मेलन में जैव विविधता पर दबाव को कम करने एवं इसके लाभों को सभी हितधारको में समान रूप से बांटने हेतु आईची लक्ष्यों को भी स्वीकार किया गया। 


आईची लक्ष्यों को मुख्य रूप से पांच भागों में विभाजित किया जा सकता है;

  • जैव विविधता नुकसान के कारणों को समझना,
  • जैव विविधता पर प्रत्यक्ष दबाव को कम करना व सतत उपयोग को बढ़ावा देना,
  • पारितंत्र, प्रजातियों एवं अनुवंशिक विविधता की सुरक्षा कर जैव विविधता स्थिति में सुधार लाना,
  • जैव विविधता एवं पारितंत्र सेवाओं से लाभों का सभी में संवर्द्धन तथा
  • साझीदारी नियोजन, ज्ञान प्रबंधन तथा क्षमता निर्माण के द्वारा क्रियान्वयन में वृद्धि।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.