विश्व कपास दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व | World Cotton Day 2023 in Hindi

 विश्व कपास दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व

विश्व कपास दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व | World Cotton Day 2022 in Hindi

विश्व कपास दिवस उद्देश्य महत्व 

वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 7 अक्तूबर को ‘विश्व कपास दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य एक प्राकृतिक फाइबर के रूप में कपास के महत्त्व को अधिकतम करना है। साथ ही यह दिवस कपास के उत्पादन से संबंधित अर्थव्यवस्था से जुड़ी समस्याओं को भी रेखांकित करने का प्रयास करता है, क्योंकि कपास दुनिया की सभी प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं के विकास हेतु महत्त्वपूर्ण है।

विश्व कपास दिवस का इतिहास 

इस दिवस की स्थापना ‘अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति’ (ICAC) और ‘विश्व व्यापार संगठन’ (WTO) द्वारा संयुक्त रूप से वर्ष 2019 में जिनेवा में की गई थी। ‘कॉटन-4 राष्ट्रों’ यानी बेनिन, बुर्किना फासो, चाड और माली ने अगस्त 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘विश्व कपास दिवस’ की स्थापना का आधिकारिक प्रस्ताव दिया था, जिसका लक्ष्य विश्वव्यापी संसाधन के रूप में कपास के महत्त्व को रेखांकित करना था। 


‘कपास’ भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक फसलों में से एक

ज्ञात हो कि ‘कपास’ भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक फसलों में से एक है, जो लगभग 6 मिलियन कपास किसानों को प्रत्यक्ष जीविका प्रदान करती है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता है तथा वर्ष 2020 में भारत ने अपना पहला लेबल- ‘कस्तूरी कॉटन’ प्रस्तुत किया था।


अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति

 

  • अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति कपास का उत्पादन, खपत और व्यापार करने वाले सदस्य देशों का एक संघ है। इसका मुख्यालय वाशिंगटन DC, अमेरिका में है।
  • भारत 1939 से इस समूह के 27 सदस्यों में से एक है।



मध्यप्रदेश मे कपास उत्पादन 

 

प्रदेश की जलवायु तथा मुख्य रूप से निमाड़ क्षेत्र कपास उत्पादक मुख्य क्षेत्र है। कपास को सफेद सोने के रूप में भी जाना जाता है। खरगौन जिला प्रमुख कपास उत्पादक जिलों में से एक है। यह जिले की प्राथमिक नकदी फसल है। कई सूती उद्योग यहां स्थापित किए गए हैं और कई वर्षों से सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं।

जलवायु – 

कपास उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की फसल है और 21 डिग्री सेल्सियस और 35 डिग्री सेल्सियस के बीच समान रूप से उच्च तापमान की आवश्यकता होती है।

मिट्टी – 

कपास की अच्छी पौध वृद्धि के लिए बलुई दोमट एवं गहरी काली मिट्टी वाले ऐसे खेत जिसमें जीवांश की पर्याप्त मात्रा हो तथा बारानी दशाओं मे अच्छी पैदावार के लिए पर्याप्त जल संरक्षण के साथ उचित निकास की व्यवस्था हो, उपयुक्त रहते ही।

कपास की उन्नत संकर एवं अन्य किस्में – 

जेकेएच-1, जेकेएच-2, जेकेएच-3, डीसीएच-32, जेके-35 आदि

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