राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व | National Legal Services Day 2023 in Hindi

राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व

राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व | National Legal Services Day 2022 in Hindi

राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व

  • प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (National Legal Services Day-NLSD) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों में कानूनी जागरूकता फैलाना, समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता एवं सलाह प्रदान करना है, ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित किया जा सके। राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (NLSD) की शुरुआत पहली बार वर्ष 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को सहायता एवं समर्थन प्रदान करने के लिये की गई थी।
  • भारतीय संसद द्वारा भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 को 9 नवंबर, 1995 को लागू किया गया। इसलिये 9 नवंबर को ‘राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस’ के रूप में चिह्नित किया गया है। ‘नालसा’ का गठन समाज के कमज़ोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लोक अदालतों का आयोजन करने के उद्देश्य से किया गया है। भारत का मुख्य न्यायाधीश ‘नालसा’ का मुख्य संरक्षक होता है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है।

 

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA): के बारे में जानकारी 


विधिक सेवा प्राधिकरण सामान्य जानकारी 

NALSA की स्थापना 1995 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत कानूनी सहायता कार्यक्रमों की प्रभावशीलता की निगरानी और समीक्षा करने तथा अधिनियम के तहत कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये नियमों एवं सिद्धांतों को विकसित करने के उद्देश्य से की गई थी।

यह राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों और गैर-लाभकारी संगठनों को विधिक सहायता प्रणालियों तथा पहलों को निष्पादित करने में मदद के लिये धन एवं अनुदान का भी वितरण करता है।


विधिक सेवा प्राधिकरण संवैधानिक प्रावधान:

भारत के संविधान के अनुच्छेद- 39A में यह प्रावधान किया गया है कि राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधिक प्रणाली का संचालन समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देता है और विशेष रूप से उपयुक्त कानून या योजनाओं द्वारा या किसी अन्य तरीके से मुफ्त विधिक सहायता प्रदान करेगा। यह सुनिश्चित करता है कि आर्थिक स्थिति या दिव्यांगता के कारण किसी भी नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए।

अनुच्छेद 14 और 22(1) भी राज्य के लिये विधि के समक्ष समानता तथा सभी के लिये समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने वाली कानूनी व्यवस्था सुनिश्चित करना अनिवार्य बनाते हैं।


कानूनी सेवा प्राधिकरणों का उद्देश्य:

  • निःशुल्क कानूनी सहायता और सलाह प्रदान करना।
  • कानूनी जागरूकता का विस्तार करना।
  • लोक अदालतों का आयोजन करना।
  • वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR ) तंत्र के माध्यम से विवादों के निपटारे को बढ़ावा देना।
  • विभिन्न प्रकार के ADR तंत्र हैं जैसे- मध्यस्थता, सुलह, न्यायिक समझौता जिसमें लोक अदालत के माध्यम से निपटान या मध्यस्थता शामिल है।
  • अपराध के पीड़ितों को मुआवज़ा प्रदान करना।


विभिन्न स्तरों पर कानूनी सेवा संस्थान:

राष्ट्रीय स्तर: 

नालसा (NALSA) का गठन कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया था। भारत का मुख्य न्यायाधीश पैट्रन-इन-चीफ है।

राज्य स्तर: 

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण। इसकी अध्यक्षता राज्य उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश करता है जो इसका मुख्य संरक्षक होता है।

ज़िला स्तर: 

ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण। ज़िले का ज़िला न्यायाधीश इसका पदेन अध्यक्ष होता है।

तालुका/उप-मंडल स्तर: 

तालुका/उप-मंडल विधिक सेवा समिति। इसकी अध्यक्षता एक वरिष्ठ सिविल जज करता है।

उच्च न्यायालय: उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति।

सर्वोच्च न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति।


निःशुल्क कानूनी सेवाएँ प्राप्त करने हेतु पात्र:

  • महिलाएँ और बच्चे
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य
  • औद्योगिक कामगार
  • सामूहिक आपदा, हिंसा, बाढ़, सूखा, भूकंप, औद्योगिक आपदा के शिकार।
  • विकलांग व्यक्ति
  • हिरासत में लिया गया व्यक्ति
  • वे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय संबंधित राज्य सरकार द्वारा निर्धारित राशि से कम है, यदि मामला सर्वोच्च न्यायालय के अलावा किसी अन्य न्यायालय के समक्ष है, और 5 लाख रुपए से कम है, यदि मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष है।
  • मानव तस्करी के शिकार या बेगार।

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