अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व | International Democracy Day in Hindi

 अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व | International Democracy Day in Hindi


अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व

प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय दिवसका आयोजन किया जाता है। यह दिवस आम जनमानस को विश्व भर में लोकतंत्र की स्थिति की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लोकतंत्र समावेश, समान व्यवहार और भागीदारी पर बनाया गया है और केवल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, राष्ट्रीय शासी निकाय, नागरिक समाज व आम जनमानस की पूर्ण भादीगारी के माध्यम से ही जीवंत लोकतंत्र का निर्माण किया जा सकता है। एक जीवंत लोकतंत्र का निर्माण किया जाना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह मानवाधिकारों की रक्षा हेतु अनिवार्य होता है। यह दिवस वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से विभिन्न देशों की सरकारों को अपने देश में लोकतंत्र को मज़बूत और समेकित करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु स्थापित किया गया था, इसके पश्चात् वर्ष 2008 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस का आयोजन किया गया।


लोकतंत्र का इतिहास 

  • पिछले कुछ समय से सम्पूर्ण विश्व में लोकतंत्र की प्रबल मांग देखी गई है। प्राचीन विश्व में रोम ,भारत इत्यादि महान सभ्यताओं में लोकतंत्र के कुछ लक्षणो के साक्ष्य मिलते हैं परन्तु कई सामाजिक ,आर्थिक तथा सैन्य कारको ने लोकतंत्र को मध्यकाल में कमजोर कर दिया था। लोकतंत्र की आधुनिक अवधारणा का आरम्भ ब्रिटेन से माना जाता है।


  • 1680 में ब्रिटेन में लोकतंत्र का आरम्भ हुआ। फ्रांसीसी क्रांति ने विश्व को स्वतंत्रता , समानता तथा बंधुत्व जैसे सिद्धांतो को प्रदान कर मजबूत लोकतंत्र के स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। वर्तमान समय में लोकतान्त्रिक शासन पद्धति को विश्व के कई देशो ने स्वीकारा है। परन्तु अभी भी कुछ स्थानों पर तानाशाही , सैन्य शासन , राजतंत्र जैसी शासन व्यवस्थाए हैं जहाँ समय समय पर लोकतंत्र स्वीकारने के लिए आंदोलन होते रहते हैं।


लोकतंत्र क्या होता है ?

जेम्स ब्राइस के अनुसार " लोकतंत्र लोगो का शासन है ,जिसमे लोग सम्प्रभू इच्छा को वोट के रूप में व्यक्त करते हैं।

लोकतंत्र को "डेमोक्रेसी" के नाम से भी जाना जाता है जिसकी उत्पत्ति ग्रीक शब्द डेमोस तथा क्रेशिया से हुई है। जहाँ डेमोस का अर्थ है "लोग" तथा क्रेशिया का अर्थ है "शासन " ।इस प्रकार लोकतंत्र का आशय लोगों के शासन से है।


लोकतंत्र क्यों आवश्यक है?

  • लोकतंत्र में व्यक्ति को इकाई माना जाता है। इस आधार पर व्यक्ति की स्वतंत्रता , व्यक्तिगत गरिमा की रक्षा पर जोर दिया जाता है।
  • लोकतंत्र में जाति , लिंग ,धर्म , मूल , नस्ल के आधार पर विभेदन से प्रतिषेध किया जाता है। यहाँ समाज में विशेषाधिकारों का अभाव रहता है जो समाज में समानता लाने में सहायक होता है।
  • लोकतंत्र दुसरो के विचारो के सम्मान की शिक्षा देता है जिससे संघर्ष कम होते हैं। यह बंधुत्व को बढ़ाता है।
  • एक शासन व्यवस्था के रूप में लोकतंत्र उत्तरदायी , सीमित ,संवैधानिक , प्रतिनिधिमूलक सत्ता का पक्षधर है जिसमे नियमित अंतराल पर निर्वाचन की प्रक्रिया होती रहे। यह शक्ति के केन्द्रीकरण को रोकती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र मानव कल्याण तथा विश्व बंधुत्व को प्रेरित करता है।
  • लोकतंत्र के यही सिद्धांत जिनमे व्यक्तिगत गरिमा , बंधुत्व, स्वतंत्रता, समानता अधिकार जैसे आदर्शो की उपस्थिति के कारण यह सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो गया है।

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