समानता का आशय विविध रूप | स्वतन्त्रता और समानता में सम्बन्ध | Equality and Freedom in Hindi

समानता का आशय  विविध रूप,  स्वतन्त्रता और समानता में सम्बन्ध

समानता का आशय  विविध रूप | स्वतन्त्रता और समानता में सम्बन्ध | Equality and Freedom in Hindi


समानता का आशय 

साधारणतया समानता का अर्थ लगाया जाता है कि मनुष्य जन्म से ही समान होते हैं और इसी कारण सभी व्यक्तियों को व्यवहार और आय का समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए। किन्तु स्वतंत्रता का अभिप्राय उतना ही भ्रमपूर्ण है जितना यह कहना कि पृथ्वी समतल है । प्रवृत्ति के द्वारा भी सभी व्यक्तियों को समान शक्तियाँ प्रदान नही की गयी है। राजनीतिक विज्ञान की एक धारण के रूप में समानता का तात्पर्य सामाजिक वैषम्य द्वारा उत्पन्न इस असमानता के अन्त से है। इसका तात्पर्य है कि राज्य के सभी व्यक्तियों को व्यक्तित्व के विकास के समान अवसर दिए जाने चाहिए। ताकि किसी भी व्यक्ति को यह कहने का अवसर न मिले कि यदि उसे यथेष्ठ सुविधाएँ प्राप्त होतीतो वह भी अपने जीवन का विश्वास कर सकता था। अतः समानता की विधिवत् परिभाषा करते सकता है कि "समानता का तत्पर्य ऐसी परिस्थितियों के अस्तित्व में होता है जिनके कारण सब हुए कहा जा व्यक्तियों के विकास हेतु समान अवसर प्राप्त हो सकें और इस प्रकार उस असमानता का अन्त हो सकेजिसका मूल कारण सामाजिक वैषम्य है। “

 

1 समानता के विविध रूप 

स्वतंत्रता के समान ही समानता के सभी अनेक प्रकार हैजिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं -

 

प्राकृतिक समानता:- 

प्राकृतिक समातना के प्रतिपादक इस बात पर बल देते हैं कि प्रकृति ने मनुष्यों को समान बनाया और सभी मनुष्य आधारभूत रूप बराबर है। सामाजिक समझौता सिद्धान्त के प्रतिपादकों ने प्राकृतिक अवस्था में मनुष्यों की समानता का विशेष रूप से उल्लेख किया है। वर्तमान समय में प्राकृतिक समानता की इस धारणा को अमान्य किया जा चुका है और इसे 'कोरी कल्पना', योग्यतासृजनात्मक शक्तिसमाज सेवा की भावना और सम्भवतः सबसे अधिक कल्पना-शक्ति में एक दूसरे से मूलतः भिन्न है ।

 

सामाजिक समानता:- 

सामाजिक समानता का तात्पर्य यह है कि समाज के विशेषाधिकारों का अन्त हो जाना चाहिए और समाज में सभी व्यक्तियों को व्यक्ति होने के नाते ही महत्व दिया जाना चाहिए। समाज में जातिधर्मलिंग और व्यापार के आधार पर विभिन्न व्यक्तियों में किसी प्रकार का भेद नहीं किया जाना चाहिए। सामाजिक दृष्टिकोण से सभी व्यक्ति समान होने चाहिए और उन्हें सामाजिक उत्थान के समान अवसर प्राप्त होने चाहिए। भारत की जाति व्यवस्था और दक्षिण अफ्रीका में प्रचलित रंगभेद सामाजिक समानता के घोर विरूद्ध है।

 

रानजीतिक समानता:-

वर्तमान समय में राजनीतिक समानता पर भी बहुत अधिक बल दिया जाता है। राजनीतिक समानता का अभिप्राय सभी व्यक्तियों को समान राजनीतिक अधिकार एवं अवसर प्राप्त होते हैपरन्तु इस सम्बन्धमें पागलनाबालिग और घोर अपराधी व्यक्ति अपवाद कहे जा सक हैंक्योंकि इनके द्वारा अपने मत का उचित प्रयोग नहीं किया जा सकता। राजनीतिक समानता का आशय यह है कि राजनीतिक अधिकार प्राप्त करने का सम्बन्ध में रंगजातिधर्म और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। और सभी व्यक्तियों को समान राजनीतिक अवसर प्रदान किये जाने चाहिए।

 

आर्थिक समानता:- 

वर्तमान समय में इस तथ्यपूर्ण विचार को लगभग सभी पक्षों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है कि मानव जीवन में आर्थिक समानता का महत्व सबसे अधिक हैं। आर्थिक समानता का तात्पर्य केवल यह है कि मनुष्य की आय में बहुत अधिक असमानता नहीं होनी चाहिए। दूसरे

 

शब्दों मेंउनकी आय में इतना अधिक अवसर नहीं होना चाहिए कि एक व्यक्ति अपने धन के बल पर दूसरे व्यक्तियों के जीवन पर अधिकार कर लें। जब तक सभी व्यक्तियों की अनिवार्य आवश्यकताएँ सन्तुष्ट नहीं हो जाती हैउस समय तक समाज के किन्हीं भी व्यक्तियों को आरामदायक एवं विलासिता के साधनों के उपभोग का अधिकार नहीं प्राप्त होना चाहिए। इस प्रकार आर्थिक समानता धन के उचित वितरण पर बल देती है।

 

स्वतन्त्रता और समानता में सम्बन्ध

 

  • स्वतंत्रता और समानता के पारस्परिक सम्बन्ध के विषय पर राजनीतिशास्त्रियों में पर्याप्त मतभेद है। उनके अनुसार स्वतन्त्रता अपनी इच्छानुसार कार्य करने की शक्ति का नाम है जबकि समानता तात्पर्य प्रत्येक प्रकार के सभी व्यक्तियों को समान समझने से है। इन व्यक्तियों का विचार है कि यदि सभी व्यक्तियों को स्वतन्त्रता प्रदान कर दी जाती है तो जीवन के परिणाम नितान्त असमान होगें और शक्ति के आधार पर सभी व्यक्तियों को समान कर दिया जाए तो यह समानता व्यक्तिगत स्वतन्त्रता को नष्ट कर देगी।

 

  • राजनीतिक विज्ञान में स्वतन्त्रता और समानता का जो तात्पर्य लिया जाता हैउस अर्थ में स्वतन्त्रता और परस्पर विरोधी नहीं वरन् पूरक है। स्वतन्त्रता की ठीक परिभाषा करते हुए कहा जा सकता है "स्वतन्त्रता जीवन की ऐसी व्यवस्था का नाम है जिसमें व्यक्ति के जीवन पर न्यूनतम प्रतिबंध होंविशेषाधिकार का नितान्त अभाव हो और व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व के विकास हेतु अधिकतम सुविधाएं प्राप्त हो ।" इसी प्रकार समानता की सही रूप में परिभाषा करते हुए कहा जा सकता है " समानता का तात्पर्य ऐसी परिस्थितियों के अस्तित्व से होता है जिनके अन्तर्गत सभी व्यक्तियों को व्यक्तित्व के विकास हेतु समान अवसर प्राप्त हो और इस प्रकार उस असमानता का अन्त हो जिसका मूल सामाजिक वैषम्य है। “

 

  • स्वतंनत्रता और समानता की इन परिभाषा के अनुसार स्वतन्त्रता और समानता दोनों का ही उद्देश्य मानवीय व्यक्तित्व का उच्चतम विकास है और इस प्रकार स्वतन्त्रता और समानता एकदूसरे के सहायक और पूरक हैंपरस्पर विरोधी नहीं। इस संबंध में एक्टन ने लिखा है कि "विरोधाभास यह है कि समानता और स्वतन्त्रता जो कि परस्पर विरोधी विचार केरूप में प्रारम्भ होते हैविश्लेषण करने पर एक दूसरे के लिए आवश्यक हो जाती सकती है।" यदि समान अवसरों के द्वारा सबके लिए खुले रहते है तो व्यक्ति अपनी रूचि के अनुसार अपनी शक्तियों का विकसा करने की यथार्थ स्वतन्त्रता का उपभोग कर सकता है। जिस समाज में किसी एक वर्ग को विशेषाधिकार प्राप्त रहते हैं और सामाजिक तथा आर्थिक अन्तर पाये जाते हैवहां वह वर्ण अन्य वर्गों पर दबाव डालने की अनुचित शक्ति प्राप्त कर लेता है और निम्न वर्गों को केवल नाम मात्र की ही स्वतन्त्रता प्राप्त होती है।

 

वास्तव मेंसमानता के द्वारा स्वतन्त्रता के आधार के रूप में कार्य किया जाता है। एक ऐस राज्य में जिसमें समानता नहीं हैंस्वतन्त्रता हो ही नहीं सकती। इस बात को निम्नलिखित रूपों में स्पष्ट किया जा सकता है:

 

1. यदि राजनीतिक समानता नहीं होगीतो स्वतन्त्रता व्यर्थ हो जाएगी और जनता के एक बहुत बड़े भाग को शासन में कोई भाग प्राप्त नहीं होगा। 

2. यदि नागरिक समानता नहीं होगीतो जो व्यक्ति नागरिक अयोग्यताओ से पीड़ित हैउन्हें स्वतन्त्रता उपलब्ध नहीं होगी। 

3. यदि सामाजिक समानता नहीं होगीतो स्वतन्त्रता पर कुछ ही व्यक्तियों का विशेषाधिकार हो जाएगा। 

4. यदि आर्थिक समानता नहीं होगीतो धन कुछ ही व्यक्तियों के हाथों में केन्द्रित हो जाएगा और केवल वही वर्ग स्वतन्त्रता का लाभ उठा सकेगा।

 

ऐसी स्थिति में डा0 आर्शीवादम् ने ठीक ही कहा है कि "फ्रांस के क्रान्तिकारी न तो पागल थे और न मूर्खजब उन्होने स्वतन्त्रतासमानता और भ्रातृत्व का नारा लगाया था।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.