प्रतिचक्रवात क्या होते हैं | प्रतिचक्रवात के प्रकार | Anticyclone Details in Hindi

प्रतिचक्रवात क्या होते हैं , प्रतिचक्रवात के प्रकार 

प्रतिचक्रवात क्या होते हैं | प्रतिचक्रवात के प्रकार | Anticyclone Details in Hindi



प्रतिचक्रवात क्या होते हैं (ANTICYCLONES) 

प्रतिचक्रवात वृत्ताकार सम वायुदाब रेखाओं द्वारा घिरा एक ऐसा क्रम है जिसके केन्द्र में वायुदाब उच्चतम होता है और बाहर की ओर क्रमशः घटता जाता है. अतः इसमें हवाएँ केन्द्र से परिधि की ओर चलती हैं. प्रतिचक्रवात भूमध्य रेखीय प्रदेशों में कम उत्पन्न होते हैं. परन्तु उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च दाब क्षेत्रों में अधिक उत्पन्न होते हैं. प्रतिचक्रवात में मौसम साफ होता है और हवाएँ मन्द गति से चलती हैं. 

प्रति चक्रवातों की अग्रलिखित विशेषताएँ हैं :

1. प्रतिचक्रवात आकार में प्रायः गोला कार होते हैं परन्तु कभी-कभी इनका आकार अंग्रेजी के अक्षर के समान होता है. इनमें अधिकतम वायुदाब केन्द्र में और निम्न वायुदाब परिधि के बाहर की ओर होता है

2. प्रतिचक्रवात आकार की दृष्टि से चक्रवातों की तुलना में काफी अधिक क्षेत्र में विस्तृत होते हैं. इनका व्यास चक्रवातों की तुलना में 75% अधिक बड़ा होता है. 

3. प्रतिचक्रवात 30-35 किलोमीटर प्रति घण्टा की चाल से चक्रवातों के पीछे पीछे चलते हैं इनका मार्ग व दिशा निश्चित नहीं होती है.  

4. प्रतिचक्रवात के केन्द्र में उच्चदाब होने के कारण हवाएँ केन्द्र से बाहर की ओर चलती है उत्तरी गोलाई में इनकी दिशा घड़ी की सुईयों के अनुकूल (Clockwise) और दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुईयों के प्रतिकूल (Anticlockwise) होती है. 

5. प्रति के केन्द्र में ऊपर से नीचे उतरती हैं अतः केन्द्र का मौसम साफ होता है और वर्षा की सम्भावना नहीं होती है. 

6. प्रतिचक्रवात का तापमानमौसमवायुराशि के स्वभाव तथा आर्द्रता पर निर्भर करता हैशीतकाल में ध्रुवीय हवाओं के कारण तापमान निम्न और ग्रीष्मकाल में उष्ण वायुराशि के कारण तापमान उच्चतर रहता है.

 

प्रतिचक्रवात के प्रकार 

प्रख्यात मौसम वैज्ञानिक हैं जिल्क (Hanzilk) ने 1909 ई. में प्रतिचक्रवातों को दो भागों में विभाजित किया था -

( 1 ) शीतल प्रतिचक्रवात

(2) उष्ण प्रतिचक्रवात

परन्तु हम्फ्रीज (Humphreys) नामक वैज्ञानिक ने इन्हें तीन प्रकार का बताया है. 

(1) गतिक या यान्त्रिक प्रतिचक्रवात 

(2) तापीय प्रति चक्रवात और 

( 3 ) विकिरण प्रतिचक्रवात.. 


एक अन्य वैज्ञानिक गिडीज (A.E.M. Gaddes) महोदय ने प्रति चक्रवातों को तीन प्रकार का बताया है. 

(1) बड़े प्रतिचक्रवात इतने विशाल होते हैं कि सम्पूर्ण महाद्वीप पर फैले होते हैं. 

(2) अस्थायी प्रतिचक्रवातजो महाद्वीपों के किनारे वाले भागों में विस्तृत होते हैं और इनका व्यास सामान्यतया 250 से 300 किमी तक होता है. 

(3) चक्रवात जनित प्रतिचक्रवातजो शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के मध्य उच्च दाव के कारण उत्पन्न होते हैं.

 

सामान्य वर्गीकरण के अनुसार प्रति चक्रवातों को निम्नलिखित तीन प्रकारों में चाँटा जा सकता है-

 

(1) शीतल प्रतिचक्रवात (Cold Anti cyclone ) - 

शीतल प्रतिचक्रवातों की उत्पत्ति। ध्रुवीय मुख्य रूप से आर्कटिक क्षेत्रों में होती। है. जहाँ से ये पूर्व तथा दक्षिण पूर्व दिशा में अग्रसर होते हैं. गर्म प्रतिचक्रवातों की तुलना में इनका आकार छोटा होता है और ये तीव्र गति से आगे बढ़ते हैं. इनकी गहराई कम होती है. इनकी ऊँचाई 3000 मीटर से अधिक नहीं होती है.

 

शीतल प्रतिचक्रवात दो उप विभागों में विभाजित किए जा सकते हैं 

(i) अस्थायी व क्षणिक प्रतिचक्रवात - 

ये प्रतिचक्रवात अधिकांशतया मार्ग में ही विलीन हो जाते हैं. केवल कुछ ही उष्ण प्रदेशों तक पहुँच पाते हैं.

 

(ii) अर्द्ध स्थायी प्रतिचक्रवात- 

ये प्रति चक्रवात अधिक सक्रिय होते हैं और इनका मार्ग भी लम्बा होता है.

 

शीतल प्रतिचक्रवात उन स्थानों पर उत्पन्न होते हैं जहाँ अत्यधिक ठण्ड पड़ती है. यही कारण है कि ध्रुवीय क्षेत्र इनकी उत्पत्ति के मुख्य क्षेत्र हैं. यहाँ शीतकाल में सूर्यताप की मात्रा में कमी होने और विकिरण द्वारा ताप ह्रास होने पर उच्च वायुदाब हो जाता है जो प्रतिचक्रवात को जन्म देता है. 

शीतल प्रतिचक्रवात के मुख्य रूप से दो मार्ग हैं

 

1. कनाडा के उत्तर में उत्पन्न प्रति चक्रवात कनाडा और संयुक्त राज्य अमरीका को प्रभावित करते हैं इनकी दिशा पूर्व व दक्षिण पूर्व होती है. 


2. साइबेरिया के उत्तर में उत्पन्न प्रति चक्रवात चीनजापान तथा अलास्का (यू. एस. ए.) की ओर बढ़ते हैं.

 

(2) गर्म प्रतिचक्रवात (Warm Anti cyclone) 

इन प्रतिचक्रवातों की उत्पत्ति शीतोष्ण उच्च वायुदाब की पेटी में होती है. इस पेटी में हवाओं का अपसरण होता है. इन प्रतिचक्रवातों का आकार विशाल होता है. ये कम सक्रिय होते हैं तथा अपने उद्भव स्थान से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं. इनकी आगे बढ़ने की गति कम होती है. ये प्रायः दक्षिणी-पूर्वी संयुक्त राज्य अमरीका व पश्चिमी यूरोपीय देशों में अधिक सक्रिय रहते हैं. इनमें हवा धीमी और मेघ रहित और स्वच्छ होता है.

 

(3) अवरोधी प्रतिचक्रवात (Blocking Anticyclone) 

जलवायुपेताओं की नवीन खोज के आधार पर अवरोधी प्रतिचक्रवातों का प्रादुर्भाव हुआ है. क्षोभ मण्डल के ऊपरी भाग में वायु संचार के अवरोध के कारण इन प्रतिचक्रवातों की उत्पत्ति होती है. इनमें वायु प्रणालीवायुदाब तथा मौसम सम्बन्धी विशेषताएं गर्म प्रति चक्रवातों के समान होती हैं. इनका आकार छोटा व गति मन्द होती । है. ये उ. प. यूरोप तथा निकटवर्ती अटलांटिक महासागरीय भाग तथा मध्य उत्तरी प्रशान्त महासागर के पश्चिमी भाग में उत्पन्न होते हैं.

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