रूसो का जीवन-परिचय |रूसो की प्रमुख रचनायें |Rousseau's biography in Hindi | Major works of Rousseau

 रूसो का जीवन-परिचय, रूसो की प्रमुख रचनायें

रूसो का जीवन-परिचय |रूसो की प्रमुख रचनायें |Rousseau's biography in Hindi | Major works of Rousseau

रूसो दार्शनिकप्रखर विचारक तथा क्रांतिकारी शिक्षाशास्त्री


  • ज्यॉ जैक्विस रूसो एक महान दार्शनिकप्रखर विचारक तथा क्रांतिकारी शिक्षाशास्त्री थे। आधुनिक समाज और शिक्षा पर जितना अधिक प्रभाव रूसो के विचारों का पड़ा उतना शायद ही अन्य किसी दार्शनिक का। समाज को रूढ़ियों और आडम्बर का जिस दृढ़ता से रूसो ने विरोध किया वह मानव इतिहास में अभूतपूर्व है। उन्होंने धर्मराजनीति और शिक्षा पर समाज के प्रभावशाली वर्ग के एकाधिकार को समाप्त कर उसमें जनसामान्य की हिस्सेदारी पर जोर दिया। प्लेटो का आदर्श अतिमानव या लोकोत्तर मानव था पर रूसो का आदर्श है प्राकृतिक मानव । वह मानव को प्रकृति की ओर लौटने के लिए प्रेरित करता है। साथ ही शिक्षा के द्वारा बच्चे के प्राकृतिक गुणों को समाप्त करने का वह विरोधी है। उसका मानना था कि शिक्षा बच्चे की अवस्थारूचि एवं आवश्यकता के अनुरूप होनी चाहिए। वस्तुत: बाल केन्द्रित शिक्षाका सिद्धान्त रूसो के कालजयी विचारों और रचनाओं पर ही आधारित है।

 

 रूसो कौन थे ? 

  • रूसो एक क्रांतिकारी प्रगतिशील विचारक था। उसके विचारों ने शिक्षा के सिद्धान्त एवं प्रक्रिया को व्यापक रूप से प्रभावित किया । अतः रूसो के शिक्षा के सिद्धान्त को समझना शिक्षा के हर विद्यार्थी के लिए आवश्यक है। 


रूसो का जीवन-परिचय  


रूसो का जीवन-वृत्त

 

  • रूसो का जन्म 28 जून, 1712 ई० को स्विटजरलैंड के जेनेवा नामक नगर में एक सम्मानित परिवार में हुआ था । उसके पिता एक फ्रांसिसी घड़ीसाज थे। जन्म के तुरन्त बाद रूसो की माता का देहान्त हो गया। उसकी देखभाल उसकी चाची ने की जो लापरवाह थी। उसके पिता और भी लापरवाह थे । वे व्यर्थ के उपन्यास पढ़ते थे- रूसो को इन उपन्यासों से कल्पनासंवेदना एवं बचपन में ही अधकचरी प्रौढ़ता मिली। इस तरह से रूसो ने स्वच्छन्द जीवन बिताना शुरू कर दिया। निरुद्देश्य इधर-उधर भ्रमण करने के दौर में वह स्विटजरलैंड के प्राकृतिक सौन्दर्य से काफी प्रभावित हुआ। इसका अमिट प्रभाव उसके जीवन पर पड़ा। साथ ही स्वच्छन्दता के दौर में वह बुरी संगति में आया और कई दुर्गुण उसके व्यक्तित्व में आ गए। चचेरे भाई के साथ उसने कुछ दिनों तक लैटिन सीखने का प्रयत्न किया पर जो कुछ सीखा वह अव्यवस्थित एवं खंडित ज्ञान था ।

 

  • बारह वर्ष की अवस्था में रूसो घर से भागकर छोटी-मोटी नौकरी करने लगा। कुछ दिनों तक एक स्वच्छन्दपर आकर्षक महिला मैडम वारेन्स के साथ सेवाय में रहा। बाद में थेरेस लीवेस्योर नामक महिला से विवाह कर वह पेरिस में आ बसा। यहाँ यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि यायावरी के इन दिनों का रूसो के विचारों एवं कार्यों पर अमिट प्रभाव पड़ा। इस उद्देश्यहीन जीवन के संदर्भ में ग्रेब्ज ने उचित ही लिखा है- "जो दिन रूसो ने घुमक्कड़ी में बितायाउन्हीं में उसके मस्तिष्क एवं हृदय पर प्रकृति प्रेम की अमिट छाप पड़ी। इन्हीं दिनों निर्धनों और शोषितों के प्रति उसके हृदय में सहानुभूति की लहर पैदा हुई।" अठारहवीं शताब्दी के मध्य में फ्रांस में फैली हुई सामाजिक विषमताओंनैतिक आडम्बरों और व्यर्थ के ऐश्वर्य प्रदर्शनों से रूसो का विश्वास तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था से उठ गया। इस बीच उसने मिल्टनलॉकहॉब्स जैसे प्रसिद्ध दार्शनिकों की पुस्तकों का अध्ययन किया। फ्रांस की सामाजिक–राजनीतिक स्थितिरूसो के अपने अनुभव तथा इन विद्वानों की कृतियों के सम्मिलित प्रभाव से रूसो के विचारों में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। 


  • रूसो को सर्वप्रथम तब प्रसिद्धि प्राप्त हुई जब उसने डिजान एकेडमी की निबन्ध प्रतियोगिता में 1750 ई0 में "हेज दि प्रोग्रेस ऑफ साइन्सेज एण्ड आर्ट्स कन्ट्रिब्यूटेड टू करप्ट ऑर प्यूरिफाय मोरेलिटी ?" (विज्ञान और कला की प्रगति का परिणाम नैतिकता में वृद्धि या गिरावट है?) रूसो का उत्तर था विज्ञान और कला की प्रगति से नैतिकता में गिरावट आई है। इस निबन्ध के कारण कल तक का भटकता इन्सान अनायास ही प्रसिद्ध हो गया। तीन वर्षों बाद पुनः इसी एकेडमी में "मानवों में असमानता के कारण तथा यह प्राकृतिक नियम द्वारा स्वीकृत है या नहीं ?" ह्वाट इज दि ऑरिजिन ऑफ इनइक्वेलिटी एमंग मेन एण्ड इज इट आउथराइजिड बाय नेचुरल लॉ?) पर दूसरा निबन्ध सम्पूर्ण यूरोप में प्रसिद्ध हो गया। इस उपन्यास से वह एक महान प्रकृतिवादी दार्शनिक के रूप में स्थापित हो गया जिसने तत्कालीन सामाजिक संस्थाओं का विरोध किया ।

 

  • रूसो अपनी महत्वपूर्ण रचनाओं : 'दि न्यू हेल्वायज', 'दि एमिलतथा 'दि कॉनफेसन्शके कारण एक महान दार्शनिक के रूप में प्रतिष्ठित तो हुआ पर उसके जीवन के अन्तिम दिन कष्टों में बीते। वह अपमानित हो इंग्लैंडजेनेवा तथा फ्रांस में भागता फिरता रहा। अंततः 1778 ई0 में फ्रांस में उसकी मृत्यु हुई। 1789 ई0 में फ्रांस की क्रांति प्रारम्भ हुई। फ्रांस की क्रांति का एक महत्वपूर्ण कारक रूसो के क्रांतिकारी विचार थे। नेपोलियन ने ठीक ही कहा था: "रूसो के बिना फ्रांस की क्रांति संभव नहीं थी ।" रूसो को न केवल एक दार्शनिक के रूप में ही वरन् महान क्रांतिकारी के रूप में भी प्रतिष्ठा प्राप्त हुई।

 

रूसो की प्रमुख रचनायें- 

रूसो की प्रमुख रचनायें निम्नलिखित हैं:- 

  • 'दि प्रोगेस ऑफ साइन्सेज एण्ड आर्ट्स', 
  • 'दि ऑरिजिन ऑफ इनइक्वेलिटी एमंग मेन', 
  • 'डिस्कोर्स ऑन पोलिटिकल इकोनॉमी',
  • 'दि न्यू हेल्वायज', 'दि सोशल कॉन्ट्रेक्ट', 
  • 'दि एमिल', 
  • 'कन्सीडरेसन ऑन दि गवर्नमेन्ट ऑफ पोलैण्ड', 
  • 'दि कॉनफेसन्शआदि ।

 

  • शिक्षा की दृष्टि से रूसो की सर्वप्रसिद्ध रचना एमिल है जिसमें उसने एमिल नाम के एक काल्पनिक बालक को शिक्षा देने की प्रक्रिया का वर्णन किया है। यद्यपि रूसो का शिक्षा सम्बन्धी विचार एमिल तक ही सीमित नहीं है पर रूसो का मूल्यांकन एमिल के आधार पर ही होता है। लार्ड मारले ने इस कार्य के बारे में कहा "साहित्य के इतिहास में यह एक कालजयी रचना है। यह चरित्र की गहराइयों को छूता है। यह माता-पिता में आत्मसम्मान का भाव भरता है और उनके कार्य को स्पष्ट करता है। यह जमा दुराग्रहों को खत्म करता है। इसने नर्सरी एवं विद्यालयों की कक्षाओं में- जिनके दरवाजे एवं खिड़कियां बन्द रहीं हैं- प्रकाश एवं शुद्ध हवा भर दिया ।" फ्रेडरिका मेकडोनाल्ड ने भी कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे अमानवीय सिद्धान्तों एवं कार्यों को एमिल ने गहरी चोट पहुँचाई। पेस्टालॉजी और फ्रोबेल के काफी पहले रूसो ने आधुनिक शिक्षा पद्धति की नींव रखी। अध्यापकों और माता-पिता को जीवन के प्रभात बेला में ही बच्चों की खुशियों का गला घोटने के लिए लज्जित होना सिखाया।

 

  • शिक्षा की दृष्टि से दि न्यू हेल्वायज (1761 ई०) भी महत्वपूर्ण है। इसमें उन्होंने गृह - शिक्षा का वर्णन किया है। इस पुस्तक में रूसो शिशु के प्रति माता के दायित्वों का वर्णन करते हुए उसे प्रारम्भिक काल में सर्वाधिक महत्वपूर्ण अध्यापक कहा।

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