मध्यप्रदेश की खैरवार जनजाति की जानकारी | MP Khairvaar Tribes Details in Hindi

मध्यप्रदेश की खैरवार जनजाति की जानकारी
(MP Khairvaar Tribes Details in Hindi)

मध्यप्रदेश की खैरवार जनजाति की जानकारी | MP Khairvaar Tribes Details in Hindi


मध्यप्रदेश की खैरवार जनजाति की जानकारी

 

खैरवार जनजाति की जनसख्या 

  • खैरवार की कुल जनसख्या 76097 आंकी गई हैैं, जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.105 प्रतिशत हैं।

 

खैरवार जनजाति निवास क्षेत्र 

  • श्योपुर, भिण्ड, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सागर, दमोह, सतना, रीवा, उमरिया, शहडोल, सीधी, रतलाम, उज्जैन, शाजापुर, देवास, झाबुआ, धार, इन्दौर, पश्चिम निमाड़, पूर्वी निमाड, राजगढ़, विदिशा, भोपाल, सीहोर, रायसेन, बैतूल, हरदा, होशगाबाद, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, डिण्डौरी, मण्डला, छिंदवाड़ा में पायी जाती है।

 

खैरवार जनजाति गोत्र 

  • इनके प्रमुख गोत्र- नाग, धान, नुन, ढेकी, काशी, चन्दन, कछुआ, बहेरा, बेल आदि हैं।

 

खैरवार जनजाति रहन-सहन 

  • इस जनजाति के गांव प्रायः जंगलों, घाटियों के बीच स्थित होते हैं। मकान प्रायः एक दो कमरे के होते हैं। बाहर खुली जगह होती है। मकान स्वयं बनाते हैं। जो सामान्यतः मिट्टी के बने होते हैं। छप्पर घासपूस तथा देशी खपरैल से बनी होती हैं। घर की दीवाल पर सफेद या पीली मिट्टी से पुताई करते हैं। फर्श मिट्टी का होता हैं, जिसे महिलायें गोबर से लीपती हैं। घर में अनाज कूटने का मूसल, अनाज पीसने की चक्की, अनाज रखने की मिट्टी से बनी कोठी होती है। बर्तन, ओढ़ने, बिछाने के कपड़े, कृषि उपकरण आदि होते हैं।

 

खैरवार जनजाति खान-पान 

  • मुख्य भोजन गेहू, ज्वार की रोटी, मूंग, उड़द, तुवर की दाल, मौसमी सागसब्जी, मांसाहार में बकरा, मुर्गी, मछली, का मांस हैं।

 

खैरवार जनजाति वस्त्र-आभूषण 

  • हाथों में चूड़ियाँ, ऐठी, नागमोरी, कानों में खिनवा, ढार, नाक में लोंग, गले में सुतिया, सुरड़ा, हमेल आदि पहनती हैं। वस्त्र विन्यास में पुरूष कमर के नीचे घुटनों तक पंछा धोती, बंडी पहनते हैं। स्त्रियाँ लुगड़ा, पोलका पहनती हैं।

 

खैरवार जनजाति गोदना 

  • महिलाएँ हाथों, पैरो व चेहरे पर गुदना गुदवाती हैं।

 

खैरवार जनजाति तीज-त्यौहार 

  • प्रमुख त्यौहार करमा, जुतिया, नोरता, नवाखानी, दशहरा, दीवाली, होली, वैशाखी आदि हैं। देवी देवता की पूजा त्यौहारों के अवसरों पर करते हैं।

 

खैरवार जनजाति नृत्य 

  • करमा नृत्य, करमा पूजा के समय जदूरा नृत्य दाीवाली में, होली पर डंडा नृत्य करते हैं। इनके प्रमुख वाद्ययंत्र, मांदर, मंजीरा, ढोल, बांसुरी आदि हैं।

 

खैरवार जनजाति व्यवसाय 

  • खैरवार जनजाति का परम्परागत आर्थिक जीवन मुख्यतः खैरवृक्ष से कत्था बनाना, जंगली उपज संग्रह तथा कृषि पर निर्भर था। जंगल से खैर वृक्ष की लकड़ी काटकर उसे पानी में डालकर भट्टी में पकाते हैं, तथा गाढ़ा होने पर निकालकर सुखाते हैं। जंगली उपज में महुआ, गुल्ली, हर्रा, आंवला आदि एकत्र कर बेचते हैं। जिनके  पास कृषि भूमि हैं वे  धान, कोदो, मक्का, मूंग, उड़द आदि की फसल लेते हैं।

 

खैरवार जनजाति जन्म-संस्कार 

  • प्रसव पति के घर में स्थानीय दायी/ बुजुर्ग महिलाएंे कराती हैं। प्रसव बाद गुड़, हल्दी, गोंद, सोंठ आदि का काढ़ा बनाकर पिलाते हैं।

 

खैरवार जनजाति विवाह-संस्कार 

  • खैरवार जनजाति में विवाह उम्र लड़कों 14-18 तथा लड़कियांे की 12-16 वर्ष सामान्यतः मानी जाती हैं। विवाह प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से होता है।  वर के पिता वधू के पिता को चावल, दाल, गुड़, तेल व कुछ नगद रूपये (जो तय हो) देते हैं। वधू की मां को कपड़े दिये जाते हैं। इसके  अतिरिक्त सेवा विवाह, घुसपैठ, विधवा या त्यक्ता, पुनर्विवाह को भी समाज की मान्यता है।

 

खैरवार जनजाति मृत्यु संस्कार 

  • मृत्यु होने पर शव को दफनाने की प्रथा हैं। कभी-कभी शव को कुछ लोग जलाते हैं। तीसरे दिन परिवार के पुरूष दाढ़ी, मूछं व सिर के बाल कटवाते हैं। 10 वे दिन समाज वालो को भोज दिया जाता हैं।

 

खैरवार जनजाति देवी-देवता 

  • इनके प्रमुख देवी देवता ठाकुर देव, महारानी देवी, बूढ़ीमाई, सतीदेवी, बजांरिन देवी, खूंट देव, गुरमादेव, दूल्हादेव आदि हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दू देवी, देवता, प्रकृति वस्तुओं की पूजा करते हैं।

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