कुँवर सिंह पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए? | Kunwar Singh MP Freedom Fighter

कुँवर सिंह पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?

कुँवर सिंह पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए? | Kunwar Singh MP Freedom Fighter

कुँवर सिंह पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए? MPPSC 2018 Paper 1

 उत्तर- 

फिरंगियों के विरुद्ध स्वतंत्रता संघर्ष का आंदोलन 18वीं शताब्दी में धीमी गति से चलाजो 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उग्र रूप धारण करने लगा । यद्यपि ऐसे विद्रोह स्थानीय सीमित शक्ति के कारण सफल तो नहीं हो सकेलेकिन जन समुदाय में स्वतंत्रता की भावना को पनपाने व  फैलाने में अहम भूमिका रही और कहा जाएतो 1857 के आंदोलन को जागृत करने में इन्हीं छोटे-छोटे आंदोलनों की भूमिका रही। इन आंदोलनों में अनेक रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थीउनमें म.प्र. के प्रथम रणवीर कुँवर चैनसिंह थेजिन्होंने अपनी वीरता से अंग्रेजों को नाको चने चबवाए। 


कम्पनी सरकार ने 1818 में सीहोर में सैनिक छावनी की स्थापना की थी। यहाँ पॉलीटिकल एजेन्ट मिस्टर मैडाक के अधीन 1000 सैनिक रखे गएजिन्हें भोपाल स्टेट के खजाने से वेतन मिलता था। भोपाल के साथ-साथ नरसिंहगढ़खिलचीपुर और राजगढ़ की रियासतों संबंधी राजनीतिक अधिकार मैडाक को सौंप दिए गए। अंग्रेजों की कुटिलता के कारण सीहोर में छ: वर्ष के पश्चात् विद्रोह भड़क उठा। क नरसिंहगढ़ रियासत के दीवान आनंदराम बख्शी को अंग्रेजों के ने अपनी ओर मिला लियाजो नरसिंहगढ़ राज परिवार की गुप्त जानकारियाँ मैडाक को देता था। नरसिंहगढ़ के राजकुमार कुँवर चैनसिंह ने विश्वस्त की जानकारी मिलते ही गद्दार उ आनंदराम को मौत के घाट उतार दिया। एक और मंत्री रूपाराम वोहरा ने इंदौर के होल्कर राज्य द्वारा अंग्रेजों के प्र विरुद्ध मध्यभारत के सभी राजबाड़ों के संघर्ष के लिए एकजुट करने हेतु बैठक बुलाने तथा उसमें कुँवर चैनसिंह के भाग लेने की जानकारी मैडाक को पहुँचाई थीउसे भी गद्दारी के कारण दण्ड स्वरूप मौत के घाट उतार दिया।

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