मान्टेसरी पद्धति की विशेषतायें |मान्टेसरी पद्धति की सीमायें| Features of Montessori Method in Hindi

मान्टेसरी पद्धति की विशेषतायें  (Features of Montessori Method in Hindi )

मान्टेसरी पद्धति की विशेषतायें |मान्टेसरी पद्धति की सीमायें| Features of Montessori Method in Hindi

मान्टेसरी पद्धति की विशेषतायें

उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर हम मान्टेसरी पद्धति में निम्नलिखित विशेषतायें पाते हैं-

 

  1. मान्टेसरी की शिक्षण विधि वैज्ञानिक विधि पर आधारित है। मान्टेसरी ने निरीक्षणअनुभव तथा प्रयोग के आधार पर पद्धति का विकास किया। 
  2. रूसोपेस्टोलॉजी एवं फ्रोबेल की ही भाँति मान्टेसरी भी विद्यार्थियों की पूर्ण स्वतंत्रता का समर्थन करती है । इनके अनुसार स्वतंत्र वातावरण में ही स्वस्थ व्यक्तित्व का विकास हो सकता है । मान्टेसरी की पद्धति वैयक्तिक है। 
  3. मान्टेसरी द्वारा प्रस्तावित ज्ञानेन्द्रियों का शिक्षण मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुकूल है। 
  4. मान्टेसरी के द्वारा प्रारम्भ की गई लिखना एवं पढ़ना सिखाने की विधियाँ सर्वथा नवीन हैं। प्रथम बार किसी शिक्षाशास्त्री ने लिखना सिखाने की क्रिया में मांसपेशियों के सन्तुलन पर जोर दिया है। 
  5.  बालकों को पूर्ण स्वतंत्रता होती है और अध्यापिका उनके कार्यों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करतीइसलिए अनुशासन की कोई समस्या नहीं रह जाती है। इस प्रणाली में मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास का भी ध्यान रखा जाता

 

मान्टेसरी पद्धति की सीमायें (Limitations of Montessori Method) 

  • मान्टेसरी का बच्चों का स्वयं सीखने का सिद्धान्त उत्तम । पर इसे सभी विषयों पर लागू नहीं किया जा सकता है। साथ ही यह बहुत अधिक समय ले सकता है। 
  • उनका इन्द्रियों के प्रशिक्षण का सिद्धान्त पुरानी पद्धति पर आधारित है। एक बार में एक ज्ञानेन्द्रिय का प्रशिक्षण आधुनिक मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुकूल नहीं है। 
  • भिन्न-भिन्न विषयों को समन्वित करके पढ़ने का आयोजन तथा बालगृहों पर बहुत अधिक व्यय होता है। इसे अविकसित और विकासशील देशों में सभी बच्चों के लिए लागू कर पाना संभव नहीं दिखता है। 
  • इस प्रणाली में कल्पनात्मक खेलों की उपेक्षा की जाती है। खेल खेल के लिए हो तभी वह खेल होगा अन्यथा कार्य हो जायेगा । 
  • प्रयोजनवादी शिक्षाशास्त्री किलपैट्रिक ने इस पद्धति का मूल्यांकन करते हुए कहा कि इसमें बालक के व्यक्तित्व के विकास पर जोर दिया गया है पर उसके सामाजिक पक्ष के विकास की उपेक्षा की गई है। ऐसा विकास एकांगी विकास होगा।

 

रॉस के अनुसार मान्टेसरी पर सामाजिक उत्तरदायित्व एवं विनम्र व्यवहार के प्रति लापरवाह होने का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। वे अपने डाइरेक्ट्रेस को सुझाव देती हैं कि वे उस हद तक हस्तक्षेप करें कि विद्यालय असामाजिक व्यवहार को हतोत्साहित करे और दोषियों को सामुदायिक कार्य में अस्थायी तौर पर भाग लेने से रोक दे । इस तरह से यहाँ अध्यापिका के उत्तरदायित्व को स्वीकार किया गया है। लेकिन यह कार्य उन्हें अपने को पृष्ठभूमि में रखते हुएविद्यालय के वातावरण द्वारा पूरा करना चाहिए। जैसा कि हम सब जानते हैं विद्यालय के वातावरण के निर्माण में अध्यापिका की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। अध्यापिका चाहे जितना भी पृष्ठभूमि में रहे उसके प्रभाव एवं निर्देशन में ही विद्यालय की व्यवस्था चलती है। वस्तुतः मान्टेसरी सावधानी से नियोजित वातावरण के द्वारा विद्यार्थियों को प्रभावित करना चाहती हैं . 

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