बी ओ टी मॉडल क्या होता है | BOT Model Details in Hindi

 बी ओ टी मॉडल  क्या होता है  (BOT Model Details in Hindi)

बी ओ टी मॉडल  क्या होता है | BOT Model Details in Hindi

 

बी ओ टी मॉडल  क्या होता है  (BOT Model Details in Hindi)


  • BOT मॉडल के तहत एक निजी साझेदार को निर्दिष्ट अवधि (20 या 30 वर्ष की रियायत अवधि) के लिये एक परियोजना के वित्तीयन, निर्माण और संचालन के लिये रियायत दी जाती है, जिसमें निजी साझेदार उपयोगकर्त्ता शुल्क या सुविधा का उपयोग करने वाले ग्राहकों से टोल के माध्यम से निवेश की भरपाई करता है और इस प्रकार एक निश्चित मात्रा में वित्तीय जोखिम उठाता है।
  • BOT एक निजी-सार्वजनिक भागीदारी (Public Private Partnership) मॉडल है जिसके अंतर्गत निजी साझेदार पर अनुबंधित अवधि के दौरान ढांँचागत परियोजना के डिज़ाइन, निर्माण एवं परिचालन की पूरी ज़िम्मेदारी होती है।
  • निजी क्षेत्र के भागीदार को परियोजना के लिये वित्तीयन के साथ ही इसके निर्माण और रखखाव की ज़िम्मेदारी लेनी होती है।
  • सरकार ने रियायत अवधि के दौरान पूर्व के प्रति 10 वर्ष की जगह अब प्रति 5 वर्ष पर परियोजना की राजस्व क्षमता का आकलन करने का निर्णय लिया है।
  • इसका अर्थ होगा कि निजी कंपनी के लिये राजस्व की निश्चितता सुनिश्चित करने हेतु रियायत अवधि (या अवधि जब तक सड़क डेवलपर्स टोल एकत्र कर सकते हैं) को अनुबंध अवधि पूर्ण होने से पूर्व बढ़ाया जा सकेगा।


 बी ओ टी मॉडल कार्य प्रक्रिया:

निर्माण:

  • इसके अंतर्गत निजी कंपनी (या संघ) सार्वजनिक बुनियादी ढांँचा परियोजना में निवेश करने के लिये सरकार से सहमत होने पर परियोजना के निर्माण के लिये वित्तपोषण करती है।

परिचालन:

  • इसके अंतर्गत निजी साझेदार एक सहमत रियायत अवधि के लिये सुविधा का संचालन, रखरखाव और प्रबंधन करता है तथा शुल्क या टोल के माध्यम से अपने निवेश की वसूली करता है।

हस्तांतरण:

  • इसके अंतर्गत रियायती अवधि के बाद कंपनी सरकार या संबंधित राज्य प्राधिकरण को सुविधा के स्वामित्व और संचालन का हस्तांतरण करती है।


BOT मॉडल का महत्त्व और चुनौतियाँं :

 बी ओ टी मॉडल लाभ:

  • परियोजना के निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिये वित्त जुटाने और सर्वोत्तम प्रबंधन कौशल का उपयोग करने में सरकार को निजी क्षेत्र का लाभ मिलता है।
  • निजी भागीदारी भी सर्वोत्तम उपकरणों का उपयोग करके दक्षता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती है।
  • BOT उद्यमों को प्रदर्शन-आधारित अनुबंधों और निर्गत-उन्मुख लक्ष्यों के माध्यम से दक्षता में सुधार करने के लिये तंत्र और प्रोत्त्साहन प्रदान करता है।
  • परियोजनाएँ पूरी तरह से प्रतिस्पर्द्धी बोली की स्थिति में संचालित की जाती हैं और इस प्रकार न्यूनतम संभव लागत पर पूरी की जाती हैं।
  • परियोजना के जोखिम निजी क्षेत्र द्वारा साझा किये जाते हैं।


बी ओ टी मॉडल चुनौतियाँं:

  • वित्तपोषण के इक्विटी हिस्से में लाभ का घटक निहित है, जो ऋण लागत से अधिक होता है। यह वह कीमत है जो निजी क्षेत्र को जोखिम से निपटने के लिये चुकाई जाती है।
  • BOT वित्तपोषण समझौते को तैयार करने और समाप्त करने में काफी समय एवं अग्रिम खर्च करना पड़ सकता है क्योंकि इसमें कई संस्थाएँ शामिल होती हैं और इसके लिये अपेक्षाकृत जटिल कानूनी तथा संस्थागत ढाँचे की आवश्यकता होती है। ऐसें में छोटी परियोजनाओं के लिये BOT उपयुक्त नहीं है।
  • यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक संस्थागत क्षमता विकसित करने में समय लग सकता है कि BOT के पूर्ण लाभ प्राप्त हों, जैसे कि पारदर्शी और निष्पक्ष बोली और मूल्यांकन प्रक्रियाओं का विकास तथा प्रवर्तन एवं कार्यान्वयन के दौरान संभावित विवादों का समाधान. 

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