पैंगोलिन के बारे में जानकारी | Pangolin GK in Hindi

 पैंगोलिन के बारे में जानकारी  (Pangolin GK in Hindi)

पैंगोलिन के बारे में जानकारी | Pangolin GK in Hindi
 

पैंगोलिन के बारे में जानकारी 

  • पैंगोलिन की आठ प्रजातियों में से इंडियन पैंगोलिन और चीनी पैंगोलिन भारत में पाए जाते हैं।
  • इंडियन पैंगोलिन एक बड़ा चींटीखोर (Anteater) है जिसकी पीठ पर शल्कनुमा संरचना की 11-13 तक पंक्तियाँ होती हैं।
  • इंडियन पैंगोलिन की पूँछ के निचले हिस्से में एक टर्मिनल स्केल मौजूद होता है जो चीनी पैंगोलिन में नहीं मिलता है।


पैंगोलिन का आहार:

  • कीटभक्षी-पैंगोलिन निशाचर होते हैं, और इनका आहार मुख्य रूप से चीटियाँ और दीमक होते हैं, जिन्हें वे अपनी लंबी जीभ का उपयोग कर पकड़ लेते हैं।

पैंगोलिन का आवास:

  • इंडियन पैंगोलिन व्यापक रूप से शुष्क क्षेत्रों, उच्च हिमालय एवं पूर्वोत्तर को छोड़कर शेष भारत में पाया जाता है। यह प्रजाति बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में भी पाई जाती है।
  • चीनी पैंगोलिन पूर्वी नेपाल में हिमालय की तलहटी क्षेत्र में, भूटान, उत्तरी भारत, उत्तर-पूर्वी बांग्लादेश और दक्षिणी चीन में पाया जाता है।


पैंगोलिन को खतरा:

  • पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, खासकर चीन एवं वियतनाम में इसके मांस का व्यापार तथा स्थानीय उपभोग (जैसे कि प्रोटीन स्रोत और पारंपरिक दवा के रूप में) हेतु अवैध शिकार इसके विलुप्त होने के प्रमुख कारण हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि ये विश्व के ऐसे स्तनपायी हैं जिनका बड़ी मात्रा में अवैध व्यापार किया जाता है।


संरक्षण की स्थिति:

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की रेड लिस्ट में इंडियन पैंगोलिन को संकटग्रस्त (Endangered), जबकि चीनी पैंगोलिन को गंभीर संकटग्रस्त (Critically Endangered) की श्रेणी में रखा गया है।
  • इन दोनों प्रजातियों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के भाग-I की अनुसूची-I के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
  • CITES: सभी पैंगोलिन प्रजातियों को ‘लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (CITES) के परिशिष्ट-I में सूचीबद्ध किया गया है।
  • अतः इसकी प्रजातियों के शिकार, व्यापार या उनके शरीर के अंगों और इनसे जुड़ी वस्तुओं के किसी अन्य रूप में उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • भारत में इसके अवैध शिकार पर 7 वर्ष तक की जेल की सज़ा हो सकती है क्योंकि इसे वन्यजीव अधिनियम की धारा के तहत अधिकतम सुरक्षा शामिल है।

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