नौलि क्रिया क्या होती है | Nauli Kriya Kya Hoti Hai

 नौलि क्रिया क्या होती है 

नौलि क्रिया क्या होती है | Nauli Kriya Kya Hoti Hai


 नौलि क्रिया क्या होती है

 

दोनों पैरों को दो फुट के फासले पर रखकर खड़े हो जाइए। दोनों हाथों को दोनों जांघों पर रखकर थोड़ा-सा आगे झुक जाइए। अपनी दृष्टि पेट पर रखिए। (उड्डियान बंध) श्वास बाहर निकालकर पेट को अंदर की ओर खींचकर पेडू के बीचों-बीच में एक 'नाल' (तना) जैसा आकार दीजिए। पेट के मध्य में मांसपेशियों की एक मोटी नली निकल आयेगी । इस मोटी नली को बायीं ओर ले जाइए। फिर दाहिनी और लाइये। इस तरह जल्दी-जल्दी बांयी और दायीं ओर घूमाइए। जब नाल बांयी ओर रहती है 'वाम- नौलिकहते हैं। दाहिनी ओर रहने पर 'दक्षिण नौलितथा बीच में रहने पर मध्य नौलिकहते हैं। यह क्रिया सभी योगाभ्यासी को सीखनी चाहिए। अभ्यास का समय प्रातःकालभोजन से पूर्वखाली पेट है।


 नोट - अल्सरहर्निया और हृदय रोगियों की इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।

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