सहिष्णुता का अर्थ | सहिष्णुता के लाभ |What is Tolerance in HIndi

सहिष्णुता का अर्थ एवं लाभ 

सहिष्णुता का अर्थ | सहिष्णुता के लाभ  |What is Tolerance  in HIndi



 सहिष्णुता क्या होती है  (What is Tolerance)

 

  • अपने से भिन्न व्यवहारों एवं मतों को भी सहन करने की योग्यता सहिष्णुता है। सहिष्णुता में सहअस्तित्व का भाव विद्यमान है। सहिष्णुता का आशय है उन विचारोंमतोंधर्मों आदि के अस्तित्व को भी स्वीकार करना तथा उनका सम्मान करना जो उसके विचारमत और धर्म से भिन्न है। सामाजिक समरसता और भाईचारे को बढ़ाने के लिए सहिष्णुता की अवधारणा का होना आवश्यक हैजिसमें अपने विरोधियों के विचारों का सम्मान करना उन्हें सुननेसमझने की ताकत रखना और यदि उनका पक्ष तार्किक या सही है तो उसे स्वीकार करना ।

 

  • सहिष्णुता का महत्वपूर्ण आधार लोकतांत्रिक दृष्टिकोण है। लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिकविचारधाराओंमान्यताओं के मध्य विवाद होता है लेकिन इन विवादों के शांतिपूर्ण ढंग से समाधान की बात लोकतंत्र करता है। अगर सामाजिक धार्मिक संदर्भ में भी विवादों एवं समस्याओं का लोकतांत्रिक ढंग से हल निकाला ना जाए तो फिर सामाजिक वैमनस्यलिंगभेदजातिभेदधार्मिक कट्टरपन और साम्प्रदायिकता पर प्रहार होगा इनके लिए सहिष्णुता की भावना का होना आवश्यक है।

 


सहिष्णुता का नकारात्मक अर्थ 

  • तटस्थ रहनाअसंवाद का भाव सहन करना 


सहिष्णुता का सकारात्मक अर्थ

अपने से भित्र मतजातिभाषा प्रांत वालों के प्रति भी उदारता का भाव सहअस्तित्व की भावनापरस्पर सम्मानसंवाद एवं समायोजन। 

 

  • सहिष्णुता का एक प्रमुख संदर्भ धार्मिक सहिष्णुता है। भारतीय संदर्भ में जहाँ अनेक धर्मों का अस्तित्व है वहाँ इसकी अनिवार्य आवश्यकता है। इसके माध्यम से धार्मिक रूढ़िवादिता सांप्रदायिकता एवं वैमनस्य भाव का निदान किया जा सकता है। किसी धर्म विशेष के अनुयायी द्वारा अपने ही धर्म को सर्वश्रेष्ठ और अंतिम सत्य मानने की प्रवृत्ति रूढ़िवादिता है जबकि दूसरे धर्मो को मानने वालों के प्रति विरोध एवं वैमनस्य का भाव साम्प्रदायिकता है। धार्मिक सहिष्णुता का आदर्श यह है कि अपने धर्म की मान्यताओं एवं सिद्धांतों को स्वीकार करते हुए भी दूसरे धर्मों के प्रति वैमनस्यविरोध एवं असहनशीलता का भाव न अपनाएँ बल्कि उनके जीवनमान्यता व स्वतंत्रता का सम्मान करे। विभिन्न धर्मों के बीच सद्भावएक-दूसरे के प्रति सहानुभूति प्रकट करना ही धार्मिक सहिष्णुता है। कोई अपने विचारोंमान्यताओंमतों को दूसरों के ऊपर बलपूर्वक थोपने का प्रयास न करे इसलिए भारतीय संविधान में 42वें संविधान संशोधन 1976 में पंथ निरपेक्षता शब्द को जोड़ा गया है। महात्मा गाँधी ने सर्वधर्म समभाव की अवधारणा को प्रसारित किया जिसमें विभिन्न धर्मों के सहअस्तित्व के साथ-साथ सहभागिता का भी भाव विद्यमान है।

 

सहिष्णुता के लाभ

 

1. विरोधी विचारों को सुनने की ताकत हो तो समाज और राजनीति दोनों लोकतांत्रिक बनते हैं।

 

2. कई बार ऐसा होता है कि दूसरों को सुनने के धैर्य की वजह से नए तथा मौलिक विचार प्राप्त होते हैं जो व्यक्ति तथा समाज की दिशा बदल सकते हैं।

 

3. बीसवीं शताब्दी में आतंकवाद व नरसंहार की जितनी घटनाएँ घटी हैंउतनी इससे पहले कभी नहीं घटी ऐसे में सहिष्णुता के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 

4. सहिष्णुता से नैतिक प्रगति होती है। 

5. यदि कोई व्यक्ति दूसरों के प्रति सहिष्णु व्यवहार करते हैं तो धीरे-धीरे दूसरे को भी प्रेरणा-मिलती है कि वे अन्य लोगों के प्रति सहिष्णु व्यवहार करें।

6. सहिष्णुता से चिंतन व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलता है। 

7. विश्व में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए सहिष्णुता जरूरी है।

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