मध्यप्रदेश की भुंजिया जनजाति की जानकारी | MP Bhunjiya Tribes Details in Hindi

 मध्यप्रदेश की भुंजिया  जनजाति की जानकारी 

मध्यप्रदेश की भुंजिया  जनजाति की जानकारी | MP Bhunjiya Tribes Details in Hindi



मध्यप्रदेश की भुंजिया जनजाति की जानकारी 

 

मध्यप्रदेश में भुंजिया जनजाति की जनसंख्या 

इनकी कुल जनसंख्या 1469 आंकी गई है, जो म.प्र. की कुल जनसंख्या का 0.002 प्रतिशत है।

 

मध्यप्रदेश में भुंजिया जनजाति का निवास क्षेत्र           

 

मुरैना, ग्वालियर, पन्ना, सागर, सतना, रीवा, शहडोल, सीधी, रतलाम, उज्जैन, देवास, झाबुआ, धार, इन्दौर, पूर्वी निमाड, बड़वानी, पश्चिम निमाड़, भोपाल, सीहोर, रायसेन, बैतूल, हरदा, होशगाबाद, कटनी, जबलपुर, छिदवाड़ा में पायी गई है।

 

भुंजिया जनजाति गोत्र          

 

इनके गोत्र बधवा, बोकरा, चीता, भैंसा, सोनवानी, तेकाम, मरकाम, दुध, सुुआ आदि हैं।

 

भुंजिया जनजाति  का रहन-सहन           

 

इनके ग्राम में एक माता देवालय होता है। मकान प्रायः कच्चे होते है, जो लकड़ी, मिट्टी कुखर (कोदो) का पैरा तथा रस्सियो से बनता है। घर की छत पर घासपूस या देशी खपरैल होती हैं। चौखटिया भुंजिया लोग रांधा घर  अलग बनाते हैं। इसकी दीवाल लाल मिट्टी  से पोतते है। यह लाल बंगला कहलाता है, यही रसोई भी बनाते हैं। घर को गोबर, पीली मिट्टी, लाल मिट्टी तथा चूने मंे रंग मिलाकर रंगते हैं। फर्श कच्चा रहता है। जिसे गोबर से लीपा जाता है। इनके मकानों की दीवारों पर विभिन्न आकृतियाँ बनाई जाती हैं, जिसे वे पेडाकहते है।

 

भुंजिया जनजाति का खान-पान           

 

इस जनजाति का मुख्य भोजन चावल है। नित्य भोजन में ये लोग चावल के साथ कुल्थी या उड़द की दाल या साग भाजी का भी उपयोग करते हैं। बचे हुए भात (पके हुए चावल) को ये पानी में डुबोकर रख देते हैं। इसे बासी कहा जाता है। दोपहर के भोजन में पेज बनाकर पीते हैं। मांस में ये लोग बकरा, मुर्गा, खरगोश तथा मछली खाते हैं।

 

भुंजिया जनजाति के वस्त्र-आभूषण           

 

पुरूष धोती और बनियान पहनते हैं। स्त्रियाँ केवल साड़ी जिसे वे लुगड़ा कहती है, पहनती हैं।

 

 भुंजिया जनजाति में गोदना           

 

इस जनजाति की स्त्रियाँ अपने शरीर पर गोदना गुदवाने की शौकिन होती हैं।

 

भुंजिया जनजाति के तीज-त्यौहार           

 

मुख्य त्यौहार होली, पोला, तीजा, पितर, नवाखानी, दशहरा, दीवाली आदि हैं। देवी-देवताओं की पूजा त्यौहारों के अवसर पर करते हैं। इसके अतिरिक्त ग्राम देवता कुल देवता ठाकुरदेव, बूढ़ीमाई, कालाकुवर आदि की पूजा भी करते हैं। इनका धार्मिक पूजारी व जादू मंत्र का जानकार बैगाकहलाता है।

 

भुंजिया जनजाति  के नृत्य           

 

भुंजिया जनजाति के लोग विवाह में पारम्परिक विवाहनाच, दीवाली में महिलाएं फड़की नाच, भादों में पुरुष रामसत्ता, होली में रहस नृत्य करते हैं। फड़की, ददरिया विवाहगीत, फाग, राम सत्ता आदि लोकगीत है। मादल, टिसकी, खरताल झांझ आदि वाद्ययंत्र उपयोग करते हैं।

 

भुंजिया जनजाति का व्यवसाय           

 

कृषि, जंगली उपज संग्रह। इनके कृषि उत्पादन धान, कोदो, उडद, अरहर, तिवड़ा, तिल, आदि है। जंगली उपज महुआ, गोंद, तेन्दुपत्ता आदि एकत्र कर बेचते हैं।

 

भुंजिया जनजाति में जन्म-संस्कार           

 

प्रसव प्रायः घर पर ही स्थानीय दायी या बुजुर्ग महिलाओं द्वारा कराया जाता है। प्रसूता को जड़ी बूटी का काढ़ा, सोठ, गुड़, तिल के लड्डू खिलाते हैं। छठे दिन छठी मनाते हैं। इस दिन प्रसूता व बच्चे को नहलाते हैं। दूध छिड़क कर पवित्र करते हैं।

 

भुंजिया जनजाति में विवाह-संस्कार          

 

विवाह के पूर्व लड़कियो का रजोदर्शन उम्र के पूर्व का कांणविवाह सम्पन्न कराते हैं। इसमें लड़की का विवाह बाण के साथ कराया जाता है। वयस्क होने पर 18-20 वर्ष होने पर ही लड़का लड़की का विधिवत विवाह होता है। विवाह प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से होता है। वरपक्ष द्वारा वधु के पिता को पूरा खर्च देना पड़ता है।

 

भुंजिया जनजाति में मृत्यु संस्कार           

 

मृत्यु होने पर मृतक को दफनाते हैं। तीसरे दिन घर की लिपाई पुताई कर स्नान करते हैं। पुरूष दाड़ी मंूछ व सिर के बालोें का मुंडन कराते हैं।  10 वे दिन मृत्युभोज देते हैं।

 

भुंजिया  जनजाति के देवी-देवता          

 

भुंजिया जनजाति के मुख्य देवी-देवता बुढ़ादेव, बुढ़ीमाई, माटीदेव, काना-मौरा, कालाकुवर, भैंसासुर, ठाकुर देव, डूमादेव आदि हैं। हिन्दू देवी देवताओं की भी पूजा करते हैं।

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