संवैगिक बुद्धि, धारणा की शासन में उपयोगिता एवं अनुप्रयोग | Emotional intelligence and administration

संवैगिक बुद्धिधारणा की शासन में उपयोगिता एवं अनुप्रयोग

संवैगिक बुद्धि, धारणा की शासन में उपयोगिता एवं अनुप्रयोग | Emotional intelligence and administration



संवैगिक बुद्धिधारणा की शासन में उपयोगिता एवं अनुप्रयोग

 

  • समूह को लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करनी की क्षमता ही सफल नेतृत्व ऊर्जा का मूल गुण है। नौकरशाही के लिए यह जानना आवश्यक है कि भावनाओं से जुड़ी इन परिस्थितियों को कैसे संभाला जाए जैसे- नौकरशाही अपने साथी कार्यकर्ताओं यह विश्वास दिलाना कि आप उनके कार्यों की सराहना कर रहे हैं और काम के प्रति उनके लगन और उत्साह को बढ़ा रहे हैंतो उनके काम के प्रदर्शन को और सकारात्मक बनाएगा। जब नकारात्मक भावनाएँ कार्यकर्ताओं में उत्पन्न हो तो इसे पहचान करने की क्षमता एक अच्छे नौकरशाही में होनी चाहिए और कार्यकर्त्ताओं को समझाइये की वो किसी जोखिम भरे काम में नहीं है और उनके प्रदर्शन का प्रभाव परियोजना की सफलता पर नहीं पड़ेगा।

 

  • अमेरिका के शहरों में भावनात्मक बुद्धि प्रबंधन लोक प्रबंधकों के बीच सामाजिक कौशल विषय का अध्ययन के दौरान लेखक इवेन वर्मन और जीनामन वेस्ट ने स्थानीय सरकारों में प्रबंधकीय भावनात्मक बुद्धि के महत्व का पता लगाया कि कैसे पहले से ही उनके संगठनों के भीतर मौजूद प्रथाएँ भावनात्मक कौशल के विकास को प्रभावित कर रही हैं। वे आगे इन महत्वपूर्ण प्रबंधकीय भावनात्मक बुद्धि के बीच फंस गए। 


  • भावनात्मक बुद्धि को बढ़ाने के लिए जो आवश्यक अतिरिक्त सहायक उपाय है प्रशिक्षणपदोन्नतिचयन और आचार संहिता । भावनात्मक बुद्धि के सुधार के कई रास्ते हो सकते हैंजिनमें निश्चित रूप से विभिन्न प्रशासनिक एजेंसियों का भी प्रभाव हो सकता है। सिर्फ तकनीकी दक्षता ही प्रबंधकीय बुद्धि का आकलन करने में अपर्याप्त है। सफलता और असफलता अक्सर व्यक्ति के नरम होने पर निर्भर है। सरकारी नौकरी के सबसे बड़ी विशेषता है पारस्परिक संपर्क जो आमने-सामने बैठकर या एक-दूसरे से बात करने से बनता है। आदर्श स्थितियों में जब लोक सेवक और ग्राहक आपस में मिले तो कुछ बांछित परिणाम दोनों ओर से निकलने चाहिए।


  • भावनात्मक श्रम के सफलतापूर्वक संलग्न होने के लिए भावनात्मक बुद्धि का होना एक आवश्यक शर्त है। कर्मचारीसार्वजनिक स्वास्थ्यडॉक्टरनर्सोंरिसेप्शनिस्ट काउंटर क्लर्कपब्लिक स्कूल के शिक्षक आदि में दूसरों की भावनाओं को समझने की क्षमता होनी चाहिए। उसी समय यह भी आवश्यक है कि वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण स्थापित करके रखें। अपने इस ज्ञान का अधिक से अधिक उपयोग कर उन्हें अपने ग्राहकों के साथ बुद्धिमत्तापूर्वक समन्वय स्थापित करना चाहिए और ग्राहकों के लक्ष्य की संतुष्टि का प्रयास करना चाहिए। भावनात्मक बुद्धि हर बातचीत में प्रदर्शित होना चाहिए जो लोक सेवक का एक भाग है। ऐसा न होने पर ग्राहक असंतुष्ट हो जाएँगे और उसके अन्दर लोक सेवा के प्रति नकारात्मक भाव उत्पन्न हो जाएगा। अतः भावनात्मक बुद्धि भावनात्मक श्रम प्रबंधन के लिए एक सफल उपकरण के रूप में नौकरशाही नैं देखा जाता है। यह संगठन के लिए लाभकारी भी है। वर्मन एवं वेस्ट (2008) के अनुसार सभी प्रबंधकों से अच्छे व्यक्ति कौशल की उम्मीद करना मुश्किल साबित हो रहा है। इसके बावजूद इस पर जोर दिया जा रहा है। भावनात्मक बुद्धि कौशल में बनी उस समय और अधिक स्पष्ट होती हैजब युवा कर्मचारियों की संख्या में कमी आती है। जैसे- युवा पीढ़ी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग आज उनके जीने का माध्यम बन गया है। संचार के लिए अब एक-दूसरे से मिलने की प्रक्रिया अप्रचलित और अवांछनीय हो गई है। ई-मेलऔर टेक्स्ट भावनाओं को उस प्रकार से प्रदर्शित कर पाते हैं जिस प्रकार से स्वयं आमने-सामने मिलकर बातें करके और शारीरिक भाषा के माध्यम से प्रदर्शित किया जा सकता है। सरकारी प्रक्रियाएँ ज्यादातर जनता के अनुमोदन पर निर्भर करती हैं और नागरिक की संतुष्टि ही विशुद्ध उत्पाद का एक वांछित लक्ष्य बन गया है। इस प्रयास का समर्थन करने के लिए भावनात्मक बुद्धि कौशल को अनिवार्य उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए।

 

  • वर्तमान में सिविल सेवाओं में तनाव का स्तर ऊँचा है जिसका प्रमुख कारण कल्याणकारी राज्य की निरंतर बढ़ती हुई अपेक्षाएँगठबंधन की राजनीति के कारण परस्पर विरोधी तथा कठिन दबावसीमित बजट किंतु ऊँचे उद्देश्य मीडिया का दबावसिविल सोसायटी के आन्दोलन इत्यादि है। इतनी जटिल स्थितियों में भी वही व्यक्ति सफल हो सकता है जिसमें तनाव प्रबंधन तथा अपनी व दूसरों की भावनाओं के प्रबंधन की क्षमता अधिक होगी।

 

  • भावनात्मक बुद्धिमत्ता से मुक्त प्रशासक स्वयं को तथा दूसरों को अभिप्रेरित करने में समर्थ होता है। जिससे स्टॉफ को ऐसे अभिप्रेरित करता है कि संगठन के कार्य में अपनी ऊर्जा झोंक सके जनता को भी अभिप्रेरित करने से समस्याएँ खुद सुलझने लगती है। राजनीतिक दबाव या कार्य के दबाव के समय स्वयं को अभिप्रेरित करने से लक्ष्य को समय पर पूर्ण कर पाना संभव होता है।

 

  • भावनात्मक बुद्धिमत्ता से उग्र जनता पर भी नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है। ऐसे समय ऐसी भाषा या संकेतों का प्रयोग करना जिससे जनता व प्रशासन के बीच की दूरी कम होती हो और यह महसूस कराया जा सके कि प्रशासन वास्तव में उन्हीं के साथ खड़ा है और जनता की भावना को सही दिशा में मोड़ा जा सकेजिससे जनता भी प्रशासन के साथ मिलकर समस्या के समाधान में सहायक हो सके।

 

  • स्टाफ के साथ अपने संबंधों में ऐसी अभिव्यक्तियों का प्रयोग करना जिससे कार्यालय में स्वस्थ कार्य संस्कृति बन सके। जिसमें अधीनस्थों के साथ समानता के स्तर पर बातचीत कर उन्हें प्रोत्साहित करनाउनके निजी सुखों और दुःखों में इस तरह सहभागी होना कि वे गहरी प्रतिबद्धता महसूस करें।

 

  • जिन क्षेत्रों में जातिगत या साम्प्रदायिक तनाव ऊँचे स्तर पर रहता है वहाँ के प्रशासकों पर यह विशेष दायित्व होता है कि वे सभी समूहों के साथ मैत्री का भाव बनाए रखे। चाहे उनकी व्यक्तिगत आस्था किसी एक के साथ हो। जैसे ब्राह्मण कलेक्टर है और बकरीद का त्योहार है तो उन्हें बधाई देनी होगी और वह भी इस तरह से कि उनके मन में यदि इस त्योहार के प्रति कटुता है तो वह नजर न आए। अपनी भावनाओं पर कठोर नियंत्रण रख सकने वाले व्यक्ति ही ऐसे क्षेत्रों का प्रशासन चला सकते हैं।

 

  • भावनात्मक बुद्धिमत्ता की मदद से दूसरों की भावनाओं को समझना और उसे सही रास्ते पर मोड़ना आसान हो जाता है।

 

  • भावनात्मक बुद्धिमत्ता उच्च होने से व्यक्ति के तनाव में कमी आती है। इससे उच्च रक्तचापमधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है। प्रतिरोधक तंत्र की क्षमता बढ़ती है।

 

  • संवेगात्मक बुद्धि प्रशासन एवं कुशल संचालन में सहायता करती है। यह अपने भावों को समझने एवं दूसरे की संवेदनाओं को पहचानने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। जिसके कारण वह व्यक्ति उचित निर्णय लेता है. 

 

  • संवेगात्मक बुद्धि सहयोग की भावना सहानुभूति का विकास करती है। यह दूसरे की कठिनाइयों उसकी जगह अपने आप को रखकर सोचने की प्रतिभा विकसित करती हैजो एक लोकसेवक के लिए अनिवार्य है। एक लोक सेवक का कर्त्तव्य नागरिकों के कल्याण के लिए उपयुक्त ढंग से मदद हेतु संलग्न होना है। चाहे वे समस्या सामाजिक / प्रशासनिक हो । उपयुक्त सहायता इस बात पर निर्भर है कि वह  लोगों की कठिनाइयों और कष्टों को कितना समझता है या समझता भी है या नहीं।

 

  • संवेगात्मक बुद्धि जिस व्यक्ति में अधिक होती हैउनमें अनुकूलन क्षमता भी अधिक होती है। सामाजिक समायोजन करने की क्षमता भी अधिक होती है। यह क्षमता विभिन्न परिस्थितियों में अपने आप को ढालने कीअनुकूलित करने की क्षमता विकसित करता है और व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में निराश न होकर उसे चुनौती के रूप में लेते हैं। यह सफलता की कुंजी है जो विपरीत परिस्थितियों को अनुकूल परिस्थिति में परिवर्तित कर देती है और सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त कराती है।

 

  • यह बुद्धितनावचिंताद्वंद्वझगड़े के निवारण में बहुत उपयोगी होती है। कार्य स्थल में विभिन्न-विशेषताओं के व्यक्ति और विभिन्न प्रकार की क्षमताओं के लोगों से संबंध स्थापित करना पड़ता है। प्रत्येक व्यक्ति का अहम सम्मान दूसरे व्यक्तियों से टकरा जाता है और जिन लोगों की संवेगात्मक बुद्धि अधिक होती है उनमें अहम नहीं होता वह अपने वरिष्ठ का आदर करते हैं और अधीनस्थ से अपनत्व से मिलते हैं। क्योंकि उनका लक्ष्य उनकी प्राथमिकता होता है। व्यक्तिगत विभिन्नताओं का भी निवारण करता है क्योंकि वह व्यक्ति समूह में कार्य करने की क्षमता रखता है।

 

  • संवेगात्मक बुद्धि का प्रमुख अंग अभिप्रेरणा है जिसके कारण व्यक्ति आपने आप को लक्ष्य प्राप्ति के लिए अभिप्रेरित करता है और अपने आसपास के व्यक्तियों को भी उस लक्ष्य प्राप्ति में सम्मिलित कर लेता है। इन व्यक्तियों में जिम्मेदारी लेने की भावना होती है। ऐसे व्यक्ति अपने निर्णय और निर्णय से होने वाले परिणाम की जिम्मेदारी स्वयं पर लेते हैंउसको दूसरों पर प्रक्षेपण नहीं करते स्वत: ही यह प्रतिभा कुशल प्रशासन करने में सहायता करती है।

 

  • संवेगात्मक बुद्धि जिम्मेदारी की भावना विकसित करती है तथा यह लोकसेवक में झगड़े व दुविधा को निपटाने और झगड़े से दूर रहने की क्षमता विकसित करती है।

 

  • संवेगात्मक बुद्धि से सहयोग की भावनासमायोजन की क्षमतानेतृत्व की भावनासकारात्मक व्यक्तिगत गुणों का विकास संभव होता है।

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