भ्रष्टाचार का अर्थ एवं परिभाषा, भ्रष्टाचार के प्रकार | What is Corruption and types in Hindi

 भ्रष्टाचार का अर्थ एवं परिभाषा, भ्रष्टाचार के प्रकार

भ्रष्टाचार का अर्थ एवं परिभाषा, भ्रष्टाचार के प्रकार | What is Corruption and types in Hindi



 भ्रष्टाचार का अर्थ एवं परिभाषा (What is Corruption in Hindi)

  • भ्रष्टाचार की सही सही परिभाषा देना कोई आसान कार्य नहीं है। भ्रष्टाचार एक आम शब्द है, जिसका अर्थ होता है व्यक्तिगत लाभ के लिए अपनी सत्ता का भ्रष्टाचार शब्द का तात्पर्य है कदाचारपूर्ण, गैरकानूनी, अनैतिक और अनुचित व्यवहार । अतः भ्रष्टाचार व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से अपने अधिकार का जानबूझकर किया गया दुरुपयोग (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष) है। व्यक्तिगत लाभ के अन्तर्गत आर्थिक लाभ या पदोन्नति या प्रभाव में वृद्धि जैसे तत्व आते हैं। इससे दूसरों के हितों का भी निर्धारण होता है। भारतीय दण्ड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1947 में भ्रष्टाचार में की परिभाषा और उसके विस्तार का विवरण दिया गया है।

 

भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1947 के अनुसार भ्रष्टाचार एक अपराधिक कार्य है। इस अधिनियम के अनुसार अपराधिक कदाचार के अंतर्गत निम्नांकित पाँच तरह के कार्य आते हैं-

 

1) उपहार या इनाम को स्वीकार करने की आदत, 

2) बिना विचार किए किसी मूल्यवान वस्तु को प्राप्त करना, 

3) गबन 

4) आर्थिक लाभ के लिए पद का दुरुपयोग और 

5) ज्ञात आय स्रोत से अधिक सम्पत्तियों का स्वामी होना। 


  • आपराधिक कदाचार में लिप्त लोक सेवकों कारावास की सजा मिलेगी जिसकी अवधि कम से कम एक वर्ष और अधिक से अधिक सात वर्ष हो सकती है। इसके अतिरिक्त, उसे जुर्माना भी देना पड़ सकता है। भ्रष्टाचार निरोधक समिति के अध्यक्ष के. सन्थानम के अनुसार,सरकारी सेवक द्वारा किसी लाभ के उद्देश्य से किए गया कोई सरकारी कार्य या सरकारी कार्य में विलम्ब भ्रष्टाचार है।" यहाँ लाभशब्द का तात्पर्य "स्पीड मनीहै।

 

जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1950 के अनुसार कदाचार 

जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1950 के अन्तर्गत भ्रष्टाचार की परिभाषा में राजनीतिक कदाचारों को भी सम्मिलित किया गया है। उपर्युक्त अधिनियम की धारा 23 के अनुसार [ 328 ] निम्नलिखित कार्यों को कदाचार के रूप में सम्मिलित किया गया है-


 (1) रिश्वत 

(2) अनुचित प्रभाव 

(3) भाषा, समुदाय, जाति, वर्ण, धर्म के आधार पर मतदान करने या न करने की अपील करना तथा धार्मिक या राष्ट्रीय संकेतों/चिन्हों का मतदान में उपयोग करना। 

(4) दो या अधिक वर्गों के बीच वैमनस्यता को प्रोत्साहन देना या ऐसा  प्रयास करना।

(5) उम्मीदवारों की उम्मीदवारी या व्यक्तिगत आचरण व चरित्र के संबंध में गलत तथ्यों का प्रकाशन 

(6) मतदान केन्द्रों पर पहुँचने या वहाँ से कहीं और जाने के लिए निजी वाहन की सेवा लेना या उसे किराये पर लेना 

(7) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 77 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए कोई व्यय उठाना या अधिकृत करना तथा 

(8) सरकारी कर्मचारियों की सहायता प्राप्त करना।


भ्रष्टाचार के प्रकार Types of Corruption in Hindi

 

  • भ्रष्टाचार के कई प्रकार हैं भ्रष्टाचार निवारण पर गठित सन्थानम समिति के अनुसार स्वयं या परिवार या संबंधियों या मित्रों के लिए आर्थिक या अन्य लाभ प्राप्त करना भ्रष्टाचार का सबसे प्रचलित रूप है। "स्पीड मनीभ्रष्टाचार का दूसरा प्रचलित तरीका हैं।
  • कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के विकास के साथ इस संबंध में अनेक कानून, नियम और विनिमय बने हैं। इसके परिणामस्वरूप, सरकारी सेवाओं के लिए, अनेक प्रक्रियाओं और औपचारिकताओं से होकर गुजरना पड़ता है जिनसे कार्यों में विलम्ब होता है। कभी-कभी तो सरकारी कर्मचारी "स्पीड-मनी" प्राप्त करने के लिए कार्यों में जानबूझकर विलम्ब कर देते हैं।
  • सम्पर्क सूत्र के माध्यम से भी भ्रष्टाचार का प्रसार होता है। इस प्रक्रिया में सम्पर्क सूत्र के रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति वरिष्ठ अधिकारियों से घनिष्ठ संबंध स्थापित करता है। ये अधिकारी सरकारी नीतियों को अपने सम्पर्कित व्यक्ति के हित में मोड़ने की स्थिति में होते हैं। इसके बदले उन्हें (अधिकारियों) रुपयों अथवा वस्तुओं का लाभ मिलता है। 
  • भ्रष्टाचार के कुछ अन्य तरीके हैं रुपयों अथवा वस्तुओं के रूप में दान / चन्दा ग्रहण करना, निजी कम्पनियों द्वारा अवकाश प्राप्त अधिकारियों की नियुक्ति करना, निर्माण कार्यों में खरीद, बिक्री आदि का ठेका देना।

 

केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने भ्रष्टाचार के निम्नांकित तरीकों की पहचान की है-

 (i) स्तरहीन भण्डारों/कार्यों की स्वीकृति, 

(ii) लोक मुद्रा/भण्डारों में गबन 

(iii) उन व्यक्तियों का आर्थिक भार उठाना जिनसे लोक सेवक उपकृत हैं। 

(iv) उन ठेकेदारों तथा कम्पनियों से धन उधार लेना जिनका अधिकारियों के साथ सरकारी लेन देन है। 

(v) ठेकेदारों व कम्पनियों को मदद करने का इजहार करना

(vi) गलत यात्रा भत्ते, आवास भत्ते, आदि का दावा करना, 

(vii) अपनी आय से अधिक सम्पत्ति का मालिक होना 

(viii) बिना पूर्वानुमति या पूर्व सूचना के अचल सम्पत्ति आदि खरीदना 

(ix) असतर्कता या अन्य कारणों से सरकार को हानि पहुँचना

(x) सरकारी पद और अधिकारों का दुरुपयोग, 

(xi ) नियुक्ति, पद स्थापन, स्थानान्तरण और पदोन्नति में गैर कानूनी उपहार स्वीकार करना 

(xii) निजी कार्यों के लिए सरकारी कर्मचारियों की सेवा लेना। 

(xiii) जन्मतिथि, जाति आदि के संबंध में जाली प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना

(xiv) रेलवे तथा हवाई जहाज में सीटों के आरक्षण में अनियमिताएँ 

(xv) धनादेशों, बीमित लिफाफों, पार्सलों आदि का अहस्तान्तरण

(xvi) व्यवहृत डाक टिकटों के द्वारा नये डाक टिकटों का प्रतिस्थापन । 

(xvii) आयात और निर्यात लाइसेंस निर्गत करने में अनियमितताएँ। 

(xviii) लोक सेवकों के साथ साँठ-गाँठ के माध्यम से कम्पनियों के आयातित और आवंटित कोटे का दुरुपयोग। 

(xix) टेलीफोन सेवा प्रदान करने में अनियमितताएँ, 

(xx.) नैतिक पतन। 

(xxi ) उपहार स्वीकार करना। 

( (xxii) आयकर, सम्पत्ति करं, आदि को कम करक आँकना। 

(xxiii) स्कूटर या कार खरीदने के लिए प्राप्त अग्रिम भुगतान राशियों का दुरुपयोग। 

(xxiv) विस्थापित व्यक्तियों द्वारा किये क्षतिपूर्ति के दावों पर फैसला लेने में असामान्य विलम्ब 

(xxv) विस्थापित लोगों के दावों का गलत आकलन। 

(xxvi) आवासीय उद्देश्य से जमीन की खरीद-बिक्री में धोखाधड़ी और 

(xxvii) सरकारी आवासों पर अनधिकृत कब्जा और उनको किराये पर लगाना । 


भ्रष्टाचार की कार्य प्रणाली इतनी जटिल है कि उसकी पहचान और तीव्रता का आकलन करना एक कठिन कार्य है।


 भ्रष्टाचार के उत्पन्न होने के तीन विभिन्न तरीके हैं-

 

(i) मिलीभगत के आधार पर व्याप्त भ्रष्टाचार: 

  • यह एक ऐसी व्यवस्था है,  जिसके अंतर्गत लेन देन में सम्मिलित व्यक्तियों के बीच मिलीभगत होती है तथा उनके बीच स्वैच्छिक और योजनाबद्ध सहयोग की भावना प्रभावी रहती है। अधिकांश राजनैतिक भ्रष्टाचार बड़े ठेकों से जुड़े घोटाले आदि इस श्रेणी के भ्रष्टाचार होते हैं।

 

(ii) जबरन रिश्वत या सहायता लेना- 

  • भ्रष्टाचार की दूसरी श्रेणी कमजोर लोगों से अधिकारियों द्वारा जबरन रिश्वत तथा अन्य सहायता लेना है। इस प्रकार का प्रष्टाचार उस समय अधिक प्रभावी हो जाता है जब सरकारी सहायता की मांग करने वाला व्यक्ति बहुत नाजुक और लाचार स्थिति में होता है और उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बच जाता है।

 

(iii) पूर्वानुमान पर आधारित भ्रष्टाचार

  • इसके तहत अधिकरियों को इस आशा से रिश्वत या उपहार दिया जाता है कि उक्त अधिकारी रिश्वत देने वाले के पक्ष में निर्णय लेंगे। पहले और तीसरे प्रकार के भ्रष्टाचार का पता लगाना कठिन है, लेकिन जबरन प्रकृति के भ्रष्टाचार को प्रकाश में लाना आसान है।

 

  • लोक कार्यकेन्द्र द्वारा हाल में आयोजित अध्ययन के निष्कर्षों से भारत में भ्रष्टाचार की सीमा की जानकारी मिलती है। यद्यपि इन अध्ययनों में सिर्फ अहमदाबाद, बेंगलुरू, चेन्नई, पुणे और कोलकाता जैसे चुनिंदा शहरों को ही सम्मिलित किया गया है। चेन्नई में खुदरा (रिटेल) भ्रष्टाचार की सीमा सबसे अधिक विस्तृत पायी गई। शहर के प्रत्येक चौथे व्यक्ति को नगर विकास निकाय, विद्युत बोर्ड, नगर निगम और टेलीफोन जैसी एजेंसियों की सेवा लेने में रिश्वत का सहारा लेना पड़ता है। बेंगलुरू में प्रत्येक आठवें व्यक्ति को, पुणे में प्रत्येक 17वें व्यक्ति को सरकारी कार्यों के लिए रिश्वत देने को मजबूर पाया गया। झुग्गियों में रहने वाले गरीब लोगों को भी रिश्वत देने से मुक्त नहीं रखा गया है। बेंगलुरू की झुग्गियों में रहने वाले प्रत्येक तीसरे व्यक्ति को किसी लोक एजेंसी की सेवा लेने या उसकी सहायता से किसी समस्या का निदान पाने में रिश्वत का सहारा लेना पड़ा। चेन्नई की झुग्गियों के रहने वाले प्रत्येक चौथे व्यक्ति को रिश्वत देने के लिए की मजबूर पाया गया। जहाँ तक पुणे और कोलकाता की झुग्गियों का सवाल है, यह समस्या उतनी गंभीर नहीं है। इससे यह प्रमाणित होता है कि भारत की लोक सेवाओं में भ्रष्टाचार एक व्यापक समस्या है. 

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