टेलीविजन लेखन के प्रकार |टेलीविजन लेखन के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए | Television Writing Details in Hindi

टेलीविजन लेखन के प्रकार,  टेलीविजन लेखन के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए 

टेलीविजन लेखन के प्रकार |टेलीविजन लेखन के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए | Television Writing Details in Hindi


टेलीविजन लेखन के प्रकार

 

टेलीविजन में लेखन के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाया जाता है। ये इस प्रकार हैं-

 

1 मल्टी- कैमरा छायांकन के लिए पटकथा

इसमें पटकथा लेखक अपने आलेख को दो भागों में बांट देता है। एक तरफ के भाग में वह आलेख प्रस्तुत करता है और दूसरी तरफ का भाग खाली छोड़ देता है। इस खाली भाग में निर्देशक अपनी सुविधानुसार निर्देशनतकनीक आदि से संबंधित टिप्पणियों का अंकन करता है । 

 

मल्टी कैमरा पटकथा का स्वरूप 

फेड इन

 

(कमरे का दृश्य। कमरे में रमेश इधर-उधर टहल रहा है। बार-बार अपनी कलाई पर बंधी घड़ी की ओर फिर दरवाजे की ओर देखता है। तभी दरवाजे की बैल बजती है। रमेश जाकर दरवाजा खोलता है।)

 

रमेश 

अरे मुकेशतुम आ गए। 

(रुककर) राजेश कहाँ है? 

मुकेश 

वो नहीं आया। घर पर नहीं था। 

फोन भी बंद है। 

रमेश 

(कंधे उचकाते हुए) कोई बात नहीं। हम ही चलते हैं। (दोनों चले जाते है। दरवाजा बंद होता है।) 

फेड आउट

 

2 सिंगल- कैमरा छायांकन के लिए पटकथा

 

इसमें पटकथा लेखक पूरे पृष्ठ पर ही अपना आलेख प्रस्तुत करता है और बीच-बीच में वह दृश्यों के परिवर्तनफेड इनफेड आउट आदि की सूचना देता रहता है। इसमें निर्देशन हेतु दिए जाने वाले संकेत बड़े आकार में होते हैं जिससे निर्देशक को समझने में सुविधा रहती है।

 

सिंगल कैमरा पटकथा का स्वरूप

 

(अनुसंधान केन्द्र के बाहर डॉ. धवन तथा राहुल साथ-साथ चलते हुए) राहुल: अगले अभियान में किसे भेज रहे हैंसर? 

डॉ. धवन: अभी यह तय नहीं किया.... लेकिन यह तय है कि तुम नहीं जा रहे। 

राहुल: क्यों सर? 

डॉ. धवन: तुम्हारी यहाँ धरती पर अधिक जरूरत है। 

फेड आऊट

 

3 दृश्य-श्रव्य पटकथा स्वरूप

 

इसमें पटकथा को दो भागों में बांट दिया जाता है। एक भाग दृश्य होता है और दूसरा भाग श्रव्य । दृश्य भाग बाईं तरफ होता है जिसमें दृश्यशॉट आदि निर्देशों का अंकन होता है और दाहिनी तरफ संवादसंगीत तथा अन्य ध्वनियों का उल्लेख किया जाता है। यह पूरा लेखन सामान्यतः दोहरे अंतराल में होता है। यह विधि आसान होने के कारणटेलीविजन के अधिकांश कार्यक्रमों में प्रयोग की जाती है।

 सभी उदाहरण डॉ. हरीश अरोड़ाइलेक्ट्रॉनिक मीडिया लेखनपृ. 98-99 से साभार उद्धृत) इनके अतिरिक्त एक टेलीविजन लेखक को विभिन्न कार्यक्रमों के प्रसारणके लिए पटकथा लेखन में अनेक तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए। जैसे-

 

i. एक दृश्य में अधिक पात्रों को नहीं रखना चाहिए क्योंकि टेलीविजन का पर्दा एक छोटा पर्दा है। इससे न तो दृश्य में पात्रों के साथ न्याय हो पाएगा और दर्शकों को भी पात्रों की पहचान को ध्यान में रखना कठिन होगा।

 

ii. पटकथा में तकनीकी निर्देशों कावेशभूषामुद्राओंपात्रों के संवाद वाचनदृश्य व संवाद आदि के संबंध में यथोचित संकेतों का यथास्थान उल्लेख किया जाना चाहिए।

 

iii. दृश्यों का लेखन क्रमानुसार हो । लेखन दृश्यानुरूप हो तथा कम-से-कम शब्दों में आवश्यक बातों का उल्लेख किया जाए। पटकथा लेखन की विभिन्न विधियों में से कार्यक्रम के अनुरूप विधि को आधार बनाकर लेखक लेखन कर सकता है और चाहे तो निर्देशक की इच्छित विधि को जानकर लेखन कर सकता है।


टेलीविजन लेखन के लिए आचार संहिता 

रेडियो के समान टेलीविजन लेखन के संबंध में निम्नलिखित बिंदुओं का पालन हर आलेखकार को अवश्य करना चाहिए। यह इस प्रकार है

 

i. किसी भी मित्र देश की आलोचना न की जाए। 

ii. किसी धर्म व संप्रदाय पर आक्षेप न किया जाए। 

iii. कोई अश्लील व मानहानि योग्य तथ्य न सुनाया जाए। 

iv. हिंसा को प्रोत्साहित करने वाले या कानून और व्यवस्था के विरुद्ध तथ्यों की प्रस्तुति न की जाए। 

v. न्यायालय की अवमानना करने वाले तथ्यों की प्रस्तुति न की जाए। 

vi. राष्ट्रपतिसरकार या न्यायालय की मर्यादा के प्रतिकूल कोई भी तथ्यशब्द या वाक्य न हो। 

vii. किसी राज्यराजनैतिक दल अथवा केंद्र की आलोचना नहीं होनी चाहिए।

viii. संविधान के विरुद्ध कुछ भी न कहा जाए।

 

हालाँकि इन सभी बिंदुओं का पूरी तरह पालन नहीं होता। केवल दूरदर्शन इनके संबंध में सचेत और सतर्क रहता है लेकिन निजी चैनलों की प्रस्तुति इन संदर्भों में पूरी तरह खरी नहीं उतरती। वहां अश्लीलता आदि की प्रस्तुति अक्सर देखी जाती है।

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