ई-पत्रकारिता की परिभाषा विशेषताएं| Definition of e-journalism in Hindi

 ई-पत्रकारिता की परिभाषा (Definition of e-journalism in Hindi)

 

ई-पत्रकारिता की परिभाषा विशेषताएं| Definition of e-journalism in Hindi

ई पत्रकारिता क्या हैउसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ?

ई-पत्रकारिता की परिभाषा (Definition of e-journalism in Hindi)

  • ई-पत्रकारिता से तात्पर्य है इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता । यह दृश्य-श्रव्य माध्यम पर आधारित पत्रकारिता है। ई- पत्रकारिता को गति देने वाले महत्वपूर्ण माध्यम हैं रेडियो, टेलीविजन, वीडियो, स्लाइडें, न्योन साइन, इंटरनेट, सोशल वेबसाइटस आदि। डॉ। अर्जुन तिवारी लिखते हैं कि ई-जर्नलिज्म' को वर्तमान स्नायु तंत्र न कहकर इसे जनसंचार की आत्मा कहना उपयुक्त है। कंप्यूटर, उपग्रह, लेजर, इंटरनेट, साइबर, माइक्रोचिप्स, डिजीटल संसाधनों के चलते सूचना-क्रांति के आगमन के साथ 'ई- जर्नलिज्म' का महत्व बढ़ गया है ।।।।। 'ई-जर्नलिज्म' के विस्तार की कथा अकथ्य है।'  वास्तव में 'संचार क्रांति के इस दौर में युगबोध के प्रमुख तत्वों को समेटकर पत्रकारिता मानव के विकास और विचारोत्तेजन का राजमार्ग है। ज्ञान शक्ति है, विज्ञान विशिष्ट शक्ति है तथा प्रौद्योगिकी परम शक्ति है। कंप्यूटर, इंटरनेट, उपग्रह, अंतरिक्ष संचार प्रणाली, माइक्रोचिप्स द्वारा प्रवाहित शिक्षाप्रद मनोरंजक सूचना ही इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता हैआज की पत्रकारिता न तो ज्वाला है, न क्रांति की अग्रदूतिका, न लेखनी विलास, यह तो अद्यतन संचार साधनों की व्यवसायगत श्रेष्ठता है। सतत प्रशिक्षण द्वारा प्राप्त कौशल एवं मीडिया प्रबंधन के बल पर ही पत्रकारिता संभव है। इलेक्ट्रॉनिक रिपोर्टिंग, इलेक्ट्रॉनिक एडिटिंग, इलेक्ट्रॉनिक डिजायनिंग, इलेक्ट्रॉनिक टाइपसेटिंग, इलेक्ट्रॉनिक प्रिंटिंग वाली पत्रकारिता का इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिज्म' कहना समीचीन है।

 

  • आज ई-पत्रकारिता जनसंचार का एक सशक्त और लोकप्रिय माध्यम है। इसके मूल में विकसित होती तकनीक है, नए-नए आविष्कार हैं और लोगों को लगातार आकर्षित करने की शक्ति है।

 

ई- पत्रकारिता की विशेषताएं (Features of e-Journalism)

 

1. इसमें संचार की प्रक्रिया यांत्रिक होती है और कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक और अधिक दूरी तक सूचनाएं संप्रेषित की जा सकती हैं।

 

2. इस पत्रकारिता की चालक शक्ति विद्युत है। इसमें सूचना संचार में विद्युत तरंगे, वॉल्वटयूब आदि अपनी भूमिका निभाते हैं। 


3. ई- पत्रकारिता में निरक्षर लोगों के लिए भी स्थान है क्योंकि यह दृश्य, श्रव्य और पाठ्य तीनों है। अपवाद के रूप में रेडियो को लिया जा सकता है जो केवल श्रव्य है ।

 

4. इसमें तीव्र प्रवाह और तीव्र नियंत्रण की क्षमता होती है और इसका प्रसार भी तीव्रता से होता है और एक ही समय में एक बड़े समूह के साथ सूचना संप्रेषण संभव है।

 

5. इसमें सूचनाएं प्राप्ति की दर सस्ती होती है हालांकि उत्पादन व्यय अधिक होता है और लगातार नवीन सूचनाएं मिलती रहती है जो प्रिंट पत्रकारिता में संभव नहीं है। वहां कम-से-कम 6 घंटे और अधिक-से-अधिक 24 घंटे की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।

 

6. इसमें एक खूबी यह भी है कि इसमें अखबारों के अनेक संस्करण छापने की आवश्यकता नहीं है।

 

ई- पत्रकारिता के विभिन्न माध्यमों की विवेचना कीजिए? 

ई-पत्रकारिता के विकास में सहायक संचार माध्यम

 

अब आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि वे कौन से संचार माध्यम हैं जिन्होंने ई पत्रकारिता के विकास में योगदान दिया है ? ये माध्यम निम्नलिखित हैं-

 

1 रेडियो

 

  • इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के उपकरणों में मुद्रित माध्यम से अधिक तीव्रता से और दूरदराज तक संदेश पहुँचाने की शक्ति है। रेडियो इनमें सबसे सस्ता और पोर्टेबल' उपकरण है। उन्नीसवीं सदी के अंत में मारकोनी द्वारा आविष्कृत रेडियो ने संचार के क्षेत्र में क्रांति उत्पन्न कर दी। लेनिन का कथन है कि रेडियो बिना कागज और बिना दूरी का समाचारपत्र है। यह एक ऐसा माध्यम है जो अदृश्य विद्युत द्वारा चुंबकीय तरंगों के द्वारा संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रेषित करता है। समाचारों, गीत, संगीत, नाटक, रूपक आदि प्रस्तुत कर रेडियो ने हर उम्र के श्रोता को अपना बना लिया है तभी तो तकनीक का अपरिमित विकास होने के बावजूद रेडियो आज भी अपना महत्व बनाए हुए है। विभिन्न व्यावसायिक रेडियो चैनलों ने लोगों की रुचि और भावनाओं को समझकर इसे न केवल अंतःक्रियात्मक बनाया है बल्कि प्रस्तुति और प्रसारण के नए-नए रूप भी गढ़े हैं। यह निरक्षरों के लिए एक वरदान है जिसके द्वारा वे सुनकर सिर्फ सुनकर अधिक-से अधिक सूचना, ज्ञान और मनोरंजन प्राप्त कर लेते हैं। रेडियो की सबसे बड़ी खूबी यही है कि अपना काम करते हुए भी श्रोता इसके द्वारा प्रेषित संदेश को ग्रहण कर सकते हैं। वहीं केवल एक समय में एक ही केंद्र से प्रसारण सुन सकना और प्रसारण बीच में रोककर दुबारा सुन प्रावधान न होना रेडियो की सीमा है। रेडियो का संचार इकहरा भी होता है। 

 

  • रेडियो को इंटरनेट ने अपार गति दी है। आज रेडियो के समाचार, कार्यक्रम आदि विश्व के किसी भी कोने में सुने जा सकते हैं। इससे रेडियो पत्रकारिता को भी गति मिली है। अब भौगोलिक सीमाएं टूट चुकी हैं। इंटरनेट पर रेडियो के कार्यक्रमों, समाचारों आदि को सुनने के लिए व्यक्ति को एक पर्सनल कंप्यूटर, ब्राउजर सॉफ्टवेयर, टेलीफोन लाइन और इंटरनेट सेवा की आवश्यकता है। व्यक्ति रेडियो के कार्यक्रमों को सुनने के लिए उसकी वेबसाइट को भी सर्च कर सकता है। मोबाइल ने भी रेडियो के विस्तार में अत्यंत सहयोग दिया है, इसमें कोई संदेह नहीं।

 

2 टेलीविजन

 

  • सूचना क्रांति में जो महत्त्व गुटेनबर्ग द्वारा आविष्कृत मुद्रण का था उससे भी अधिक महत्त्व दृश्य श्रव्य माध्यम दूरदर्शन का है। प्रकाश, रंग और ध्वनि से साक्षात्कार करता टेली- दर्शक सजीव विवरण को अधिक रुचिकर पाता है। इसीलिए दूरदर्शन, सूचना, शिक्षण और मनोरंजन का प्रमुख साधन बनता गया। आज टेलीविजन अधिकांश लोगों की पहुंच के अंदर है और दूसरे, उसकी स्क्रीन भी अब छोटे-बड़े दोनों रूपों मे उपलब्ध है। टेलीविजन की तकनीक में भी काफी विकास हुआ है। इसकी संरचना ग्रीक शब्द 'टेली' और लैटिन शब्द 'विजन' से मिलकर हुई है। 'टेली' का शाब्दिक अर्थ है दूरी और 'विजन' का अर्थ है देखना अर्थात् जो दूर की चीजों का दर्शन कराए वह टेलीविजन है। टेलीविजन शब्द अंग्रेज़ी भाषा का है जो अत्यधिक प्रचलित होने के कारण आज सर्वमान्य हो गया है और लोगों की जुबान पर अक्सर रहता है। टेलीविजन के मूल में दूरवर्ती स्थानों पर घटनेवाली घटनाओं का घर बैठे साक्षात्कार कर लेना है। ध्वनियाँ और ध्वनियों का एक साथ संप्रेषण ही टेलीविजन की वास्तविक प्रक्रिया है। चलचित्र की भाँति निरंतर प्रेषण ही चित्रों को गतिशील बनाता है। इस प्रक्रिया के लिए विद्युतीय ध्वनियों को विखंडित करके निरंतर प्रेषित किया जाता है। रिसीवर सिरा इस विखंडन को पुनः गृहीत करके ध्वनि निर्मित करता है। इस प्रक्रिया में 25 से 30 चित्र प्रति सेकेण्ड संप्रेषित किए जाते हैं और उनका पुनर्ग्रहण भी किया जाता है। बनती मिटती ध्वनियों और छवियों की निरंतरता दर्शक के मन पर संश्लिष्ट प्रभाव छोड़ती है। रेडियो और टेलीविजन दोनों ही निरक्षर व्यक्तियों तक पहुँचने के लिए अति उत्तम साधन सिद्ध हुए हैं। रेडियो तो संचार का काफी सस्ता साधन भी सिद्ध हुआ है। उसकी अन्य विशेषता उसका विद्युत रहित क्षेत्रों में भी सुना जा सकना और समाचार स्थल अथवा घटना स्थल से ही बिना अधिक ताम-झाम के प्रसारण कर सकना भी था। टेलीविजन की अधिक महंगी उपकरण सामग्री विद्युत की अनिवार्यता के बाद भी दृश्य शक्ति के कारण लोकप्रियता का कारण रही है। चित्रात्मकता और संभाषणशीलता इसके कार्यक्रमों के विशिष्ट गुण हैं। टेलीविजन में काम करने हेतु वीडियो तकनीक और कैमरा का ज्ञान भी आवश्यक है।

 

3 कंप्यूटर

 

  • कंप्यूटर 'कम्यूट' शब्द से बना है जिसका अर्थ है गणना। लेकिन आज कंप्यूटर केवल गणना तक ही सीमित नहीं है बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में उसकी उपयोगिता बढ़ती जा रही है। बिल गेटस का कथन है कि 'समूची संचार क्रांति महज कंप्यूटर के विभिन्न उपयोग मात्र हैं।' कंप्यूटर में अपार गति होती है वह जटिल से जटिल गणनाओं को भी अत्यंत तीव्रता से हल कर देता हैं उसमे अपार संग्रह क्षमता होती है। कंप्यूटर के परिणाम शुद्ध और त्रुटिहीन होते हैं। वह स्वचालित होता है बस आपको उसे क्रमबद्ध रूप में निर्देश देना पड़ता है। इसे आम भाषा में प्रोग्राम कहा जाता है। जब कभी प्रयोग करने वाला व्यक्ति गलती करता है तो कंप्यूटर उसे रास्ता भी बताता है। एक बहुआयामी उपकरण होने के कारण इसका उपयोग शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकीचिकित्सा, वाणिज्य, लेखन, प्रकाशन, कानून आदि सभी क्षेत्रों में हो रहा है।

 

  • यह एक ऐसा यंत्र है जो मनुष्य के मस्तिष्क की भाँति काम करता है लेकिन मनुष्य के मस्तिष्क से कई गुना अधिक तेज। यह गणितीय गणनाओं और विभिन्न आँकड़ों का विश्लेषण करने के साथ-साथ उन्हें अपनी स्मृति में रख सकता है। यह वस्तुतः एक इकाई नहीं बल्कि विभिन्न इकाइयों का समूह है। कंप्यूटर का कार्य आदेश लेना, आदेशों को कार्यक्रम के रूप में संचित करना, उसका क्रियान्वयन करना, परिणाम संचित करना और आदेशानुसार परिणामों को सामने रखना है। बारम्बार निर्विघ्न आवृत्ति इसकी विशेषता है। कम्प्यूटर का आगमन पत्रकारिता के क्षेत्र में वरदान सिद्ध हुआ है। पत्रकारिता से जुड़ी विभिन्न प्रणालियों - सूचना-सज्जा, ग्राफिक संप्रेषण, मुद्रण आदि में कम्प्यूटर की विभिन्न पद्धतियों का उपयोग निःसंदेह सराहनीय है। पत्रकारिता जगत में सूचनाओं का त्वरित गति से आदान-प्रदान अत्यंत उपयोगी है। इसके लिए पहले समाचारों को एकत्र करने के लिए डाक, टेलीफोन, टेलीप्रिन्टर आदि पर निर्भर रहना पड़ता था किंतु उपर्युक्त पद्धतियों के कम्प्यूटरीकृत हो जाने से समाचारों के आदान-प्रदान की गति में अद्भुत परिवर्तन आया है। उदाहरण के लिए डाक विभाग की हाइब्रिड मेल सेवा, टेलीफोन की सेल्युलर या कम्प्यूटरीकृत ऑनलाइन या मॉडम सेवा, फैक्स, ईमेल, टेलीटेक्स्ट, वीडियोटेक्स्ट आदि पद्धतियों को देखा जा सकता है। सूचना विस्फोट के लिए उत्तरदायी इंटरनेट पद्धति भी कम्प्यूटर पर आधारित है। समाचारों के आदान-प्रदान में ही नहीं अपितु समाचारपत्रों के मुद्रण और दूरदर्शन/आकाशवाणी के प्रसारणों में भी कम्प्यूटर का योगदान अप्रतिम है।

 

4 इंटरनेट

 

  • इंटरनेट आज एक सर्वव्यापी सत्ता बन गया है। वह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा किसी सैन्य सामग्री को प्रयोग किए बिना विश्व को जीता जा सकता है। इंटरनेट आज की नई सभ्यता के कृष्ण का विराट विश्व रूपहै । फलतः पूरा विश्व आज मनुष्य की हथेली पर रखी किसी वस्तु के समान हो गया है। इंटरेनट के द्वारा सूचना तंत्र मानव की मुट्ठी में अलादीन के चिराग की तरह बंद होता जा रहा है। इलैक्ट्रॉनिक संचार युग का यह सर्वाधिक विस्मयकारी, सक्षम और तेज सूचना संवाहक है। उल्लेखनीय है कि अल्डस हक्सले ने दूरदर्शन के बढ़ते आकर्षण पर टिप्पणी करते हुए इसे मानव-संस्कृति पर होने वाले भयानक आक्रमण की संज्ञा दी थी। उनकी दृष्टि में दूरदर्शन सांस्कृतिक गतिविधि में भागीदारी के हमारे अधिकार को मात्रा उपभोक्ता होने तक सीमित कर देता है। वह हमारी प्रतिक्रिया के प्रभाव को नहीं जान सकता। हमारी रचनात्मकता भी क्षीण होती है और हम वह सभी कुछ निगलने के लिए बाध्य होते हैं जो हमें परोसा जा रहा होता है। इसीलिए दूरदर्शन को बुद्धु बक्सा कहा गया है, एक नशा माना गया है, हालांकि अब यह बुद्धु बक्सा नहीं रहा है। अब कई कार्यक्रमों में प्रतिक्रियाएं भी प्रसारित होती हैं जैसे आई बी एन 7 के कार्यक्रम 'एजेंडा' में। इंटरनेट इससे भी अधिक नशीला, मादक और प्रभावशाली है। वह अमृत भी देता है और विष भी। ज्ञान का भंडार भी उपलब्ध कराता है और गोपनीय सूचनाएँ, अश्लील और अवांछित सामग्री भी, तथापि इंटरनेट की उपयोगिता असंदिग्ध है। इंटरनेट से जुड़ने का अर्थ है इंटरनेट की अनोखी दुनिया से जुड़ जाना। अब आप दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद इंटरनेट से जुड़े लाखों कम्प्यूटरों के साथ आनन-फानन में संपर्क साध सकते हैं। इस तरह आप जानकारियों, सूचनाओं और आँकड़ों के एक महासागर में गोते खाने लगते हैं। इंटरनेट व्यक्ति को उसकी सीधी भागीदारी का सशक्त माध्यम उपलब्ध कराता है। वास्तव में इंटरनेट नेटवर्कों का नेटवर्क है। वह सूचना-तंत्र से परिपूर्ण जालों का जाल है जो समस्त जालों को परस्पर जोड़ने की क्षमता रखता है। इसके पूर्ववर्ती जनसंचार माध्यम केवल विषयवस्तु या सूचना देते थे, निष्क्रिय और संवादहीन लेकिन इसने लोगों को वह सामर्थ्य दी है कि वे खुद इस दुनिया में अपने लिए बोलें। आज अरब के विभिन्न देशों में हुए तख्ता पलट में आप यह देख भी सकते हैं।

 

  • आप इंटरनेट पर लगभग वह सब कुछ कर सकते हैं जो आप भौतिक दुनिया में करते हैं। आप इंटरनेट पर किताबें, अखबार आदि पढ़ सकते हैं, पर्यटन का मजा ले सकते हैं, अश्लील साइट देख सकते हैं, सिनेमा देख सकते हैं, संदेश भेज और मँगा सकते हैं, हजारों किलोमीटर दूर बैठे लोगों से बातचीत कर सकते हैं, रेडियो सुन सकते हैं, टी०वी० देख सकते हैं, अपनी वेबसाइट खोलकर प्रोपेगंडा भी कर सकते हैं। आपके ऊपर जबावी हमले भी हो सकते हैं और इस तरह आप साइबर वार को भी महसूस कर सकते हैं। विभिन्न देशों की सरकारें भी 'साइबर वार' से डरती हैं क्योंकि इंटरनेट पर किया गया 'प्रोपेगंडा' विश्वव्यापी होने के कारण पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचता है। इंटरनेट पर सेक्स और अश्लील सामग्री का कारोबार भी खूब गर्म है। अनेक वेश्याएँ या कॉलगर्ल इंटरनेट पर अपनी दुकान खोलकर खासी कमाई कर रही हैं। कुछ वेश्याएँ इंटरनेट पर लाइवअश्लील प्रदर्शन करती हैं। इंटरनेट से जुड़ी 'आभासीतकनीक के जरिए आप कम्प्यूटर पर ही यौन क्रियाओं को देख सकते हैं।

 

 

  • इंटरनेट ने दुनिया भर में चिकित्सा सुविधाओं का नक्शा बदल दिया है। अब आप घर बैठे देश विदेश के प्रख्यात चिकित्सकों से सलाह-मशविरा और चर्चाएं कर सकते हैं और इन चर्चाओं के द्वारा जटिल रोगों का निदान भी संभव है। कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ भी हैं कि दिल्ली के अस्पताल में चल रहा ऑपरेशन न्यूयार्क में बैठा सर्जन देख सके और वहीं से ज़रूरी हिदायतें दे सके। इंटरनेट पर चिकित्सा को 'टेलीमेडिसन' कहा जाता है। खेल-कूद और पर्यटन इंटरनेट के अपेक्षाकृत नए आकर्षण हैं। आज लगभग हर खेल सिखाने से लेकर उससे संबंधित नवीनतम सूचनाएँ देने तक के लिए उपयोगी वेबसाइट उपलब्ध है। अब ऐसी सुविधा भी उपलब्ध हो गई है कि केवल बोलकर ही आप अपनी मनपसंद वेबसाइट खोज सकेंगे और इसे खोल बंद कर सकेंगे। यदि इसके साथ आवाज़ को पाठ्य-सामग्री और पाठ्य सामग्री को आवाज़ में बदलने वाला करामाती सॉफ्टवेयर भी लगा हो तो नेत्रहीन भी इंटरनेट की चमत्कारी दुनिया ले सकते हैं।इंटरनेट से वीडियो की क्वालिटी में भी बहुत सुधार आया है। इंटरनेट की तकनीक के द्वारा विशेषज्ञों को ऐसा लगेगा कि वे एक कमरे में बैठे हुए आपस में विचार-विमर्श कर रहे हैं जबकि उनके बीच हजारों किलोमीटर की दूरी हो सकती है। इस तकनीक में त्रि-आयामी ग्राफिक्स का इस्तेमाल करते हुए आभासी-कक्ष (वर्चअल रूम) बना दिया जाता है। इसे 'टेलि-इमर्शन' तकनीक का नाम दिया गया है। इसी तरह इंटरनेट पर आभासी प्रयोगशाला में हजारों किलोमीटर की दूरी पर बैठे वैज्ञानिक आपस में किसी महंगे उपकरण की साझेदारी कर सकते हैं। एक समान आँकड़ों या जानकारियों को इंटरनेट सदस्यों के किसी बड़े समूह के हर सदस्य तक पहुँचाने की तकनीक भी विकसित की जा रही है। इसे 'मल्टीकास्ट' तकनीक कहा जाता है। अब मोबाइल पर भी ईमेल तथा इंटरनेट सेवा उपलब्ध होने लगी है। इंटरनेट पर आभासी पुस्तकालय उपलब्ध है जिसमें असंख्य पुस्तकें उपलब्ध हैं। परिणामस्वरूप कहीं भी दूरदराज के गाँव में बैठा छात्र भी अमेरिका के डिजिटल पुस्तकालय में आई नवीनतम पुस्तक बड़ी आसानी से अपने कम्प्यूटर पर 'डाउनलोड' करके पढ़ सकता है। इंटरनेट पर व्यवसायी अपने उत्पादों को विज्ञापित कर सकते हैं। इंटरनेट के द्वारा विश्व के किसी भी कोने के ग्राहकों को माल बेच सकते हैं या माल खरीद सकते हैं। इंटरनेट पर उपलब्ध सामानों के कैटलॉग देखकर मनपसंद चीजें खरीदी जा सकती हैं।

 

  • इंटरनेट पर तरह-तरह के मनोरंजन के विभिन्न कार्यक्रमों को अपनी मर्जी के अनुसार घर बैठे देखा जा सकता है तथा इलैक्ट्रॉनिक प्रकाशनों को पढ़ा और पढ़ाया जा सकता है। इंटरनेट का एक महत्वपूर्ण लाभ ईमेल अर्थात् इलैक्ट्रॉनिक मेल सेवा है। ईमेल से हम अपना पत्र या कोई संदेश विद्युत गति से दुनिया के किसी भी कोने में स्थित कम्प्यूटर मॉनीटर पर पहुँचा सकते हैं। वहाँ उसका प्रिंट निकाल लिया जाता है। यह फैक्स की अपेक्षा बहुत ही सस्ता और विश्वसनीय प्रेषण माध्यम है। सबसे बडी तो खूबी यह है कि साधारण डाक की तरह ईमेल भेजने के लिए अलग-अलग दरों के टिकट नहीं लगाने पड़ते हैं। ईमेल के माध्यम से आप केवल पत्र आदि ही नहीं भेज सकते हैं बल्कि चित्र, ग्राफिक्स आदि भी भेज सकते हैं। इसके लिए ईमेल के साथ अटैचमेंट भेजने की सुविधा भी होती है।

 

5 बहुमाध्यम

 

  • कंप्यूटर की तकनीक के सहारे अपनी कल्पना- छवियों और विचारों को साकार करने का सशक्त माध्यम है बहुमाध्यम। यह विषय (तथ्य), आरेखिकी (ग्राफिक कला), ध्वनियों, सजीव आरेखिकी चित्रण (एनीमेशन) और दृश्य तत्त्वों का समन्वित रूप है। इसमें आँकड़ों के विविध प्रारूपों का ग्रहण, संबंधानुसार एकीकरण तथा प्रकलन होता है। इन कार्यों के संपादन के लिए प्रणाली द्वारा बहुसंचार साधन के आँकड़ों का भंडारण, संचरण, संसाधन एवं निर्माण भी वांछित है। इसे 'इंटरएक्टिव बहुमाध्यम' या 'मल्टीमीडिया' की संज्ञा दी जाती है। 'बहुमाध्यम के रूप में प्रोग्राम का सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर या टेलीविजन स्कीन पर प्रदर्शित होने वाले तथ्य या विषय मिलकर दृश्य-श्रव्य छवियों का ऐसा समायोजन तैयार करते हैं जो संचार के सभी अंगों से युक्त होता है। कंप्यूटर की भाषा एच०टी० एम० एल० या डी० एच० टी० एम० एल० में तैयार की गई वेबसाइट्स भी बहुमाध्यम का अंग है। इंटरएक्टिव होना बहुमाध्यम की अपरिहार्यता नहीं है। सिने दर्शक या टेलीविजन दर्शक की भाँति मान - मुद्रा में स्क्रीन निहारता दर्शक भी बहुमाध्यम का प्रापक है। संचार के इस निष्क्रिय प्राप्तकर्ता को यदि इस उपक्रम में स्वयं भाग लेने की सुविधा मिलती है तो वह सक्रिय प्राप्तकर्ता बनकर सूचना का प्रवेश द्वार बन जाता है। अपने प्राप्तकर्ता की सक्रिय प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए सूचना भेजने वाले को इस माध्यम में अति सजग होना ज़रूरी है। संदेश की पटकथा, कलात्मक सज्जा, रोचक तत्त्व ही संदेश को प्राप्तकर्ता के लिए ग्रहण करने योग्य बनाते हैं। बहुमाध्यम की बढ़ती लोकप्रियता ने उसे वाणिज्य, विज्ञापन, शिक्षा, राजनीति और मनोरंजन के क्षेत्रों में अति लोकप्रिय बना दिया है। इस माध्यम से पुस्तकें, फिल्में, खबरें, विश्वविद्यालयों के विद्वानों के व्याख्यान घर बैठे ही 'नेटीजन' व्यक्तियों को उपलब्ध हो सकेंगे। किसी शहर के लिए सैलानियों को आवास, भोजन, स्थान के नक्शे, भाषाओं की जानकारी ऑन लाइन टेबलॉग पर सुलभ होना बहुमाध्यम का ही चमत्कार है। कम्पनियों को आँकड़े उपलब्ध कराने, शोध छात्रों को नवीनतम वैज्ञानिक शोधों की जानकारी देने वाले बहुमाध्यम उद्योग में संचार विशेषज्ञों को भी खासी संभावनाएँ दिखाई दे रही हैं।

 

  • वस्तुतः बहुमाध्यम की सबसे बड़ी विशेषता उसका 'इंटरएक्टिव' होना है और यहीं वह अन्य जनसंचार माध्यमों से बाजी मार ले जाता है। अन्य माध्यमों में बहुमाध्यम की तरह त्वरित प्रतिपुष्टि संभव नहीं है। प्रजातंत्र में बहुमाध्यम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करता है। निर्भय होकर दी गई जनप्रतिक्रियाओं से राजनीति का एक नया रूप ई. पॉलिटिक्स तैयार हो रहा है। बहुमाध्यम ने आज विश्व का चित्र ही बदल दिया है।

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