विज्ञापन का उद्देश्य | Advertising purpose Details in Hindi

विज्ञापन का उद्देश्य (Advertising purpose Details in Hindi)

विज्ञापन का उद्देश्य | Advertising purpose Details in Hindi

विज्ञापन का उद्देश्य (Advertising purpose Details in Hindi)

 

  • आज का युग औद्योगिक युग है। विज्ञापनों की दुनियां इन उद्योगों की सफलता की प्रमुख इकाई है। आज युग में उद्योगों व व्यापारियों में माल बेचने की प्रतियोगिता दिन पर दिन बढ़ते जा रही है। हर उद्योगपति अपने को बाजार में बेहतर सिद्ध करने में लगा हुआ है। ग्राहको को लुभाने लिए आकर्षित कर देने वाले विज्ञापनसंवर्द्धनकई प्रकार की योजनाएं उद्योग घरानों से बाजार तक पहुंचती रहती हैं। इन सब योजनाओं को आसानी से समाज के बड़े वर्ग के बीच में सकुशल पहुँचाने का काम विज्ञापनों के द्वारा ही किया जाता है। उद्योगों व व्यापारियों की माल बेचने की प्रतिस्पर्धा ने विज्ञापनों के महत्व को और भी बढ़ा दिया है। विज्ञापन ही वो जादू की छड़ी है जिसके द्वारा उद्योग घरानों व व्यापरियों के ब्राण्ड को बाजार में स्थापित किया जा सकता है। विज्ञापन की सहायता से ही व्यापारी अपनी वस्तुओं और सेवाओं को समाज के लोगों तक पहुंचाते हैं और उन्हें उपभोक्ताओं की स्वीकृति मिलने पर बाजार में विक्रय हेतु भेज दिया जाता है।

 

  • आज के इस औद्योगिक युग में विज्ञापन भी एक तरह का उद्योग बन चुका है। आज विज्ञापनों का महत्व इस तरह बढ़ा है कि ये केवल उत्पाद बेचने में ही सहायक नहीं हो रहे हैं बल्कि सामाजिक चेतना बढ़ाने में सरकारी तंत्र भी इनका प्रयोग कर रहा है। आज के युग को इसीलिए विज्ञापन युग भी कहा जा रहा है। आज विज्ञापन एक उद्योग के रूप में हमारे सामने उभर कर आया है। विज्ञापन के कार्यों में बड़े पैमाने में लोगों को रोजगार मिला है। हमारे देष में वर्तमान समय में पाँच सौ से अधिक विज्ञापन एजेन्सियाँ उत्पादनों के विज्ञापन व प्रचार का काम कर रही हैं। जबकि इसकी तुलना में अमेरिका में पाँच हजार ऐसी ऐजेन्सियाँ हैं जिनमें एक लाख से अधिक लोग रोजगार में लगे हुए हैं। आज विज्ञापनों का महत्व इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि व्यक्तिगत विक्री की अपेक्षा विज्ञापन में खर्च कम ही आता है। एक अनुमान के अनुसार विज्ञापन व्यय कुल उत्पादन लागत के एक से तीन प्रतिषत तक ही होते हैं जबकि व्यक्तिगत विक्री पर यह प्रतिषत 10 से 435 तक होती है। दूसरी तरफ विज्ञापन से व्यक्तिगत विक्री और आसान हो जाती है। विज्ञापनों के माध्यम से निर्धारित लक्ष्य तक विक्री को सम्भव बनाया जा सकता है। आज विज्ञापन के बिना उद्योग या व्यापार के विकास की कल्पना करना भी सम्भव नहीं है।


विज्ञापन के उद्देश्य 

  • विज्ञापन के उद्देश्य स्पष्ट होना भी विज्ञापन की मूल अवधारणा - है। विज्ञापन के उद्देश्यों को कमदर्सह्यूजी और मिश्चल ने इस प्रकार से परिभाषित किया है- विज्ञापन का उद्देश्य मालसेवाओं या विचारों को सम्भावित क्रेताओं को बड़े समूहों को बेचना है। किसी भी उत्पाद के लिए विज्ञापन का निर्माण करने के लिए विज्ञापनकर्ता विज्ञापन के उद्देश्यों को तय कर लेते हैं। इसके साथ ही विज्ञापन से पढ़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। इस बात को जांचा जाता है कि विज्ञापन से समाज में पड़ने वाले प्रभाव अल्पकालिक है या दीर्घकालिक । तद्पश्चात विज्ञापनों को तैयार करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है। आज के विज्ञापन युग में जहाँ विज्ञापन समाज पर प्रत्यक्ष रूप प्रभाव डाल रहे हैं उनके कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य है जिनका अध्ययन निम्न रूप से किया जा सकता है।


 विज्ञापनों के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं -

i.  विज्ञापनों का मुख्य उद्देश्य नए उत्पादों को ग्राहकों से परिचित कराना । विज्ञापन का प्रमुख कार्य होता है जो भी सेवा या उत्पाद बाजार में आ रहा है या आने वाला है उसकी पूर्व सूचना ग्राहकों को देना। साथ ही यह भी बताना कि बाजार में आ रहा नया उत्पाद ग्राहकों के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है।

 

ii. विज्ञापन विक्रय की गति को तीव्रता देने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। इसके साथ साथ विक्रयकला में लगे लोगों को विज्ञापन सुगमता प्रदान करते है। विज्ञापन विक्रेता व ग्राहक के बीच शंका समाधान का कार्य सहजता व सरलता के साथ करते हैं। विज्ञापन ग्राहक व विक्रेता को उत्पाद के प्रति शिक्षित करने का काम करते हैं जिससे वस्तु व सेवा को लेने व देने में कोई असमंजस की स्थिति नहीं रहती।

 

iii. विज्ञापनकर्ता विज्ञापन करते समय कई प्रकार की रणनीतियों का प्रयोग करते हैं जिससे किसी विशेष ब्रान्ड के लिए बाजार तैयार किया जाता है। और उसे इस तरीके से बाजार में प्रस्तुत किया जाता है जिससे उसके प्रतियोगी उत्पादों की बाजार में गिरावट आ जाये और ग्राहक केवल इसी ब्रान्ड का सामान खरीदने के लिए तत्पर रहे।

 

iv. विज्ञापन नियमित रूप से किए जाते हैं जिससे ग्राहकों को उत्पादों की सूचना बार-बार कई बार मिलती रहेताकि ग्राहकों को उत्पाद की पूर्ण व स्पष्ट जानकारी हो सके।

 

V. विज्ञापनों का एक और महत्वपूर्ण कार्य होता है कि उत्पादन के किसी नए मॉडल की सूचना ग्राहकों को देना। साथ ही उत्पाद हो रहे मूल्यों में हुए परिवर्तनों की जानकारी ग्राहकों को देना भी विज्ञापन का कार्य होता है। विज्ञापन वस्तु निर्माताओं के द्वारा उत्पादों में किए जा रहे नए परिवर्तनोंविक्रय संवर्द्धनों की सूचना ग्राहकों तक पहुंचाते हैं।

 

vi. विज्ञापन प्रतियोगी उत्पादों के अनावश्यक व भ्रामक प्रचार प्रसार को कम करने का भी काम करते है। विज्ञापनों की मूल अवधारणा होती है कि वो अपने ग्राहकों को सही उत्पाद देने में सहायक हों व सही जानकारी दे कर ग्राहक नक्कालों के उत्पादों को खरीदने से बचें।

 

vii. विज्ञापनो का एक उद्देश्य ये भी होता है कि वो ग्राहकों को विवकेषील बनाये और उन्हें सोचने को विवश कर दे जिससे व विज्ञापनकर्ता और उसके प्रतियोगियों के उत्पादों में अन्तर कर सकें और अच्छी वस्तु खरीद सकें।

 

viii. बड़े-बड़े उद्योग घराने अपने उत्पादों में नए परिवर्तन व नए उत्पादों का सृजन करते रहते हैं विज्ञापन रोज हो रहे परिवर्तनों व नए आ रहे उत्पादों को सम्भावित ग्राहकों के बीच में प्रस्तुत करते है। उत्पादों को बाजार में उतारने से पहले उनकी जानकारी ग्राहकों को देते हैं जिससे ग्राहकों के पास उत्पाद से पहले ही उत्पाद की जानकारी हो जाती है जो बाद में उसे उत्पाद खरीदने में सहायता करती है।

 

ix विज्ञापन का एक उद्देश्य समाज में वस्तुओं की मांग उत्पन्न करना भी है। किसी भी वस्तु या सेवा की माँग प्रारंभिक स्तर पर बिल्कुल भी नहीं होती। विज्ञापन के द्वारा उसके प्रति माँग उत्पन्न की जाती है। विज्ञापनों द्वारा लोगों को नई वस्तु खरीदने के लिए उसकी उपयोगिता व गुणों का बखान करने प्रेरित किया जाता है।

 

X. जब किसी वस्तु या सेवा के प्रति लोगों में जागरूकता आ जाती है तथा समाज में हर वर्ग के लोगों में उसकी माँग बढ़ने लगती है तो इस माँग को बनाये रखने के लिए भी विज्ञापनों का प्रयोग किया जाता है। विज्ञापन वस्तुओं व सेवाओं की विशेषताओं को बार-बार दोहराते रहते हैं। जिससे ग्राहकों के बीच मांग बनी रहती है।

 

xi. जिन वस्तुओं का विज्ञापन लगातार होता रहता है उन्हें बेचने में विक्रेता को सहायता मिलती है। ऐसी वस्तुओं को बेचने में ग्राहकों को बहुत समझाना नहीं पड़ता है क्योंकि ग्राहक पहले से ही उन वस्तुओं की जानकारी रखते हैं।

 

xii. विज्ञापनों का कार्य प्रतिस्पर्धा को कम करना भी है। ये बात हम जानते हैं कि कई उत्पादों की कीमत समान होती है जिससे मूल्यों को लेकर किसी तरह की प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती है ऐसी स्थिति में विज्ञापन गुणवत्ता को लेकर उत्पादों की जानकारी विज्ञापनों के द्वारा देते हैं और मूल्यों को ले कर प्रतिस्पर्धा को कम करने का प्रयास करते हैं।

 

xiii. विज्ञापनों की एक अवधारणा यह भी है कि यह उत्पादकों की ख्याति में वृद्धि करते हैं। विज्ञापन विज्ञापनकर्ताव्यवसायी या संगठन की साख को बढ़ाने का भी काम भी करता है। बार-बार विज्ञापन होने से ग्राहक व समाज में उस उत्पाद के उत्पादकों के प्रति एक सम्मान का भाव उत्पन्न होता है। ग्राहक व समाज के सम्भावित ग्राहक उस उत्पाद के प्रति विश्वास रखते हैं कि इस कम्पनी का उत्पाद खराब नहीं हो सकता है और इसे खरीदने में किसी प्रकार की हानि नहीं है। ग्राहकों का यह विष्वास उत्पाद को बाजार में और गति देने का काम करता है। तथा उत्पादकों को और बेहतर करने की उर्जा देता है।

 

xiv. विज्ञापन से निर्माता की साख में होने वाली वृद्धि से वह अपने उत्पादों की श्रृंखला को ओर बढ़ाता है। बाजार में उसकी साख होने के कारण बैंकों से ऋण लेना भी उसके लिए आसान हो जाता है। बैंकों की सहायता से वो बड़े पैमाने पर वस्तुओं का निर्माण करता है जिससे उन वस्तुओं व सेवाओं की उत्पादन लागत कम हो जाती है जिससे निर्माता कम लागत पर इनका वितरण भी करता है। जिससे ग्राहकों को भी वस्तएं सही कीमत पर मिल जाती हैं। इस प्रकार विज्ञापनों की एक अवधारणा यह भी होती है कि उत्पादन लागत को कम करके उन्हें बाजार में सही कीमतों के साथ पहुँचाना।

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