मध्यप्रदेश आन्ध जनजाति के बारे में जानकारी | MP Aandh Janjati Details in Hindi

 आन्ध जनजाति  के बारे में जानकारी

आन्ध जनजाति  के बारे में जानकारी | MP Aandh Janjati Details in Hindi


 

  • आन्ध जनजाति की जनसंख्या 137 है। 

 आन्ध जनजाति के निवास क्षेत्र           

 

  • मध्यप्रदेश में आन्ध जनजाति शिवपुरी, इंदौर, भोपाल, बैतूल, जबलपुर, सिवनी, बालाघाट, सिंगरौली में पायी जाती है।

 

आन्ध जनजाति गोत्र        

 

  • इनके प्रमुख गोत्र बनसाले, डुकरे, देवकर, फाफरे, गोहाड़, खैरकर, खाड़के, मागरे, मटकारी, नातकर, पारधी, सुरवाकर, तड़चे, थोटे, उमारे, वाघमारे, ओघम, देशमुखी, धानवे, भैभारे, गायकवाड़ भेड़कल आदि हैं।

 

 आन्ध जनजाति का रहन-सहन           

 

  • इनके घर मिट्टी के बने होते हैं। घर में सामान्यतः दो कमरे होते हैं, जिसमें से एक रसोई और दुसरा मुख्य निवास होता है। घर के सामने न वरांडा तथा आँगन होता है। छप्पर घासफूस या देशी खपरैल की होती है। मुख्य कमरे में अनाज रखने की कोठी, घरेलु वस्तुएँ ओढ़ने-बिछाने के कपड़े, वाद्ययंत्र आदि होते हैं।

 

आन्ध जनजाति का खान-पान           

 

  • इनका मुख्य भोजन ज्वार की रोटी, राब, उड़द, तुअर, मूँग, बरबटी की दाल, मौसमी सब्जी आदि है। कभी-कभी  गेहूँ की रोटी व चावल का भात भी खाते हैं। मांसाहार में मछली, बकरा, मुर्गा, सूअर, नीलगाय, खरगोश आदि का मांस खाते हैं। जंगली कंद मूल, फल, भाजी आदि एकत्र कर खाते हैं।

 

 आन्ध जनजाति के वस्त्र         

 

  • इनके वस्त्र-विन्यास में पुरुष धोतर” (धोती) बंडी या कुरता, सिर में पगोटे” (पगड़ी) या टोपी पहनते हैं। महिलाएँ लुगड़ा और चोली पहनती हैं। विवाहित स्त्रियाँ मंगलसूत्र और जोड़वे” (पैर की ऊँगली में बिछिया) पहनती हैं, जिसे विवाहिता होने का प्रतीक भी माना जाता है। अन्य आभूषण में नाक पर नथ या लौंग, कान मे ंकर्णफूल, कलाइयों में काँच की चूड़ियाँ तथा चाँदी या गिलट के कड़े, ऊँगलियों में अंगूठी पहनती हैं।

 

आन्ध जनजाति में गोदना         

 

  • मस्तक ठुड़ी, कपोल पर गुदना गुदवाती हैं। इनका विश्वास है कि मस्तक पर गुदना गुदवाये बिना स्वर्ग में स्थान नहीं मिलता।

 

 आन्ध जनजाति में तीज-त्यौहार           

 

  • इनके प्रमुख त्यौहार अखाड़ी, गुड़ी पड़वा, नागपंचमी, पोला, दशहरा, दीवाली, होली, महाशिवरात्री आदि हैं।

 

आन्ध जनजाति में नृत्य          

 

  • इस जनजाति के लोग विभिन्न संस्कारों जैसे - शिशु जन्म के अवसर पर, नामकरण के अवसर पर, विवाह के अवसर पर, नृत्य, गीत का आयोजन करते हैं, त्यौहारों-उत्सवों पर इनमें प्रचलित पारंपरिक नृत्य-गीत करते है।

 

 आन्ध जनजाति व्यवसाय         

 

  • इनका परम्परागत व्यवसाय कृषि, शिकार, खाद्य संकलन, मछली पकड़ना आदि था। इनके कृषि की मुख्य उपज ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंगफली, कपास, मूंग, तुअर, उड़द आदि हैं।

 

 आन्ध जनजाति में जन्म-संस्कार          

 

  • प्रसव घर पर स्थानीय दाया” (दायी) द्वारा कराया जाता है। जन्म का अशौच 12 दिन तक जारी रहता है। प्रसव के पाँचवे दिन पंचमी और सातवें दिन नामतिवाइच”(नामकरण) संस्कार करते हैं। मुण्डन और जवाल” (कर्णछेदन) बचपन के प्रारंभिक वर्षों में ही पूरे कर लिये जाते हैं।

 

 आन्ध जनजाति में विवाह-संस्कार          

 

  • विवाह उम्र 16 से 20 लड़कों का तथा 12-16 लड़कियों के लिए मानी गयी हैे। विवाह प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से प्रारंभ होता है। वर के पिता कन्या के पिता को वधू मूल्य के रूप में नगद रुपया, अनाज, दाल, हल्दी आदि देता हैै। इसके  अतिरिक्त विनिमय विवाह, सेवा विवाह भी पाया जाता हैं। सहपलायन और घुसपैठ प्रथा भी है, किन्तु इसमें जाति पंचायत के निर्णय उपरान्त कुछ जुर्माना अदा करने पर ही सामाजिक मान्यता प्राप्त होती है। विधवा, विधुर, त्यक्ता पुनर्विवाह कर सकते हैं। विवाह हेतु मामा की लड़की या बहन की पुत्री को प्राथमिकता देते हैं।

 

 आन्ध जनजाति में मृत्यु संस्कार          

 

  • मृत्यु होने पर मृतक को दफ़नाते है। कुछ लोग दाह संस्कार भी करते हैं। मृत्यु का अशौच दस दिन तक जारी रहता है। मृत्यु संस्कार की रस्म तीसरे, दसवें और तेरहवें दिन सम्पन्न की जाती है।

 

आन्ध जनजाति  के  देवी-देवता        

  • इनके प्रमुख देवी-देवता मारुती, महादेव, मारी आई, माता, भीमसेन, वाघमाई, खाण्डोबा, कान्होबा, मसाई, मुन्जा, कृष्णा आदि हैं।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.