भील जनजाति की जानकारी मध्यप्रदेश | Bheel Tribes Details in Hindi

 भील जनजाति की जानकारी मध्यप्रदेश ( Bheel Tribes Details in Hindi)

भील जनजाति की जानकारी मध्यप्रदेश | Bheel Tribes Details in Hindi


भील जनजाति की जानकारी मध्यप्रदेश (Bheel Tribes Details in Hindi)


भील जनजाति की जनसंख्या

  • भील जनजाति की कुल जनसंख्या 5993921 है, जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 8.253 प्रतिशत है।


भील जनजाति का निवास क्षेत्र           

 

  • भील जनजाति मुख्यतः जिला श्योपुर,  मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सागर, दमोह, सतना, रीवा, उमरिया, शहडोल, सीधी, नीमच, मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, शाजापुर, देवास, झाबुआ, धार, इन्दौर, पश्चिम निमाड़, बड़वानी, पूर्वी निमाड़, राजगढ़, विदिशा, भोपाल, सीहोर, रायसेन, बैतूल, होशगाबाद, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, डिण्डौरी, मण्डला, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट में पायी गई है।

 

भील जनजाति के गोत्र           

 

  • प्रमुख गोत्र - कटारा, डामोर, निनामा, ननोत, पटेला, मकवाणा, गमार, गरासिया तावड़, दाणा, भूरिया, सोंलकी आदि हैं।

 

भील जनजाति रहन-सहन           

 

  • भील जनजाति के गांव कई फलिया’ (टोलो) में बटे होते हैं। इनके घर साधारण होते हैं। घर लकड़ी से बना होता है। जिसमें बाहर से गोबर मिट्टी का लेप होता है। छत घास या देशी खपरैल की होती है। फर्श मिट्टी का बना होता है। घर में तीन चार कमरे होते हैं। पालतु पशुओं के लिए अलग से जगह होती है। अनाज रखने के लिए बांस से बनी कोठी होती हैं। घरेलू सामग्री में चारपाई, चक्की, मूसल, तीर धनुष, धारीया, कुल्हाड़ी, ओढ़ने बिछाने के कपडे़, बर्तन जो मिट्टी व एल्युमोनियम आदि के होते हैं। कृषि उपकरणों में खेती करने के औजार हल आदि। तीर धनुष प्रत्येक घर में पाया जाता है, जिसे जंगल जाते समय हमेशा अपने साथ रखते है।

 

भील जनजाति का खान-पान           

 

  • मुख्य भोजन मक्का की रोटी और उड़द की दाल, तुवर दाल तथा मौसमी सब्जी मांसाहार में मुर्गा, बकरा,मछली ,खरगोश आदि का मांस खाते हैं।

 

भील जनजाति वस्त्र-आभूषण          

 

  • वस्त्र विन्यास-स्त्रियों के घाघरा, चोली और औढ़नी आदि मुख्य हैं। पुरूष बंडी तथा छोटी धोती कमर में लपेटकर पहनते है तथा सिर पर सफेद पगड़ी बांधते है। महिलाएं गहनांे में पैर मे कड़ला, नाक में काटा, गले में हसली, साकड़ी, माथे में बोरि, कान में बेड़ला, हाथ में गुजरिया, भरीया पहनती हैं, जो चांदी या गिलट के होते हैं। गले में कांच के मोती की माला तथा हाथों मेें चूडि़याँ पहनती हैं।

 

भील जनजाति में गोदना           

 

  • महिलाएँ हाथ, पैर मस्तक कपाल, ठुडी पर गुदना गुदवाती हैं। पुरूष भी हाथ पर विभिन्न आकृति के गुदना गुदवाते हैं।

 

भील जनजाति में तीज-त्यौहार           

 

  • दिवासा, नवाई, अक्षय तृतीया, भगोरिया नृत्य, लाठी नृत्य, ढोल नृत्य शिकार नृत्य, विवाह नृत्य, दीवाली नृत्य होली नृत्य, भील जनजाति के उत्सव एवं त्यौहार इनकी आस्थाओं विश्वासों एवं परम्पराओं के परिचायक हैं। इनके मुख्य त्यौहार होली, नवरात्र, दिवासो दिवाली, रक्षाबंधन आदि है।

 

भील जनजाति के नृत्य           

 

  • भील जनजाति में भगोरिया (भोंगर्या) नृत्य, विवाह नृत्य, घेडि़या नृत्य आदि प्रचलित है। उत्सवों में भगोरिया गीत, घेडि़या गीत आदि गाये जाते हैं।

 

भील जनजाति कला            

  • पिठौरा चित्रांकन, गातला, मिट्टी-शिल्प, काष्ट-शिल्प 

 

भील जनजाति व्यवसाय           

 

  • भील जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा वन उपज संग्रह है। कृषि में मक्का इनकी मुख्य फसल है। कोदो, अरहर, उड़द आदि की भी कुछ फसलें लेते हैं। वन उपज संग्रह मेें महुआ, गुल्ली, लाख आदि का संग्रह करते हैं।

 

भील जनजाति में जन्म-संस्कार            

  • भील जनजाति में सामान्यतः प्रसव घर में ही बुजुर्ग महिलाओं एवं दायण की देखरेख में कराया जाता है। प्रसूता को घी मकई का राब पिलाया जाता है। छठे दिन छठी मनायी जाती है।

 

भील जनजाति में विवाह-संस्कार           

 

  • भील जनजाति में प्रायः लड़को की विवाह उम्र 14-16 वर्ष मानती है। विवाह की दो रस्में होती है एक में मां-बाप स्वयं पसंद करके वधू लाते हैं। दूसरे में लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद कर लेते है। इनमें दाया (वधुमुल्य) की प्रथा प्रचलित है। इसके अतिरिक्त हरण विवाह ( मीही जंबू) परीक्षा विवाह (गोल गछेड़ो) हट विवाह (उदाड़ी) घर जमाई (खंदाणिया) तथा हाठ पाठ विवाह (विनिमय) प्रचलित है। नातरा की भी प्रथा है। इसमेें झगड़ा (दावा)पूर्व पति को लौटाना पड़ता है।

 

भील जनजाति मृत्यु संस्कार           

 

  • मृतक का अग्नि संस्कार किया जाता है। बच्चों को दफनाया जाता है। मृत्यु के तुरन्त बाद शृद्धा विधि नही होती है। किन्तु समय बाद शृद्धा करने के लिए भोज दिया जाता है। जिसे कायंटु कहते हैं। अकाल मृत्यु हुए व्यक्तियों में स्त्री के लिए सती(पत्थर की स्त्री मुर्ति) एवं पुरूषों के लिये गाथा (पुरूष मूर्ति) मृत्यु स्मृति स्तम्भ बनाया जाता है।

 

भील जनजाति के देवी-देवता           

 

  • भील जनजाति के मुख्य देवी देवता काका बलिया, शिकोवटी, इंदराज, सिमरियांे देव, बाघदेव, कालका, मेलड़ी और जोगण हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दू देवी देवता की पूजा करते हैं।

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