क्लोनिंग क्या है|क्लोनिंग की तकनीक| क्लोनिंग से लाभ और नुकसान| Cloning Kya Hai GK in Hindi

 क्लोनिंग क्या है , क्लोनिंग की तकनीक, क्लोनिंग से लाभ और नुकसान 

क्लोनिंग क्या है |  क्लोनिंग की तकनीक| क्लोनिंग से लाभ और नुकसान| Cloning Kya Hai GK in Hindi


क्लोनिंग क्या है (Cloning GK in Hindi)

 

  • क्लोनिंग आधुनिक विज्ञान की देन है। क्लोनिंग (Cloning) शब्द क्लोन (Clone) से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है 'लैंगिक तौर पर उत्पन्न पूर्वज द्वारा अलैंगिक विधि से प्रजनित संतानें। ये एक-दूसरे से आनुवंशिक एवं भौतिक रूप से अभिन्न होती हैं। 


  • क्लोन कोशिकाओं का समूह अथवा किसी अकेले पूर्वज से अलैंगिक तरीके से व्युत्पन्न जीवधारी होता है। कोई क्लोन आनुवंशिक रूप से अपने पूर्वज का हूबहू नकल होता है। क्लोन को किसी की संतति नहीं कहा जा सकता है बल्कि वह किसी जीवधारी का नकल प्रतिरूप होता है। 


  • वनस्पतियों एवं जीवधारियों के क्लोनिंग पर बहुत काम हो चुका है। फिर भी वनस्पतियों की क्लोनिंग तकनीक को जीवधारियों के मामले में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है। लेकिन इतना अवश्य है कि एक अकेले भ्रूण से अनगिनत क्लोन तैयार किए जा सकते हैं। परंतु हर भ्रूण से क्लोन बनाना भी सम्भव नहीं होता क्योंकि अनेक भ्रूणों में से किसी एक भ्रूण में ऐसी क्षमता होती है और अभी तक ऐसी कोई तकनीक भी नहीं खोजी गयी है जिससे क्लोनिंग की क्षमता वाले भ्रूण की पहचान की जा सके। 


क्लोनिंग की तकनीक Cloning Method in Hindi

  • क्लोनिंग के संबंध में यह जान लेना आवश्यक है कि सभी प्राणी कोशिकाओं द्वारा संरचित होते हैं। प्रत्येक कोशिका में एक केंद्रीय संरचना होती है, जिसे 'केन्द्रक' कहा जाता है। यह धागे के समान दिखने वाले गुण-सूत्रों को संजोए रहता है। ये गुण-सूत्र आनुवंशिक पदार्थ डीएनए से बने होते हैं, जो शरीर में सभी गुणों एवं क्रियाओं का निर्धारण करते हैं। 


  • जब एक वयस्क व्यक्ति की किसी कोशिका से एक केन्द्रक लेकर उसका एक अंडे (जिसका केन्द्रक अलग किया जा चुका हो) में प्रतिरोपण करते हैं, उससे उत्पन्न संतान उस व्यक्ति का ही प्रतिरूप होती है। यह प्रक्रिया क्लोनिंग कहलाती है।

 

क्लोनिंग की परम्परागत तकनीक

  • क्लोनिंग की परम्परागत तकनीक में भ्रूण क्लोनिंग या ट्विनिंग (twining) का प्रयोग किया जाता है। वर्ष 1997 में इयान विल्मुट और उनके सहयोगियों ने 'नाभिकीय स्थानांतरण' तकनीक का प्रयोग करके 'डॉली' नामक भेड़ का क्लोन तैयार किया था। इस प्रक्रिया में मादा अण्डाणु की मदद ली जाती है। उसके जीवन के आनुवंशिक गुण ले जाने वाले अवयव निकाल दिए जाते हैं। पुनः नर के शरीर से कोई कोशिका ली जाती है और उसका डीएनए निकाल कर डीएनए रहित में पहुंचा दिया जाता है। यह प्रक्रिया इतनी सहज नहीं है। इसके लिए बड़ी संख्या में अण्डाणु लिये जाते हैं जिसमें से कई बेकार चले जाते हैं। एक 'डॉली' को बनाने में 277 केन्द्रकों को डीएनए रहित अण्डाणु में पहुंचाया गया था। जिसमें से केवल 29 अण्डे ही भ्रूण बने। इनमें से केवल एक भ्रूण ही संतति (डॉली) को जन्म देने में सफल रहा। 


डॉली क्लोन की उत्पत्ति

 

  • स्कॉटलैंड के रोसलिन इन्स्टीटयूट में ब्रिटिश वैज्ञानिक डॉ. इयान विल्पुट व उनके सहयोगियों ने 6 वर्षीय गर्भवती भेड़ की एक स्तनकोशिका निकाली और उसे प्रयोगशाला में प्रयुक्त होने वाली तश्तरी (पैट्रीडिश) में रखकर इसमें कुछ पोषक तत्व डाल दिए। इससे यह कोशिका विकसित होना शुरु हो गयी। लेकिन पोषक तत्वों की मात्रा इतनी कम रखी गयी कि एक सप्ताह बाद इस कोशिका ने विभाजित होना बंद कर कर दिया तथा इसके जीन भी निष्क्रिय होते चले गए। इस प्रकार यह कोशिका सुषुप्तावस्था में पहुँच गयी अर्थात् इसमें क्रियाशीलता विद्यमान थी जो अनुकूल परिस्थितियाँ पाकर पुनः सक्रिय हो उठती। इस प्रकार वैज्ञानिकों का कोशिका पर नियंत्रण स्थापित हो गया। और इससे अब मनचाहा कार्य लिया जा सकता था। क्योंकि किसी भी जीवित शरीर की कोशिकाओं के अपने अलग-अलग कार्य होते हैं तथा इन्हीं कोशिकाओं से शरीर के विभिन्न अंग- यकृत, गुर्दा, त्वचा, मस्तिष्क इत्यादि बनते हैं।

 

  • प्रयोग के दूसरे भाग में वैज्ञानिकों ने एक अन्य मादा भेड़ से एक अनिषेचित अण्डाणु निकाला। इस अण्डाणु से एक विशेष विधि द्वारा आनुवंशिक पदार्थ डी.एन.ए. सहित केंद्रक हटा दिया गया। लेकिन इस अण्डाणु के भ्रूण निर्माण के आवश्यक तत्व यथावत रखे गए। अब इस के केंद्रक रहित अण्डाणु को उपर्युक्त सुषुप्त कोशिका के साथ रख दिया गया। इसके बाद इस पर हल्की विद्युत तरंगें डाली गयीं। इसके फलस्वरूप साबुन के झाग जैसा बना और इनमें आपस में प्रक्रिया शुरु हो गयी, जिसके अन्तर्गत अण्डाणु ने निष्क्रिय कोशिका के केन्द्रक को 1 अपने में समा लिया। इसके बाद कोशिका ने विभाजित होना शुरू कर दिया तथा लगभग 6 दिन बाद एक भ्रूण का निर्माण हुआ, जिसे एक तीसरी मादा भेड़ के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया गया। गर्भावधि पूरी होने के बाद  इस भेड़ ने एक ऐसे मेमने को जन्म दिया, जो आनुवंशिक दृष्टि से अपनी मूल माँ की कार्बन कापी थी। इसका नाम 'डाली' रखा गया।

 

क्लोनिंग से लाभ Benefits of Cloning in Hindi

 

  • क्लोनिंग का जो सीधा और प्रत्यक्ष लाभ मिलने वाला है उसमें यकृत (लीवर) प्रत्यारोपित करवाने के लिए क्लोनिंग से नये लीवर का निर्माण शामिल है। उसी तरह किडनी और हड्डियों का भी निर्माण किया जा सकेगा, जो मरीज की जैविक संरचना से हूबहू मिलेगा।

 

  • इस तकनीक की सफलता से कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं रहेगा क्योंकि तब हम जान चुके होंगे कि शरीर की कोशिकाएं कैसे सक्रिय और निष्क्रिय की जा सकती हैं। वैज्ञानिक अभी इस पहेली को बूझ नहीं पाये कि कैसे कुछ कोशिकाएं विशिष्ट प्रकार के ऊतकों से भिन्न हैं और कैंसर युक्त कोशिकायें किस तरह इस अन्तर को खो बैठती हैं। क्लोनिंग से इन सभी जटिलताओं की व्याख्या की जा सकेगी।

 

  • क्लोनिंग के विकास क्रम में जल्दी ही ऐसा समय आयेगाजब दुर्घटना से घायल आदमी के तंत्रिका तंत्र और मेरूदंड को दोबारा उगाया जा सकेगा। विकलांगता नाम की चीज समाप्त की जा सकेगी। - भेड़ों और गाय-भैंसों की अच्छी नस्लों को क्लोन किया जा सकेगा। विलुप्त प्राय पशु पक्षियों का क्लोन तैयार कर उन्हें नष्ट होने से बचाया जा सकता है। इसी तरह वनस्पतियों की रक्षा में भी यह तकनीकी फायदेमंद हो सकेगी।

 

  • प्लास्टिक सर्जरी यानी शल्य चिकित्सा में शरीर आसानी से बाहरी आरोपित अंगों को स्वीकार नहीं करता और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मानव क्लोनिंग की तकनीकी के जरिये डॉक्टर इच्छुक व्यक्ति के अस्थि, मज्जा, वसा, कार्टिलिज और कोशिकाओं के समान जैविक संरचना वाला हूबहू प्रतिरूप तैयार करेंगे, जिससे शल्य चिकित्सा प्रणाली पर चमत्कारिक प्रभाव पड़ेगा।

 

  • गंभीर दुर्घटना में व्यक्ति के क्षत-विक्षत अंगों को बिल्कुल दुरुस्त किया जा सकेगा।

 

  • सामान्य तौर पर एक आदमी में 8 दोषयुक्त जीन्स होते हैं। इन्हीं दूषित जीन्स के कारण मनुष्य कई तरह की बीमारियों का शिकार होता है। आने वाले समय में क्लोनिंग की उन्नत तकनीकी से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कम से कम मनुष्य को दोषयुक्त जीन्स के कारण कोई विकार न हो ।

 

  • क्लोनिंग में सफलता हासिल कर लेने के बाद बढ़ी उम्र की प्रक्रिया रोकी जा सकती है और वृद्धावस्था से पुरानी युवावस्था की ओर लौटना संभव हो सकता है।

 

  • दिल के मरीजों के लिए क्लोनिंग वरदान साबित होगी। हृदय की कोशिकाओं का क्लोनिंग के जरिये निर्माण किया जा सकेगा और बाद में इन मजबूत कोशिकाओं का हृदय के क्षतिग्रस्त हिस्से में स्थानांतरण संभव हो सकेगा।

 

  • कृत्रिम प्रजनन की मौजूदा तमाम विधियों की सफलता दर 10 प्रतिशत से भी कम है। संतान की इच्छा रखने वाले माँ बाप को इस पूरी प्रक्रिया में काफी मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। अब क्लोनिंग के जरिये सफलता की दर में जबरदस्त इजाफा होगा और तमाम निःसंतान दंपत्ति बच्चा पा सकेंगे। 


क्लोनिंग से नुकसान Disadvantage of Cloning  in Hindi

 

  • मानव क्लोन से अपराध बढ़ने की आशंका है। क्लोन पूरी तरह जीन के स्थानान्तरण से पैदा होता है और जिस व्यक्ति की कोशिका से भ्रूण बनता है क्लोन उसकी पूरी कार्बन कॉपी होता है। यानी क्लोनिंग से एक ही तरह के कई लोग पैदा हो सकते हैं। ऐसे में मुमकिन है कि अपराध कोई करे और पकड़ा कोई जाय ।

 

  • क्लोनिंग कोई सस्ता खेल नहीं है। अमीर ही इसका प्रयोग कर सकेंगे, क्योंकि इस प्रक्रिया में करीब एक लाख डॉलर खर्च होंगे। संतान की इच्छा रखने वाले माँ-बाप के लिए टेस्ट टयूब बेबी कहीं ज्यादा सस्ती है जिस पर 50 हजार डालर से भी कम खर्च करने पड़ते हैं। 


  • क्लोनिंग से बड़े पैमाने पर भ्रूण हत्या होगी। डाली नामक भेड़ का क्लोन तैयार करने वाले डॉ० इआन विल्मुट के आंकड़ों के अनुसार 277 केन्द्रकों के संयोग से 27 भ्रूण तैयार करने में सफलता मिली और इन भ्रूणों को 13 भेड़ों में प्रत्यारोपित किया गया परन्तु केवल एक भेड़ ही बच्चा जन सकी।

 

  • मानव क्लोनिंग से पुरुष की उपयोगिता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। अब यह स्त्री की इच्छा पर निर्भर करेगा कि वह किस पुरुष के बच्चे की माँ बनना चाहती है, परंतु क्या इसे समाज स्वीकारेगा? - जीन-परीक्षण का विस्तार होने पर नौकरी प्राप्त करने या जीवन-बीमा सेवा में जीन आधारित भेदभाव शुरू हो सकते हैं ।

 

  • संतानोत्पत्ति में नर की भूमिका समाप्त हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। क्लोनिंग के लिए जिस कोशिका से केन्द्रक लिया जाता है वह नर या मादा में से किसी भी एक का हो सकता है। मगर क्लोनिंग के लिए मादा की डिम्ब कोशिका अत्यावश्यक है। इससे नर की आवश्यकता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।

 

  • जिस पितृ कोशिका से क्लोन मानव पैदा किया जाएगा। उस क्लोन की कोशिका की आयु पितृ कोशका के बराबर होगी। इस तरह से मानव क्लोन अपने पिता की आयु के बराबर हो जाएगा जबकि अभी वह नवजात शिशु ही होगा। यानी क्लोन के जीवन से उतने वर्ष घट जाएंगे।

 

  • सिर्फ अमीरों के लिए ही क्लोनिंग नायाब तोहफा साबित होगी। ये अमीर अपना क्लोन तैयार कराकर जैविक अंगों के सुरक्षित बैंक तैयार कर सकते हैं और जब किडनी, लीवर, दिल, फेफड़ा आदि जैसा कोई अंग खराब होगा तो वे क्लोन को मारकर उससे ये अंग हासिल कर सकते हैं। मानव क्लोनिंग के जरिए आने वाले समय में ऐसे व्यक्ति भी तैयार हो सकते हैं जिन्हें मानव अंगों के लिए गुलामों की तरह खरीदा-बेचा जा सकता है । 

 

  • क्लोनिंग की सहायता से बड़ी संख्या में सौदागर युवतियों क्लोन तैयार कर लेंगे और इससे देह व्यापार, नारी शोषण अपराध को बढ़ावा मिलेगा जो अत्यंत घातक साबित होगा । 

 

  • मनुष्य का माँस भी बहुत से देशों में खाया जा रहा है। यह मानव क्रूरता की हद है। आने वाले समय में इसके लिए क्लोन को आसानी से लोग इस्तेमाल करेंगे और मानवीय मूल्यों का तेजी से पतन होना शुरू हो जाएगा।

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