महिला सशक्तिकरण अवधारणा अर्थ |महिला सशक्तिकरण अर्थ एवं परिभाषा | Women Empowerment in Hindi

 महिला सशक्तिकरण अवधारणा अर्थ एवं परिभाषा  

महिला सशक्तिकरण अवधारणा अर्थ |महिला सशक्तिकरण अर्थ एवं परिभाषा | Women Empowerment in Hindi


महिला सशक्तिकरण अवधारणा Women Empowerment in Hindi

 

  • सशक्तिकरण एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से जागरूकता कार्यशीलता, बेहतर नियंत्रण के लिए प्रयास के द्वारा व्यक्ति अपने विषय में निर्णय लेने के लिए समर्थ एवं स्वतंत्र होता हैं। इस दृष्टि से देखें तो नारी का सशक्तिकरण एक सर्वांगीण व बहुआयामी दृष्टिकोण है। यह राष्ट्र निर्माण की मुख्य धारा में महिलाओं की पर्याप्त व सक्रिय भागीदारी में विश्वास रखता है। 
  • एक राष्ट्र का सर्वांगीण व समरसता पूर्ण विकास तभी संभव है जब महिलाओं को समाज में उनका यथोचित स्थान व पद दिया जाए। उन्हें पुरुषों के साथ-साथ विकास की सहभागी माना जाए। सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाएं अपने आर्थिक स्वावलम्बन, राजनैतिक भागीदारी व सामाजिक विकास के लिए आवश्यक विभिन्न कारकों पर पहुँच व नियंत्रण प्राप्त करती हैं।  अपनी शक्तियों व सम्भावनाओं क्षमताओं व योग्यताओं तथा अधिकारों व जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक होती हैं।


सशक्तिकरण शब्द का अर्थ 

  • सशक्तिकरण शब्द का विच्छेद है सशक्तिकरण जिसमें '' उपसर्ग है। शक्ति संज्ञा है। विशेषण तथा करण प्रत्यय से मिलकर शब्द बना है सशक्तिकरण इसका ध्वनि अर्थ है- शक्ति सहित गत्यात्मकता (गति) । सशक्तिकरण एक विकासात्मक प्रक्रिया है। निरन्तर चलने वाली निर्बल के सबल बनने की प्रक्रिया एक पूर्ण सशक्त व्यक्ति वह है जो अपने जीवन से संबंधित निर्णय लेने में पूरी तरह स्वतंत्र हो, सामाजिक संदर्भों में जिस पर विवाह, संतानोत्पत्ति तथा व्यवसाय आदि से संबंधित विषयों पर घरेलू अथवा सामाजिक स्तर पर किसी प्रकार का दवाब न हो। इस प्रकार स्त्रियों के संदर्भ में सशक्तिकरण की अवधारणा अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

 

  • भारतीय समाज में प्राचीन काल से ही नारी को पुरुष के समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। उसे अपने जीवन की गरिमा को सुरक्षित रखने और सम्मानित जीवन जीने का पूर्ण अधिकार प्रदान किया गया है। यहाँ तक कि शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में भी नारी को अपनी प्रतिभा दिखाने और मुखरित करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की गई है। महाभारत काल के बाद नारी की इस स्थिति में गिरावट आयी। उससे शिक्षा का मौलिक अधिकार छीन लिया गया। धीरे-धीरे नारी की स्थिति दयनीय एवं चिंताजनक होती गयी। वर्तमान संदर्भों में देखें तो समय के साथ-साथ महिलाओं की परिस्थितियों में व्यापक बदलाव आ रहा है। समय करवट ले रहा है। दमन, दलन और उत्पीड़न से मुक्त होकर नारी जागरूक हो रही है। आज नारी विकास की ओर अग्रसर है। वह हर क्षेत्र में अपनी एक अनोखी पहचान बना रही है। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। यह आधुनिक युग की नारी का स्वरूप है।

 

  • नारी समाज की प्रगति को आगे बढ़ाने में सहायक रही है। समाज का पूर्ण विकास तभी संभव है, जब पुरुष और नारी दोनों का समान विकास हो। दोनों को व्यावहारिक रूप से समान अधिकार प्राप्त हों। मात्र एक वर्ग के विकास से समाज में असंतुलन ही पैदा होगा। इसके लिए आवश्यकता इस बात की है कि महिलाओं में साक्षरता जागरूकता, आत्मनिर्भरता बढ़ाने के समन्वित, संगठित प्रयास हों क्योंकि वास्तविकता यह है कि आज भी अधिकांश महिलाओं को अपने संवैधानिक अधिकारों और उनके विकास के लिए बनाई गई शासकीय और गैर शासकीय योजनाओं की पर्याप्त जानकारी नहीं है।

 

महिला सशक्तिकरण अर्थ एवं परिभाषा

 

अर्थशास्त्री बीना अग्रवाल के अनुसार 

  • महिला सशक्तिकरण को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में व्याख्यायित करती हैं, जिससे दुर्बल एवं उपेक्षित लोगों के समूहों की क्षमता बढ़े। जिससे महिलाएँ अपने आपको निम्न आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति में डालने वाले मौजूदा शक्ति संबंधों को बदल कर अपने पक्ष में कर सकें। नारी सशक्तिकरण से तात्पर्य नारी को आत्मनिर्भर बनाना है। नारी को समाज में समानता प्रदान करना है। डॉ. दिग्विजय सिंह के अनुसार महिला सशक्तिकरण का अभिप्राय सत्ता प्रतिष्ठानों में स्त्रियों की साझेदारी से है। निर्णय लेने की क्षमता सशक्तिकरण का एक बड़ा मानक है। इस प्रकार महिला सशक्तिकरण का अर्थ है- उनके द्वारा समाज की वर्तमान व्यवस्था और तौर-तरीकों को चुनौती में समान अवसर, राजनैतिक व आर्थिक नीति निर्धारण में भागीदारी, समान कार्य के लिए समान वेतन, कानून के तहत सुरक्षा, प्रजनन का अधिकार आदि। 


डॉ. अरूण कुमार सिंह के अनुसार

डॉ. अरूण कुमार सिंह के अनुसार महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिला को शक्ति सम्पन्न बनाना ताकि वह सहजता से अपने जीवन यापन की व्यवस्था कर सकें। लीना मेंहदेले के अनुसार सशक्तिकरण एक मानसिक अवस्था है जो कुछ विशेष आंतरिक कुशलताओं और सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर है।" इनमें प्रमुख हैं-


1. निर्भयता, जिसके लिए समाज में कानून और सुरक्षा का होना। 

2. रोजाना के नीरस, उबाऊ और कमर तोड़ कामों से मुक्ति 

3. आर्थिक आत्मनिर्भरता एवं उत्पादन क्षमता। 

4. निर्णय का अधिकार 

5. सत्ता एवं सम्पत्ति में पुरुषों के साथ बराबरी का हक । 

6. ऐसी शिक्षा जो महिला को उपरोक्त स्थितियों के लिए तैयार कर सके। 


  • सशक्तिकरण का अर्थ एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसके तहत शक्तिहीन लोगों को अपने जीवन की परिस्थितियों को नियंत्रित करने के बेहतर मौके मिल जाते हैं। इसका मतलब केवल संसाधनों पर बेहतर नियंत्रण नहीं है बल्कि इसका आत्मविश्वास में वृद्धि और पुरुषों के साथ बराबरी के आधार पर निर्णय करने की क्षमता से भी है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है कि पुरुष समाज स्त्रियों के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में जागरूक बनें।

 

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए प्रयास

  • भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित प्रयास स्वतंत्रता के उपरांत ही किए गए। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का कहना था "लैंगिक असमानता चाहे वह आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक अथवा अन्य किसी भी क्षेत्र में हो, मानवीय गरिमा की स्थापना के लिए उसे दूर करना आवश्यक है।" नेहरू जी का मानना था कि लिंग के आधार पर महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। निशांत मीनाक्षी ने अपने लेख विकास बनाम सशक्तिकरण में बताया है- "महिला सशक्तिकरण अर्थात् महिलाओं को शक्तिशाली बनाना, महिलाओं को वे सारे उपकरण उपलब्ध करवाना जिनकी सहायता से आधी दुनिया उन्नति कर सकती है आगे बढ़ सकती है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में सबसे बड़ा रोड़ा, महिलाओं में शिक्षा और जागरूकता की कमी ही है। यदि महिलाओं को शिक्षित बना दिया जाए तो वे अपने सामाजिक व राजनैतिक अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाएँगी और फिर ऐसी जागरूक महिलाओं को दबाना, किसी के लिए भी सम्भव नहीं होगा। 


  • ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में सशक्त होने की स्थिति को सशक्त बनाने की कार्यवाही के रूप में परिभाषित किया गया है। सशक्त का अर्थ- सक्षम करने के लिए शक्ति देने के लिए शक्ति का विचार सशक्तिकरण की जड़ में है।

 

यूनिफेम के अनुसार नारी सशक्तिकरण का अर्थ है

 

  • नारी सशक्तिकरण से स्त्री-पुरुष के संबंधों को समझा जा सकता है और उन तरीकों को समझा जा सकता है जो इसे बदल सकें। 
  •  निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करना स्वयं का मूल्य समझते हुए।
  • स्वयं की क्षमता पर विश्वास कर अपने जीवन के सभी निर्णय स्वयं ले सकें। 
  • सामाजिक परिवर्तन की दिशा समझने की और संगठित करने की क्षमता विकसित करना - राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था बनाने की दिशा में।

 

विश्व बैंक के अनुसार सशक्तिकरण विकल्प बनाने के लिए और इच्छित कार्यों और परिणामों में उन विकल्पों को बदलने के लिए व्यक्तियों या समूहों की क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया है।

 

महात्मा गाँधी के अनुसार  महिला सशक्तिकरण का अर्थ 

  • "हमारा पहला प्रयास अधिक से अधिक महिलाओं को उनके वर्तमान स्थिति के प्रति जागरूक करना होना चाहिए।" यूएनडीपी (UNDP) नारी सशक्तिकरण को सिर्फ इसलिए महत्व नहीं देता कि यह मानव अधिकार है बल्कि इसके माध्यम से हमारे सदियों से चले आ रहे विकास के लक्ष्यों को पूरा करने का और सतत् विकास के मार्ग में लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय को भी शामिल करना है। लैंगिक समानता, गरीबी में कमी, लोकतांत्रिक शासन, संकट की रोकथाम, पर्यावरण और सतत् विकास में महिलाओं की भागीदारी सशक्तिकरण को एकीकृत करने के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय प्रयासों का समन्वय करता है।

 

  • सशक्तिकरण से अभिप्राय आध्यात्मिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक शक्ति को व्यक्ति और समुदाय में बढ़ाने से है। इसके फलस्वरूप क्षमतावान, सशक्त विकासशील और आत्मविश्वास से युक्त महिला समूह निर्मित हो सकता है। महिलाओं और लड़कियों के लिए एक वैश्विक अभियान, संयुक्त राष्ट्र महिला शाखा (UNIFEM) को दुनिया भर में स्त्रियों की जरूरतों को पूरा करने में तेजी लाने के लिए स्थापित किया गया।

 

सशक्तिकरण के अंतर्गत इस प्रकार की क्षमताओं को विकसित करने का लक्ष्य है:

 

  • स्वयं के निर्णय लेने की क्षमता और उसके लिए पर्याप्त संसाधनों को पहचानने की क्षमता। 
  • लोकतांत्रिक तरीकों से दूसरों के विचारों को बदलने की क्षमता। 
  • परिवर्तन और विकास में भागीदारी की क्षमता। 
  • सामूहिक निर्णय लेने में महिलाओं को जुटाने की क्षमता। 
  • उक्त दिशाओं में न केवल सकारात्मक सोच होना है, परन्तु पर्याप्त कौशल भी।  

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