ऊष्मा क्या है |ऊष्मा के मात्रक |ताप व ऊष्माHऊष्मा की इकाइयां| Heat physics in Hindi

 ऊष्मा क्या है, मात्रक, ताप व ऊष्मा, ऊष्मा की इकाइयां

ऊष्मा (Heat) वह भौतिक कारक (Physical factor) है जो हमें गर्मी (Hotness) व ठण्डक (cold ness) का आभास (Feel) कराता है। वास्तव में ऊष्मा (Heat) एक प्रकार की ऊर्जा (energy ) है जिसमें 'विभिन्न कार्य संपादित करने की क्षमता होती है।


ऊष्मा क्या है (Heat physics in Hindi)

  • ऊष्मा (Heat) वह भौतिक कारक (Physical factor) है जो हमें गर्मी (Hotness) व ठण्डक (cold ness) का आभास (Feel) कराता है। वास्तव में ऊष्मा (Heat) एक प्रकार की ऊर्जा (energy ) है जिसमें 'विभिन्न कार्य संपादित करने की क्षमता होती है। ऊष्मा को अन्य प्रकार की ऊर्जाओं के रूप में तथा अन्य ऊर्जाओं को ऊष्मा में बदला जा - सकता है। जैसे- विद्युत हीटर का प्रयोग करके हम विद्युत ऊर्जा (Electrical energy ) को ऊष्मीय ऊर्जा (Thermal energy) में बदलते हैं व भाप इंजन (Steam engine) का प्रयोग करके हम ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy) में बदलते हैं। 

 

ऊष्मा के मात्रक (Units Of Heat)

 

  • ऊष्मा (Heat), ऊर्जा (Energy) का ही एक रूप है, अतः ऊष्मा का S.I. मात्रक भी ऊर्जा के S.I. मात्रक की तरह जूल (Joule) ही है। परन्तु व्यवहार में कैलोरी, किलो कैलोरो, ब्रिटिश ऊष्मीय मात्रक ( British Thermal Unit-1B Th. U) आदि मात्रक (Units) भी प्रयुक्त होते हैं ।

 

कैलोरी ( Calorie) 

  • एक ग्राम शुद्ध जल का ताप (Temperature) 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा एक कैलोरी कहलाती है। इसे अंतर्राष्ट्रीय (International) कैलोरी या 15°C कैलोरी भी कहते हैं।

 

ब्रिटिश ऊष्मीय इकाई (British Thermal Unit) 

  •  एक पौण्ड जल का ताप 1°F (1 डिग्री फारेनहाइट) बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को एक ब्रिटिश ऊष्मीय इकाई ( 1 B.Th.U.) कहते हैं।

 

ऊष्मा के विभिन्न मात्रक 

  • 1 कैलोरी = 4.186 जूल 
  • 1 जूल = 0.24 कैलोरी 
  • 1 किलो कैलोरी = 1000 कैलोरी = 4186 जूल 
  • 1 ब्रिटिश ऊष्मीय इकाई = 252 कैलोरी 
  • 1 थर्म = 100000 ब्रिटिश ऊष्मीय इकाई


ऊष्मा के बारे में विस्तृत जानकारी 

 

1 आन्तरिक ऊर्जा

 

  • पदार्थ के अणु निरन्तर गति में होते हैं और इन अणुओं की कुल गतिज व स्थितिज ऊर्जा को पदार्थ की 'आन्तरिक ऊर्जा' कहते हैं। आन्तरिक ऊर्जा जितनी अधिक होगी पदार्थ उतना ही अधिक गर्म (ताप) होगा। 

  • लोहे की कील को हथौड़े से ठोकने पर हम देखते हैं कील गर्म हो जाती है, क्योंकि हथौड़े की चोट से कील के अणुओं की गति में तेजी आ जाती है परिणामतः उसकी आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। 

  • जलप्रपात (झरने) में नीचे गिरते पानी में झरने के शीर्ष की अपेक्षा तली का पानी गर्म होता है। शीर्ष पर पानी की स्थितिज ऊर्जा, पानी के नीचे गिरने पर गतिज ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है। इस गतिज ऊर्जा का कुछ अंश जल की आन्तरिक ऊर्जा को बढ़ा देता है, जिसके फलस्वरूप जल का ताप बढ़ जाता है । 

  • साइकिल में पम्प से हवा भरने पर हम देखते हैं कि पम्प के बैरल का निचला भाग गर्म हो जाता है क्योंकि पम्प के पिस्टन को नीचे दबाने पर उसमें भरी हवा दब जाती है और उसकी आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि के फलस्वरूप ताप बढ़ जाता हैं। 

  • फर्श पर तेज फिसलती गेंद जब धीमी होकर रुक जाती है तो उसकी प्रारंभिक गतिज ऊर्जा, गेंद, फर्श व वायु की आन्तरिक ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।

 

ताप व ऊष्मा- 

किसी वस्तु का ताप वह मात्रा है, जिससे हमें यह ज्ञात होता है कि एक मानक वस्तु की अपेक्षा वह वस्तु कितनी गर्म अथवा ठंडी है। ऊष्मा, आन्तरिक ऊर्जा का रूप है जो ताप के अन्तर के कारण एक वस्तु से दूसरी में अंतरित (transferred) होती है। अत: केवल अंतरण प्रक्रिया के संदर्भ में ही ऊर्जा को ऊष्मा कहा जाता है। 

जब किसी वस्तु में ऊष्मा का अंतरण होता है तो वह उसकी आन्तरिक ऊर्जा बन जाती है। ऊष्मा सदैव उच्च ताप वाले पदार्थ से निम्न ताप वाले पदार्थ की ओर बहती है न कि ( आवश्यक नहीं है) उच्च आन्तरिक ऊर्जा वाले पदार्थ से निम्न आन्तरिक ऊर्जा वाले पदार्थ की ओर। 

उदाहरणार्थ

  • एक अत्यधिक तप्त चम्मच को गुनगुने पानी से भरी बाल्टी में डुबोयें तो ऊष्मा चम्मच से जल में जाएगी, यद्यपि गुनगुने जल की आन्तरिक ऊर्जा चम्मच की आन्तरिक ऊर्जा से अधिक है। उदाहरण से यह स्पष्ट है कि ऊष्मा व ताप भिन्न हैं और इस बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए।

 

  • यदि हम चूल्हे पर एक साथ दो एक समान बर्तन रखें, जिनमें से एक में दूसरे की अपेक्षा दुगनी मात्रा में पानी भरा हो, तो कुछ समय पश्चात ही हम देखेंगे कि कम भरे जल का ताप तेजी से बढ़ रहा है, जबकि दोनों बर्तन एक ही चूल्हे पर रखे होने से एक समान ऊष्मा प्राप्त कर रहें हैं।

 

ऊष्मा की इकाइयां (Units of heat)

 

  • प्रत्येक प्रकार के मापन में किसी-न-किसी इकाई की आवश्यकता होती है। अतः ऊष्मा की मात्रा बताने के लिए इकाई की आवश्यकता है। 

ऊष्मा के मापने की दो प्रमुख एवं प्रचलित इकाइयां निम्नलिखित हैं-

1. किलो कैलोरी (kilo calorie): 

  • ऊष्मा की वह मात्रा जो 1 किलोग्राम ( या 1000 ग्राम) जल का तापमान "C बढ़ा दें, एक किलो कैलोरी कहलाती है। यह कैलोरी की ही वृहत् इकाई है। अतः 1000 कैलोरी = 1 किलो कैलोरी है।

 

2. कैलोरी ( Calorie ): 

  • मीटरी प्रणाली में ऊष्मा की मात्रा मापने की यह इकाई है। ऊष्मा की वह मात्रा जो ग्राम जल का तापमान 1 °C बढ़ा दे. एक कैलोरी कहलाती है। इस प्रकार आपके पास 50 ग्राम जल है जिसका तापमान 5°C बढ़ना है तो इसके लिये आपको 50 × 5 कैलोरी या 250 कैलोरी चाहिए।

 

3. सेंटीग्रेड ऊष्मीय इकाई (Centigrade Heat Unit ):

  • यह ऊष्मा मापन की मिश्रित इकाई है। ऊष्मा की वह मात्रा, जो 1 पौड़ जल का तापमान 1°C से बढ़ा दे मिश्रित इकाई या सेंटीग्रेड ऊष्मीय इकाई कहलाती है। 

4. ब्रिटिश ऊष्मीय इकाई (British thermal unit ): 

  • अंग्रेजी प्रणाली (FPS) में ऊष्मा मापने की इकाई ब्रिटिश ऊष्मीय इकाई' है। यह ऊष्मा की वह मात्रा है जो पौड़ पानी का तापमान 1 F से बढ़ा देती है। ब्रिटिश ऊष्मीय इकाई की वृहद् इकाई थर्म (therm) कहलाती है। 1 थर्म =100000 ब्रिटिश ऊष्मा इकाई होता है।

 

कैलोरीमापी या ऊष्मामापी (Calorimeter)

 

  • यह उपकरण तांबे का बना हुआ, गिलास के आकार का पात्र होता है। इसकी सतह चमकदार बनी रहती है। इसे एक दूसरे बड़े पात्र में रखकर काम में लाते हैं। दोनों पात्रों के बीच का भाग ऊन या रुई से भर दिया जाता है ताकि बाहर से ऊष्मा का आदान-प्रदान न हो पाये। ऊष्मामापी में रखे द्रव को विलोड़ने के लिए तांबे के मोटे तार का एक विलांड़क (stirrer) रहता है।

 

ऊष्मा मापन का सिद्धांत

 

  • जब किसी ठंडे द्रव को गर्म द्रव में या भिन्न-भिन्न ताप वाली दो वस्तुओं को मिलाते हैं तो गर्म वस्तु से ऊष्मा निकलती है और ठंडी वस्तु उस ऊष्मा को ग्रहण करती है। अत: यदि ऊष्मा किसी अन्य प्रकार से खर्च न हो जाये तो गर्म वस्तू द्वारा व्यक्त ऊष्मा की ठंडी बस्तु द्वारा ग्रहण की गई ऊष्मा की मात्रा के बराबर होती है। अर्थात् ऊष्मा हानि (Heat lost) = ऊष्मा लाभ (Heat gained)

 

  • इससे यह है कि गर्म वस्तु का तापमान घटता है और  ठंडी वस्तु का तापमान बढ़ता है। परंतु तापमान कितना बढ़ेगा अथवा घटेगा यह पदार्थों की प्रकृति और उनके द्रव्यमान पर निर्भर करता है।

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