ऊष्मा और अवस्था परिवर्तन |आपेक्षिक आर्द्रता|रेफ्रीजरेटर कैसे कार्य करता है ? | Heat GK in Hindi

 ऊष्मा और अवस्था परिवर्तन, आपेक्षिक आर्द्रता

ऊष्मा और अवस्था परिवर्तन |आपेक्षिक आर्द्रता|रेफ्रीजरेटर कैसे कार्य करता है ? | Heat GK in Hindi


ऊष्मा और अवस्था परिवर्तन

 

शिष्ट गुप्त ऊष्मा किसे कहते हैं ?

  • -10°C ताप के बर्फ के एक टुकड़े को गर्म करने पर उसका ताp धीरे-धीरे (0°C)  तक बढ़ता है तत्पश्चात् (0°C) पर स्थिर हो जाता है किन्तु अब यह पानी में पिघलने लगता है। जब तक यह पूर्णत: पानी में नहीं परिवर्तित होता ऊष्मा तो लेता जाता है किन्तु इसके ताप ((0°C) में कोई परिवर्तन नहीं होता। इस प्रक्रिया में यह पाया गया है कि 1 किलोग्राम बर्फ को O°C के स्थिर ताप पर पूर्णत: जल में परिवर्तन करने हेतु 336000 J ऊष्मा की आवश्यकता होती है। इसे बर्फ के गलनांक की विशिष्ट गुप्त ऊष्मा कहते हैं।


  • किसी पदार्थ की विशिष्ट संगलन गुप्त ऊष्माऊष्मा की वह मात्रा है जो पदार्थ के इकाई द्रव्यमान को बिना ताप परिवर्तन के (गंलनाक पर ) ठोस से द्रव अवस्था में परिवर्तित कर देती है।

 

विशिष्ट गुप्त उप्मा क्या होती है 


  • इसी प्रकारजल को गर्म करने पर यह 100°C पर पहुंच कर बिना ताप में वृद्धि के भाप में बदलने लगता है। किसी ऊष्मा की वह मात्राजो पदार्थ के इकाई द्रव्यमान को बिना ताप परिवर्तन के (नांक पर) द्रव से वाष्प अवस्था में परिवर्तित कर दे. पदार्थ के वाष्पन की विशिष्ट गुप्त उप्मा कहलाती है। भाप की विशिष्ट गुप्त ऊष्मा 2260000 J/kg अथवा 2260 J/g है |

 

बोतलों में भरे पेय पदार्थों को बर्फ बर्फ के टुकड़ों में क्यों रखा जाता है ?


  • बोतलों में भरे पेय पदार्थों को बर्फ के पानी की अपेक्षा बर्फ के टुकड़ों में रखकर अधिक कारगर ढंग से ठंडा रखा जा सकता है। इसका कारण यह है बर्फ के टुकड़ों और बर्फ के पानी की मात्रा बराबर होने पर भी बर्फीले पानी की बजाय बर्फ अधिक ऊष्मा अवशोषित करती है। 


उबलते पानी की अपेक्षा भाप से झुलसना (जलना) अधिक तीव्र होता है क्यों 

 

  • उबलते पानी की अपेक्षा भाप से झुलसना (जलना) अधिक तीव्र होता है क्योंकि उसी तापमान पर उबलते पानी की बजाय भाप में अधिक ऊर्जा होती है। द्रवित (condensed) होने वाली भाप के प्रत्येक ग्राम से 2260J ऊष्मा मुक्त होती है।

 

वाष्पन क्या होता है इसके उदाहरण 

  • जल उबलकर अथवा कम ताप पर वाष्पन द्वारा भाप में परिवर्तित होता है। वर्षा के कारण थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी सड़क पर जमा हो जाता हैजो वर्षा बन्द होते ही कुछ समय में भाप बनकर उड़ जाता है। जल भले ही उबलने से अथवा वाष्पन से भाप में बदलेप्रत्येक एक ग्राम पानी को 2260 जूल ऊष्मा की आवश्यकता होती है। इसलिए जब वाष्पन कमरे के ताप पर होता है तब वाप्पन के लिए आवश्यक ऊर्जा जल से ही प्राप्त होती है अथवा वर्तन (वर्षा में सड़क) सेपरिणामत: जल ठंडा हो जाता है। अतः वाष्पन से शीतलन होता है।

 

  • शरीर में पसीना आने पर जब वह सूखता है तो इस प्रक्रिया में वह त्वचा (शरीर) से बहुत ऊष्मा लेता है जिससे हमें ठंडक महसूस होती है। व्यायाम करने पर शरीर से अत्यधिक पसीना निकलता है और व्यायाम के पश्चात् पंखे के नीचे नहीं खड़े होते हैं क्योंकि पसीने के वाप्पन से शरीर बहुत ठंडा हो जायेगा । परिणामतः इस स्थिति में शरीर की प्रतिरोधकता में कमी से संक्रमण जनित रोग उत्पन्न हो सकते हैं।

 

  • ग्रीष्म ऋतु में पीने के लिए जल को ठंडा करने हेतु मिट्टी के घड़ों में भरकर रखते हैं। घड़ा रंध्रयुक्त होता है तथा इन रंधों में पानी के वाष्पन से घड़े का जल ठंडा हो जाता है।

 

  • हथेली पर ईथर की कुछ बूंदे डालने पर हम ठंडक महसूस करते हैं क्योंकि कमरे के ताप पर ईथर के वाप्पन से शीतलन होता है। हथेली पर पड़ी ईथर को मुंह से फूंक मारें तो वाप्पन की दर में वृद्धि से ठंडक के प्रभाव में वृद्धि आ जाती है।

 

  • तेज बुखार आने पर डॉक्टर रोगी के मस्तक पर पानी से भीगी पट्टी रखने का परामर्श देते हैंक्योंकि इससे भीगी पट्टी का जल वाष्पित होगा और ताप में कमी आ जाएगी।

 

  • डेजर्ट- कूलर भी वाप्पन के कारण ही ठंडी हवा देता है। कूलर पर लगे पैडोंजिन पर पानी गिरता रहता हैउनसे होकर प्रवेश करती हवा जल को वाणित करती है। इसके फलस्वरूप पैड ठंडे हो जाते हैं जो गुजरती हवा को ठंडा कर देते हैं। कूलर का पंखा इनमें होकर आने वाली वायु को तेजी से खींचता हैजिससे वाष्पन की दर में वृद्धि से और अधिक शीतलता उत्पन्न होती है तथा पंखा ठंडी वायु को कमरे में धकेलता है जो कमरे को ठंडा रखने में सहायक होती है। 


किसी द्रव को वाप्पन दर निम्नलिखित घटकों पर निर्भर करती है:

 

(i) द्रव का तापः हम जानते हैं कि गीले कपड़े गर्म मौसम में शीघ्रता से सूखते हैं। अतः स्पष्ट हैं कि वाप्पन दर ताप वृद्धि के साथ बढ़ती है। 


(ii) वाष्पित सतह का क्षेत्रफल: भीगी चादर को मोड़कर लटकाने की अपेक्षा फैलाकर लटकाने से वह शीघ्रता से सूख जाती है। स्पष्ट है कि सूखने (वाष्पन) वाली सतह का क्षेत्रफल बढ़ने से वाष्पन दर में वृद्धि होती है। जो व्यक्ति गर्म चाय जल्दी पोना चाहता है वह उसे प्लेट में डाल कर पीता है क्योंकि प्याले की अपेक्षा प्लेट का क्षेत्रफल अधिक होने से वाप्पन शीघ्रता से होता है और चाय शोघ्रता से ठंडी हो जाती है।

 

(iii) वाष्प को हटाने की दरः यदि वाष्प को वाप्पन सतह से निरन्तर हटाते रहें तो वाष्पन में तेजी (वृद्धि) आ जाती है। उदहारणार्थगीले कपड़े तेज हवा में शोघ्रता से सूख जाते हैं।

 

रेफ्रीजरेटर कैसे कार्य करता है ?

  • इसमें शीतलन तांबे की कुंडली (वाष्पित्र) में भरे फ्रिऑन नामक द्रव के वाप्पन से होता है। वाप्पित्र फ्रीजर के चारों ओर लपेटा जाता है। द्रवणित्र (condenser) में वाप्य के प्रवेश करने पर वह द्रव में द्रवित हो जाती है। द्रवणित्र रेफ्रीजरेटर के पीछे लगा होता है जो संपीडन (compression) पम्प से जुड़ा रहता है। द्रवणत्र की कुंडलीकृत नलियां वाप्प के द्रव में परिवर्तन से गर्म हो जाती हैं। द्रवणित्र कुंडली से इस द्रव को पुनः वाष्पित्र कुंडली में पम्प कर दिया जाता है और इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है। रेफ्रीजरेटर में लगा थर्मोस्टेट स्विच कुछ-कुछ अंतराल पर पम्प को चालू और बंद करके भीतर के ताप का नियमन करता है।

 

आपेक्षिक आर्द्रता

 

  • वायुमंडलीय वायु में कुछ जल-वाप्प हमेशा होती है। एक गिलास में बर्फ के टुकड़े भर कर रख देने पर उस पर बाहर की ओर बूंदे जम जाती है जो वायुमंडल की वायु के द्रवण के कारण जमती है। किसी ताप पर वायुजल वाष्प की एक निश्चित मात्रा को ही अपने में रख सकती है। इस सीमा तक आर्द्रता के होने पर वायु संतृप्त (saturate) हो जाती है। यदि वायु का ताप बढ़ जाएतो उसे संतृप्त होने के लिए अधिक जल वाष्प की आवश्यकता होगी।

 

  • वायु के एक ज्ञात आयतन में वर्तमान जल वाष्प की मात्रा तथा उसी ताप पर उतनी ही वायु को संतृप्त करने के लिए आवश्यक जल-वाप्प की मात्रा के अनुपात को वायु की आपेक्षिक आर्द्रता (relative humidity) कहते हैं। समाचार - में वायु की आपेक्षिक आर्द्रता प्रतिशत में व्यक्त किया जाता हैं। इस 50% की आपेक्षिक आर्द्रता से यह ज्ञात होता है कि वायु में उस ताप पर वर्तमान जल वाष्प की मात्रा वायु को संतृप्त करने की मात्रा की अपेक्षा आधी है। आपेक्षिक आर्द्रता को आईनामापी (hygrometer) नामक यंत्र से मापा जाता है।

 

  • शीत ऋतु में रात्रि में चश्मा लगाए व्यक्ति का बाहर से आकर गर्म कमरे प्रवेश करते ही उसके चश्मे के लेंस पर नमी जम जाती है। इसका कारण है कि लेंस ठंडे होते हैं और अन्दर का ताप अधिक होने से वहां की वायु में जल वाष्प धिक होती है जो चश्मे के ठंडे लैंसों के स्पर्श में आते ही ठंडी हो जाती है। अब वह ठंडी वायु इस कम ताप पर अतिरिक्त नमी नहीं रख पाती जिससे कुछ नमी ठंडे लैंसों पर जम जाती है।

 

शरीर अपने ताप नियमन हेतु पसीना छोड़ता है 

स्वेदन ( पसीना ) - 

  • ग्रीष्म ऋतु में हमारा शरीर अपने ताप नियमन हेतु पसीना छोड़ता है जो वाष्पित होता है और शरीर का ताप कम हो जाता है। लेकिन जब वायु में नमी हो तो शरीर से पसीने की वाप्पन दर कम हो जाती हैंजिससे पसीने की बूंदें धार बनाकर नीचे बहने लगती हैं। अब यदि पसीना आने पर हम पंखे के नीचे बैठ जाए तो शरीर के निकट वायु का प्रवाह बढ़ने से वाप्पन दर में वृद्धि हो जाती है जो शीतलता उत्पन्न करती है।

 

वातानुकूलन (एयर कंडीशनिंग )

 

  • शारीरिक सुखताप व आर्द्रता दोनों पर निर्भर करता है। औसत व्यक्ति की सुखदायी अवस्थाएं (i) 23°C से 25°C ताप के मध्य, (ii) आपेक्षिक आर्द्रता 60 से 65 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए। वातानुकूलक ताप व आर्द्रता की इन अवस्थाओं को नियमित करता है।

 

प्रैशर कुकर में भोज्य पदार्थ शीघ्रता से पक जाते हैं क्यों 

 

  • द्रव का क्वथनांकउस पर पड़ने वाले बाह्य दाब पर निर्भर करता है। वायुमंडलीय दाब पारे के 76 से.मी. स्तम्भ के बराबर हो तो जल 100°C पर उबलने लगता है। किन्तु दाब के बढ़ने पर उसका क्वथनांक बढ़ जाता हैउदाहरणार्थ- वायु का दाब वायुमंडल के दोगुने के बराबर होने पर जल 120°C पर उबलता है। प्रैशर कुकर - में दाब के कारण जल 100°C से अधिक ताप पर उबलता है। क्वथनांक में वृद्धि के परिणामस्वरूप जल अधिक ऊष्मा ले लेता हैजिससे कुकर का भोज्य पदार्थ शीघ्रता से पक जाता है।

 

  • पहाड़ों पर वायु का दाब कम होता है और इसके कारण जल का क्वथनांक कम हो जाने सेखाना पकाने में अधिक समय लगता है। अतः प्रैशर कुकर पहाड़ों पर खाना पकाने के लिए अधिक आवश्यक साधन है।

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