पर्यावरण संरक्षण और गांधी विचारधारा |Environment and Gandhi JI

 पर्यावरण संरक्षण और गांधी विचारधारा 

पर्यावरण संरक्षण और गांधी विचारधारा |Environment and Gandhi JI


पर्यावरण संरक्षण और गांधी विचारधारा 

  • मोहनदास करमचंद गांधी (1869-1948) का जीवन एवं काम भारत के पर्यावरण संबंधी आंदोलन पर अपना एक अविस्मरणीय प्रभाव रखते हैं। महात्मा गांधी को भारतीय पर्यावरण आंदोलन में एक सारस्वत की तरह माना जाता है। पर्यावरण कार्यकर्ता गांधीजी के अहिंसात्मक विरोध या सत्याग्रह पर अत्यधिक भरोसा रखते हैं एवं भारी उद्योगों के विरुद्ध गांधी दर्शनशास्त्र पर भी अत्यधिक विश्वास करते हैं जो कि गरीबों एवं पद-दलितों को विस्थापित या दबा देता हैं।

 

  • चिपको आंदोलन (चंडी प्रसाद भट्ट एवं सुदरलाल बहुगुणा)बाबा आमटे एवं मेधा पाटकर (नर्मदा बचाओ आंदोलन ) इन सभी को आंदोलन करने की प्रेरणा गांधीजी से ही मिली। अन्य दूसरे समूह जैसे सुलभ इंटरनेशनल जो हरिजनों एवं सफाई कर्मियों के स्तर को ऊंचा उठानेजो कि अंधेरों से घिरे हुए थेके लिए काम करता हैयह भी गांधीजी के विचारों से ही प्रेरित थे। गांधीजी वास्तव में सबसे पहले पर्यावरणविद् थे जिन्होंने आधुनिक औद्योगिक समाज के कारण होने वाले पर्यावरणीय समस्याओं के बारे में ध्यान दिया था। 1909 में 'हिंद स्वराजमें प्रकाशित अपने लेख में उन्होंने लिखा था कि वर्तमान दर से होते हुए विकास के कारण किस प्रकार से मनुष्य का मनुष्य द्वारा एवं मनुष्य के द्वारा प्रकृति का शोषण किया जा रहा है।

 

  • गांधीजी ने मितव्ययता एवं साधारण जीवन जीने पर जोर दिया था जिसका यह अर्थ नहीं है कि अपनी खुशियों के लिए पर्यावरणीय मूल्यों का सम्मान नहीं करे। फिर भी ऐसा माना जाता है कि व्यर्थ उपभोग करने में कोई खुशी नहीं है। खुशियां एक दूसरे के साथ सोहार्द्रपूर्वक रहते हुए एवं में प्रकृति के साथ आती हैं। खुशियां जीवों के शोषण पर आधारित नहीं होनी चाहिये। इससे पृथ्वी को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होना चाहिये लेकिन ये कुछ क्रियाशील कार्यों एवं क्रियाकलापों एवं आपसी सहयोग के द्वारा आनी चाहिए। पर्यावरणीय नैतिकता प्रकृति एवं उसकी उदारता के प्रति सौहार्दपूर्वक व्यवहार के बारे में हमें सिखाती है।

 

  • भारत की वृद्धि एवं विकास के लिए की जाने वाली सभी योजनाओं में पर्यावरणीय मूल्यों को एक अभिन्न अंग के रूप में माना जाना चाहियेअंतिम परन्तु कुछ कम नहींगांधीजी ने जो कहा थाउसे हमें भूलना नहीं चाहिए ।

 

  • "प्रकृति माँ हमारी पर्याप्त जरूरतों को पूरा कर सकती हैं परन्तु हमारे लालच को पूरा नहीं कर सकती हैं। "

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