पृथ्वी की संरचना |पृथ्वी के संघटक -वायुमंडल जलमंडल स्थलमंडल जैवमंडल की संरचना| Components of the Earth in Hindi

 पृथ्वी  के संघटक -वायुमंडल जलमंडल स्थलमंडल जैवमंडल  की संरचना 

पृथ्वी की संरचना |पृथ्वी  के संघटक -वायुमंडल जलमंडल स्थलमंडल जैवमंडल  की संरचना| Components of the Earth in Hindi


पृथ्वी की संरचना एक परिचय 

  • पृथ्वी एक अद्भुत ग्रह है, जिसमें अनगिनत जीव रहते हैं। जीवन के लिए जरूरी परिस्थितियों से संतुलित यह एकमात्र ग्रह है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि पृथ्वी का आकार, रचना और सूर्य से इसकी दूरी इसके चारों मंडलों वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जैवमंडल को बनाए रखने के लिए उपयुक्त है। 
  • पृथ्वी सूर्य से बिलकुल उचित दूरी पर हैं जिससे कि यहाँ विभिन्न रूपों में पानी का अस्तित्व संभव हो सके। अगर यह सूर्य के कुछ और करीब होती तो हमारे महासागरों का अस्तित्व नहीं होता और यदि सूर्य से थोड़ी दूर होती तो महासागर ठोस रूप में जम जाते। 
  • पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र, वायुमंडल को थामे रखने के लिए पर्याप्त है। ब्रह्मांड की विशालता को देखें तो पृथ्वी एक बहुत ही छोटी जगह है। हम पृथ्वी की तुलना अंतरिक्ष में एक नखलिस्तान (oasis) से कर सकते हैं। 
  • इस आर्टिकल  में हम पृथ्वी के घटकों और इसकी आंतरिक संरचना और प्रक्रियाओं के बारे में चर्चा करेंगे। हम वायुमंडल जलमंडल और जैवमंडल की उत्पत्ति और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में भी चर्चा करेंगें।

 

पृथ्वी  के संघटक

 

पृथ्वी के संघटकों की चर्चा के साथ अध्ययन प्रारम्भ करें पृथ्वी का बाहरी भाग वायु की परतों, जल और जीवित वस्तुओं से घिरा हुआ है। वे लगातार भूपर्पटी के साथ परस्पर प्रतिक्रिया करते हैं। पृथ्वी के बाह्य भाग में निम्नलिखित चार मंडल शामिल होते हैं :

 

  • 1. वायुमंडल 
  • 2 जलमंडल 
  • 3. स्थलमंडल  
  • 4. जैवमंडल 


अब हम इन चार मंडलों की विशेषताओं और संरचनाओं के बारे में चर्चा करेंगे। 

 

1 वायुमंडल एवं वायुमंडल की संरचना 

 

  • वायुमंडल गैसीय पदार्थ से निर्मित है जो स्थलीय भूमि और महासागर सहित धरती को लिफाफे की तरह आच्छादित किए हुये है। यह काफी ऊँचाई तक विस्तृत है। वायुमंडल का घनत्व सभी जगह समान नहीं है और वायुमंडलीय दबाव ऊंचाई के साथ घटती जाती है। इसके संघटक मुख्य रूप से नाइट्रोजन (78-03%), ऑक्सीजन (20-99% ) और अन्य गैसें ( 1%- आर्गन 0.94%, CO2 0.03%, भिन्न मात्रा में जलवाष्प और हाइड्रोजन, ओजोन, मीथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड और दुर्लभ गैसों के अंश) है। यह जलवायु और मौसम हवाओं, बादलों, बारिश और बर्फ आदि का माध्यम है।

 

वायुमंडल की संरचना 

यह संरचना और तापमान के आधार पर कई भागों में विभाजित है  इसमें निम्नलिखित पांच परतें शामिल हैं:-

 

क्षोभ मंडल Troposphere 

  • वायुमंडल की सबसे निचली और महत्वपूर्ण परत है। इसकी औसत ऊंचाई 16 कि.मी. है। भूमध्य रेखा पर इसकी मोटाई 18 कि.मी. और ध्रुवों के ऊपर 8 कि.मी. है। इस मडंल में हवा उपस्थित होती है जिससे हम सांस लेते हैं। क्षोभ मंडल में वायुमंडल के कुल द्रव्यमान का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा होता है, इस प्रकार, यह सभी परतों में सर्वाधिक घनी है।

 

समताप मंडल Stratosphere

  • 16 से 50 कि.मी. ऊंचाई तक की परत है। यहाँ हवा स्थिर अवस्था में है। यह बादल, धूल और जल वाष्प से मुक्त है। ऊपरी भाग ओजोन से समृद्ध है। ओजोन परत एक कवच के रूप में कार्य करती है, जो सूर्य की किरणों में पाए जाने वाली अधिकांश पराबैंगनी (Ultravoilet- UV) विकिरण को अवशोषित कर इनसे क्षोभ मंडल और पृथ्वी की सतह की रक्षा करता है।

 

मध्यमंडल (Mesosphere) 

  • पृथ्वी की सतह से 50 से 90 कि.मी. ऊंचाई तक फैली हुआ है। यह समताप मंडल के ऊपर स्थित है और एक ठंडा क्षेत्र है। मध्यमंडल में एक परत होती है जिसे रेडियो तरंगों को अवशोषित करने वाली परत कहते हैं।

 

तापमंडल (Thermosphere) 

  • 90 से 600 कि.मी. की ऊंचाई के बीच मध्यमंडल के ऊपर विस्तृत है। आयनमंडल ( lonosphere) इस परत का एक हिस्सा है। पृथ्वी से प्रेषित रेडियो तरंगों को इस परत द्वारा प्रतिबिंबित किया जाता है जिससे स्थानों के बीच संचार संभव होता है। अंतरिक्ष से प्रवेश करने वाले उल्कापिंड इस परत में जल जाते हैं।

 

बहिर्मंडल (Exosphere) 

  • वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत है जिसमें हवा काफी कम मात्रा में है।

 

1 वायुमंडल एवं वायुमंडल की संरचना

वायुमंडल की परतें

 

तपमान 

  • क्षोभ मंडल के विपरीत समताप मंडल से तापमंडल क्षेत्र तक तापमान तेजी से बढ़ता जाता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सतह से तापमान लगभग 16 कि.मी. तक घटता है और उसके बाद ऊंचाई के साथ बढ़ता जाता है। तापमंडल क्षेत्र में ऊपर की ओर तापमान में काफी तेजी से वृद्धि होती है।

 

2 जलमंडल एवं संरचना 

 

  • जलमंडल 'जल क्षेत्र' है, जिसमें विश्व के सभी प्राकृतिक जल संसाधन शामिल हैं जैसे महासागर झील, जलधाराएँ, नदियां, भूमिगत जल और हिमनद जल ही एकमात्र ज्ञात पदार्थ है जो पृथ्वी की सतह और वातावरण में अपने तीनों भौतिक रूपों यथा तरल, ठोस र गैस के रूप में मौजूद है। अपने तीन रूपों में पानी की उपस्थिति और एक रूप से दूसरे रूप में इसका रूपांतरण जलवायु स्थितियों के प्रबंधन और पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। 
  • पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए मीठे पानी की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए यह सबसे कीमती किन्तु दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन है। मीठे जल की उपलब्धता महासागरों के जल वाष्प के वायुमंडल के माध्यम से भूमि पर वर्षा और बर्फ के रूप में परिवहन पर निर्भर करती है।

 

  • पृथ्वी की जलराशि का अधिकांश भाग महासागरों में है, लेकिन पानी के कुछ अंश उसके वायुमंडल और ताजे पानी की झीलों, नदियों, बर्फ हिमनद और भूजल में मौजूद हैं जैसा कि सारणी में दिखाया गया है। महासागरों, वायुमंडल, मीठे पानी, भूजल और ध्रुवीय बर्फ की चादरों में जल प्रसारित होता रहता है, और इस प्रक्रिया को जल चक्र कहा जाता है।

2 जलमंडल एवं संरचना

वैश्विक जल का वितरण

  • विश्व के महासागर वैश्विक सतह का लगभग 70.8% भाग होते हैं और इसकी औसत गहराई लगभग 4267 मीटर है। विश्व महासागर का कुल घनत्व लगभग 1.4 अरब घन कि.मी. है। समुद्री जल खारा है और इसमें सोडियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे लवण परस्पर समान अनुपात में शामिल हैं, जो एक लंबे भूवैज्ञानिक कालखंड में संग्रहीत होते रहे हैं। समुद्र के पानी में लवण या विलायकों का सम्मिश्रण पृथ्वी की सतह के चट्टानों के क्षरण और उनके समुद्री जल में आ मिलने से होता है। 


3 स्थलमंडल एवं संरचना

  • भौतिक गुणों के आधार पर पृथ्वी के बाह्यतम भाग को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, अर्थात् स्थलमंडल (lithosphere) और दुर्बलता मंडल (asthenosphere) | 
  • स्थलमंडल पृथ्वी की कठोर ऊपरी परत है और दुर्बलता मंडल स्थलमंडल के नीचे पृथ्वी की पिघली हुई परत है। 
  • स्थलमंडल शब्द का उपयोग समुद्र और पर्वतों के नीचे स्थित बाह्य ठोस आवरण के लिए किया जाता है जिसमें चट्टानी भूपर्पटी और प्रावार का ऊपरी भाग शामिल होता हैं। इस भाग की मोटाई लगभग 100 कि.मी. तक है। 
  • भूकंपीय तरंगों के धीमे प्रसार से पता चलता है कि स्थलमंडल के नीचे लगभग 300 कि.मी. की गहराई तक गर्म, पिघली हुई और प्लास्टिक (plastic) दुर्बलतामंडल स्थित है जिस पर स्थलमंडल गति करता है। 
  • लिथोस्फीयर ग्रीक शब्द लिथोस' से लिया गया है, जिसका संदर्भ पत्थर से है और एस्थेनोस्फीयर ग्रीक शब्द से एस्थेनोस' लिया गया है, जिसका अर्थ है 'ताकत के बिना' या 'बल रहित। 
  • हम दुर्बलतामंडल में चट्टानों की तुलना टूथपेस्ट की एक खुली नली से कर सकते हैं, जो धीमे दबाने से धीरे-धीरे बहती है। हालांकि, दुर्बलता मंडल जब भूकंप से प्रभावित होता है तब एक ठोस की तरह व्यवहार करता है। 


उनके घनत्व के आधार पर भूपपर्टी की प्रमुख चट्टानों को निम्नलिखित दो समूहों में वर्गीकृत कर सकते हैं-

 

i) सियाल (SIAL): 

  • वे हल्के रंग की सिलिका समृद्ध (~70%) चट्टानें हैं, जैसे ग्रैनाइट जो महाद्वीपीय भाग का निर्माण करते हैं जिनका घनत्व 2.75 से 2.9g/cm3 तक होता है। एल्यूमिनियम दूसरा सर्वाधिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध घटक है। इसलिए, इसे सियाल (Si- Silica/ सिलिका और AI -Alumina / एलुमिना ) कहा जाता है।

 

ii) साइमा या सिमा (SiMa): 

  • ये सियाल के नीचे स्थित हैं और महासागरों का आधार निर्मित करते हैं। वे 40% से 50% तक सिलिका युक्त बेसाल्ट जैसे काले रंग की चट्टानें हैं। मैग्नीशियम दूसरे स्थान पर आता है अतः इसे सिमा ( Si - Silica / सिलिका और Mg - Magnesia / मैग्नीशिया) कहा जाता है। उनका घनत्व 2.9 से 4.75 g/cm  तक होता है।

 

  • क्लार्क और वाशिंगटन द्वारा किए गए आकलन के अनुसार स्थलमंडल में 95% आग्नेय शैलें (igneous rocks), 5% अवसादी शैलें (sedimentary rocks) हैं (कायांतरित शैलें इन शैलों में एक या अन्य के परिवर्तित रूप होते हैं)।

 

सियाल और सिमा का रेखाचित्र

सियाल और सिमा का रेखाचित्र

 

4 जैवमंडल  की संरचना  

  • जैवमंडल पृथ्वी प्रणालियों का जैविक घटक है, जो अन्य क्षेत्रों के साथ परस्पर प्रतिक्रिया करता है और पदार्थों तथा ऊर्जा का आदान-प्रदान करता है, क्योंकि इसमें वायुमंडल, जलमंडल और स्थलमंडल शामिल होते हैं।
  • यह पृथ्वी का वह हिस्सा है जिसमें जीव जन्तु बसे हुये हैं। जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है जैवमंडल अर्थात 'जीवन क्षेत्र है। जिसमें पृथ्वी के सभी जीव और उनके द्वारा निर्मित मृत कार्बनिक पदार्थ जैसे जंगल, जीव-जंतु, कीड़े, पक्षी, बैक्टीरिया आदि शामिल हैं।
  • यह मंडल वायुमंडल में लगभग 10 कि.मी. ऊँचाई से लेकर गहरे समुद्र तल के 11 कि. मी. तक विस्तृत होता है। 
  • जैवमंडल की संरचना विशिष्ट है और इसके मुख्य घटक कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के यौगिक हैं। जैवमंडल निर्जीव वस्तुओं से पृथक नहीं है क्योंकि इसका शैलें, मृदा, जल और वायुमंडल के साथ एक जटिल संबंध है।

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