भूविज्ञान की शाखाएं |भूविज्ञान में उभरती शाखाएंBranches of Geology in Hindi

भूविज्ञान की शाखाएं (Branches of Geology in Hindi)

भूविज्ञान की शाखाएं |भूविज्ञान में उभरती शाखाएंBranches of Geology in Hindi


 

भूविज्ञान की शाखाएं 

भूविज्ञान में मौलिक विज्ञान के एकीकरण के बारे में जान चुके हैं। अब हम इसकी विभिन्न शाखाओं जिसको भूविज्ञान के उपविषय के रूप में भी सम्बोधित किया जाता हैउनका तथा उनके कार्यक्षेत्रों का अध्ययन करेगें।

 

सामान्य भूविज्ञान में निम्न शाखाएं हैं:

 

ग्रहीय भूविज्ञान

  • इसको खगोल भूविज्ञान भी कहा जाता हैजो अंतरिक्ष में पृथ्वी के वातावरण की जानकारी देता है। यह खगोलीय पिण्डों जैसे ग्रहों और उनके चन्द्रगाओंक्षुदग्रहों और पुच्छलताराओं के भूविज्ञान से संबंधित है।

 

भौतिक भूविज्ञान

  • भौतिक पहलुओंआन्तरिक और बाह्य कारकों और प्रक्रम : जो पृथ्वी को आकार देते हैका अध्ययन भौतिक भूविज्ञान में किया जाता है। इसकी कई उपशाखाएं हैं।

 

संरचनात्मक भूविज्ञान

  • इसमें शैल में अवलोकित संरचनाओं का अध्ययन होता है। विविध भौतिक बलों के फलस्वरूप पृथ्वी के बाह्य सतह पर संरचनात्मक परिवर्तन होते हैं। इन संरचनाओं और उत्तरदायी बलों के अध्ययन को संरचनात्मक भूविज्ञान कहा जाता है।

 

भूविवर्तनिकी या गतिक भूविज्ञान

  • यह भूपर्पटी के बड़े पैमाने वाले आकृति से संबंधित है। इसका संबंध भूपर्पटी की गतिआकृति संरचना और गति के कारण होने वाले विरूपण के फलस्वरूप शैलों के विन्यास से होता है। इन बलों और परिवर्तनों का अध्ययन भूविवर्तनिकी या गतिक भूविज्ञान का विषयवस्तु है।

 

भूआकृति विज्ञान

  • इसमें पृथ्वी की सतह पर विविध बाह्य कारकों के प्रचालन से उत्पन्न पृथ्वी के पृष्ठीय लक्षणों का अध्ययन होता है। भौतिक भूगोल या प्राकृतिक भूगोल (physical geography or physiography) केवल बाह्य अभिलक्षणों का वर्णन करता है जबकि भूआकृतिविज्ञान (geomorphology) में हम उनके उत्पत्ति का भी अध्ययन करते हैं।

खनिज विज्ञान की शाखाएं

 

  • खनिज विज्ञान भूविज्ञान की वह शाखा है जिसमें खनिजों के निर्माण, संघटन, अभिलक्षणों (भौतिक और प्रकाशीय), वर्गीकरण प्राप्ति की दशाएं और उत्पत्ति तथा साथ ही उनके भौगोलिक वितरण और उपयोग का भी अध्ययन होता है।

 

  • वर्णनात्मक खनिज विज्ञान के अन्तर्गत खनिजों के विभिन्न अभिलक्षणों का अध्ययन होता है। यह निम्नलिखित में उपविभाजित है :

 

  • भौतिक खनिज -विज्ञान, खनिजों के भौतिक अभिलक्षणों का अध्ययन है। 
  • प्रकाशीय खनिज- विज्ञान, खनिजों के प्रकाशीय लक्षणों से संबंध रखता है। 
  • रासायनिक खनिज- विज्ञान, खनिजों के रासायनिक रचना के अध्ययन से संबंधित हैं। 
  • क्रिस्टल विज्ञान- एक शाखा है जिसमें क्रिस्टल के बाह्य आकार और आन्तरिक परमाणु संरचना का अध्ययन होता है। 
  • आर्थिक खनिज- विज्ञान के अन्तर्गत आर्थिक महत्व के खनिजों का अध्ययन होता है। यह भूपर्पटी के आर्थिक रूप से उपयोगी खनिजों और शैलों जैसे कोयला, पेट्रोलियम, धात्विक तथा अधात्विक अयस्कों का अध्ययन है।

 

शैल विज्ञान की शाखाएं

 

  • शैल विज्ञान का पेट्रोलॉजी ग्रीक शब्द पेट्रा और लॉगॉस शब्दों से बना है जिसका क्रमशः अर्थ "शैल और ज्ञान / विद्या" है तथा यह भूविज्ञान की एक शाखा है जिसमें शैलों की उत्पत्ति, गठन, संरचना, खनिजीय संघटन, वितरण और शैलों के इतिहास का अध्ययन होता है। 


शैल विज्ञान की तीन शाखाएं हैं:

 

  • आग्नेय शैल विज्ञान में गर्म गलित द्रव्य के संपीडन से विकसित प्राथमिक आग्नेय शैलों का अध्ययन होता है।

 

  • अवसादी शैल विज्ञान के अन्तर्गत पूर्ववर्ती शैलों के रासायनिक अपघटन अथवा बलकृत विघटन से बने अवसादों या अवसादी शैलों का अध्ययन होता है।

 

  • कायान्तरित शैल विज्ञान में पूर्ववर्ती में विद्यमान शैलों पर दाब और / अथवा ताप के बढ़ने तथा रासायनिक रूप से सक्रिय तरल पदार्थ की मौजूदगी में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप निर्मित शैलों का अध्ययन किया जाता है।

 

ऐतिहासिक भूविज्ञान की शाखाएं

 

यह पृथ्वी के इतिहास और लक्षणों को बतलाता है और इसके अन्तर्गत निम्नलिखित शाखाएं हैं:

 

जीवाश्म विज्ञान (Palaeontology): 

  • पुरातन वनस्पतियों तथा जीवों के अवशेष जो शैलों के भूवैज्ञानिक क्रम में पाये जाते हैं, इसके अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान कहते हैं। पूर्व भूवैज्ञानिक कल्प के शैलों में पाए जाने वाले पुरातन वनस्पतियों और जीवों के अवशेषों को जीवाश्म कहते हैं और उनके अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान कहते हैं। भूतकाल के जीव शैलों में जीवाश्म के रूप में परिरक्षित हैं। जीवों और पादपों के प्रकार एवं अंश के आधार पर इसको कशेरूकी जीवाश्मविज्ञान, अकशेरुकी जीवाश्मविज्ञान, सूक्ष्मजीवाश्मविज्ञान, पुरावनस्पति विज्ञान और परागाणु विज्ञान में वर्गीकृत किया जा सकता है।

 

  • पुरावनस्पति विज्ञान (Palaeobotany) शैलों में पायी जाने वाली प्राचीन वनस्पति का अध्ययन करते हैं। परागाणु विज्ञान (Palynology) में शैलों में परिरक्षित बीजाणु तथा परागाणु का अध्ययन किया जाता है।

 

स्तरक्रम विज्ञान (Stratigraphy) 

  • कालानुक्रमिक क्रम में पृथ्वी के शैलों की व्यवस्था और अध्ययन स्तक्रम विज्ञान का विषयवस्तु है। भूविज्ञान की यह शाखा स्तरित और दूसरे शैलों का भौमिकीय इतिहास के अभिलेख के रूप में अध्ययन से संबंधित है। कालानुक्रमिक क्रम के समय के साथ घटनाओं की व्यवस्था या घटनाक्रमों के अभिलेख उनके पाये जाने के क्रम में होता है।

 

  • हमने भूविज्ञान की बुनियादी अथवा सामान्य शाखाओं के परिभाषाओं को जाना। अब हम अनुप्रयुक्त और सम्बद्ध शाखाओं की चर्चा करेंगे।

 

भूविज्ञान की शाखाएं अनुप्रयुक्त और सम्बद्ध शाखाएं 


खनन भूविज्ञान

  • खदान और खनन के लिए उचित स्थल के चुनाव के लि खनन अभियांत्रिकी में भूविज्ञान के उपयोग से संबंधित है। 

 

अभियांत्रिकी भूविज्ञान

  • सिविल अभियांत्रिकी परियोजनाओं के साथ-साथ बांधसुरंग, पहाड़ी राड़कें, भवन सामग्री और राड़क सामग्री के उचित प्रबन्धन के समस्याओं से संबंधित भूविज्ञान के अध्ययन से संबंधित है।


जल भूविज्ञान अथवा भू-जल विज्ञान

  • भौमजल से संबन्धित है और  और यह भूविज्ञान एवं जलविज्ञान के मध्य का क्षेत्र है। 


शैल यांत्रिकी

  • स्थैतिक एवं गतिक भार से शैल व्यवहार में भूविज्ञान की भूमिका से संबंधित है।

 

भूभौतिकी 

  • सर्वेक्षण पूर्वेक्षण इत्यादि में प्रयुक्त भूविज्ञान और भौतिकी की पारस्परिक क्रिया वाली शाखा को भूभौतिकी कहा जाता है। पृथ्वी का संघटन और भौतिक बलों की प्रकृति जो पृथ्वी के ऊपर / अन्दर कार्य करते हैं, इसकी विषय वस्तु है।

 

भूरसायन

  •  यह पृथ्वी में विभिन्न अवयवों के बाहुल्य विस्तार एवं अभिगमन से संबंधित है।

 

जैवभूरसायन

  • यह भौमिकीय, रासायनिक, भौतिक और जीव वैज्ञानिक प्रक्रमों एवं प्रतिक्रियाओं जो प्राकृतिक वातावरण के संयोजन को संनियंत्रित करते, के अध्ययन से संबंधित है। इसके अन्तर्गत वायुमंडल, जैवमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और मृदामंडल सम्मिलित हैं।

 

समुद्र विज्ञान अथवा भौमिकीय समुद्र विज्ञान

  • इसके अन्तर्गत समुद्र द्रोणीयों में और समुद्रतटीय किनारों पर भूभौतिकीय, भूरासायनिक अवसादी और जीवाश्मीय अनुसंधान सम्मिलित हैं।

 

भूसूचना विज्ञान

  • यह खनिज अन्वेषण, भूआकृति विज्ञान, संरचनात्मक भूविज्ञान, आदि से संबंधित भूवैज्ञानिक समस्याओं को हल करने के लिए स्थानिक आँकड़ों और सूचना को विकसित करने और प्रयोग में लाने से संबंधित है। 

 

भूविज्ञान में उभरती शाखाएं

 

भूविज्ञान की कई नई शाखाएं उभर रही हैं जो निम्न हैं:

 

चिकित्सा भूविज्ञान 

  • यह प्राकृतिक भौमिकीय पदार्थों एवं प्रक्रियाओं और उनके मनुष्य एवं जानवरों के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों के अध्ययन से संबंधित है।

 

कृषि भूविज्ञान

  • यह मृदा की प्रकृति और विस्तार, खनिज उर्वरकों की उपस्थिति और सतत् कृषि के लिए आवश्यक भौमजल के अध्ययन से संबंधित है।

 

पुराजलवायु विज्ञान

  • यह भूविज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत पृथ्वी के प्राचीन काल की जलवयु का अध्ययन किया जाता है।

 

रत्न विज्ञान

  • यह खनेज विज्ञान की वह शाखा है जो प्राकृतिक तथा कृत्रिम रत्नों एवं रत्न प्रस्तरों के पहचान और मूल्यांकन से संबंधित है।

 

फोरेंसिक (न्यायालयी) भूविज्ञान

  • यह पृथ्वी में पाए जाने वाले खनिज, तेल, पेट्रोलियम और दूसरे खनिजों से संबंधित प्रमाणों जिसका प्रयोग वैध कानूनों में होता है, के अध्ययन से संबंधित है।

 

 भू-सूक्ष्मजीवविज्ञान 

  • यह सूक्ष्मजीवों और उनके उपापचय प्रक्रियाओं का भूवैज्ञानिक एवं भूरासायनी पदार्थों और / अथवा प्रक्रियाओं से पारस्परिक संबंधों के अध्ययन से संबंधित है।

 

भूपर्यटन

  • यह वह पर्यटन जो किसी स्थान के भौगोलिक लक्षणों जैसे उसके वातावरण, संस्कृति, सौन्दर्य विरासत और वहाँ के निवासियों के कुशलक्षेम को बनाए रखने या बढ़ाने से जुड़े हुए पर्यटन से संबंधित है, की व्याख्या करता है।

 

भूपुरातत्व विज्ञान

  • यह पुरातत्व के अध्ययन एवं विवेचन के लिए भूविज्ञान, भूगोल और पृथ्वी के अन्य उपविषयों के बहुविद्या तकनीकियों का उपयोग करता है। उदाहरण के तौर पर भवन निर्माण सामग्री का अपक्षय से बचाव।

 

भूसांख्यिकी

  • यह सख्यिकी की वह शाखा है जो भौमिकीय पहलुओं को समझने के लिए स्थान एवं समय पर आधारित आंकड़ों पर केन्द्रित है।

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