राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस 2024 : उद्देश्य महत्व |National Deworming Day Programme in Hindi

राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस 2024 : उद्देश्य महत्व
(|National Deworming Day Programme in Hindi)

राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस 2022 : उद्देश्य महत्व (|National Deworming Day Programme in Hindi)


राष्‍ट्रीय कृमि निवारण दिवस कार्यक्रम


  • राष्‍ट्रीय कृमि निवारण  दिवस कार्यक्रम का संचालन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से WHO तथा तकनीकी भागीदारों के साथ महिला और बाल विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय एवं तकनीकी सहायता मंत्रालय द्वारा मिलकर किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को वर्ष 2015 में शुरू किया गया था।

  • इस कार्यक्रम को स्कूलों और आँगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से अर्द्धवार्षिक आधार (10 फरवरी और 10 अगस्त) पर लागू किया जाता है।


राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के उद्देश्य: 

  • राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्यपोषण की स्थितिशिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी के लिए विद्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से एक से उन्नीस वर्ष की उम्र के बीच के विद्यालय जाने से पहले और विद्यालयी-आयु के बच्चों (नामांकित और गैर-नामांकित) को कीड़े समाप्त करने की दवा (कृमि नाशक दवा) देना है। 

 

राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस इतिहास पृष्ठभूमि

  • 2015 में राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस की शुरुआत की गई थी, जिसे 11 राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के ज़रिये 1 से लेकर 19 वर्ष की उम्र के बच्चों को ध्यान में रखकर क्रियान्वित किया गया।
  • राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस के इस चरण में 32 करोड़ बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य है।
  • जिन राज्यों में STH संक्रमण बीस प्रतिशत से अधिक है वहाँ कृमि मुक्ति के द्विवार्षिक चरण की सिफ़ारिश की जाती है तथा अन्य राज्यों में वार्षिक चरण आयोजित किया जाता है।


राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस का उद्देश्य 

  • राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस एक दिन का कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता तक पहुँच , पोषण संबंधी स्थिति एवं बच्चों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिये बच्चों को परजीवी आंत्र कृमि संक्रमण से मुक्त करने के लिये दवा उपलब्ध कराना है।
  • इस कार्यक्रम में स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के मंच के माध्यम से 1-19 वर्ष की आयु समूह के स्कूल और आंगनवाड़ी से जुड़े सभी बच्चों को शामिल किया जाता है।
  • बच्चों को कृमि मुक्त करने के लिये एलबेंडाजोल नामक टैबलेट दी जाती है।
  • यह कार्यक्रम हर वर्ष 10 फरवरी और 10 अगस्त को आयोजित किया जाता है। अगर कोई भी बच्चा किसी वजह से, खासतौर से गैरहाजिर होने या बीमार होने से राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस में नहीं शामिल हो पाया तो उसे 15 फरवरी को दवा दी जाती है।
  • राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस सभी स्वास्थ्य कर्मियों, राज्य सरकारों और दूसरे हितधारकों को मिट्टी-संचारित कृमि संक्रमण के खात्मे के लिये प्रयास करने हेतु प्रेरित करता है।


कृमिरोग (मृदा-संचारित कृमि संक्रमण) क्या होते हैं 

 

  • मृदा संचारित कृमि संक्रमण (एसटीएच) कृमि संक्रमण के समूह के भीतर एक उप-समूह है। यह विशेषत: उन कृमियों (कीड़ों) के कारण होता है, जो कि मल से दूषित मृदा के माध्यम से संचारित होते है, इसलिए इन्हें मृदा-संचारित कृमि (आंत्र परजीवी) संक्रमण कहा जाता है। 

  • मृदा-संचारित कृमि संक्रमण (एसटीएच) उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय देशों में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जो कि अत्यधिक गरीब और वंचित समुदायों को प्रभावित करती है। पूरे विश्व में मृदा-संचारित कृमि संक्रमण से 1.5 अरब से अधिक लोग  या विश्व की 24% जनसंख्या संक्रमित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है, कि भारत में एक से चौदह वर्ष की आयु वर्ग के 241 मिलियन बच्चों को परजीवी आंतों के कृमि संक्रमण का ज़ोखिम होता है। एसटीएच संक्रमण मानव मल में उपस्थित जीवाणुओं के अंडों से संचारित होता हैं, जहां स्वच्छता खराब होती है, ये उन क्षेत्रों की मिट्टी को दूषित करते हैं ।


मिट्टी-संचारित कृमि (Soil-Transmitted Helminths)

  • मल द्वारा दूषित मिट्टी के माध्यम से फैलने वाले कृमियों (कीड़ों) को मिट्टी-संचारित कृमि (STH) या आंत्र परजीवी कीड़े कहा जाता है।
  • गोल कृमि, वीप वार्म, अंकुश कृमि वे कीड़े हैं जो कि मनुष्य को संक्रमित करते हैं।
  • विश्वभर में 836 मिलियन से अधिक बच्चों को परजीवी कृमि संक्रमण का ज़ोखिम होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 1-14 वर्ष की आयु वर्ग के 241 मिलियन बच्चों को मिट्टी-संचारित कृमि संक्रमण का ज़ोखिम है।


राष्ट्रीय कृमि निवारण कार्यक्रम का कार्यान्वयन

  • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को सभी स्तरों पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (National Deworming Day) के कार्यान्वयन से संबंधित दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिये एक नोडल एजेंसी है।
  • यह कार्यक्रम मानव संसाधन और विकास मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और पेयजल तथा स्वच्छता मंत्रालय के तहत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • पंचायती राज मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) भी राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस में सहायता प्रदान करते हैं।


राष्ट्रीय कृमि निवारण कार्यक्रम के लाभ

  • राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस जैसे कार्यक्रमों के कारण न केवल स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी आ रही है बल्कि उनके संपूर्ण विकास में भी मदद मिल रही है।
  • एल्बेंडजोल टैबलेट के साथ-साथ साफ-सफाई, शौचालयों के प्रयोग, जूता या चप्पल पहनने और हाथ धोने के बारे में भी जानकारी दी जाती है ताकि दोबारा संक्रमण न हो।
  • आंगनवाड़ी और स्कूल आधारित एक बड़े समूह के लिये कृमि निवारण कार्यक्रम सुरक्षित और लागत प्रभावी है, साथ ही इसके द्वारा आसानी से करोड़ों बच्चों तक पहुँचा जा सकता है।
  • कृमि निवारण के लिये एल्बेंडजोल की स्वीकार्यता पूरे विश्व में है और इस टैबलेट का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इसके अतिरिक्त, किसी वजह से कोई बच्चा डोज लेना भूल जाता है तो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय मॉप अप सेशंस आयोजित करता है ताकि कोई बच्चा छूट न जाए।
  • कृमि निवारण के साथ-साथ बच्चों में साफ-सफाई के अभ्यास पर विशेष जोर दिया गया है ताकि उन्हें  कृमि समस्या का सामना न करना पड़े। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस दिशा में खुले में शौच से मुक्ति के लिये विशेष उपायों पर जोर दे रहा है ताकि इस तरह के वातावरण का निर्माण हो सके जिससे किसी भी समुदाय को ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
  • स्वच्छ भारत के निर्माण में स्वच्छ भारत अभियान के ज़रिये जो कदम उठाए गए हैं उनसे राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस के उद्देश्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

 

एसटीएच STH के बारे में:

 

  • हेल्मिंथ (कृमि/कीड़े), जो कि मल से दूषित मिट्टी के माध्यम से फैलते हैं, उन्हें मृदा-संचारित कृमि (आंत्र परजीवी कीड़े) कहा जाता है। गोल कृमि (असकरियासिस लंबरिकॉइड-), वीप वार्म (ट्राच्यूरिस ट्राच्यूरिया), अंकुश कृमि (नेकटर अमेरिकानस और एन्क्लोस्टोम डुओडिनेल) कीड़े हैं, जो कि मनुष्य को संक्रमित करते है।

 

एसटीएच संचारण:

  • आहार और जीवित रहने के लिए परिपक्व कृमि मानव की आंतों में रहते हैं और हर दिन हजारों अंडे उत्पन्न करते हैं।
  • अंडें संक्रमित व्यक्ति के मल में पारित हो जाते है।
  • संक्रमित लोग, जो कि बाहर/खुले में मल त्याग करते हैं, मिट्टी में कृमि के अंडे पारित कर देते हैं।


अंडे मिट्टी को दूषित करते हैं और कई तरह से संक्रमण फैलाते हैं:

  • सब्जियां के उपभोग के माध्यम से संक्रमण फैलता है, जिन्हें अच्छी तरह से धोया, पकाया और छिला न गया हों।

  • दूषित पानी पीने से;
  • जो बच्चे मिट्टी में खेलते हैं और फिर बिना हाथ धोएं, अपने हाथ मुंह में डाल लेते हैं।
  • एसटीएच संक्रमण से एनीमिया, कुपोषण, मानसिक व शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास की क्षति और स्कूल में अनुपस्थिति होती है।

 

एसटीएच संक्रमण को निम्नलिखित के माध्यम से रोका जा सकता है:

 

  • साफ़ शौचालय का उपयोग करना, बाहर शौच न करना।
  • हाथ धोना, विशेषकर खाने से पहले और शौचालय के बाद हाथ धोना।
  • चप्पल और जूते पहनना।
  • स्वच्छ एवं सुरक्षित पानी से फल एवं सब्जियां धोना।
  • भली-भांति पका भोजन खाना।

मृदा-संचारित  हेल्मिन्थ्स (Soil-Transmitted Helminths):

  • मृदा-संचारित हेल्मिन्थ्स मनुष्यों को संक्रमित करने वाला एक  कृमि/कीट है जो दूषित मृदा के माध्यम से प्रेषित/ संचारित होता है।
  • आँतों के कीड़े परजीवी के रूप में मानव  आँत में रहते हैं तथा जीवित रहने के लिये एक बच्चे के आवश्यक पोषक तत्त्वों और विटामिन का उपभोग करते हैं।


हेल्मिन्थ्स के तीन मुख्य प्रकार हैं जो लोगों को संक्रमित करते हैं, इनमें शामिल हैं-

  1. राउंडवॉर्म (एस्केरिस लुम्ब्रिकॉइड्स), Roundworm (Ascaris lumbricoides)
  2. व्हिपवॉर्म (ट्रिचोरिस ट्राइचिरा),Whipworm (Trichuris trichiura)
  3. हुकवॉर्म (नेकेटर एमिरिकेनस और एंकिलोस्टोमा ड्यूएनेल), Hookworms (Necator americanus and Ancylostoma duodenale)


ये कीड़े अपने भोजन और जीवित रहने के लिये मानव शरीर पर निर्भर रहते हैं और वहाँ रहने के दौरान हर दिन हज़ारों अंडे देते हैं।

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