मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक भूराजनीति । Historical Geo Politics of Madhya Pradesh

 मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक भूराजनीति

मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक भूराजनीति । Historical Geo Politics of Madhya Pradesh


 

  • ऐतिहासिक भूगोल में भूराजनीति का विशेष महत्व है। राज्यों की पहिचान, राज्यों की सीमा का विस्तार एवं संकुचन, भौगोलिक प्रदेशों का सापेक्ष्य राजनैतिक महत्व भूराजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विषय वस्तु है। साथ ही भौतिक तत्वों यथा नदियाँ, पर्वतों, द्वीपों इत्यादि का सामयिक महत्व भी इस विषय में विश्लेषित किया जाता है।
  • भौतिक तत्वों का राजनैतिक महत्व मध्यकाल तक उन पर स्थित किलों या दुर्गों के कारण भी था। 
  • मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक भूगोल के संदर्भ में यहाँ इनमें से कुछ बिंदुओं पर विचार किया जा रहा है। 


मध्यप्रदेश इतिहास के विभिन्न कालखण्डों की प्रसिद्ध राजधानियाँ

 

नर्मदा घाटी 

  • 1 महेश्वर 
  • 2 त्रिपुरी
  • 3 मंडला

मालवा 

  • 4 मांडू 
  • 5 धार
  • 6 इन्दौर 
  • 7 उज्जैन 
  • 8 भोपाल 
  • 9 विदिशा

मध्यभारत पठार 

  • 10 ग्वालियर 

विन्ध्याचल 

  • 11 ओरछा  
  • 12 पन्ना 
  • 13 बाँधवगढ़ 
  • 14 रीवा

 

मध्य प्रदेश के भौगोलिक प्रदेशों के भूराजनीतिक गुण


चंबल की घाटी 

  • मध्यप्रदेश में भी सभी भौगोलिक प्रदेशों का अपना क्षेत्रीय महत्व रहा है। चंबल की घाटी का क्षेत्र भारतीय इतिहास का राजनैतिक गलियारा रहा है। बिना इस पर विजय प्राप्त किये उत्तराखण्ड को राजशक्तियाँ मालवा की सम्पन्न भूमि पर अधिकार नहीं कर सकती थीं मध्यप्रदेश का भूराजनैतिक की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण भौगोलिक प्रदेश मालवा रहा है। इतिहास में सभी वर्गों की राजनैतिक शक्तियों ने इस सम्पन्न भौगोलिक प्रदेश को जीतने में सारी शक्ति लगाई।

 मालवा

  • यहाँ तक प्राचीन शक और कुषाण आक्रमण कर्ताओं ने मालवा पर अधिकार बनाये रखने के सारे प्रयास किये गंगा यमुना की शक्तियों चाहे वे हस्तिनापुर या दिल्ली की रही हों या कि मगध या कन्नौज की, उत्तराखण्ड की सभी केन्द्रीय शक्तियों ने मालवा को अपने अधिकार में रखना चाहा, ऐसा ही गुजरात तथा दक्षिणापथ की शक्तियों के साथ था। इन दोनों क्षेत्रों के राजवंशो ने जब भी अवसर मिला मालवा पर अपनी प्रभुसत्ता घोषित की वस्तुतः मालवा सदैव से ही मध्यप्रदेश का सबसे समृद्ध क्षेत्र रहा है, यह समृद्धि उत्तम मृदा की देन है।

 नर्मदाघाटी

  • भूराजनीति का यह नियम है कि सबसे समृद्ध क्षेत्रों को राजशक्तियाँ अपने वश में करने का पूरा प्रयास करती हैं। नर्मदा नदी भूराजनैतिक दृष्टि से एक इकाई भी है और दो इकाइयाँ भी एक इकाई की दृष्टि से उसका महत्व प्रागैतिहासिक काल में बहुत स्पष्ट है जब पश्चिम से पूर्व अनेक सभ्यताओं के प्रवास हुये। नर्मदाघाटी, प्राचीन इतिहास में उत्तराखण्ड ओर दक्षिणपथ की सीमा रही है। दो इकाइयों की दृष्टि से नर्मदाघाटी का महत्व मध्यकाल में रहा, वस्तुतः निचली नर्मदा घाटी का इस काल का इतिहास मालवा के इतिहास से करीबी से जुड़ा रहा जबकि ऊपरी नर्मदा घाटी का इतिहास पूर्वी विन्ध्य और सतपुड़ा से अधिक जुड़ा। मध्यप्रदेश के मध्ययुगीन शक्तिशाली राज्यों यथा गुर्जर प्रतिहार या परमारों की दक्षिणी सीमा नर्मदा थी। ऊपरी नर्मदा घाटी के कलचुरी अपने साम्राज्य का विस्तार विन्ध्य और सतपुड़ा की ओर करते रहे।

 विन्ध्यांचल 

  • विन्ध्यांचल भौगोलिक प्रदेश की सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि वह प्राचीन इतिहास में अनेक असफल राजशक्तियों का शरण स्थल रहा है। पौराणिक काल में गंगा यमुना के ऊपरी और मध्यवर्ती मैदान के पराजित राजाओं ने विन्ध्य क्षेत्र में शरण प्राप्त की।
  • पौराणिक कथाओं में इन्हें अभिशप्त राजवंश कहा गया। मालवा और गुजरात से कितने ही राजवंशो ने विन्ध्यांचल में शरण ली। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि राजशक्तियाँ भले ही पराजित होती रही हो यहाँ आकर उन्होंने नई ऊर्जा प्राप्त की तथा चन्देल, बघेल और बुन्देल राजवंशो की स्थापना ही नहीं की, इस भौगोलिक प्रदेश की दुर्गमता को किसी सीमा तक दूर कर उन्हें समृद्धि भी दी। यह भौगोलिक प्रदेश जनजातियों के प्रवास का भी स्थल रहा है। पूर्वी विन्ध्य क्षेत्र में कोल समूह की जनजातियाँ यहाँ पर आकर निवास करने लगीं। इनका मूल निवास छोटा नागपुर का पठार था।

 सतपुड़ा पर्वत 

  • सतपुड़ा पर्वत वस्तुतः उत्तर और दक्षिण भारत को विभाजित करने वाला इतिहास का अवरोधी भौगोलिक तत्व रहा है। मध्यप्रदेश के इतिहास में यह क्षेत्र एक भौगोलिक संक्रमण का क्षेत्र भी रहा है। इस क्षेत्र का अधिकांश भाग जनजातीय जनसंख्या का होने से यह क्षेत्र स्थिरवत इतिहास का क्षेत्र बना मुस्लिमों के आक्रमण के पश्चात् इस क्षेत्र के इतिहास में हलचल बढ़ी।

 

मध्य प्रदेश के भौगोलिक प्रदेशों को नाम

  • भूराजनैतिक गुणों के कारण प्राचीन काल में भौगोलिक प्रदेशों को नाम दिये गये थे। मध्यप्रदेश के सबसे विस्तृत भौगोलिक प्रदेश का मूल नाम विन्ध्य था। विन्ध्य का शाब्दिक अर्थ बींधने या भेदन करना होता है, विन्ध्य क्षेत्र की जनजातीय जनसंख्या जो आखेट पर निर्भर थी, के कारण उस क्षेत्र को यह नाम मिला। 

  • नर्मदा का एक अर्थ प्रसन्न करने वाला भी है, नर्मदा प्राचीन काल से ही जीवन में प्रसन्नता भरने वाली नदी रही है। 
  • लोक व्यवहार में मालवा शब्द की उत्पत्ति पठार के अर्थ वाले शब्द 'माल' से कही जाती हैं। 
  • सतपुड़ा अनेक पर्वत श्रृंखलाओं का समूह है इसका प्राचीन नाम सप्तपुत्र भी उचित ही था। पौराणिक मान्यताओं में सतपुड़ा विन्ध्यांचल का पुत्र है। 

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