रानी कमलापति का इतिहास । हबीबगंज स्टेशन का नया नाम कमलापति स्टेशन । हबीबगंज स्टेशन का इतिहास । Rani Kamlapati History in Hindi

 गोंड रानी कमलापति का इतिहास , हबीबगंज स्टेशन का नया नाम कमलापति स्टेशन , हबीबगंज स्टेशन का इतिहास , Rani Kamlapati History in Hindi

गोंड रानी कमलापति का इतिहास । हबीबगंज स्टेशन का नया नाम कमलापति स्टेशन

रानी कमलापति का इतिहास Rani Kamlapati History

 

  • 1710 के दशक में भोपाल की ऊपरी झील के आसपास के क्षेत्र को मुख्य रूप से भील एवं गोंड जनजातियों द्वारा बसाया गया था। स्थानीय गोंड सरदारों में सबसे शक्तिशाली निज़ाम शाह ने अपने क्षेत्र पर गिन्नौर किले से शासन किया था। वर्तमान में गिन्नौर का किला मध्य प्रदेश के सिहोर ज़िले में है। 
  • गिन्नोर को एक अभेद्य किला माना जाता था जो लगभग 2000 फुट ऊँची चट्टान के शिखर पर स्थित था और घने जंगलों से घिरा हुआ था। 
  • चौधरी कृपा-रामचंद्र की बेटी रानी कमलापति निज़ाम शाह की सात पत्नियों में से एक थी। वह अपनी सुंदरता एवं प्रतिभा के लिये प्रसिद्ध थी। स्थानीय किवदंतियों में उन्हें परी से भी अधिक सुंदर बताया गया है। 
  • निज़ाम शाह की मृत्यु के बाद कुछ समय तक रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान (Dost Mohammad Khan) की मदद से इस क्षेत्र पर शासन किया।

 

 

कमलापति आर्च ब्रिज भोपाल

 

  • 2020 में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने लोकार्पण की श्रृंखला के अंत में रानी कमलापति आर्च ब्रिज का लोकार्पण किया। लगभग चालीस करोड़ लागत के इस ब्रिज से भोपाल सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों से आने वाले लोगों को फायदा मिलेगा। 
  • गिन्नौरी से किलोल पार्क के नजदीक बीआरटीएस कॉरिडोर तक स्टील आर्च ब्रिज की कुल लंबाई 200 मीटर है। इसके दोनों तरफ 534 मीटर की एप्रोच रोड बनाई गई है। आर्च ब्रिज की चौड़ाई 10.75 मीटर और आर्च की ऊंचाई 30 मीटर है। 
  • ब्रिज के दोनों तरफ 2 मीटर का फुटपाथ का भी निर्माण किया गया है। समारोह के दौरान ही यू.एन.आई.डी.ओ. के सहयोग से 30 करोड़ रुपये की लागत से सी.एन.जी. प्लांट बनाने के लिए भी अनुबंध किया गया। आदमपुर छावनी क्षेत्र में वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट पर यह इकाई स्थापित होगी।

 

गोंड रानी कमलापति की मूर्ति प्रतिमा 

  •  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गोंड रानी कमलापति (Rani amlapati) की 32 फुट ऊँची प्रतिमा का अनावरण किया गया।



गोंड रानी कमलापति का महल

 

  • भारत में मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद चकला गिन्नोर में साढ़े 7 सौ गाँव सम्मिलित थे। उस समय यहाँ गोण्ड राजा निज़ाम शाह का राज्य था, जिनकी सात रानियाँ थीं। इन्हीं में से एक कृपाराम गौण्ड की पुत्री कमलापति भी थीं, जिन्होंने भोपाल में बड़े तालाब के किनारे यह महल बनवाया था। 18वीं शती के प्रारंभ की समकालीन स्थापत्य का यह एक अद्भुत उदाहरण है एवं नगर का प्रथम स्मारक भी है। यह दो मंजिला महल लखौरी ईंटों से निर्मित है, जो कि वर्ष 1989 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है।

 

कमला पार्क

 

  • इस पार्क का निर्माण सन् 1933 में नवाब हमीदुल्लाह खान ने कमलापति महल के सामने कराया था, जो आज के महत्वपूर्ण पार्कों में एक है। बड़े तालाब के किनारे तथा कमलापति महल के सामने यह पार्क भोपालवासियों के लिए गर्मी में आराम की जगह है।

 कौन थी रानी कमलापति

  • चौधरी कृपा-रामचंद्र की बेटी रानी कमलापति निज़ाम शाह की सात पत्नियों में से एक थी। वह अपनी सुंदरता एवं प्रतिभा के लिये प्रसिद्ध थी। स्थानीय किवदंतियों में उन्हें परी से भी अधिक सुंदर बताया गया है। 
  • निज़ाम शाह की मृत्यु के बाद कुछ समय तक रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान (Dost Mohammad Khan) की मदद से इस क्षेत्र पर शासन किया।


हबीबगंज रेलवे स्टेशन का इतिहास 


  • हबीबगंज का नाम हबीब मियां के नाम पर रखा गया था, पहले इसका नाम शाहपुर था. हबीब मियां ने 1979 में स्टेशन के विस्तार के लिए अपनी जमीन दान में दी थी. इसके बाद इसका नाम हबीबगंज रखा गया था. उस समय आज के एमपी नगर का नाम गंज हुआ करता था. ऐसे में हबीब और गंज को जोड़कर तब इसका नाम हबीबगंज रखा गया था.

 

हबीबगंज रेलवे स्टेशन कब बना था 

  • ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट बनाने का कान्सेप्ट शुरू करने वाले हबीबगंज स्टेशन का निर्माण आजादी से पहले अंग्रेजों ने करवाया था. 1979 में इसका विस्तार हुआ था. 1901 में भारत की 42 रियासतों के स्वामित्व वाले रेलवे को जोड़कर इंडियन रेलवे बना. आजादी के समय की बात करें तो इस दौरान भारतीय रेलवे का 55 हजार किलोमीटर का नेटवर्क था. बाद में 1952 में इसे 6 जोन में डिवाइड किया गया. इसके बाद कई स्टेशन बनाए गए जिनमें हबीबगंज भी था.

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