बालकों में भाषा विकास | बालकों की आयु और शब्द भण्डार|Language Development in Children

बालकों में भाषा विकास,बालकों की आयु और शब्द भण्डार

बालकों में भाषा विकास | बालकों की आयु और शब्द भण्डार|Language Development in Children


 


 बालकों में भाषा विकास कैसे होता है 

  • बालक के विकास के विभिन्न आयाम होते हैं। भाषा का विकास भी उन्हीं आयामों में से एक है। भाषा को अन्य कौशलों की तरह अर्जित किया जाता है। यह अर्जन बालक के जन्म के बाद ही प्रारम्भ हो जाता है। अनुकरणवातावरण के साथ अनुक्रिया तथा शारीरिकसामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति की माँग इसमें विशेष भूमिका निभाती है।

 

भाषा विकास की प्रारम्भिक अवस्था Initial Stage of Language Development 

 

इस अवस्था में एक तरह से बालक ध्वन्यात्मक संकेतों से युक्त भाषा को समझने और प्रयोग करने के लिए स्वयं को तैयार करता हुआ प्रतीत होता है जिसकी अभिव्यक्ति उसकी निम्न प्रकार की चेष्टाओं तथा क्रियाओं के रूप में होता है-

 

  • सबसे पहले चरण के रूप में बालक जन्म लेते ही रोनेचिल्लाने की चेष्टाएँ करता है। रोने-चिल्लाने की चेष्टाओं के साथ ही वह अन्य ध्वनि या आवाजें भी निकालने लगता है। ये ध्वनियाँ पूर्णतः स्वाभाविकस्वचालित एवं नैसर्गिक होती हैंइन्हें सीखा नहीं जाता।

 

  • उपरोक्त क्रियाओं के बाद बालकों में बड़बड़ाने की क्रियाएँ तथा चेष्टाएँ शुरू हो जाती हैं। इस बड़बड़ाने के माध्यम से बालक स्वर तथा व्यंजन ध्वनियों के अभ्यास का अवसर पाते हैं। वे कुछ भी दूसरों से सुनते हैं तथा जैसा उनकी समझ में आता हैं उसी रूप वे उन्हीं ध्वनियों को किसी-न-किसी रूप में दोहराते हैं।

 

  • इनके द्वारा स्वरों जैसे- अइत्यादि को व्यंजनों तइत्यादि से पहले उच्चरित किया जाता है।

 

  • हाव-भाव तथा इशारों की भाषा भी बालकों को धीरे-धीरे समझ में आने लगती हैं।इस अवस्था में प्रायः एक-दो स्वर - व्यंजन ध्वनियाँ निकाल कर उसकी पूर्ति अपने हाव-भाव तथा चेष्टाओं से करते दिखाई देते हैं।

 

भाषा विकास की वास्तविक अवस्था Actual Stage of Language Development

 

  • प्रारम्भिक अवस्था को भाषा सीखने के लिए तैयारी की अवस्था कहा जा सकता है। इस अवस्था से गुजरने के बाद बालकों में वास्तविक भाषा विकास का कार्य प्रारम्भ होता हैजिसे भाषा विकास की वास्तविक अवस्था कहा जा सकता है। यह अवस्था बालक के एक वर्ष का हो जाने अथवा उससे एक-दो माह पहले ही शुरू हो जाती है। 


  • पहले बालक में मौखिक अभिव्यक्ति के रूप में भाषा का विकास होता है। वह शब्दोंवाक्यों तथा इनसे बनी भाषा को बोलना तथा समझना सीखता हैउसके मौखिक शब्द भण्डार में वृद्धि होती है तथा उसमें मौखिक अभिव्यक्ति के विभिन्न साधनों पर अधिकार जमाने की योग्यताओं और कुशलताओं में वृद्धि होती रहती है। 


  • विद्यालय में प्रवेश करने तथा लिखित भाषा की शिक्षा ग्रहण करने के फलस्वरूप उसमें पढ़ने-लिखने सम्बन्धी कुशलताओं का विकास भी प्रारम्भ हो जाता है। इस तरह भाषा के मौखिक एवं लिखित रूपों से सम्बन्धित विभिन्न कौशलों के अर्जन तथा विकास में धीरे-धीरे उसके कदम बढ़ते जाते हैं और वह भाषा को विचार विनिमय का साधन ही नहींबल्कि ज्ञान प्राप्त करने तथा शिक्षा ग्रहण करने का माध्यम बनाकर अपना सर्वांगीण विकास करने में पूरी तरह समर्थ हो जाता है।

 

  • भाषा के सीखने के क्रम में बालक में सबसे पहले मौखिक शब्दावली का विकास होता हैउसके बाद उसमें मौखिक अभिव्यक्ति या वाक् शक्ति का विकास होता हैइसके बाद उसमें पढ़ने सम्बन्धी योग्यता या अभिव्यक्ति का विकास होता है।

 

बालकों में शब्द भण्डार का विकास Development of Vocabulary in Child

 

  • बालक के भाषा विकास में उस भाषा से सम्बन्धित शब्द तथा उनके भण्डार का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। शब्दों से ही आगे जाकर वाक्य बनते हैं और वाक्यों से भाषा के उस रूप का निर्माण होता है जिसे विचार तथा भावों के सम्प्रेषण और विनिमय के लिए काम में लाया जाता है। 


  • मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों के 2015 आधार पर जो आँकड़ें प्रस्तुत किए उनके आधार पर बनी निम्नलिखित सारणी से भिन्न अवस्था में बालकों के शब्द भण्डार में धीरे-धीरे होने वाली वृद्धि का पता चलता है।

 

  • बालक जैसे ही 5 वर्ष की अवस्था के बाद विद्यालय जाने की आयु में प्रवेश करता है विद्यालय की शिक्षा ग्रहण करता है उसके शब्द भण्डार में तेजी से वृद्धि होने  लगती है। शब्दों की संख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ बालकों के शब्द भण्डार के विकास में कई विशेषताएँ देखने को मिलती हैं।

 

  • बालकों के शब्द भण्डार में दो प्रकार के शब्दों का संकलन होता है। एक तो वे शब्द जिन्हें बालक सक्रिय रूप में प्रयोग में लाता है तथा उनके अर्थ को भली-भाँति समझता है तथा दूसरे वे शब्द जिनका प्रयोग वह स्वयं तो नहीं करतापरन्तु जब वे दूसरों द्वारा बोले जाते हैंतो उनका अर्थ वह समझ लेता है।

 

  • बालकों के शब्द कोष में पहले वे शब्द आते हैं जो उसकी शारीरिक आवश्यकताओं को पूरी करें तथा बाद में वे आते हैं जो उसकी तात्कालिक मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं को पूरा करें तथा बाद में वे आते हैं जो उसकी तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करें। इन शब्दों का दायरा पहले माँ-बाप तथा परिवार के वातावरण तक ही सम्मिलित रहता है। बाद में बालक जैसे-जैसे बड़ा होता है तथा अन्य लोगों के सम्पर्क में आता हैविद्यालय जाना शुरू करता है तथा अन्य शैक्षिक एवं सामाजिक क्रियाओं में भाग लेता है उसका यह शब्द भण्डार अपने और अपने परिवार तक ही सीमीत न रहकर काफी विस्तृत होता चला जाता है।

 

बालकों की आयु और शब्द भण्डार

 

बालकों की आयु   - बालकों का शब्द भण्डार

जन्म से 8 माह तक -0

9 माह से 12 माह तक -तीन से चार शब्द 

 डेढ़ वर्ष तक - 10 या 12 शब्द 

2 वर्ष तक -272 शब्द 

ढाई वर्ष तक -450 शब्द 

3 वर्ष तक -1 हजार शब्द 

साढ़े तीन वर्ष तक -1250 शब्द 

4 वर्ष तक -1600 शब्द 

5 वर्ष तक -2100 शब्द 

11 वर्ष तक -50000 शब्द 

14 वर्ष तक -80000 शब्द 

16 वर्ष तक से आगे- 1 लाख से अधिक शब्द


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