गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस 24 नवम्बर। नानकशाही कैलेंडर पंचांग । Guru Tegh Bahadur Sahid Divas

 गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) शहीदी दिवस 

गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस। गुरु तेग बहादुर (1621-1675):Guru Tegh Bahadur Sahid Divas

गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur शहीदी दिवस 24 नवम्बर 

 

  • जन्म: 21 अप्रैल 1621, अमृतसर
  • मृत्यु: 11 नवंबर 1675, चांदनी चौक, दिल्ली
  • पत्नी: माता गुजरी (विवा 1633)
  • बच्चे: गुरु गोबिन्द सिंह
  • माता-पिता: गुरु हरगोबिन्द, माता नानकी
  • भाई: बाबा गुरदित्ता


  • नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष 24 नंवबर को गुरु तेगबहादुर जी के शहीदी दिवस के रुप में याद किया जाता है.
  • गुरु तेग बहादुर गुरु हरगोविन्द जी के पांचवें पुत्र थे। 8वें गुरु हरिकृष्ण राय के निधन के बाद इन्हें 9वां गुरु बनाया गया था। इन्होंने आनन्दपुर साहिब का निर्माण कराया और ये वहीं रहने लगे थे।
  • गुरु तेग बहादुर नौवें सिख गुरु थे, जिन्हें अक्सर सिखों द्वारा मानवता के रक्षक’ (श्रीष्ट-दी-चादर) के रूप में याद किया जाता था।
  • गुरु तेग बहादुर एक महान शिक्षक के अलावा एक उत्कृष्ट योद्धा, विचारक और कवि भी थे, जिन्होंने आध्यात्मिक, ईश्वर, मन और शरीर की प्रकृति के विषय में विस्तृत वर्णन किया।
  • उनके लेखन को पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब’ (Guru Granth Sahib) में 116 काव्यात्मक भजनों के रूप में रखा गया है।
  • ये एक उत्साही यात्री भी थे और उन्होंने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में उपदेश केंद्र स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • इन्होंने ऐसे ही एक मिशन के दौरान पंजाब में चाक-नानकी शहर की स्थापना की, जो बाद में पंजाब के आनंदपुर साहिब का हिस्सा बन गया।
  • गुरु तेग बहादुर को वर्ष 1675 में दिल्ली में मुगल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश के बाद  मार दिया गया था । 


सिखशब्द का अर्थ 

  • पंजाबी भाषा में 'सिख' शब्द का अर्थ है 'शिष्य'। सिख भगवान के शिष्य हैं, जो दस सिख गुरुओं के लेखन और शिक्षाओं का पालन करते हैं।
  • सिख एक ईश्वर (एक ओंकार) में विश्वास करते हैं। इनका मानना है कि उन्हें अपने प्रत्येक काम में भगवान को याद करना चाहिये। इसे सिमरन कहा जाता है।
  • सिख अपने पंथ को गुरुमत (गुरु का मार्ग- The Way of the Guru) कहते हैं। सिख परंपरा के अनुसार, सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक (1469-1539) द्वारा की गई थी और बाद में नौ अन्य गुरुओं ने इसका नेतृत्व किया।
  • सिख धर्म का विकास भक्ति आंदोलन और वैष्णव हिंदू धर्म से प्रभावित था।
  • खालसा (Khalsa) प्रतिबद्धता, समर्पण और एक सामाजिक विवेक के सर्वोच्च सिख गुणों को उजागर करता है।
  • खालसा ऐसे पुरुष और महिलाएँ हैं, जिन्होंने सिख बपतिस्मा समारोह में भाग लिया हो और जो सिख आचार संहिता एवं परंपराओं का सख्ती से पालन करते हैं तथा पंथ की पाँच निर्धारित भौतिक वस्तुओं केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण को धारण करते हैं।
  • सिख धर्म व्रत, तीर्थ स्थानों पर जाना, अंधविश्वास, मृतकों की पूजा, मूर्ति पूजा आदि अनुष्ठानों की निंदा करता है।
  • यह उपदेश देता है कि विभिन्न नस्ल, धर्म या लिंग के लोग भगवान की नज़र में समान हैं।

प्रमुख सिख साहित्य:

  • आदि ग्रंथ को सिखों द्वारा शाश्वत गुरु का दर्जा दिया गया है और इसी कारण इसे गुरु ग्रंथ साहिबके नाम से जाना जाता है।
  • दशम ग्रंथ के साहित्यिक कार्य और रचनाओं को लेकर सिख धर्म के अंदर कुछ संदेह और विवाद है।


शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति:

  • यह समिति पूरे विश्व में रहने वाले सिखों का एक सर्वोच्च लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित निकाय है, जिसे धार्मिक मामलों और सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक स्मारकों की देखभाल के लिये वर्ष 1925 में संसद के एक विशेष अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था।


नानकशाही कैलेंडर पंचांग क्या होता है ?

  • नानकशाही जंतरी या नानकशाही पंचांग एक सौर पंचांग है जिसे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सिख धर्म से सम्बन्धित घटनाओं (तयौहारों) की तिथियाँ दर्शाने के लिये स्वीकार किया था।
  • इसका उपयोग 1998 से हो रहा है। इसके पहले सिखों के पर्वों के लिये शक पंचांग ही उपयोग किया जाता था।
  • नानकशाही पंचांग को पाल सिंह पुरेवाल ने डिजाइन किया था।
  • नानकशाही पंचांग का आरम्भ गुरु नानक देव के जन्मदिन से किया गया था।
  • नानकशाही पंचांग के अनुसार नव वर्ष का प्रथम दिन 14 मार्च को पड़ता है।

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