गति ( Motion) किसे कहते हैं | गति के प्रकार | Type of Motion in Hindi

 

गति ( Motion) किसे कहते हैं  | गति के प्रकार  | Type of Motion in Hindi

गति ( Motion) किसे कहते हैं 

 

  • समय (Time) के साथ किसी वस्तु के सापेक्ष (Relatively) किसी निकाय (Body) की स्थिति (Position) या स्थान (Place) में होने वाले परिवर्तन (Change) को गति (Motion) कहते हैं।

 

  • ध्यातव्य है कि गति किसी वस्तु के सापेक्ष ही हो सकती है। आवश्यक नहीं कि गतिमान वस्तु प्रत्येक वस्तु के सापेक्ष गतिमान हो। जैसे- यदि हम नाव पर बैठकर किसी नदी को पार कर रहे हैं तो हम नाव के सापेक्ष विरामावस्था में हैं, क्योंकि नाव के सापेक्ष समय के साथ-साथ हमारी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, परन्तु जब हम नदी के किनारे को देखते हैं तो हम कह सकते हैं कि हम गति की अवस्था में हैं, क्योंकि नदी के किनारे के सापेक्ष, समय के साथ हमारी स्थिति बदलती रहती है।

 

  • इसी प्रकार, पृथ्वी सूर्य के सापेक्ष गतिशील (moving) है परन्तु इस पर स्थित (Situated) वस्तुओं के सापेक्ष स्थिर (In-rest) है। इसलिए हम पृथ्वी को स्थिर मानकर उसके सापेक्ष सभी वस्तुओं की गति का अध्ययन करते हैं ।

 

विराम की अवस्था (State of Rest ) 

  • यदि किसी वस्तु की स्थिति (Position) में समय व वातावरण (Surroundings) के सापेक्ष कोई परिवर्तन नहीं होता तो हम कहते हैं कि वस्तु विराम (Rest) की अवस्था में है। 
  • वास्तव में ब्रह्माण्ड में कोई वस्तु न तो निरपेक्ष (absolute) रूप से गतिमान है और न ही स्थिर (विराम-rest) है। दोनों ही संकल्पनाएँ सापेक्ष होती हैं। 


दूरी तथा विस्थापन (Distance and Displacement) 

  • किसी गतिमान वस्तु (moving body) द्वारा किसी समय में तय किये गये पथ (Length of the way) की लम्बाई को उस वस्तु द्वारा चली गई दूरी (Travelled distance) कहते हैं। 

  • जबकि किसी गतिमान वस्तु की प्रारम्भिक स्थिति (Initial position) व अंतिम स्थिति (final position) के बीच के अंतर (difference) को विस्थापन कहते हैं। 
  • दूरी को प्रदर्शित करने के लिए सिर्फ परिमाण (Quantity) आवश्यक है क्योंकि यह एक अदिश राशि (Scalar quantity) है, जबकि विस्थापन एक सदिश राशि (Vector quantity) है जिसे प्रदर्शित (Ex press) करने के लिए परिमाण व दिशा (Direction) दोनों की आवश्यकता होती है। 

चाल तथा वेग 

  • कोई वस्तु एकांक समयान्तराल जितनी विस्थापित (Displaced) होती है, उसे उस वस्तु का वेग (Velocity) कहते हैं। या किसी निश्चित में गतिशील वस्तु की स्थिति में परिवर्तन की दर को वेग कहते हैं।  

  • S.I. पद्धति में इसका भी मात्रक मी./से. ही होता है। चाल एक अदिश राशि है जबकि वेग एक । सदिश राशि है।

 

एक समान तथा असमान चाल (Uniform and Variable Speed)

 

  • यदि कोई गतिमान वस्तु समान समयान्तरालों में समान दूरी तय करती है तो वस्तु की चाल एक समान चाल कहलाती है। जबकि, जब कोई गतिमान वस्तु समान समयान्तराल में भिन्न-भिन्न दूरी तय करती है तो वस्तु की चाल असमान या परिवर्ती चाल कहलाती है।

 

औसत तथा तात्कालिक चाल

 

  • किसी गतिमान वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी को वस्तु की औसत चाल कहते हैं अर्थात् वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी (S) तथा कुल दूरी तय करने में लगे कुल समय (t) का अनुपात (S/t) वस्तु की औसत चाल कहलाती है।

 

  • किसी निश्चित समय (time) पर गतिमान वस्तु की चाल, तात्कालिक चाल (Instantaneous speed) कहलाती है।

 

  • एक समान चाल से गतिमान वस्तु की चाल व औसत चाल एक ही होती है। परन्तु व्यवहार में देखा गया है कि गतिशील वस्तुओं की चाल असमान होती है। अतः प्रायः औसत चाल ही मापा व व्यक्त किया जाता है।

 

औसत चाल =कुल दूरी /कुल समय

 

एक समान तथा असमान वेग (Uniform and Variable Velocity)

 

  • यदि कोई गतिमान वस्तु किसी निश्चित दिशा में, समान समयान्तराल में समान दूरी तय करती है तो उसका वेग एक समान वेग कहलाता है और यदि समान समयान्तरालों में असमान दूरियाँ तय करती है तो उसका वेग, असमान वेग कहलाता है।

 

औसत व तात्कालिक वेग (Average and Instantaneous Velocity)

 

  • किसी वस्तु द्वारा किसी समय में तय किये गये कुल विस्थापन तथा विस्थापन तय करने में लगे कुल समय का अनुपात वस्तु का औसत वेग कहलाता है।

 औसत वेग (v) = कुल विस्थापन (d) / कुल समय

 

यदि किसी वस्तु का वेग निश्चित दिशा में समान दर से परिवर्तित हो रहा हो तो

औसत वेग (v). प्रारंभिक वेग + अंतिम वेग/2

 

  • इसी प्रकार किसी क्षण ( at a moment) अत्यंत  सूक्ष्म समयान्तराल (very small time-interval) में  वस्तु द्वारा तय किये गये विस्थापन व सूक्ष्म समयान्तराल के अनुपात को वस्तु का तात्कालिक वेग कहते हैं । 


सापेक्ष वेग (Relative Velocity)

 

 किसी वस्तु का सापेक्ष वेग, दूसरे वस्तु के सापेक्ष विस्थापन में परिवर्तन की दर होता है और विपरीततः भी। इसके लिए जिस वस्तु के सापेक्ष, वेग निकाला जाता है उसे स्थिर मान कर दूसरे वस्तु का वेग (विस्थापन में परिवर्तन की दर) ज्ञात करते हैं।


गति के प्रकार (Types of Motion)

 

स्थानान्तरीय गति (Translatory Motion) 

इस प्रकार की गति में समय के सापेक्ष स्थिति (Position) में इस प्रकार का परिवर्तन होता है कि रास्ते (path) की पुनरावृत्ति (Repetition) नहीं होती। इसे भी निम्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है -

 

1. सरल या ऋजु रेखीय गति (Simple or Straight Line Motion) 

2. अनियमित गति (Irregular Motion) 

3. वक्रीय गति (Curved Motion) 

4. प्रक्षेप्य गति (Projectile Motion)

 

यदि किसी वस्तु को क्षैतिज (Horizontal) या ऊर्ध्वाधर (Vertical) से किसी कोण (90° के बीच) फेंका जाय तो उसके गति का पथ परवलयाकार (Parabolic) होता है। इस प्रकार की गति को प्रक्षेप्य गति कहते हैं। इसे द्विविमीय (Two dimentional) गति भी कहते हैं। जैसे किसी खिलाड़ी (Athelete) द्वारा फेंके गये गोलों (Hammer) की गति, या पानी की टंकी की दीवार में कोई छेद होने पर छेद (Hole) से बाहर निकलते हुए जल की धारा (Water Stream) की गति इत्यादि । 


5. ऊर्ध्व गति (Vertical Motion)

  • जब कोई वस्तु पृथ्वी की सतह या क्षैतिज (Horizontal) से 90° का कोण बनाते हुए ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर को गति करती है तो इसे ऊर्ध्व गति कहते हैं। जैसे- ऊपर से स्वतंत्रतापूर्वक छोड़े गये वस्तु की गति ।

 

6. आवर्ती गति (Periodic Motion)

 

इस प्रकार की गति में गतिशील वस्तु निश्चित समयान्तराल में अपने गमन - पथ ( travelling path) को दोहराती रहती है। इसमें गमन पथ सरल रेखीय, वक्रीय कुछ भी हो सकता है। घड़ी के पेण्डुलम की गति व पृथ्वी की गति इसके उदाहरण हैं। 

इसे भी दो भागों में बाँटा जा सकता है-

 

(i) दोलन/कम्पनीय गति (Oscillatory/Vi bratory Motion)- 

  • इस प्रकार की आवर्ती गति में गतिशील वस्तु अपने मार्ग के एक निश्चित बिन्दु के इधर-उधर या ऊपर नीचे गति करती है। जैसे झूले व पेण्डुलम की गति ।

 

(ii) वृत्तीय/घूर्णन गति (Circular/Rotatory Motion)- 

  • जब गतिशील वस्तु किसी वृत्तीय या परिधिनुमा (Circular) पथ पर गति करती है अर्थात् उसके गति की दिशा सदैव बदलती रहती है और वह किसी निश्चित व स्थिर बिन्दु (Certain or fixed point) से सदैव एक नियत दूरी पर रहती है, तो उसकी गति को वृत्तीय गति कहते हैं। जैसे किसी रस्सी के एक सिरे पर पत्थर का टुकड़ा बाँधकर दूसरे सिरे को हाथ में पकड़ कर हवा में गोल-गोल घुमाने पर पत्थर के टुकड़े की गति, चंद्रमा द्वारा पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगाना इत्यादि।

 

  • जब कोई वस्तु अपने अक्ष या धुरी (axis) के चारों ओर गोल-गोल घूमती है तो उसकी गति को 'घूर्णन गति' (Rotatory Motion) कहते हैं। जैसे लट्टू की गति या - पृथ्वी द्वारा अपने अक्ष के परितः घूमना । 

 

गुरुत्वाधीन गति (Motion Under Gravity)

 

  • ऐसी गति जिसमें गुरुत्वाकर्षण बल (Gravita tional Force) एक प्रभावी भूमिका निभाता है उसे गुरुत्वाधीन गति कहते हैं। इसके अंतर्गत दोलन गति, ऊर्ध्व गति व प्रक्षेप्य गति इत्यादि आते हैं। 


एकसमान गति

  • यदि कोई वस्तु समान समय अंतराल समान दूरी तय करती है, तो उस वस्तु की गति एकसमान गति कहलाती है ।

 

प्रक्षेप्य गति

 

  • इससे पहले खण्ड में हमने जो विचार विकसित किए हैं, उदाहरणस्वरूप उनका उपयोग हम प्रक्षेप्य की गति के अध्ययन के लिए करेंगे । जब कोई वस्तु उछालने के बाद उड़ान में हो या प्रक्षेपित की गई हो तो उसे प्रक्षेप्य कहते हैं ऐसा प्रक्षेप्य फुटबॉल, क्रिकेट की बॉल, बेस-बॉल या अन्य कोई भी वस्तु हो सकती है । किसी प्रक्षेप्य की गति को दो अलग-अलग समकालिक गतियों के घटक के परिणाम के रूप में लिया जा सकता है । इनमें से एक घटक बिना किसी त्वरण के क्षैतिज दिशा में होता है तथा दूसरा गुरुत्वीय बल के कारण एकसमान त्वरण से ऊर्ध्वाधर दिशा में होता है ।

 

  • सर्वप्रथम गैलीलियो ने अपने लेख डायलॉग आन दि ग्रेट वर्ल्ड सिस्टम्स (1632) में प्रक्षेप्य गति के क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर घटकों की स्वतंत्र प्रकृति का उल्लेख किया था ।

 

एकसमान वृत्तीय गति

 

  • जब कोई वस्तु एकसमान चाल से एक वृत्ताकार पथ पर चलती है, तो वस्तु की गति को एकसमान वृत्तीय गति कहते हैं । शब्द 'एकसमान" उस चाल के संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है जो वस्तु की गति की अवधि में एकसमान (नियत) रहती है। 

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