प्रतिनिधि लोकतंत्र क्या है? |प्रतिनिधि लोकतंत्र के विभिन्न दृष्टिकोण |Representative democracy?

प्रतिनिधि लोकतंत्र क्या है? प्रतिनिधि लोकतंत्र के विभिन्न दृष्टिकोण

प्रतिनिधि लोकतंत्र क्या है? |प्रतिनिधि लोकतंत्र के विभिन्न दृष्टिकोण |Representative democracy?



प्रतिनिधि लोकतंत्र को निर्वाचक लोकतंत्र (electoral democracy) का पर्यावाची परिचय

 

  • इस आर्टिकल में हम दुनिया में प्रचलित लोकतंत्र के एक रूप, प्रतिनिधि लोकतंत्र के बारे में जान पायेंगे। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है कि इस प्रकार के लोकतंत्र में नागरिक अपने प्रतिनिधियों को आवधिक चुनावों के द्वारा चुनते हैं। नागरिकों के यही प्रतिनिधि उनकी अपेक्षाओं को जनमंच, जैसे विधानमण्डलों में जोरदार शब्दों में प्रस्तुत करते हैं। आप प्रतिनिधि लोकतंत्र को निर्वाचक लोकतंत्र (electoral democracy) का पर्यावाची मान सकते।

 

प्रतिनिधि लोकतंत्र क्या है?

 

प्रतिनिधि लोकतंत्र, लोकतंत्र का सीमित और अप्रत्यक्ष रूप है : 

  • इसके सीमित अर्थ में सरकार में भागीदारी बिरले तथा संक्षिप्त होती है और प्रत्येक कुछ सालों में मत देने के अधि नियम से प्रतिबंधित होती है। इसके अप्रत्यक्ष अर्थ में जनता शक्ति का प्रयोग अपने आप नहीं करती है, लेकिन जनता उनको चुनती है, जो उनके पक्ष में शासन करेंगे। शासन का यह रूप प्रजातांत्रिक इस अर्थ में होता है कि प्रतिनिधित्व सरकार और शासित के बीच विश्वसनीय और प्रभावकारी संबंध स्थापित करता है।

 

प्रतिनिधि लोकतंत्र की खूबियों के अंतर्गत निम्नलिखित आते हैं :

 

  • यह लोकतंत्र के व्यवहारिक रूप को प्रकट करता है क्यूँकि बढ़ी जनसंख्या सरकारी प्रक्रिया में वास्तविक सहभागीता नहीं हो सकती हैं। 
  • यह निर्णय लेने के भार से साधारण नागरिक को मुक्त करता है। इस प्रकार राजनीति में श्रम के विभाजन को संभव बनाता है। 
  • यह राजनीति से साधारण नागरिक को दूर रख कर स्थायित्व बरकरार रखता है। 
  • फलस्वरूप उन्हें समझौतों को स्वीकार करने के लिये प्रोत्साहित करता है।

 

प्रतिनिधि लोकतंत्र निर्वाचक लोकतंत्र का पर्यावाची

 

  • यद्यपि ये विशेषताएँ प्रतिनिधि लोकतंत्र की आवश्यक पूर्व शर्ते हो सकती हैं, इन्हें ही लोकतंत्र मान होने की गलती नहीं करनी चाहिए। प्रतिनिधि लोकतंत्र में प्रजातांत्रिक गुण, लोकप्रिय सहमति की विचारधारा है, जिसको मतदान के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है।

 

  • इस प्रकार प्रतिनिधि लोकतंत्र निर्वाचक लोकतंत्र का एक रूप होता है, जिसके अंतर्गत लोकप्रिय चुनाव को राजनीतिक सत्ता के एकमात्र वैध स्रोत के रूप में देखा जाता है। ऐसे चुनावों को जोकि राजनीतिक समानता के सिद्धांत का सम्मान करना चाहिए सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार पर आधारित होता है, बिना जाति, रंग, मत, लिंग, धर्म या आर्थिक स्थिति के भेदभाव के आधार पर चुनावों को नियमित खुला और स्पर्द्धात्मक होना चाहिए। प्रजातांत्रिक प्रक्रिया का सार हैं, राजनीतिज्ञों की नागिरिकों के प्रति जवाबदेही ।

 

संक्षेप में प्रतिनिधि लोकतंत्र का सार इनमें निहित है-

 

  • राजनीतिक बहुलवाद, 
  • राजनीतिक दर्शनों, आन्दोलनों दलों के बीच खुली प्रतियोगिता और तदनुसार

 

प्रतिनिधि लोकतंत्र के विभिन्न दृष्टिकोण

 

  • प्रतिनिधि लोकतंत्र के विभिन्न दृष्टिकोण हैं। सर्वप्रथम, प्रतिनिधि लोकतंत्र में राजनीतिक शक्ति का अंततः दक्षतापूर्वक प्रयोग चुनाव के समय मतों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार प्रतिनिधि लोकतंत्र का गुण अंधे विशिष्ट वर्ग के शासन की क्षमता के साथ राजनीतिक सहभागिता के महत्त्वपूर्ण माप में निहित है। सरकार राजनीतिज्ञों के सुपुर्द होती है, लेकिन ये राजनीतिज्ञ लोकप्रिय दबावों के अनुकूल होने को बाध्य होते हैं। साधारण तथ्य है कि जनता प्रथम, उन्हें स्थान पर बैठाती है और बाद में उन्हें हटा देती है। 
  • मतदाता राजनीतिक बाजार में उसी प्रकार शक्ति का प्रयोग करता है, जैसा कि उपभोक्ता आर्थिक बाज़ार में करता है। जोसेफ शम्पीटर ने अपनी पुस्तक पूँजीवाद समाजवाद और लोकतंत्र (1976) में, प्रतिनिधि लोकतंत्र का उल्लेख राजनीतिक निर्णय लेने में संस्थागत व्यवस्था के रूप में प्रस्तुत किया, जिसके अंतर्गत व्यक्ति लोगों के मत के लिए प्रतियोगी संघर्ष के आधार पर निर्णय करने की शक्ति प्राप्त करते हैं।

 

1 बहुलवादी

 

  • दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार, लोकतंत्र स्वभाव से बहुलवादी होता है। इसके वृहद अर्थ में, बहुलवाद विविधता या अनेकावस्था के प्रति प्रतिबद्ध होता है। संकुचित अर्थ में, बहुलवाद राजनीतिक शक्ति को बाँटने का सिद्धांत है। यह मानता है कि शक्ति चारों तरफ और समान रूप से समाज में बिखरी होती है और न कि कुछ हाथों में, जैसा कि सभ्रांतवादी (Elitists) दावा करते हैं। इस आधार पर बहुलवाद समान्यतया "राजनीति" समूह के सिद्धांत के रूप में देखा जाता है, जिसके अंतर्गत व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व संगठित समूहों, जातीय समूहों के सदस्यों के रूप में किया जाता है और इन समूहों की नीति प्रक्रिया तक पहुँच होती है।

 

2 अभिजात्यवादी

 

  • यहां एक ऐसे अल्पसंख्यक से तात्पर्य है के पास शक्ति, धन या सुविधा औचित्यपूर्ण या अन्य प्रकार से केन्द्रित होते हैं। अभिजात्यवाद विशिष्ट वर्ग या अल्पसंख्यक के शासन में विश्वास करना है। क्लासिकी अभिजात्यवाद ने जो कि मोस्का पौरेटो और मिशेल द्वारा विकसित हुआ, सामाजिक अस्तित्व के लिए विशिष्ट वर्ग के शासन को अनिवार्य और अपरिवर्तनशील तथ्य माना बहुसंख्यक शासन क्या है? कुछ लोग लोकतंत्र को बहुसंख्यक शासन मानते हैं।

 

  • बहुसंख्यक शासन एक चलन है जिसकी प्राथमिकता बहुसंख्यक की इच्छा माना है। बहुसंख्यकवाद क्या है? बहुसंख्यकवाद अल्पसंख्यकों और व्यक्तियों के समग्र उदासीनता को दर्शाता है।

 

3 प्रतिद्वंदी विचारधाराएँ

 

प्रतिनिधि लोकतंत्र के अर्थ और महत्त्व के संबंध में अनेक मतभेद हैं। विद्वानों द्वारा उठाये गये कुछ प्रश्न निम्न हैं:

 

  • क्या यह राजनीतिक शक्ति के वास्तविक और सक्षम वितरण को सुनिश्चित करता है? 
  • क्या प्रजातांत्रिक प्रक्रियायें वास्तविक रूप से दीर्घकालीन लाभों को बढ़ावा देती हैं या स्व-पराजित (self-defeating) होती हैं ? 
  • क्या राजनीतिक समानता आर्थिक समानता के साथ समायोजित हो सकती है? 
  • संक्षेप में, प्रतिनिधि लोकतंत्र की विभिन्न सिद्धांतकारों ने अलग-अलग ढंग से व्याख्या की है। इन व्याख्याओं में सबसे प्रमुख है बहुलवाद, अभिजात्यवाद, नव-दक्षिणपंथ (new-right) और मार्क्सवाद 
  • अनेक राजनीतिक चिन्तकों ने प्रतिनिधि लोकतंत्र को राजनीतिक संगठन के प्रत्येक अन्य रूप से साधारणतया श्रेष्ठ माना है। कुछ विचारक तर्क देते हैं कि प्रतिनिधि लोकतंत्र सरकार का एक प्रकार होता है, जो मानवीय अधिकारों की सबसे अच्छी तरह से रक्षा करता है, क्योंकि यह मानवीय आन्तरिक मूल्य और समानता के पहचान पर आधारित है। 
  • कुछ लोग मानते हैं कि लोकतंत्र सरकार का एक प्रकार है जो अधिकतर विवेकपूर्ण निर्णय लेता है, क्योंकि यह सामूहिक ज्ञान और समाज की पूरी जनसंख्या की विशेषता से लाभ उठा सकती है। 
  • दूसरे व्यक्तियों का मत है कि लोकतंत्र स्थिर और टिकाऊ (स्थायी) होता है, क्योंकि उसमें निर्वाचित नेता वैधता की मजबूत कसौटी से बंधे होते हैं । 
  • अभी भी कुछ अन्य की मान्यता है कि प्रतिनिधि लोकतंत्र आर्थिक विकास और सम्पन्नता के लिए सबसे अनुकूल होता है।


  • कुछ ऐसा मानते हैं कि प्रतिनिधि लोकतंत्र में मानव (क्योंकि वे स्वतंत्र होते हैं) अपनी प्राकृतिक क्षमताओं और प्रतिभाओं का विकास करने में सबसे योग्य होते हैं। फिर भी, लोकतंत्र एक कार्य प्रगति में है है- एक विकासशील आकांशा बनिस्पत एक उत्पादित सामग्री के

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.