MP PSC Mains Previous Question With Answer Paper Three 2017 Part A

 MP PSC Mains Previous Question With Answer Paper Three 2017 Part A

MP PSC Mains Previous Question With Answer Paper Three 2017 Part A



प्रश्न 1. निम्नलिखित पर एक या पंक्तियों में उत्तर दीजिए?

 

(A) रेडियो आइसोटोप्स क्या है ?

 

  • उत्तर- रेडियो आइसोटोप्स उन परमाणुओं को कहते हैं जिनके नाभिक अपनी अतिरिक्त ऊर्जा के कारण अस्थायी होते हैं। जो अपनी ऊर्जा को ऊष्मा, α, β कण के रूप में निकालते हैं, या किसी इलेक्ट्रॉन को दे देते हैं ।

 

(B) जैव विविधता के सम्वेदनशील क्षेत्र 

  • उत्तर- पृथ्वी पर जितने भी महत्वपूर्ण प्राकृतिक क्षेत्र जो प्राय: खतरों में पड़े हुए हैं उन्हें हॉटस्पॉट कहते हैं। जैसे कैलिफोर्निया क्षेत्र, कैरिबियन, ट्रोपिकल एण्डीज, पश्चिमी घाट (भारत)।

 

(C) मिश्रधातु को परिभाषित कीजिए। 

  • उत्तर- किसी धातु का किसी अन्य धातु या अधातु के साथ मिश्रण मिश्रधातु कहालाता है। जैसे पीतल = कॉपर + जिंक।

 

(D) डी.एन.ए. अँगुली छाप क्या है ?

 

  • उत्तर- जे. एन. ए. अंगुली छाप तकनीक प्रयोग आपराधिक मामलों की गुत्थियाँ सुलझाने के लिए किया जाता है, साथ ही मातृत्व पितृत्व या व्यक्तिगत पहचान के लिए किया जाता है।

 

(E) जीवाश्म ईंधन क्या होते हैं ?

 

  • उत्तर- जीवाश्म ईंधन एक प्रकार का कई वर्षों पहले बना प्राकृतिक ईंधन है। यह लगभग 65 करोड़ वर्ष पूर्व जीवों के जल का उच्च दाब और दाब, ताप में दबने से हुई है। जैसे- पेट्रोल, डीजल, घासलेट।

 

(F) पूर्ण संख्याएँ कौन सी हैं ?

 

  • उत्तर- प्राकृत संख्याएँ 1 से लेकर अनगिनत संख्याओं का समूह है। अगर इस समूह में ) जोड़ दें तो हमें संख्याओं का एक नया समूह निकलता है। जिसे पूर्ण संख्या कहा जाता है । 

 

(G) भारी पानी क्या होता है ?

 

  • उत्तर- भारी जल हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम का आक्साइड है। इसमें 0.014% साधारण जल होता है । इस प्रकार के जल के अणु को DO से निरूपित किया जाता है। इसका उपयोग यूक्लिमा प्रतिक्रियाओं तथा ड्यूटरेटेड यौगिक के निर्माण में किया जाता है।

 

(H) बर्ड (पक्षी) फ्लू एवं स्वाइन (सूअर) फ्लू क्या है ?

उत्तर-

बर्ड फ्लू - बर्ड फ्लू सामान्य पक्षियों के माध्यम से मानव तक पहुँचता है। इसे एवियन इन्फलएंजा जाता है। इसका मुख्य कारक H1.N1, वाइरस है।

 

स्वाइन फ्लू- स्वाइन इन्फलुएंजा एक संक्रामक सांस का रोग है जो सूअरों द्वारा फैलता है यह स्वाइन इन्फ्लूएंजा एक वाइरस के H1N1, स्टेस के कारण होता है।

 

(I) जैविक खेती क्या है ?

 

  • उत्तर- जैविक खेती कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के न्यूनतम या अप्रयोग पर आधारित है। यह भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए फसल चक्र हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है।

 

(J) ई- स्वास्थ्य से क्या आशय है ?

 

  • उत्तर- ई-स्वास्थ्य से सामान्य आशय स्वास्थ्य सेवाओं में सूचना संचार तकनीकों के उपयोग से है यह WHO द्वारा हाल ही में स्वीकार की गई स्वास्थ्य सेवा अवधारणा है।

 

(K) मटोई (एम.टी.ओ.ई) (MTOE)  क्या है ?

  • उत्तर- मिलियन आईल इक्वीलेण्ट- यह एक ऊर्जा इकाई है Million Tonnes Of Oil Equivalent

 

(L) सुनहरा चावल क्या होता है ?

 

  • उत्तर- यह औरिजा सैटिरा चावल की एक किस्म जिसे बेटा-कैटोरिन जो खाने वाले चावल में प्रो- विटामिन ए का अगुआ है। जिसे जैनेटिक इंजिनियरिंग के द्वारा बनाया जाता है।

 

(M) SAFA (साफा) 

उत्तर

 

(N) नाभिकीय विखण्डन क्या होता है ?

  • उत्तर- वह प्रक्रिया जिसके एक भारी नाभिक दो लगभग बराबर नाभिकों से टूट जाता है। नाभिकीय विखण्डन कहलाता है। इन अभिक्रिया के आधार पर परमाणु भट्टियाँ बनाई जाती हैं जिसमें विद्युत उत्पादन होता है ।

 

(O) एक व्यक्ति को अपनी साइकिल 1140रु. में बेचने पर 05% का घाटा होता है. साइकिल को कितने में बेचने पर उसे 05% का लाभ होगा ?


हल- 

1140 रु. में बेचने पर 05% घाटा होता है। 

95% पर............ 1140 

तो 100% पर 100 x 1140 95 = 1200 

वस्तु की कीमत = 1200 रु.

5% लाभ पर बेचने पर 

100% पर 1200रु.

105% पर 105 × 1200/ 100 

1260 रु. 

अतः 1260 रु. में बेचने पर 5% लाभ होगा।

 

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से किन्हीं 10 प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए ?


(A) मानव के अतःस्त्रावी तंत्र के बारे में संक्षिप्त में लिखें।

 

  • उत्तर- हमारे शरीर में जीवनपर्यन्त परिवर्तन होते रहते हैं। ये परिवर्तन हमारे शरीर में स्थित विशिष्ट ग्रंथियों द्वारा नियन्त्रित किए जाते हैं जिन्हें अंतःस्त्रावी ग्रंथियाँ कहते हैं। इन ग्रंथियों का मुख्य कार्य कुछ रासायनिक स्राव बनाना है, जिन्हें हार्मोन कहते हैं। 


  • हॉर्मोनों की मुख्यतः शरीर में ऊतकों, अंगों तथा अंग तंत्रों के कार्यों के नियन्त्रण, समन्वय एवं नियमन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। शरीर की एकदम संतुलित कार्यप्रणाली को प्राप्त करने व बनाए रखने के लिए एक बहुत लयबद्ध यंत्रकला यह नियमुन है कि बिल्कुल निश्चित मात्रा में हार्मोनों निकलें। अंत: स्रावी तंत्र हमारे शरीर के रासायनिक समन्वय के लिए उत्तरदायी हैं।

 

अंतःस्रावी ग्रंथियाँ इस प्रकार हैं-

 

1. पीयूष ग्रंथि (Pituatary gland) 

  • यह मस्तिष्क के अधोभाग पर स्थित छोटी-सी एक ग्रंथि है। यह एक बच्चे के यौवनारम्भ से लेकर पूर्ण जनन परिपक्वता की स्थिति तक के विकास में महत्वपूर्ण कार्य करती है। पीयूष ग्रंथि गोनेड स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन (GSH) स्रावित करती है जो जनन ग्रंथियों (गोनेड) स्त्रियों में अण्डाशय एवं पुरुषों में वृषण) के कार्यों को नियमित करता है। यौवनारम्भ की अवस्था में इस ग्रंथि की सक्रियता बढ़ जाती है, जिससे पुरुषों के वृषण टेस्टोस्टेरॉन एवं स्त्रियों के अण्डाशय प्रोजेस्ट्रोन एवं एस्ट्रोजन नामक यौन हॉर्मोन बन हैं। ये हॉर्मोन द्वितीय लैंगिक लक्षणों का विकास आरंभ करते हैं । 


पीयूष ग्रंथि की अधिक्रिया अथवा अल्पक्रिया से होने वाले रोग हैं

 

कुशिंग रोग- 

  • यह पीयूष ग्रंथि की सामान्य से अधिक सक्रियता (अधिक्रिया) से होता है। पुरुषों में इस रोग के कारण बालों की अत्याधिक वृद्धि हो जाती है। कुछ मामलों, में वृषणों में क्षीणता (कमजोरी) आ जाती है, जिससे नपुंसकता तक आ जाती है। स्त्रियों में इस रोग से बंध्यता आ जाती है तथा नर लक्षण आ जाते हैं जैसे दाढ़ी एवं मूँछ निकालना।

 

  • पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित वृद्धि हार्मोन (ग्रोथ हार्मोन GH) तथा सोमेटोट्रॉपिक हार्मोन की कमी से वामनत (लम्बी हड्डियों की अवरुद्ध वृद्धि) आ जाती है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति की ऊँचाई (लम्बाई) पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वहीं दूसरी ओर इन हार्मोनों के अति स्राव से अतिकायता अति वृद्धि) और व्यक्ति का कद बहुत बढ़ जाता है.

 

2. थाइरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland) (अवटु ग्रंथि)

 

  • यह हमारे शरीर में उपापचय की गति के लिए उत्तरदायी है। इसलिए थायरॉइड ग्रंथि जीवन, वृद्धि तथा विकास के लिए बहुत आवश्यक है। 
  • 'जब थॉयराइड ग्रंथि अति सक्रिय होकर सामान्य जरूरत से अधिक थायरॉइड हॉर्मोन बनाती है, तो इस अवस्था को अतिथॉइराइड (Hyperthyrodism) कहते हैं। जब यह ग्रंथि अल्पसक्रिय हो और आवश्यकता से कम हार्मोन बनाए, तो इस स्थिति को अल्पथायरॉइडता (Hypothyrodism) कहते हैं।

 

क्रेटिनिज्म 

  • अति अवरुद्ध शारीरिक एवं मानसिक विकास की अवस्था है जो कि थायरॉइड हॉर्मोन के जन्मजात अभाव का उपचार ना होने या लम्बे समय तक आयोडीन के पोषण की कमी के कारण होती है।

 

गॉयटर- 

  • थायरॉइड ग्रंथि का एक रोग है जिसमें ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है। जो गले के अग्रभाग में बाहरी सूजन के रूप में दिखाई देता है। साधारण गॉयटर भोजन में आयोडीन की कमी से होता है ।


3. अग्नाशय (Pancreass)

 

  • यह ग्रंथि इन्सुलिन एवं ग्लूकागॉन नामक दो हार्मोन स्रावित करती है, जो शरीर में ग्लूकोज के उपापचय में सहायक है। इन्सुलिन के अल्पस्राव से मधुमेह (Diabetes tamilitus) होता है, जिसमें रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है।

 

प्रश्न 2. (B) सौर ऊर्जा एवं मध्य प्रदेश ?

  • उत्तर- आज म.प्र. ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत ऊर्जा संकट के दौर से गुजर रहा है और यदि ऊर्जा के परम्परागत स्रोतों को संरक्षण नहीं दिया गया तो आगे आने वाले समय में ऊर्जा संकट और गहरा जाएगा। भारत विश्व में ऊर्जा का चौथा बड़ा उपभोक्ता है। यहाँ विश्व की 17% जनसंख्या निवास करती है। किन्तु विश्व के ज्ञात तेल और प्राकृतिक गैस संसाधनों का मात्र 0.8% भाग की उपलब्ध है। अतः देश व प्रदेश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए ऊर्जा स्रोतों का निरन्तर विकास आवश्यक है।

 

  • सौर ऊर्जा कार्यक्रम सन् 1995-96 से प्रारम्भ किया गया। सूर्य पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। सूर्य फोटॉन के रूप में विकिरण से ऊर्जा प्रवाहित करता है। अतः इस ऊर्जा का उपयोग सोलर कुकर के माध्यम से भोजन पकाने में किया जाता है। म.प्र. ऊर्जा विकास निगम द्वारा 1997-98 में लगभग 1.29000 घरेलू किस्मों के सोलर कुकर बेचने में अग्रणी रहा है। इसकी खरीदी पर केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। आज सौर ऊर्जा का प्रसार देश के छोटे-छोटे गाँवों से लेकर हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों तक है। सेन्ट्रल इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड संसार में देश की सौर बैटरी उत्पादित करने वाली पाँचवी सबसे बड़ी इकाई है। प्रदेश में सौर ऊर्जा संयंत्र इन्दौर, भोपाल, झाबुआ के सरकारी भवनों में लगाए गए हैं । रीवा में सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है।

 

सोलर फोटो वोल्टिक संयंत्र- 

  • ऐसे दुर्गम, दुरूह एवं अगम्य क्षेत्रों में स्थित गाँव जहाँ विद्युत असम्भव हो, वहाँ सोलर फोटो वोल्टिक संयंत्र का प्रयोग किया जाता है। ये सोलर वोल्टिक सेल दिन के समय सूर्य ऊर्जा को अवशोषित करके विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं। इनसे लगभग 300 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। म.प्र. में झाबुआ, होशंगाबाद, बैतूल जिलों के दूरस्थ अंचलों में ऐसे संयंत्र स्थापित किये गये हैं। सोलर फोटो वोल्टिक कार्यक्रम के तहत भोपाल में 10 किलोवाट तथा राजगढ़ 100 किलोवाट क्षमता का सौर प्लांट लगाया गया है।

 

सोलर डिजिटल वाटर प्लांट- 

  • वाष्पन द्वारा आसुत जल एकत्रित करने हेतु सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। ऐसे प्लांट को महाविद्यालयों के पास लगाकर प्रयोगशाला हेतु बिजली प्राप्त की जाती है।

 

सौर ऊर्जा गर्म जल संयंत्र 

  • प्रदेश में इस संयंत्र से पानी गरम किया जाता है। प्रदेश में डेढ़ लाख की लागत के 98 संयंत्र स्थापित किये जा चुके हैं, जिनकी कुल क्षमता 2.75 लाख लीटर जल गर्म करना है। भोपाल डेयरी में 17 लाख रुपये की लागत का देश का सबसे बड़ा संयंत्र स्थापित किया गया है जिसकी क्षमता 54 हजार ली. प्रतिदिन पानी गर्म करना है। ये संयंत्र डेयरी उद्योग, शक्कर मिल, कपड़ा मिल, होटल, होस्टल आदि के पास स्थापित किये जाते हैं।


प्रश्न 2. (C) हरित रसायन विज्ञान क्या है। 

  • उत्तर- हरित रसायन रासायनिक उत्पादों और प्रक्रियाओं का वह रूप है जो खतरनाक पदार्थों के उपयोग एवं उत्पादन को कम करता है। इस प्रकार खतरनाक रसायन से हमें बचाकर नुकसान करने के बचाव हरित रसायन खतरों को ही कम करने या समाप्त करने का प्रयत्न करता है और इस प्रकार हमें जोखिम का सामना करने की आवश्यकता ही नहीं रहती। सारी दुनिया के रसायन विज्ञानी पर्यावरण हितैषी रसायनों की खोज में संलग्न है।

 

  • रसायन विज्ञान के बेहतर प्रयोग से आर्थिक विकास पूर्ण पर्यावरणीय संरक्षण के प्रति काफी जागरूकता आई है। रसायन विज्ञान के इस नवीन व उभरते बेहतर प्रयोग को ही हरित रसायन विज्ञान अथवा सघन पर्यावर्णीय विकास के लिए रसायन विज्ञान कहा जाता है। मूल रूप से हरित रसायन विज्ञान से पर्यावरण सौम्य रसायनों की उत्पादकता विधि है जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से अधिक कार्य क्षमता तथा आर्थिक रूप से भी श्रेष्ठ है।

 

प्रश्न 2. (D) फेम (F.A.M.E) भारत का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ?

 

उत्तर- फेम इंडिया योजना (फास्टर एड एडोप्शन एड मेन्यूफेक्चरिंग ऑफ हाइव्रिड एवं इलेक्ट्रिक वेहिक्लस) (फेम) एवं 1 अप्रैल 2015 को प्रारम्भ की गई । 

उद्देश्य: पर्यावरण अनुकूल वाहनों की विक्रय को बढ़ावा देना ।  

विशेषता 

1 : की माँग को बढ़ा देना। बिजली और हाइब्रिड चलित वाहनों  की मांग को बढ़ा देना । 

2. तिपहिया वाहनों में प्रोत्साहन 3300 रुपये से 6100 रुपये तक होगा। 

3. चार पहिया वाहनों में प्रोत्साहन 1300 रुपये से  .38 लाख रु. तक का होगा। 

4. मारुति उद्योग विभाग इस योजना के लिए मंडल विभाग का कार्य करेगा। 

5. हल्के कमर्शियल वाहनों की स्थिति में यह प्रोत्साहन 1700रु. से 1.87 लाख रुपये तक रहेगा।

 

प्रश्न 2 (E). 

विज्ञान एवम् तकनीकी के क्षेत्र में भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय स्वर्गीय डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के योगदान की संक्षिप्त में विवेचना कीजिए :

 

  • उत्तर- डॉ.अबुल पाकिर जैनुल आबेदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 के तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। डॉ. कलाम एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे तथा भारतीय मिसाइल के जनक होने के कारण लोग इन्हें मिसाइलमैन भी कहते हैं। प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद डॉ. कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी से वैज्ञानिको इंजीनियरिंग को ही विशेष अध्ययन का मार्ग चुना। आपने उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण की दिशा में भारत को संसार के महत्वपूर्ण देशों में छठा स्थान दिलवाया। अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों की दुनिया में चर्चा हुई तथा भारत को रक्षा विज्ञान के क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भरता दी, बल्कि विश्व की महाशक्तियों के बीच लाकर प्रतिष्ठित किया. आपके इन्ही उत्कृष्ट कार्यो, लगन एवं देशभक्ति के कारण 'भारत रत्न' उपाधि से सम्मानित किया गया तथा भारत के राष्ट्रपित बने। वर्ष 2015 में आपका निधन हुआ।

 

प्रश्न 2. (F). 

सुपर कम्प्यूटर एवं भारत  ?

उत्तर- 

  • भारत में कई संगठनों या संस्थाओं ने सुपर कम्प्यूटर के विकास में प्रमुख कार्य किया है जैसे- बार्क (BARC), डी.आर.डी.ओ. (DRDO), नेशनल एयरोनॉटिक्स लैब (NAI), सी-डॉट (Center for development of Telematics : C-DOT) तथा सी डॉक (Center for develepment of advanced computing: C-DAC) | प्रथम चार संस्थाओं ने मुख्यतः अपनी संस्था के उपयोग के लिए सुपर कम्प्यूटर का विकास किया है। जबकि पाँचवीं संस्था सी-डॉक ने सामान्य उपयोग के लिए सुपर कम्प्यूटर का विकास किया है। भारत का सुपर कम्प्यूटर कार्यक्रम 1980 के दशक के मध्य शुरू हुआ जब अमेरिका और अन्य देशों द्वारा कम्प्यूटर की बिक्री पर प्रतिबंध आरोपित कर देने से इनका आयात असम्भव हो गया। भारत में पहला सुपर कम्प्यूटर बेंगलुरू स्थित नेशनल एयरोनॉटिक्स लेबोरेटरी (NAL) के द्वारा विकसित किया गया है उसे फ्लोसॉल्वर नाम दिया गया। इसका अद्यतन संस्करण फ्लोसॉल्वर एम के-3 भारतीय विज्ञान संस्थान के वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र (बैंगलुरू) में कार्यरत है। यह भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा अमेरिका से खरीदे गए के एक्सएमपी के समान शक्तिशाली हैं, लेकिन इसकी लागत मशीन का मात्र 10वॉ हिस्सा थी। दिल्ली स्थित सी-डॉट में सैम पित्रौदा के नेतृत्व में अपना स्वयं का सुपर कम्प्यूटर चिप्स-सीएचआईपीपीएस (सी-डॉट हाई परफोर्मेस पैरलल-प्रोसेसिंग सिस्टम) का विकास किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की हैदराबाद स्थित इकाई एडवांस्ड न्यूमेरिकल रिसर्च एंड एनालिसिस ग्रुप (ANURAG) ने पेस (Processor for aerdymic computation & evaluation-PACE) नामक सुपर कम्प्यूटर का विकास किया, जिसका मुख्य उपयोग मिसाइल डिजाइन तथा लड़ाकू वायुयानों के डिजाइन के क्षेत्र के साथ-साथ वाणिज्यिक आवश्यकताओं के लिए भी है । जैसे- सुदूर सम्वेदन आँकड़ों के विश्लेषण के लिए, मौसम विज्ञान के क्षेत्र में तथा भूगर्भशास्त्रीय परीक्षणों के संदर्भ में। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) ने 1999 में अमेरिका केके.वा.एम.पी. श्रेणी के सुपर कम्प्यूटर से भी तीन गुनी अधिक गति वाले अनुपम पेन्टियम सुपर कम्प्यूटर को तैयार किया ।

 

  • 200 करोड़ रुपए के बजट वाली एक बेहद महत्वाकाँक्षी परियोजना के तहत दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में दस ऐसे केंद्रों की स्थापना की गई जो सुपर कम्प्यूटिंग सुविधाओं से लैस होंगे। प्रत्येक केंद्र करीब 1000 प्रोसेसरों की क्षमता वाले सुपर कम्प्यूटिंग प्रणाली का विकास करेगा। शोधकर्ता रासयान विज्ञान और जैव-भौतिकी के क्षेत्र में आधारभूत खोजों, जीनोम विश्लेषण, ड्रग डिजाइन और प्रोटीन फोल्डिंग को बढ़ावा देने के लिए इन केंद्रों का उपयोग करेंगे। जिन संस्थानों को प्रस्तावित सुपर कम्यूटिंग नेटवर्क के लिए चुना गया, वे हैं- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली विश्वविद्यालय, आईआटी, चेन्नई विश्वविद्यालय, मदुरै स्थित कामराज विश्वविद्यालय एवं भारती दासन विश्वविद्यालय, • बैंगलुरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान, पंजाब विश्वविद्यालयचंडीगढ़ स्थित इमटेकं और निपर, आई. आई. टी. (कानपुर), बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, कोलकाता विश्वविद्यालय, आईसीस, जादवपुर विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय।

 

परम- 10000: 

  • भारत सरकार के सेंटर फॉर डेवलपमेंट एंड एडवांस्ड कम्प्यूटर (C-DAC) संस्था ने सामान्य उपयोग के लिए परमनाम सुपर कम्प्यूटर का 1991 में विकास किया। परम (PARAM) के नवीनतम मॉडल 'परम - 10000' का 28 मार्च, 1998 को पुणे में उद्घाटन किया गया। 'परम 10000' की गति 100 गीगा फ्लाप्स (100G FLOPS) है अर्थात् यह एक सेकंड में एक खरब गणितीय गणना करने में सक्षम है। 'परम 10000' सुपर कम्प्यूटर में ओपन फ्रेम (Open Frame) डिजाइन का तरीका अपनाया गया है। इस प्रकार की डिजाइन में आसानी से उपलब्ध कल-पुर्जों के प्रयोग के कारण सुपर कम्प्यूटर का लागत व्यय बहुत कम आता है 'परम-10000' में अल्ट्रा स्पेयर-II प्रोसेसर का उपयोग किया गया है। जो कि वाणिज्यिक दृष्टि से अपेक्षाकृत सस्ता और आसानी से उपलब्ध है। परम सुपर कम्प्यूटर का भारत में व्यापक उपयोग होता है तथा इसका निर्यात भी किया जाता है।

 

  • विज्ञान तथा अभियांत्रिकी मिशन के लिए अति महत्वपूर्ण उपयोग तथा व्यापार में गणनाओं की राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु उच्च कार्य निष्पादन वाले समानांतर प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी पर आधारित सुपर कम्प्यूटर के भारत में डिजाइन करने, विकास करने और वाणिज्यिक स्तर पर उत्पादन की क्षमता हासिल कर ली गई है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट एंड एडवांस्ड कम्प्यूटर संस्था ने 100 गीगा फ्लाप्स पीक कम्प्यूटिंग क्षमता वाला सुपर कम्प्यूटर तैयार किया है, जिसके स्थापत्य क्षमता को 1 टेरा फ्ला (1012 फ्लाप) क्षमता तक बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए पुणे में राष्ट्रीय परम सुपर कम्प्यूटिंग सुविधा स्थापित की गई है। सी-डैक (C-DAC) ने सुपर इंटरनेट का अर्थ है 'इंटरनेशनल नेटवर्क' जिसमें सूचनाओं का अंतर्राष्ट्रीय महाजाल कम्प्यूटरों के माध्यम से एक-दूसरे को उपलब्ध होते हैं। इसे सूचना मार्ग राजपथ (Information Highway) भी कहा जाता है ।


प्रश्न 2. (G) 

विश्व बौद्धिक / प्राज्ञजीवी / बुद्धिजीवी सम्पदा संगठन (WIPO) क्या है?

 

  • उत्तर- WIPO संयुक्त राष्ट्र संगठन की एजेंसी है। इसका उद्देश्य नवाचार व सृजानात्मक के उत्प्रेरक के बौद्धिक संपदाओं (पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिजाइन आदि) का उचित उपयोग है तथा अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा प्रणाली के व प्रयोग का संवर्धन विभिन्न सेवाओं कानून आधारिक संरचना इत्यादि द्वारा करता है। इसकी स्थापना 1967 में हुई व 185 सदस्य है। इसका मुख्यालय जेनेवा में है।

 

  • बौद्धिक सम्पदा अधिकार या आईपीआरएस लोगों को मानसिक सृजन के लिए दिए गए अधिकार हैं। ये अधिकार समाज की ओर से राज्य द्वारा उन विचारों एवं उक्तियों के सृजन एवं प्रसार हेतु प्रोत्साहन के रूप में दिए जाते हैं, जिससे सम्पूर्ण समाज का भला होता है। नागरिकों के मौलिक अधिकार से इतर, जो कि किसी देश के संविधान द्वारा निश्चित होता है, आईपीआरएस किसी देश में विधायी प्राधिकरण द्वारा पारित वैधानिक अधिकार है । परम्परागत तौर पर, बौद्धिक सम्पदा अधिकार के कई रूप मान्य है।

भारत व बौद्धिक सम्पदा अधिकार

 

  • भारत द्वारा विश्व व्यापार संगठन का संस्थापक सदस्य होने के नाते व्यापार सम्बंधी बौद्धिक सम्पत्ति अधिकारों से सम्बंधित करार के अंतर्गत भारत सहित सभी सदस्य देश परस्पर वार्ता निर्धारित किए गए प्रतिमानों और मानकों का पालन अनुबंधित समय सीमा के अनुसार करेंगे। इसके लिए, भारत ने बौद्धिक सम्पत्ति अधिकार प्रणाली स्थापित की है, जो WTO के अनुरूप है और सभी स्तरों पर चाहे वह संवैधानिक, प्रशासनिक या न्यायिक हो, भली-भाँति स्थापित है । 

 

प्रश्न 2. (H). 

अल नीनो एवं ला नीनो के प्रभाव की संक्षिप्त में विवेचना करें ।

 

उत्तर- 

  • अललीनो जलवायु तंत्र की एक ऐसी बड़ी घटना है जो मूल रूप से भूमध्यरेखा के आसपास प्रशांत क्षेत्र में घटती है किंतु पृथ्वी के सभी जलवायु चक्र इससे प्रभावित हैं। यह 120 डिग्री पूर्वी देशांतर के आसापस इण्डोनेशिया द्वीप क्षेत्र से लेकर 80°C पश्चिमी देशान्तर यानी मैक्सिको और दक्षिण अमेरिकी पेरू तट तक सम्पूर्ण उष्ण क्षेत्रीय प्रशांत महासागर में फैला है। समुद्री जल सतह से के ताप वितरण में अंतर तथा सागर तल ऊपर से बहने वाली हवाओं के बीच अंत क्रिया का परिणाम ही अलनीनो है। 
  • अलनीनो एक वैश्विक प्रभाव वाली घटना और इसका प्रभाव क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। बाढ़, सूखा, वनाग्नि, तूफान एवं वर्षा आदि के रूप में असर सामने आता है। ला-नीनो एक प्रतिसागरीय धारा है। इसका आविर्भाव पश्चिमी प्रशांत महासागर में उस समय होता है जबकि पूर्वी प्रशांत महासागर में एल नीनो का प्रभाव समाप्त हो पाता है। पश्चिमी प्रशांत महासागर में एलनीनो द्वारा पैदा किए गए सूखे की स्थिति को ला नीनो बदल देती है तथा आर्द्र मौसम को जन्म देती हैं। 
  • पश्चिमी प्रशांत महासागर के ऊष्ण कटिबंधीय भाग में तापमान में वृद्धि होने से वाष्पीकरण अधिक होने से इन्डोनेशिया एवं समीपवर्ती भागों में सामान्य से अधिक वर्षा होती है जो बाढ़ की वजह बन जाती है।

 

प्रश्न 2. (J) 

जैव विविधता की म.प्र. के विशेष संदर्भ में विवेचना कीजिए ।

 

उत्तर- जैव विविधता अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत राज्य में म.प्र. जैव विविधता बोर्ड का गठन किया। वर्तमान में म.प्र. में जैव विविधता के तीन क्षेत्र हैं। 

1. पंचमढ़ी, 2. अचानकमार, 3. पन्ना

 

पंचमढ़ी :- पंचमढ़ी म.प्र. में 1999 में घोषित जैव मंडलीय क्षेत्र है। जो म.प्र. का प्रथम जैव मण्डलीय क्षेत्र है। 

अचानकमार :- अचानकमार 2005 में म.प्र. का दूसरा जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र बना, जो म.प्र. के मंडला व डिंडौरी जिलों के साथ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले तक विस्तारित है. 

पन्ना :- पन्ना को 2011 में जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र घोषित किया जो पन्ना व छतरपुर जिले में विस्तारित है। इस प्रकार म.प्र. में तीन जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र हैं। 


प्रश्न 2. (K).

जैव प्रौद्योगिकी एवं सामाजिक विकास

 

उत्तर- 

  • वर्तमान युग विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति का युग है, नई तकनीकों के माध्यम से समाज और अर्थव्यवस्था को फायदा पहुँचने वाले तथा आम जीवन को ज्यादा सुविधाजनक बनाने वाली प्रौद्योगिकीयों का विकास हुआ है। मानव जीवन का कोई भी क्षेत्र जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार व्यवसाय आदि अछूता नहीं बचा है, जिसमें विज्ञान व तकनीक ने तिकारी परिवर्तन नहीं ला दिए हैं। 

नवीन विज्ञान व तकनीक के सामाजिक आर्थिक क्षेत्रों में अनुप्रयोगों को हम निम्न बिन्दुओं में देख सकते हैं


1. स्वास्थ्य 

  • भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले ढंग में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता हमेशा एक चुनौती रही है, साथ ही सामाजिक व आर्थिक पिछड़ेपन के कारण स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाती है, नवीन विज्ञान एवं तकनीक (S & T) के माध्यम से भारत में विभिन्न रोग नियंत्रक कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, साथ ही स्वास्थ्य जाँच तथा उपचार के अनेक साधन अब स्थानीय स्तर पर भी उपलब्ध होने लगे हैं। सूचना व संचार तकनीक पर आधारित टेली मेडसिन ने स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता को ज्यादा सुगम बना दिया है।

 

  • औषधि विज्ञान में नए-नए खोजों ने पूर्व के असाध्य समझी जाने वाली बीमारियों के भी सफल उपचार को उपलब्ध करवाया है।

 

II शिक्षा - 

  • शिक्षा चूँकि मानव विकास का एक प्रमुख कारक है। जिसके बिना गुणवत्तापूर्वक जीवन सम्भव नहीं है। भारत जैसे विषम सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों वाले देश में सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना वह भी स्थानीय स्तर पर सम्भव नहीं है क्योंकि हमारे यहाँ ढांचागत सुविधाओं का अभाव है, विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से शिक्षा को ज्यादा रूचिगत बनाया गया साथ ही स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को भी उपलब्ध करवाया जाना संभव हो सकता है।

 

  • E- शिक्षा के माध्यम से भारत के सभी विद्यालयों को जोड़ा जा रहा है, जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध करवाना आसान हुआ है।

 

III. पोषण - 

  • एक स्वस्थ्य जीवन का आधार उपयुक्त पोषण है। लेकिन पुनः भारत देश में विशाल गरीबी जनसंख्या ऐसी है जो उपर्युक्त पोषण युक्त भोजन से दूर है, भोज्य पदार्थों की उपलब्धता और उनकी बढ़ती कीमतें आम आदमी में पोषण स्तर को कम कर देती है। इस दिशा में विज्ञान व तकनीक ने लाभकारी उपलब्धियाँ प्राप्त की है जैसे उपयुक्त पोषण युक्त गोल्डन राइस का विकास विज्ञान व तकनीक के माध्यम से ही संभव है, इसके साथ ही जैव तकनीक के जरिए नए-नए उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जैसे सब्जियों के दीर्घकाल तक रहने की क्षमता विकसित की जा रही हैं, ज्यादा पैदावार देने वाली उन्नत किस्म की प्रजातियों का विकास किया जा रहा है। जो निश्चित ही पोषण के स्तर में सुधार ला रहे है।

 

(IV) औद्योगिक क्षेत्र में 

  • किसी भी अर्थव्यवस्था का आधार उद्योग होते हैं यह न सिर्फ आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करते हैं बल्कि सरकार को राजस्व लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवाते हैं, विज्ञान व तकनीक में प्रगति का प्रभाव उद्योगों पर भी पड़ा है। उद्योगों में विज्ञान एवं तकनीक के अनुप्रयोग से उत्पादन की प्रक्रिया से ज्यादा आसान हुई है साथ ही उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता में भी वृद्धि हुई है।

 

V. रोजगार 

  • निश्चित ही विज्ञान तकनीक के नए नए रोजगार के अवसर विकसित किए हैं, उदाहरण के तौर पर भारत में सूचना संचार तकनीक (ICT) के अनुप्रयोग के कारण लाखों लोगों को रोजगार मिला है, साथ ही BPO (Businss Process Outsources), IKPO (Knowl edge Process outsource) LPO (Legale Process Outsouce) जैसे नए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं जो कि भारत के लिए बड़ी मात्रा में विदेशी पूँजी प्राप्त करने के साधन है । 

 

VI. कृषि - 

  • परम्परागत कृषि की समस्या यह है कि इसमें क्षमता होने के बावजूद उत्पादन सीमित होता है विज्ञान व तकनीक की प्रगति से उन्नत किस्म के बीजों का विकास किया जा रहा है, साथ ही कीटनाशक रसायनों के उपयोग ने फसलों की बरबादी को रोका है। आधुनिक समय में जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों द्वारा सुपर फूड तथा लम्बे समय तक रहने वाली सब्जियों का विकास किया जाना सम्भव हो सका है।

 

प्रश्न 2. (M). 

आपदा प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?

 

उत्तर- 

  • आपदा प्रबंधन का अर्थ है, किसी देश/प्रांत/क्षेत्र में अप्रत्याशित / अचानक / प्रतीक्षित आपदा से निपटने के लिए किसी देश या संगठन द्वारा किए गए ऐसे उपायों से है, जिसका प्रमुख उद्देश्य प्रभावित लोगों का बचाव करना उन्हें शीघ्र राहत सामग्री पहुँचना एवं विस्थापित लोगों का पुनर्वास करना।

 

आपदा प्रबंधन के उपाय

 

(अ) आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंध के तत्व-आपदा के न्यूनीकरण एवं प्रबंधन की प्रक्रिया में तीन तत्वों को सम्मिलित किया गया है

 

1. प्रकोप विश्लेषण

2. सुभेद्यता विश्लेषण, 

3. प्रकोप जोखिम विश्लेषण

 

1. प्रकोप विश्लेषण- 

  • प्रकोप विश्लेषण के अंतर्गत किसी क्षेत्र विशेष में पूर्व घटित प्राकृतिक आपदाओं के अध्ययन के आधार पर भविष्य के लिए आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन के लिए नीति का निर्माण करना । प्रकोप विश्लेषण का उद्देश्य भविष्य में आने वाले प्रकोपों की संख्या का अनुमान लगाना एवं प्रकोपों की प्रचंडता का निर्धारण करना।

 

2. सुभेद्यता विश्लेषण- 

  • पर्यावरण विज्ञान में सुभेद्यता का अर्थ किसी खास प्रकोप या आपदा के प्रति किसी क्षेत्र विशेष व वहाँ के लोगों की दुर्बलता तथा उसके द्वारा ग्रसित होने की स्थिति से है ।

 

  • सुभेद्य विश्लेषण से तात्पर्य किसी खास आपदा से उस प्रभावित होने वाली स्थानीय इकाई से है। यह स्थानीय इकाई क्षेत्र विशेष में मानव समुदाय वनस्पति या जंतु समुदाय हो सकता है। जबकि भौतिक इकाई के अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्र, मैदानी क्षेत्र, सागर तटीय प्रदेश इत्यादि हो सकते हैं ।

 

  • आपदा न्यूनीकरण पर विश्व सम्मेलन 2005 के अनुसार सभेद्यता विश्लेषण की परिभाषा 'सुभेद्यता एक स्थैतिक प्रक्रिया न होकर एक गति प्रक्रिया होती है। जो किसी आपदा द्वारा होने वाली क्षति की सम्भाव्यता में परिवर्तन करती रहती है। अर्थात् क्षति का परिणाम घटता बढ़ता रहता है।

 

3. जोखिम विश्लेषण- 

  • समाज के विभिन्न पक्षों जैसे सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, स्वास्थ्य मनोवैज्ञानिक आदि पर किसी विशेष प्रकोप के पड़ने वाले सम्भावित दुष्प्रभावों को आपदा जोखिम कहते हैं।

 

  • चूँकि प्रकोप तथा आपदा जोखिम किसी खास प्रकोप के समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की सम्भाव्यता होती है. अतः इसमें प्रकोप के परिणाम प्रचण्डता गति, सम्भावित क्षति की मात्रा, क्षेत्र विशेष में आपदा के बने रहने की अवधि आदि के संदर्भ में पर्याप्त अनिश्चिता होती है।

 

  • आपदा जोखिम को हमेशा मानव स्वास्थ्य व उसकी परिसम्पत्ति तथा पर्यावरण एवं प्रकृति के संदर्भ में देखा जाता है। जोखिम विश्लेषण प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन का प्रमुख पक्ष है। इसके अंतर्गत निम्न पहलुओं को सम्मिलित करते हैं।

 

प्रश्न 2. (N). 

"मॉम' (MOM) क्या है

उत्तर-

  • भारत द्वारा अंतरिक्ष अभियानों में अब तक की सबसे बड़ी सफलता मंगल ग्रह के लिए 'मार्स आर्विटर मिशन' (MOM) का सफल प्रक्षेपण तथा मंगल ग्रह की कक्षा में इसकी सफल स्थापना रही है। इस महत्वाकाँक्षी अभियान ने न केवल देश के वैज्ञानिकों के साथ देश की वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग दक्षता को विश्व स्तर पर सराहना दिलाई है, बल्कि पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह के लिए अंतरिक्ष अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने वाला पहला देश बनने के साथ ही वाणिज्यिक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष बाजार में भारत की साख में भी पर्याप्त अभिवृद्धि हुई है। टाइम पत्रिका द्वारा तो 'मंगलयान को वर्ष 2014 के 25 शीर्ष मानवोपयोगी आविष्कारों में शामिल किया गया है।

 

  • यह मंगलयान मंगल ग्रह की दीर्घवृत्ताकार कक्षा में 6 माह तक परिक्रमा करने के दौरान अपने नीतिभारों (Pay loads) के माध्यम से वहाँ के वायुमंडल और धरातल की संरचना का अध्ययन करने के साथ वहाँ की गैसों (विशेषकर मेथेन की उपस्थिति) तथा खनिजों की पड़ताल करेगा। इसके अतिरिक्त इस मिशन का उद्देश्य सुदूर अंतरिक्ष में संचार और नेविगेशेन सम्बंधी क्षमता का परीक्षण और भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कौशल का प्रदर्शन भी है।

 

  • मंगलयान की वर्तमान में मॉनिटरिंग इसरो के बैंगलुरु स्थित टेलीमेट्री, ट्रेकिंग एवं कमांड नेटवर्क (ISTRAC) के अंतरिक्ष यान नियंत्रण केंद्र से ब्यालालू (रामनगर, कर्नाटक) स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) एंटीना सहायता से की जा रही है।

 

  • 28 सितम्बर, 2014 को मंगलयान के मार्स कलर  कैमरा (MCC) द्वारा ली गई मंगल ग्रह की प्रथम 'ग्लोबल व्यू' वाली तस्वीर जारी की गई।

 

  • वर्तमान में मंगलयान मंगल ग्रह से 421.7 कि.मी. की न्यूनतम दूरी (Periapsis) और 76,993.6 कि.मी. की अधिकतम दूरी (Apoapsis) वाली अति दीर्घवृत्तीय कक्षा में 1500 के झुकाव पर 72 घंटे 51 मीनट 51 सेकंड में मंगल ग्रह की क परिक्रमा कर रहा है ।

 

  • उल्लेखनीय है कि मंगल ग्रह के लिए अब तक पृथ्वी से भेजे गए कुल 51 अंतरिक्ष मिशनों में केवल 21 मिशन ही सफल हुए मंगलयान के सफलतापूर्वक मंगलग्रह की कक्षा में स्थापित होने के पश्चात अमेरिका, रूस और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद इस संदर्भ में भारत विश्व में चौथा तथा पहला एशियाई देश बन गया है। ज्ञातव्य है कि इनमें भारत ही एकमात्र ऐसा है जिसने अपने पहले ही प्रयास में यह सफलता प्राप्त की है। मात्र 450 करोड़ रु. की लागत वाला यह सबसे किफायती मंगल मिशन भी है। 

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