लोकतंत्र और चुनाव |Democracy and elections in Hindi

 लोकतंत्र और चुनाव 
Democracy and elections in Hindi
लोकतंत्र और चुनाव |Democracy and elections in Hindi


 

  • आधुनिक प्रजातांत्रिक राज्यों में प्रतिनिधि सरकारें हैं । आधुनिक प्रजातांत्रिक राज्यों के लम्बे आकार और जनसंख्या के कारण सरकार के एक रूप में प्रत्यक्ष लोकतंत्र का प्रयोग कठिन हो जाता है। फिर भीसभी आधुनिक लोकतंत्रों में अप्रत्यक्ष या प्रतिनिधि सरकारें हैंजिन्हें लोगों के द्वारा चुना जाता है। ये प्रतिनिधि चुनाव के माध्यम से लोगों के द्वारा चुने जाते हैं। इस प्रकार चुनाव आधुनिक प्रतिनिधि लोकतंत्र के निर्माण में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 

  • चुनाव लोगों का समर्थन पाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच मुकाबला होता है। कभी कभी एक व्यक्ति भी स्वतंत्र उम्मीदवार की तरह चुनाव लड़ सकता है।

 

पार्टी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के फायदे निम्न हैं:

 

  • राजनीतिक दल विशिष्ट नीतियों का अनुसरण करते हैंअतःजब एक उम्मीदवार दल का प्रतिनिधि होता हैमतदाताओं के लिए जानना आसान हो जाता है कि उसके कार्यक्रम क्या हैं। 
  • पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार आयोजित करने के लिए राजनीतिक दलों से कोष प्राप्त होता है । 
  • उम्मीदवार को चुनाव के दौरान पार्टी के द्वारा कार्यकर्ताएँ दिये जाते हैं। 
  • पार्टी के लोकप्रिय नेता दल उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते हैं तथा उनकी चुनाव रैलियों को संबोधित करते हैं।

 

लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया

 

  • प्रजातांत्रिक प्रणाली में चुनाव समानता के सिद्धांत पर आधारित होता हैउदाहरणार्थ एक व्यक्ति एक मत। सभी व्यक्तियों को बिना जातिरंगमतलिंगया धर्म के भेदभाव के खास राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं। इन अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण अधिकार मत देने का अधिकार है। राजनीति में प्रत्येक को समान अधिकार प्राप्त है प्रत्येक व्यक्ति को सरकार के गठन में समान हक है।

 

गुप्त मतपत्र : 

  • मतदाता एक घेरे में अपने मत का प्रयोग गुप्त रूप से करते हैंताकि कोई भी उनके चयन को नहीं जान सके प्रतिनिधि लोकतंत्र में गुप्त मतदान को प्रश्रय दिया जाता हैअन्यथामतदाता धमकी तथा अनुचित प्रभाव के भय से अपने चयन का खुले रूप से प्रदर्शन नहीं कर सकते।

 

निर्वाचन क्षेत्र 

  • निर्वाचन क्षेत्रों में कार्यकुशलता के साथ चुनाव प्रक्रिया को संपादित किया जाता है। निर्वाचन क्षेत्र प्रादेशिक क्षेत्र होता हैजहाँ से उम्मीदवार चुनाव लड़ता है। यदि केवल एक ही व्यक्ति को निर्वाचन क्षेत्र से चुना जाता हैतो उसे एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र कहा जाता है। यदि कई प्रतिनिधि एक ही चुनाव क्षेत्र से चुने जाते हैंतब उसे बहु सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र कहा जाता है।

 

  • भारत में संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया एक स्वतंत्र संस्थाचुनाव आयोग के द्वारा संचालित और नियंत्रित की जाती है। यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का भरोसा दिलाती है। चुनाव आयोग हमारे देश में चुनाव की तिथि को निश्चित तथा घोषित करता है। चुनाव आयोग की एक दूसरी बड़ी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी हैयह सुनिश्चित करना है कि सत्ताधारी दल दूसरे दलों की तुलना में अनुचित लाभ न उठा ले चुनाव प्रक्रिया कई औपचारिक दौरों से गुजरती है। 


चुनाव प्रक्रिया के अंतर्गत आते हैं :

 

1) चुनाव तिथि की घोषणा; 

2) नामांकन पत्र भरना; 

3) आवेदनों की जाँच: 

4) नाम वापसी,

5) अंतिम सूची का प्रकाशन, 

6) प्रचार: 

7) वोट डालना; 

8) चुनाव परिणाम की घोषणा ।

 

  • वास्तव मेंजैसे ही चुनाव आयोग मतदान की तिथि की घोषणा करता हैराजनीतिक दल अपनी गतिविधियाँ प्रारंभ कर देते हैं। राजनीतिक दलों का प्रथम कार्य चुनाव लड़ने वाले अपने उम्मीदवारों का चयन करना होता है। आधुनिक चुनाव एक बोझिल प्रक्रिया है। इसके संपादन के लिए राजनीतिक दलों द्वारा गठित विशाल संगठन की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्तचुनावों में आने वाले खर्चों की व्यवस्था राजनीतिक दल करते है।

 

i) उम्मीदवारों का चयन

 

  • प्रतिनिधि लोकतंत्र के संचालन में राजनीतिक दलों की भूमिका अनिवार्य और अत्यधिक प्रमुख हो गयी है। वास्तव में राजनीतिक दलों ने प्रजातांत्रिक राजनीति को संगठित ढाँचा प्रदान किया है। राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों की घोषणाउनका समर्थन तथा उनके प्रचार का संचालन करते हैं।

 

  • प्रत्येक राजनीतिक दल विशेष कार्यक्रमों की घोषणा करता है तथा सत्ता में आने के बाद इन कार्यक्रमों को पूरा करने का वचन देता है। मतदाता किसी खास पार्टी के उम्मीदवार को उसके कार्यक्रमों तथा नीतियों के आधार पर वोट देते हैं।

 

ii) नामांकन

 

  • चुनाव की तिथि के घोषणा के बाद राजनीतिक दल को चयन प्रक्रिया के द्वारा उम्मीदवारों का चयन करना होता है। तत्पश्चात् उम्मीदवारों को अपना नामांकन पत्र चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त चुनाव कार्यालयों में भरना पड़ता है। नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि होती है। सभी नामांकन पत्रों के जमा होने के बाद उनकी जाँच की प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया को नामांकन पत्रों में दिये गयी सूचनाओं की सत्यता की जाँच के लिए अपनाया जाता है। यदि कोई संदेह होता है या कोई उम्मीदवार अयोग्य पाया जाता हैउसके / उसकी नामांकन पत्र को रद्द कर दिया जाता है। जब जाँच प्रक्रिया खत्म हो जाती हैउम्मीदवारों को नाम वापसी की एक तिथि दी जाती है।

 

नाम वापसी की प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि 

  • (i) कम से कम मतों की बरबादी हो और
  • (ii) मतपत्र पर सभी अंकित नाम सक्रिय उम्मीदवारों के हों।

 

iii)  राजनीतिक दलों के चिह्न चुनाव

 

  • राजनीतिक दलों के चिह्न चुनाव आयोग द्वारा आवंटित किये जाते हैं। चुनाव आयोग प्रत्येक राजनीतिक दल को चुनाव चिह्न आवंटित करता है और सुनिश्चित करता है कि ये एक दूसरे से भिन्न हों। जिससे उनके प्रति मतदाताओं में भ्रम न पैदा हो । 

भारत मेंचिह्नों का निम्न कारणों से महत्त्व है :

 

  • वे अशिक्षित मतदाताओं के लिए सहायक होते हैंजो उम्मीदवारों के नाम नहीं पढ़ सकते हैं। 
  • वे समान नामवाले दो उम्मीदवारों के बीच अंतर करने में सहायता पहुँचाते हैं। 
  • वे संबंधित राजनीतिक दल के आदर्श को प्रतिबंधित करते हैं।

 

iv) चुनाव प्रचार

 

  • प्रचार के द्वारा एक उम्मीदवार दूसरे उम्मीदवार की अपेक्षा अपने पक्ष में मतदाताओं को वोट देने के लिए लुभाता है। प्रचार मतदान के 48 घंटे पहले बंद हो जाता है। प्रत्येक राजनीतिक दल और प्रत्येक उम्मीदवार अधिक से अधिक मतदाताओं के पास पहुँचने की कोशिश करता है। चुनाव प्रक्रिया में कई तरह की प्रचार तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। 


चुनाव प्रचार तकनीक कुछ निम्न हैं :

 

  • आयोजित सार्वजनिक सभा जिस को दल के उम्मीदवारों और कई स्थानीय और राष्ट्रीय नेताओं द्वारा संबोधित किया जाता है। 
  • दीवारों पर पोस्टरों को चिपकाना और सड़क के किनारे बड़ी और छोटी होर्डिंग लगाना। 
  • अपने घोषणपत्र के मुख्य मुद्दों को पर्चों द्वारा स्पष्ट करना 
  • विभिन्न उम्मीदवारों के समर्थन में जुलूस निकालना 
  • दल के प्रभावी तथा स्थानीय लोगों द्वारा दरवाजे दरवाजे आग्रह करना 
  • विभिन्न दल के नेताओं के भाषणों का रेडियो और दूरदर्शन प्रसारण।

 

iv) मतों की गिनती और चुनाव नतीजे की घोषणा

 

  • मतदान समाप्ति के बादमतपेटियों को सील करके मतगणना केन्द्रों पर ले जाया जाता है। मतगणना के दौरानउम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि उपस्थित होते हैं। मतगणना के बाद साधारण बहुमत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित किया जाता है। कभी-कभी साधारण बहुमत समस्यायें उत्पन्न करता है। जब सिर्फ दो उम्मीदवार होते हैंनिर्वाचित उम्मीदवार बहुमत का प्रतिनिधित्व करती है। लेकिनयदि दो या दो से अधिक उम्मीदवार होते हैं तो स्थिति वैसी नहीं होती हैउदाहरणस्वरूप यदि ए40बी20 सी20 और डी20 मत प्राप्त करता हैतब ए को निर्वाचित घोषित किया जाता है । यद्यपि40 मत वास्तव में उसके विरुद्ध हैं। 

  • चुनाव लोकतंत्र का बहुत महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैक्योंकि लोकतंत्र प्रणाली का समूची मोर्चाबंदी चुनाव कैसे होता हैउस पर निर्भर करती है।

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