वित्तीय समावेशन क्या है |वित्तीय समावेशन के उद्देश्य, मापन, लाभ,समस्याएं,रणनीतिक उद्देश्य |What is financial inclusion

वित्तीय समावेशन क्या है 
वित्तीय समावेशन के उद्देश्य एवं मापन 

वित्तीय समावेशन क्या है |वित्तीय समावेशन के उद्देश्य, मापन, लाभ,समस्याएं,रणनीतिक उद्देश्य |What is financial inclusion



वित्तीय समावेशन क्या है 

  • वित्तीय समावेशन समाज के सभी वर्गों के लिए आवश्यक वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को पहुचाने की प्रक्रिया है। वैसे क्षेत्र जहां Bank नहीं पहुंच सकते, वहां बैंक अपना KIOSK Banking या फिर Retail Banking के माध्यम से बैंकिंग सुविधाओं को प्राप्त करवाता है। यह देश के नागरिकों को Banking System से जोड़ने की प्रक्रिया से संबंधित है।


  • किसी भी देश के सर्वांगीण विकास के लिए उस देश की वित्तीय व्यवस्था का मजबूत होना अत्यधिक आवश्यक है एवं वित्तीय व्यवस्था तभी मजबूत होगी जब देश का एक-एक नागरिक financial system से जुड़े। इस व्यवस्था को  वित्तीय समावेशन के नाम से भी जाना जाता है।

 

  • मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र, जहां हमारे देश की आधे से ज्यादा आबादी निवास करती हैं, उन लोगों को Banking System से जोड़ना। वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) के तहत वर्ष 2014 में पीएम जन धन योजना (PMJDY) की शुरुआत की गई थी, जो की वित्तीय समावेशन का बहुत अच्छा उदाहरण है।

 वित्तीय समावेशन का अर्थ 

  • वित्तीय समावेशन व्यक्तियों को बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं प्रदान करने का एक तरीका है। इसका उद्देश्य सभी को उनकी आय या बचत की परवाह किए बिना बुनियादी वित्तीय सेवाएं देकर समाज में शामिल करना है। यह आर्थिक रूप से वंचितों को वित्तीय समाधान प्रदान करने पर केंद्रित है। 
  • वित्तीय समावेशन शब्द का प्रयोग मोटे तौर पर सस्ते और उपयोग में आसान रूप में गरीबों को बचत और ऋण सेवाओं के प्रावधान का वर्णन करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गरीब और हाशिए के लोग अपने धन का सर्वोत्तम उपयोग करें और वित्तीय शिक्षा प्राप्त करें। वित्तीय प्रौद्योगिकी और डिजिटल लेनदेन में प्रगति के साथ, अधिक से अधिक स्टार्टअप अब वित्तीय समावेशन को हासिल करना आसान बना रहे हैं।

 

वित्तीय समावेशन परिभाषा

 

  • वित्तीय समावेशन संस्थागत प्रतिभागियों द्वारा पारदर्शी तरीके से कमजोर समूहों के लिए आवश्यक वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक एक सस्ती कीमत पर पहुंच सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है।


वित्तीय समावेशन के उद्देश्य (Objectives of Financial Inclusions)

  • वित्तीय समावेशन (Financial inclusion) समाज और अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में मदद करता है। इससे बचत, निवेश में वृद्धि होती है जिससे हमारे देश का आर्थिक विकास को गति मिलती है।
  • इससे लोगों को पैसा बचत करने की आदत लगती है मुख्य तक कमजोर वर्ग वालों के लिए जिससे उनकी आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे ठीक होती है।
  • बैंकिंग सेवाओं और उत्पादों की उपस्थिति का उद्देश्य बचत की आदत को विकसित करके बैंकों को लाभ प्रदान करना है। वैसे स्थान जहां बैंक नहीं पहुंच पाते उनके लिए यह औपचारिक ऋण के रास्ते भी बनाता है जो परिवार, दोस्तों और साहूकारों पर निर्भर हैं।
  • इसकी सहायता से ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों को एक जगह से दूसरी जगह तक पैसा भेजने में काफी लाभ मिला जिसमें के इन्हें पहले बहुत ज्यादा मैं के तरीकों से एक जगह से दूसरे जगह तक पैसा भेजना पड़ता था।
  • इसके माध्यम से सरकार द्वारा उत्पादों पर Subsidy देने और नगद भुगतान करने के बजाय Account Holder के बैंक खातों में direct benefit transfer (DBT) के माध्यम से सरकारी लाभ हो और Subsidy का पैसा उनके खातों में पहुंचाना।


वित्तीय समावेशन के लाभ (Advantage of Financial Inclusion)

  • इसके अंतर्गत अधिक खाता खुलते हैं, जिस कारण से अधिक पैसा जमा होता है और उन पैसों को Loan लेने वाले इच्छुक व्यक्ति को ऊंची ब्याज दरों पर उधार दिया जाता है जिससे बैंक को मुनाफा प्राप्त होता है।
  • इसके अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा ग्राहक बनाए जाते हैं ताकि वह बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठाने के साथ-साथ बैंक के वित्तीय उत्पादों का भी उपभोग करें और बैंकों को मुनाफा प्राप्त हो।
  • वित्तीय प्रणाली में छूटे हुए वैसे लोग जो बैंकिंग प्रणाली से जुड़े हुए नहीं थे, उनको जोड़ना। जिनके लिए बैंकिंग प्रणाली सिर्फ एक प्रवेश मात्र है। वह पूंजी बाजार, मुद्रा बाजार जैसे स्थानों पर पैसा लगाते हैं जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है

वित्तीय समावेशन के हानि (Disadvantage of Financial Inclusion)

  • इसके अंतर्गत खोले गए खातों का रखरखाव बहुत महंगा होता है क्योंकि प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के अंतर्गत खोले गए खातों में से 58% खातों में कोई लेन-देन नहीं होता, परंतु उसे सुचारू रूप से चलाने के लिए बैंकों को खर्च करनी पड़ता है।
  • अधिक ग्राहकों को शामिल करने से बाजार में Competition बढ़ जाता है। जिस कारण से सभी बैंक का अपना कस्टमर बढ़ाने के लिए खाता खोलने लग जाते हैं इसमें से बहुत सारे खाते ऐसे होते हैं जिसमें पर्याप्त रूप से Documents उपलब्ध नहीं होते है।
  • साहूकारों को हमेशा से ही मुझे प्याज दर पर पैसा लेन देन के लिए बदनाम किया गया है लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि वह अचानक से कोई मदद पड़ जाने पर पैसा लेकर उनकी मदद के लिए खड़े रहते हैं परंतु बैंक के साथ ऐसा नहीं है।


कियोस्क बैंकिंग क्या है KIOSK Banking क्या है

  • KIOSK एक प्रकार का बैंकिंग मॉडल है। जो बिना बैंक विशेष प्रकार की बैंकिंग सेवाएं प्रदान करता है। सामान्य सेवा केंद्रों और Business Correspondents के माध्यम से एक लैपटॉप से बैंकिंग ग्राहकों को विशेष प्रकार की बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना।

 

  • वित्तीय समावेशन का दायरा बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय ने बैंकों को निर्देश दिया है कि common service centers (CSC) के माध्यम से बैंकिंग का कियोस्क मॉडल को स्थापित किया जाए।

 

  • हमारी वित्तीय समावेशन पहले 4 राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में फैली हुई है। दक्षिण भारतीय बैंक वित्तीय समावेशन योजना के तहत गांवों में है, जिसमें KIOSK Banking का मुख्य स्थान है।

 

कियोस्क मॉडल की मुख्य विशेषताएं 

  • KIOSK एप्लिकेशन प्लेटफॉर्म और डेटाबेस स्वतंत्र है।
  • Bank Authorization के साथ ऑनलाइन खाता खोलना।
  • बैंक सीबीएस में बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के ऑनलाइन लेनदेन।
  • समर्थन एईपीएस लेनदेन (ऑन-अस और ऑफ-अस)
  • यूआईडी ग्राहकों के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का उपयोग करके कार्ड रहित लेनदेन को सक्षम बनाता है।

शाखा रहित बैंकिंग

  • सेवा उनके दरवाजे पर उपलब्ध कराई गई
  • बुनियादी बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता
  • ग्रामीणों के लिए कोई चालान/वाउचर की आवश्यकता नहीं
  • छोटे मूल्य के ऋण आसानी से मिल जाना (Overdraft सुविधा)
  • छोटे मूल्य की जमाराशियों का स्वीकार किया जाना।

 

वित्तीय समावेशन पर समितियों के सुझाव

वित्तीय समावेशन के इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आजादी के समय से ही RBI एवं Govt. of India प्रयत्नशील रहे है। अब तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से निम्न कदम उठाये जा चुके हैं:

 

  • 1955 से लेकर 1980 तक लगातार Banks के राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया जारी रही। यह मुख्यतः Banking System को सुरक्षित बनाने के लिए एवं Banks का विस्तार Rural Areas में भी करने के लिए किया गया।

 

  • 1969 में Lead Bank की अवधारणा प्रस्तुत की गई जिसके अंतर्गत वह बैंक जिसकी किसी भी जिले में सर्वाधिक शाखाएं होंगी। उसे वह District Financial Inclusion के उद्देश्य से गोद लेना होगा।

 

  • 1975 में Regional Rural Banks की स्थापना हुई जिनका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के लिए एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना के लिए ऋण प्रदान करने का था।

 

  • 1982 में NABARD की स्थापना की गई जो कि एक ऐसा Financial Institution है जो उन Banks एवं वित्तीय संस्थाओं को ऋण प्रदान करता है जो कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए आगे ऋण प्रदान करते हैं।

 

  • प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को दिये जाने वाले ऋण को भारतीय एवं विदेशी Banks के ऊपर अनिवार्य रूप से लागू किया गया ताकि समाज के उस वर्ग को भी संस्थागत ऋण की प्राप्ति हो सके जिसे बैंक आम तौर पर ऋण प्रदान नहीं करना चाहते।

 

  • 1998 में Kisan Credit Card की अवधारणा लागू की गयी जिसके माध्यम से किसानों को कम ब्याज दर पर कृषि के उद्देश्य से ऋण प्रदान किया जाता है।

 

  • समाज के निम्न वर्ग को Bank Account प्रदान करने के उद्देश्य से No frills AC / Bank account/ Saving Account Banks ने खोलना प्रारम्भ किया। जिसके अन्तर्गत खाता शून्य जमा राशि पर ही प्राप्त किया जा सकता है।

 

  • बैंक मित्र/बैंक साथी की अवधारणा को लागू किया गया जिसके माध्यम Banks को एवं Banking Services को लोगों के घरों तक पहुंचाया गया।

 

  • खान समिति, रंगराजन समिति एवं नचिकेत मोर समिति की स्थापना की गयी। जिन्होंने समय-समय पर इस पूरी प्रक्रिया को गति प्रदान करने के उद्देश्य से दिये।

 

  • 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना का शुभारम्भ। Nachiket More Committee Report Financial Inclusion के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से RBI ने नचिकेत मोर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया। इस समिति ने अपने सुझाव 2014 में प्रस्तुत किये। इस समिति के अनुसार, आधार को Bank Account प्रदान करने के उद्देश्य से मुख्य पहचान पत्र बनाया जाये। अगले 12 महीनों में देश की 50% आबादी को Banking System से जोड़ा जाये एवं उसके बाद के 12 महीनों में शत प्रतिशत आबादी को Banking System से जोड़ने का प्रयास किया जाये।

 

  • इस समिति ने Payment Bank एवं Small Finance एवं Small Finance Bank के रूप में वर्गीकृत Banks की स्थापना का सुझाव दिया। समिति ने यह भी खुलासा किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 15 मिनट की पैदल दूरी पर बैंक शाखाओं की स्थापना की जाये। परंतु समिति के अनुसार वित्तीय समावेशन के लिए ऐसा कोई भी कदम न उठाया जाये जो देश के वित्तीय स्थायित्व के लिए खतरा है।

 

 

वित्तीय समावेशन के लिए उठाए गए कदम:

RBI ने विश्लेषित किया कि देश में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें निम्न सम्मिलित है:


  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई), जिसके अंतर्गत 89,257 करोड़ रुपये की राशि के साथ 34 करोड़ खाते खोले गए हैं (जनवरी 2019 तक)
  • प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसी योजनाएँ आकस्मिक मृत्यु या विकलांगता कवर और अटल पेंशन योजना प्रदान करने के लिए बैंक खाताधारकों को पेंशन कवर प्रदान करने के लिए।


इसके अतिरिक्त यह संदर्भित किया गया है कि RBI द्वारा अलग-अलग बैंकिंग लाइसेंस (छोटे वित्त बैंक और भुगतान बैंक) जारी करने और सितंबर 2018 में भारतीय पोस्ट पेमेंट्स बैंक के लॉन्च के माध्यम से वित्तीय समावेशन के बैंक-नेतृत्व वाले मॉडल ने आखिरी मील कनेक्टिविटी में अंतर को समाप्त करने में सहायता की है।


वित्तीय समावेशन में साथ समस्याएं

हालांकि, वित्तीय समावेशन में कुछ बाधाएं हैं जो निम्न हैं-


(i) अपर्याप्त अवसंरचना (ग्रामीण हिमनलैंड के कुछ हिस्सों में, हिमालयी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में दूर दराज के क्षेत्रों में)

(ii) ग्रामीण क्षेत्रों में खराब टेली और इंटरनेट कनेक्टिविटी,

(iii) सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ,

(iv) भुगतान उत्पाद स्थान में बाजार के खिलाड़ियों की कमी।


वित्तीय समावेशन के लिए रणनीतिक उद्देश्य:


RBI ने वित्तीय समावेशन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति के छह रणनीतिक उद्देश्यों की पहचान की

(i) वित्तीय सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुंच

(ii) वित्तीय सेवाओं का मूल गुलदस्ता प्रदान करना,

(iii) आजीविका और कौशल विकास तक पहुँच,

(iv) वित्तीय साक्षरता और शिक्षा,

(v) ग्राहक सुरक्षा और शिकायत निवारण,

(vi) प्रभावी समन्वय।


इसे प्राप्त करने के लिए कुछ उपाय किये गए हैं जो निम्न हैं


(a) मार्च 2020 तक पाँच किमी के दायरे में हर गाँव (या पहाड़ी इलाकों में 500 परिवारों का आवास) को बैंकिंग पहुँच प्रदान करना,

(b) मार्च 2022 तक नकदी कम समाज की ओर बढ़ने के लिए बुनियादी ढाँचा बनाने के लिए डिजिटल वित्तीय सेवाओं को मजबूत करना,

(c) यह सुनिश्चित करना कि मार्च 2024 तक मोबाइल डिवाइस के माध्यम से प्रत्येक वयस्क की वित्तीय सेवा प्रदाता तक पहुँच हो।


  • वित्तीय सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने के लिए, आरबीआई ने उल्लेख किया कि पीएमजेडीवाई जैसी योजनाओं ने वित्तीय समावेशन को सक्षम करने के लिए आवश्यक बैंकिंग अवसंरचना तैयार की है, बीमा और पेंशन सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए प्रयासों की आवश्यकता है।
  • यह अनुशंसा की गई कि प्रत्येक इच्छुक और योग्य वयस्क जो पीएमजेडीवाई के तहत नामांकित है, को मार्च 2020 तक बीमा या पेंशन योजना के तहत नामांकित किया जाना चाहिए।
  • इसी तरह, वित्तीय साक्षरता और शिक्षा के लिए, लक्षित दर्शकों (बच्चों, उद्यमियों, वरिष्ठ नागरिकों) के लिए विशिष्ट मॉड्यूल को नेशनल सेंटर फॉर फ़ाइनेंशियल इंक्लूज़न के माध्यम से विकसित किया जाना चाहिए और वित्तीय साक्षरता के लिए केंद्रों का विस्तार मार्च 2024 तक देश के प्रत्येक ब्लॉक तक पहुंचाने के लिए किया जाना चाहिए।


वित्तीय समावेशन का मापन:

RBI ने वित्तीय समावेशन को तीन प्रमुख संकेतकों में मापदंडों के माध्यम से मापने की अनुशंसा की । इनमें निम्न पैरामीटर सम्मिलित हैं

(i) किसी विशिष्ट आबादी के लिए बैंक शाखाओं या एटीएम की संख्या जैसे पहुंच को मापता है,

(ii) बचत खाते, बीमा या पेंशन नीति के साथ वयस्कों के प्रतिशत जैसे उपयोग को मापें,

(iii) सेवाओं की गुणवत्ता को मापते हैं, जैसे कि शिकायत निवारण (प्राप्त शिकायतों की संख्या और पता के माध्यम से)।

इसके अतिरिक्त, इसने वित्तीय समावेशन के मौजूदा अवरोधों (जैसे डिजिटल सेवाओं का उपयोग करते समय सामना करने वाले मुद्दों, ग्राहक अधिकारों के ज्ञान और सेवा प्रदाता के दृष्टिकोण) का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण करने की सिफारिश की।


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