परिसंचरण की विकृतियाँ। मानव में हृदय संबंधित बीमारियाँ । Heart diseases in humans

परिसंचरण की विकृतियाँ, मानव में हृदय संबंधित बीमारियाँ 

परिसंचरण की विकृतियाँ। मानव में हृदय संबंधित बीमारियाँ । Heart diseases in humans


 परिसंचरण की विकृतियाँ

 

उच्च रक्त दाब ( अति तनाव) High blood Pressure (Hypertension):

  • अति तनाव रक्त दाब की वह अवस्था हैजिसमें रक्त चाप सामान्य (120/80) से अधिक होता है। 
  • इस मापदंड में 120 मिमी. एच जी (मिलीमीटर में मर्करी दबाव ) को प्रकुंचन या पंपिंग दाब और 80 मिमी. एच जी को अनुशिथिलन या विराम काल (सहज) रक्त दाब कहते हैं। 
  • यदि किसी का रक्त दाब बार-बार मापने पर भी व्यक्ति 140/90 या इससे अधिक होता है तो वह अति तनाव प्रदर्शित करता है। 
  • उच्च रक्त चाप हृदय की बीमारियों को जन्म देता है तथा अन्य महत्वपूर्ण अंगों जैसे मस्तिष्क तथा वृक्क जैसे अंगों को प्रभावित करता है।

 

हृदय धमनी रोग (CAD) :

  • हृदय धमनी बीमारी या रोग को प्राय: एथिरोकाठिय (एथिरोस सक्लेरोसिस) के रूप में संदर्भित किया जाता हैजिसमें हृदय पेशी को रक्त की आपूर्ति करने वाली वाहिनियाँ प्रभावित होती हैं। यह बीमारी धमनियों के अंदर कैल्सियमवसा तथा अन्य रेशीय ऊतकों के जमा होने से होता हैजिससे धमनी की अवकाशिका संकरी हो जाती है।

 

हृदयशूल (एंजाइना ) : 

  • इसको एंजाइना पेक्टोरिस ( हृदशूल पेक्टोरिस ) भी कहते हैं। हृद पेशी में जब पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँचती है तब सीने में दर्द (वक्ष पीड़ा) होता है जो एंजाइना (हृदशूल) की पहचान है। हृदशूल स्त्री या पुरुष दोनों में किसी भी उम्र में हो सकता हैलेकिन मध्यावस्था तथा वृद्धावस्था में यह सामान्यतः होता है। यह अवस्था रक्त बहाव के प्रभावित होने से होती है।

 

हृदयपात (हार्ट फेल्योर ) :

  • हृदयपात वह अवस्था है जिसमें हृदय शरीर के विभिन्न भागों को आवश्यकतानुसार पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर पाता है। इसको कभी-कभी संकुलित हृदयपात भी कहते हैंक्योंकि फुप्फुस का संकुलन हो जाना भी उस बीमारी का प्रमुख लक्षण है। 
  • हृदयपात ठीक हृदघात की भाँति नहीं होता (जहाँ हृदघात में हृदय की धड़कन बंद हो जाती है जबकिहृदपात में हृदयपेशी को रक्त आपूर्ति अचानक अपर्याप्त हो जाने से यकायक क्षति पहुँचती है।

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