संगठन के प्रकार लोक प्रशासन |औपचारिक संगठन | Types of Organization Public Administration

संगठन के प्रकार लोक प्रशासन

संगठन के प्रकार लोक प्रशासन |औपचारिक संगठन | Types of Organization Public Administration


संगठन के प्रकार

 

संगठन की प्रकृतिउद्देश्य निर्माण पद्धतिकार्य एवं अन्य आधार तत्वों को ध्यान में रखते हुए विद्वान प्रायः इसे दो भागों में विभाजित करते हैं- 

  • औपचारिक संगठन और 
  • अनौपचारिक संगठन।

 

औपचारिक संगठन Formal Organization

 

  • जब किसी संगठन में कार्य करने वाले को कार्य-क्षेत्र तथा उनकी स्थिति को निश्चित करके कर्तव्योंअधिकारोंदायित्वों व पारस्परिक सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कर दी जाये तो सम्बन्धों के ऐसे स्वरूप को औपचारिक संगठन” की संज्ञा जाती है। 


  • अतः औपचारिक संगठन में अमूर्त और बहुत कुछ स्थाई नियमों का समावेश होता है। जो प्रत्येक सहभागी के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। ऐसे संगठन में प्रत्येक व्यक्ति को एक निश्चित विधि से नियमों का पालन करते हुए कार्य करना पड़ता है।

 

  • दूसरे शब्दों मेंव्यवस्थित व नियोजित ढंग से निर्मित संगठन जिसमें स्थितिअधिकार एवं उत्तर दायित्वों की स्पष्टता होती हैऔपचारिक कहा जाता है। यहाँ अधिकार उच्च से निम्न स्तर को प्रदान होता है और पूरे संगठन की सरंचना संस्था के उद्देश्यों को पाने का समन्वित प्रयास करती है। 


  • इस संबंध में विभिन्न विद्वानों ने निम्नलिखित ढंग से अपने विचारों को प्रकट किया है। आइए इन्हें विश्लेषित करने का प्रयास करें। 

औपचारिक संगठन की परिभाषा 

 

बर्नार्ड के अनुसार-औपचारिक संगठन की परिभाषा 

  • "जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों की क्रियाएँ एक दिए हुए उद्देश्य की तरफ समन्वित की जाती हैतब औपचारिक संगठन का निर्माण होता है। दूसरे शब्दों में औपचारिक संगठन के अन्दर सम्मिलित कार्यविधि नीतियाँ तथा नियम यह दर्शाते हैं कि किसी के कार्य को प्रभावी एवं सुव्यवस्थित ढंग से पूरा करने के लिए एक व्यक्ति का दूसरे के साथ क्या सम्बन्ध होगायह मानवीय संगठन तथा तकनीकी पक्षों के बीच अपेक्षित सम्बन्धों को निर्धारित करता है।

 

साइमनस्मिथबर्ग तथा थॉम्पसन के अनुसार-औपचारिक संगठन की परिभाषा 


  • औपचारिक संगठन वह हैजिसमें व्यवहार तथा सम्बन्धों को जानबूझकर औचित्य के आधार पर संगठन के सदस्यों के लिए योजनाबद्ध कर दिया जाता है।

 

न्यूमैन के अनुसार-औपचारिक संगठन की परिभाषा 


  • जब किसी संगठन के दो या दो से अधिक व्यक्तियों की क्रियाओं को किसी निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए चेतनापूर्वक सम्बन्धित किया जाता हैतो ऐसा संगठन औपचारिक संगठन कहलाता है। "

 

रैले के अनुसार-औपचारिक संगठन की परिभाषा 

  • औपचारिक संगठन से तात्पर्य मानवीय अन्तर सम्बन्धों के ढंग से हैजिसकी व्याख्या प्रभावित नियमों तथा अर्थव्यवस्था के संबंधों द्वारा की जाती है।

 

एलन के अनुसार-औपचारिक संगठन की परिभाषा 

  •  औपचारिक संगठन सीमाएँदिशा-निर्देश और नियम बनाते हैंजिनका पालन करना आवश्यक होता है। वे ऐसा बुनियादी ढाँचा सुलभ कराते हैंजिसके जारिए सरकार या कोई और उद्यम कार्य करता है।


उपरोक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के पश्चात यह कहा जा सकता है कि संगठन का विकास करते समय विद्वानों ने औपचारिक संगठन की भूमिका पर भी गहराई से अध्ययन किया है। वस्तुतः औपचारिक संगठन पूर्व नियोजित रणनीति के अनुसार सोच-समझ कर बनाये जाते हैंजिन्हें उच्च अधिकरियों की सहमति प्राप्त होती है।

 

औपचारिक संगठन की विशेषतायेँ

  • औपचारिक संगठन की प्रकृति अवैयक्तिक होती है। 
  • इसका निर्माण पूर्व निर्धारितपूर्व नियोजित होता है। 
  • औपचारिक संगठन की स्थापना स्वेच्छा से उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु किया जाता है।
  • इसमें आदेश की एकताका पालन होता है। 
  • इनमें सभी स्तरों पर स्थितिअधिकार एवं उत्तर दायित्वों को परिभाषित करके उनकी व्याख्या की जाती है। दूसरे शब्दों मेंइसमें प्रत्येक अधिकारी के अधिकारकर्तव्यों एवं उत्तर दायित्वों की स्पष्ट व्याख्या की जाती है और उनकी सीमाएं निर्धारित कर दी जाती हैं।
  • अधिकार एवं दायित्वों की स्पष्ट व्याख्या में चार्ट एवं मैन्युअल का प्रयोग किया जाता है।यह पूर्णतः श्रम विभाजन के सिद्धान्त पर आधारित होता है।
  • इसमें सभी व्यक्ति आपस में मिलकर कार्य करते हैं।
  • यह प्रदत्त विधायन सिद्धान्त पर आधारित होता है।

 

जैसा कि हम जानते हैं कि जब प्रशासनिक संगठन में काम करने वाले व्यक्तियों के कार्य क्षेत्र तथा उनकी स्थिति को निश्चित करके उनके अधिकारोंदायित्वों व पारस्परिक सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कर दी जाय तो संगठन औपचारिक प्रकृति का हो जाता है। विचार को रोकने औपचारिक संगठन को पुनः विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया है। इसे आरेख के माध्यम से प्रदर्शित कर समझने का प्रयास करें


औपचारिक संगठन के प्रकार 

 

  • रेखा संगठन 
  • रेखा एवं कर्मचारी संगठन 
  • कार्यात्मक संगठन 
  • समिति संगठन

 

  • रेखा संगठन और औपचारिक संगठन का प्रथम भेद जिसमें प्रत्यक्ष शीर्ष रेखा सम्बन्ध होता हैयह प्रत्येक स्तर की स्थिति एवं कार्यों से ऊपर तथा नीचे के स्तर से सम्बन्ध स्थापित करता है।

 

  • रेखा संगठन और कर्मचारी संगठन के इस भेद के सन्दर्भ में लुईस ए) एलन के अनुसाररेखा से तात्पर्य संस्था के उन पदों तथा तत्वों से हैजो संगठन के उद्देश्यों को पूर्ण करने हेतु उत्तर दायी होते हैं। सहायक का आशय उन पदों तथा तत्वों से है जो लाइन अधिकारी को अपने उद्देश्यों को पूरा करने हेतु आवश्यक परामर्श व सहायता उपलब्ध करते हैं।

 

  • कार्यात्मक संगठन में प्रशासन का नियंत्रण इस प्रकार होता है कि प्रत्येक व्यक्ति को कम कार्य करना पड़े। अतः कार्य छोटे-छोटे उप-कार्यों में विभाजित कर दिया जाता है।

 

  • सीमित संगठनइस प्रकार के संगठन में संगठन के कार्यों को विभिन्न विभागों में विभक्त कर दिया जाता हैपरन्तु किसी भी विभागाध्यक्ष को परामर्श के बिना निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता है। सभी विभागाध्यक्षों की समिति का प्रधान महाप्रबन्धक कहलाता है।

 

इस प्रकार औपचारिक संगठन उपरोक्त के माध्यम से प्रशासकीय कार्यों को उनके अन्तिम स्वरूप तक पहुँचता है। अतः औपचारिक संगठन को लाभप्रद संगठन माना जाता है। हेन्स तथा मेसी ने इसके कई लाभों को क्रमबद्ध किया है। इनमें से कुछ को समझने का प्रयास करते हैं

 

औपचारिक संगठन के लाभ

  •  इसके अन्दर किसी कार्य की पुनरावृत्ति सम्भव नहीं होती है। 
  •  इसमें उत्तर दायित्व में अन्तर बहुत कम होता है। 
  •  इसमें कार्यों के सम्पादन में टाल-मटोल की सम्भावना बहुत कम होती है। 
  • इसके अन्दर सुरक्षा की भावना प्रधान होती है। 
  • इसके द्वारा उद्देश्यों की प्राप्ति सुविधाजनक होती है। 
  • इसमें पक्षपात के अवसर पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं।

 

जिस प्रकार एक सिक्के के दो पहलू होते हैंठीक उसी प्रकार एक ओर तो औपचारिक संगठन के अनगिनत लाभ हैंकिन्तु इसके दोषों की भी गिनती कम नहीं है। इसके प्रमुख दोषों में निम्नलिखित को सम्मिलित किया जा सकता है


औपचारिक संगठन के दोष 

  • इस संगठन समन्वय की समस्या सदैव उपस्थित रहती है।  
  •  इसके द्वारा पहल करने की शक्ति समाप्त हो जाती है। कार्य एक-दूसरे को स्थानान्तरित करने का प्रयास किया जाता है। 
  • प्रायः अधिकारी अपने अधिकारों का प्रयोग अपने फायदे के लिए करते हैंजिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। 
  • यन्त्रवत होने के कारण ऐसे संगठन में मनुष्य से ज्यादा नियम और नीति प्रधान होते हैं।


इस प्रकार औपचारिक संगठन लाभ और हानि के वातावरण में नीचे से ऊपर की ओर या ऊपर से नीचे की ओर एक व्यवस्थित क्रम में व्यवस्थित रहते हैंजिसे पदसोपानिक व्यवस्थित क्रम कहा जाता है। इस तथ्य का भी स्मरण रखना चाहिए कि औपचारिक संगठन बहुत से छोटे-छोटे संगठनों से मिलकर निर्मित होता है। बिना छोटे संगठनों को आत्मसात किये बड़ा संगठन बनना असम्भव होता है।

 

वस्तुतः औपचारिक संगठन के अन्तर्गत वे सभी उप-संगठन आते हैं। जिनके सभी अवयवलाइन एवं स्टाफ के है। इसके अतिरिक्त औपचारिक संगठन संवैधानिक कानून से जकड़े हुए होते हैंजिनके उल्लंघन पर कठोर दंण्ड आधार पर पदसोपनिक क्रम में व्यवस्थित होते हैंतथा जिसमें काफी तादाद में कर्मचारियों को रोजगार प्राप्त होता का प्रावधान होता है।


विषय सूची -


No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.