कोरोना वायरस के कारण
वैश्विक यात्रा पर प्रतिबंध होने से विदेश में फँसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने
हेतु यह अब तक का सबसे बड़ा नागरिक निकासी अभियान है।
इस अभियान ने वर्ष 1990
में खाड़ी युद्ध के दौरान कुवैत से 1,77,000 लोगों को वापस भारत लाने के अभियान को
भी पीछे छोड़ दिया है।
यह मिशन अपने 10वें चरण से
गुज़र रहा है और इसके तहत अब तक लगभग 32 लाख यात्रियों को सुरक्षित घर पहुँचाया गया
है।
राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया
ने अपनी अनुषांगिक इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ मिलकर व्यापक तौर पर इस मिशन
का समर्थन किया और नागरिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया।
एयर इंडिया एक्सप्रेस (AIE) ने पश्चिम एशियाई देशों, सिंगापुर और कुआलालंपुर
(मलेशिया) के लिये कृषि उपज, मुख्य रूप से फलों और सब्जियों
को लानेहेतु भी अपने बेड़े का उपयोग
किया।
इसके अतिरिक्त इस मिशन का
उद्देश्य संकटग्रस्त ग्रामीण किसानों और अप्रवासी भारतीयों की मदद करना और आपूर्ति
शृंखला को बरकरार रखना भी है।
इस मिशन के तहत 93 से अधिक
देशों के प्रवासी भारतीयों नेप्रत्यावर्तन की सुविधा प्राप्त कीहै, वहीं सरकार ने अब तक 18 विभिन्न देशों के साथ
विशेषहवाई यात्रा की व्यवस्था भी की है,
जिसे ‘परिवहन बबल्स’ (Bubbles) के नाम से जाना जाता है।
परिवहन बबल्स ( bubbles)या हवाई यात्रा की व्यवस्था दो
देशों के बीच अस्थायी व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य वाणिज्यिक
यात्री सेवाओं को फिर से शुरू करना है, विशेष तौर पर जब
कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप नियमित अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को निलंबित कर
दिया गया हो।
यह दोनों देशों के वाहक या
यात्री उड़ानों को बिना किसी प्रतिबंध के उड़ान की अनुमति देता है।
पारस्परिक रूप से
द्विपक्षीय समझौते का उद्देश्य दोनों देशों की एयरलाइनों को तेज़ी से प्रत्यावर्तन
के साथ लाभांवित करना है।
भारत समेत विभिन्न देशों
में कोविड -19 के तात्कालिक बढ़ते मामलों के कारण कई वंदे भारत मिशन उड़ानों में
देरी देखने को मिली है।
वंदे भारत मिशन कब शुरू हुआ
भारत ने विदेशों में फंसे हुए अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए 7 मई, 2020 से दुनिया के सबसे बड़े निकासी अभियानों में से एक की शुरुआत की थी।
भारत सरकार के प्रमुख नागरिक बचाव मिशन
खाड़ी देशों से निकासी
(1990-91):
वंदे भारत मिशन से पूर्व
वर्ष 1990 में खाड़ी युद्ध के दौरान कुवैत से भारतीय नागरिको को वापस लाना अब तक का
सबसे बड़ा निकासी अभियान था।
खाड़ी युद्ध के दौरान लगभग
1,77,000 भारतीय फँसे हुए थे। उस समय, एयर इंडिया ने दो
महीनों में लगभग 500 उड़ानें संचालित की थीं।
ऑपरेशन राहत:
वर्ष 2015 के यमन संकट के
दौरान भारतीय सशस्त्र बल द्वारा शुरू किये गए ऑपरेशन राहतके अंतर्गत यमन से 41 देशों के 960 विदेशी
नागरिकों के साथ 4640 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकाला गया था।
यह अभियान वायु मार्ग और
समुद्र मार्ग दोनों से संचालित किया गया था।
ऑपरेशन मैत्री:
वर्ष 2015 में नेपाल में
आए भूकंप में बचाव और राहत अभियान के रूप में ऑपरेशन मैत्री का संचालन भारत सरकार
और भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया गया था।
भारतीय सशस्त्र बलों ने लगभग
5,188 लोगों को निकाला था, जबकि लगभग 785 विदेशी पर्यटकों को
पारगमन वीज़ा प्रदान किया गया था।
ऑपरेशन सुरक्षित घर वापसी:
इसे भारत सरकार ने 26
फरवरी,
2011 को लीबियाई गृहयुद्ध में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के
लिये शुरू किया था।
भारतीय नौसेना और एयर इंडिया
द्वारा वायु मार्ग और समुद्र मार्ग दोनों का संचालन किया गया था। ऑपरेशन में लगभग
15,000 नागरिकों को बचाया गया था।
ऑपरेशन सुकून:
यह अभियान भारतीय नौसेना
द्वारा लेबनान युद्ध (2006) के दौरान लेबनान में फँसे भारत, श्रीलंका और नेपाल के नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिये चलाया गया था।
यह भारतीय नौसेना द्वारा
किये गए सबसे बड़े बचाव अभियानों में से एक था, जिसमें कुल 2,280 लोगों को बचाया गया था।
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