स्वयं सहायता समूह क्या होते हैं |स्वयं सहायता समूह का अर्थ एवं विशेषताएं | SHG Group Meaning And Details

 स्वयं सहायता समूह क्या होते हैं 

स्वयं सहायता समूह का अर्थ एवं विशेषताएं

स्वयं सहायता समूह क्या होते हैं |स्वयं सहायता समूह का अर्थ एवं विशेषताएं | SHG Group Meaning And Details


 

स्वयं सहायता समूह क्या SHG Group Kya Hote hain

  • स्वयं सहायता समूह ग्रामीण निर्धनों का एक ऐसा छोटा समूह होता है। जिनके सदस्यों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति लगभग समान होती है। ये सामूहिक प्रयास से अपनी जीवन दशा में बेहतर बनाने का प्रयास करते है। 
  • सामान्यतः समूह में या तो पुरूष या केवल महिलाएं होती हैपरन्तु मिले-जुले समूह भी बनाये जा सकते है। इसके सदस्य अपनी इक्छा से एक स्वयं सहायता समूह में संगठित होकर अपने समक्ष उपस्थित विशिष्ठ समस्याओं जिन्हें वे अकेले हल नहीं कर सकतेउससे निपटने के लिए चर्चा करते हैं। 
  • यह स्वप्रेरण से बचत के लिए बनाया गया समूह होता है। इसके सदस्य समूह को संस्थागत रूप देने के लिए हर सप्ताह या 15 दिन में समूह द्वारा निश्चित धनराशि जमा करके एक साधारण निधि का निर्माण करते हैजो आगे चलकर समूह की शक्ति बन जाती है । 
  • इस निधि का प्रयोग समूह के निर्णयानुसार जरूरतमत सदस्यों को उतपाद तथा उपयोग के प्रयोजन हेतु ऋण के रूप में प्रदान किया जाता हैइससे जरूरतमंदों की आवश्यकताओं की पूर्ति तो होती ही है साथ में निधि में वृद्धि भी हो जाती है।

 

स्वयं सहायता समूह की विशेषताएं Self Help Group Features 


  • समूह के सदस्यों की संख्या 10 से 20 तक होती हैपरिवार का कोई एक सदस्य पुरूष या सभी स्वयं सहायता समूह का सदस्य बन सकता है।
  • सदस्यों की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए।
  • समूह के सदस्यों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति लगभग समान होती है। 
  • समूह में गरीबी रेखा के नीचे तथा गरीबी रेखा के ऊपर दोनों स्तरों के सदस्य होते है।
  • समूह के सभी सदस्य नियमित रूप से थोड़ी-थोड़ी बचत कर सामूहिक निधि में जमा करते है। समूह के सदस्य एक ही गाँव,/मोहल्ला/टोले के होते है।
  • समूह के सदस्य हफ्ते15 दिन या महीने में एक बैठक कर विभिन्न विषयों पर चर्चा कर एक दूसरे की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान करते है । इसी बैठकों के दौरान बचत राषि को जमाऋण का लेन-देनलेखा-जोखा आदि धर्मों का सम्पादन किया जाता है।
  • पंजीकृत या पंजीकृत स्वयं सहायता समूह का बचत खाता खोला जाता है।
  • समूह के सदस्यों के हस्ताक्षर से बैंक खाता खोलने के लिए संयुक्त खाते के संयुक्त परिचालन के लिए तीन सदस्यों को प्राधिकृत किया जाता है।
  • स्वयं सहायता समूह द्वारा समूह के बचत खाते की राशि का समूह के अन्तर्गत सदस्यों को ऋण प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • समूह को कर्जदार निश्चित किश्तों को बैंक में जमा करता है। 10. बैंक द्वारा ऋण समूह के नाम दिया जाता हैव्यक्तिगत सदस्य के नाम नहीं।
  • समूह की निधि की क्षमतानुसार बैंक द्वारा लिमिट निर्धारित की जाती है। सामान्यतः लिमिट बचत निधि के चार गुना के बराबर होती है। समूह के ऋण के उपयोग की क्षमता एवं परियोजना के व्यवहार्यता के आधार पर अधिक ऋण भी बैंक द्वारा दिया जा सकता है।
  •  समूह द्वारा अधिकृत उत्पादक जाति विधि के अनुसार बैंक द्वारा सावधि ऋण कैशक्रेडेट/ओवर ड्राफ्ट के रूप में ऋण की सुविधा दी जाती है। 
  • स्वयं सहायता समूह को कर्ज देने के लिए रू0 50000/- तक के ऋण द्वारा कोई भी मार्जिन और प्रतिभूति मानदण्ड नहीं रखा जाता है।

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