मध्यप्रदेश में ऊर्जा | मध्य प्रदेश में ऊर्जा संसाधन | Energy Resource in MP 2021

 मध्यप्रदेश में ऊर्जा | मध्य प्रदेश में ऊर्जा संसाधन 

मध्यप्रदेश में ऊर्जा | मध्य प्रदेश में ऊर्जा संसाधन


मध्यप्रदेश में ऊर्जा स्त्रोत

  • मध्यप्रदेश में 10 दिसम्बर, 1948 को विद्युत प्रदाय अधिनियम लागू किया गया।
  • 1 दिसम्बर, 1950 को विद्युत मंडल का गठन किया गया ।
  • म.प्र. ऊर्जा विकास निगम की स्थापना 1982 में की गई।
  • प्रदेश में दो प्रकार के ऊर्जा संसाधन हैं । एक परंपरागत ऊर्जा स्रोत तथा दूसरा गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत है।

 

परंपरागत ऊर्जा स्रोत 

  • कोयला,
  • विद्युत (ताप जल),
  • परमाणु ऊर्जा,
  • पेट्रोलियम,
  • प्राकृतिक गैस

अपरंपरागत ऊर्जा स्रोत

  • पवन ऊर्जा,
  • सौर ऊर्जा,
  • भूतापीय ऊर्जा,
  • ज्वारीय ऊर्जा,
  • बायोगैस,
  • बूडी बायोगैस,
  • बायो डीजल

  सम्पूर्ण जानकारी मध्य प्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2020-2021 पर आधारित 

मध्यप्रदेश में ऊर्जा | Energy in MP


  • नब्बे के दशक में विद्युत उपलब्धता और मांग में अंतर बढ़ता गया तथा विद्युत प्रदाय की गुणवत्ता में भी गिरावट आई। 
  • वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के कारण तत्कालीन मध्य प्रदेश विद्युत मंडल की आस्तियों, दायित्वों, लेनदारी एवं देनदारी का बटवारा होने के उपरांत प्रदेश में विद्युत क्षेत्र की कठिनाईयों में भी वृद्धि हुई । 
  • प्रदेश में विद्युत क्षेत्र को वित्तीय एवं विद्युत कमी के संकट से उबारने के लिए सुधार की प्रक्रिया वर्ष 2001 में प्रारंभ की गई ।

 

मध्य प्रदेश में ऊर्जा के क्षेत्र में  संस्थागत सुधार : 

  • विद्युत क्षेत्र के प्रभावी प्रबंधन के लिये मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल के वृहद्ध स्वरूप का पुनर्गठन किया गया तथा उत्पादन, पारेषण एवं विद्युत वितरण हेतु कम्पनी अधिनियम 1956 के तहत विद्युत कम्पनियों का गठन जुलाई, 2002 में किया गया। 
  • सभी विद्युत कंपनियां यथा मध्यप्रदेश. पावर जनरेटिंग कम्पनी, मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कम्पनी, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, एवं म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, 1 जून 2005 से पूर्णतः स्वशासी हो गई है ।
  • विद्युत अधिनियम, 2003 के प्रावधानों के तहत विद्युत के थोक व्यापार के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत एक पावर ट्रेडिंग कंपनी गठित कर उसे माह जून 2006 से क्रियाशील किया गया।
  • पावर ट्रेडिंग कंपनी का मूल कार्य तीनो वितरण कंपनियों के लिए विद्युत की व्यवस्था करना है। कंपनी का नाम 10 अप्रैल, 2012 को परिवर्तित कर एम.पी पावर मेनेजमेंट कंपनी लिमिटेड किया गया एवं विद्युत वितरण के कार्यो को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए इसे तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की होल्डिंग कम्पनी का स्वरूप प्रदान किया गया । 
  • म.प्र. राज्य विद्युत मंडल का पावर मेनेजमेंट कंपनी में 26 अप्रैल, 2012 को विलय कर दिया गया है, तथा मंडल अब अस्तित्व में नहीं है ।

मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग

  • उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण हेतु विद्युत दरों के निर्धारण एवं नियमन कार्यो के लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग की वर्ष 1998 में स्थापना की गयी थी। विद्युत अधिनियम, 2003 के प्रावधानों के तहत विद्युत कंपनियां आयोग द्वारा विनियमित संस्थाओं के रूप में कार्य करती हैं तथा कंपनियों व्दारा प्रेषित राजस्व आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुये तथा जन सुनवाई के उपरांत विद्युत दरों के निर्धारण हेतु टैरिफ आदेश जारी किये जाते है । इन टैरिफ आदेशों के माध्यम से विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं पर लागू विद्युत दरों के युक्ति युक्तकरण करने के प्रयास किये गये हैं।

मध्य प्रदेश में विद्युत मांग

  • नवम्बर, 2020 में विद्युत उपलब्धता क्षमता 21220 मेगावाट हो चुकी है। इसमें केन्द्रीय क्षेत्र एवं उत्तरी क्षेत्र से प्राप्त विद्युत क्षमता सम्मिलित है। 
  • रबी के मौसम (अक्टूबर से मार्च) में कृषि क्षेत्र की विद्युत मांग में लगभग 4500 से 5000 मेगावाट की वृद्धि होती है। 
  • रबी के मौसम में न्यूनतम और अधिकतम आवश्यकता क्रमश: लगभग 10000 मेगावाट एवं 15800 मेगावाट रहने की संभावना है, अतः रबी मौसम में विद्युत प्रदाय की सुचारू व्यवस्था के लिये विद्युत बैंकिग का उपयोग भी किया जाता है। प्रदेश में विद्युत की पर्याप्त उपलब्धता है तथा भविष्य में भी यही स्थिति बनी रहेगी।

 

मध्य प्रदेश अधिकतम विद्युत मांग की आपूर्ति 

  • विगत वर्षों में विद्युत की उपलब्धता में निरन्तर वृद्धि होने से कृषि क्षेत्र हेतु विद्युत की पर्याप्त उपलब्धता है । 
  • वर्ष 2014-15 से 2018-19 दिनांक 4 दिसम्बर, 2020 को सर्वाधिक 14856 मेगावाट अधिकतम मांग की आपूर्ति दर्ज की गई है, जो प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक है।
  • विद्युत पारेषण एवं वितरण व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
  • मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पारेषण एवं वितरण के क्षेत्र में अधोसंरचना सुधार एवं सुदृढ़ीकरण के कार्य हेतु विद्युत कम्पनियों के लिये धन की व्यवस्था भी की गई है तथा वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से विद्युत कंपनियों को ऋण प्राप्त करने में सहायता प्रदान कर रही है ।
  • परिणाम स्वरूप पारेषण नेटवर्क की क्षमता वर्ष 2014-15 के 12600 मेगावाट से बढ़कर मार्च, 2020 में 18300 मेगावाट हुई है। 
  • उपपारेषण तथा वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण के विगत वर्षों में किये गये कार्यों के फलस्वरूप वितरण अधोसंरचना में व्यापक वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 में उपभोक्ताओं की संख्या 115.8 लाख थी जो बढ़कर मार्च 2020 में 161.9 लाख हो गई ।

 

मध्यप्रदेश में ग्रामीण विद्युतीकरण :

  • 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि में रुपये 1402.22 करोड़ लागत की 34 योजनाओं की स्वीकृति प्राप्त हुई जिससे 151 अविद्युतीकृत ग्रामों में विद्युतीकरण, 18.58 हजार मजरों/टोलो सहित ग्रामों में सघन विद्युतीकरण एवं सभी बीपीएल हितग्राहियों को नि:शुल्क कनेक्शन दिये जाने का कार्य पूर्ण किया जा चुका है।

 दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना

  • दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत फीडर विभक्तिकरण, मीटरीकरण, वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण तथा ग्रामीण विद्युतीकरण के कार्यों के लिये प्रदेश के 52 जिलों हेतु रुपये 2865 करोड़ लागत की 50 योजनाओं की स्वीकृति प्राप्त हुई है। योजना में 20.39 हजार मजरों/टोलों सहित ग्रामों का सघन विद्युतीकरण के प्रावधान के साथ 145, 33/11 के.व्ही. के उपकेन्द्र 21590 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन, 25633 कि.मी. एल. टी. लाईन के कार्य। 

सांसद आदर्श ग्राम योजना 

  • सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत् 46 ग्रामों के सघन विद्युतिकरण कार्य सम्मिलित था जिनमें से 19557 हजार मजरें/टोले 145, 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों, 21815 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन, 25888 कि.मी. एलटी लाईन एंव सभी 46 सांसद आदर्श ग्रामो में सघन विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है।

 

इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम

  • योजना शहरी क्षेत्रों में विद्युत अधोसंरचना बेहतर बनाने, उच्च गुणवत्ता के मीटर स्थापित करने तथा तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानियों में कमी लाने के उद्देश्य से दिसम्बर, 2014 से लागू की गई है । इस योजना के अंतर्गत 5000 से अधिक की आबादी वाले अधिसूचित शहरी क्षेत्र शामिल किए गए हैं । योजना की कुल लागत लगभग रूपये 1562 करोड़ है, जिसमें भारत सरकार द्वारा 60 प्रतिशत अनुदान, वितरण कंपनियों/राज्य शासन को 10 प्रतिशत राशि स्वयं के स्त्रोत से एवं 30 प्रतिशत राशि वित्तीय संस्थाओं से ऋण के रूप में लिया जाना है । योजनान्तर्गत 43 जिलों के कार्य स्वीकृत कार्य पूर्ण कर दिये गये है ।

 

मध्य प्रदेश में उदय योजना : 

  • विद्युत वितरण कंपनियों की संचित हानियों एवं बकाया ऋणों में हुई वृद्धि के निराकरण एवं वितरण कंपनियों की वित्तीय साध्यता के लिये भारत सरकार की उज्जवल डिस्कॉम एंश्योरेंस योजना (उदय) योजना में सम्मिलित होने के लिये विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार के साथ 10 अगस्त, 2016 को समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया है । 
  • उदय योजनांतर्गत वितरण कंपनियों की संचालन दक्षता में सुधार लाने के लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं जिसके तहत राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों पर कार्यशील पूंजी, पूंजीगत तथा सतत ऋणों के विरुद्ध कुल बकाया राशि रुपये 26055 करोड़ का अधिग्रहण 5 वर्षों में करने हेतु रुपये 7568 करोड़ की राशि को अंशपूंजी में परिवर्तित किया जाएगा तथा शेष राशि अनुदान के रूप में परिवर्तित की जाएगी अब तक इसमें से रुपये 7568 करोड़ की राशि अंशपूंजी के अतिरिक्त राशि रुपये 5122 करोड़ की राशि अनुदान के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। ।
  • इसके अतिरिक्त हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन अनुसार राज्य शासन द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों की हानियों का 5 प्रतिशत राशि रूपये 253.21 करोड़ का भी अधिग्रहण राज्य शासन द्वारा वर्ष 2019 मार्च में किया गया है वित्तीय वर्ष 2019 20 में इसी प्रकार वर्ष 2018-19 की हानियों का 10 प्रतिशत राशि रूपये 730 करोड़ का अधिग्रहण राज्य शासन द्वारा किया गया है । वित्तीय वर्ष 2020-21 में राशि रूपये 480 करोड़ का प्रावधान रखा गया है

मध्य प्रदेश में सौभाग्य योजना 

  • केन्द्र शासन द्वारा दिनांक 11 अक्टूबर, 2017 को आरभ की गई सौभाग्य योजना के अंतर्गत सभी घरों को दिसंबर 2018 तक विद्युतीकृत किये जाने का लक्ष्य रखा गया था। योजना में केन्द्र शासन द्वारा 60 प्रतिशत राशि तथा राज्य शासन/वितरण कंपनियों से 40 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दिये जाने का प्रावधान है। इस योजना में विद्युत कनेक्शन देने हेतु रूपये 872.64 करोड़ एवं इस कार्य के अधोसंरचना के विकास हेतु रूपये 998.64 करोड़ राशि स्वीकृत थी 22 अक्टूबर 2018 को मध्यप्रदेश द्वारा योजना में लक्ष्य की प्राप्ति कर ली गई । इस कार्य को पूर्ण करने पर भारत सरकार द्वारा दिनांक 26 फरवरी 2019 को दो भिन्न-भिन्न श्रेणियों में प्रदेश की पश्चिम एवं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों को क्रमश: 100-100 करोड़ रूपये व 50-50 लाख रूपये के पृथक-पृथक नगद पुरूस्कार से सम्मानित किया गया है ।


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