मध्यप्रदेश वन रिपोर्ट 2019 | MP Van Report 2019

 मध्यप्रदेश में वन के नवीनतम आंकड़े 

MP Forest Updated Data 


मध्यप्रदेश वन रिपोर्ट 2019 | MP Van Report 2019


मध्यप्रदेश में वन 

सामान्य परिचय मध्यप्रदेश 

  • मध्य भारत में स्थित, मध्य प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जिसका क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग कि मी है जो देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का 9.38% है । 
  • राज्य के पश्चिम में गुजरात, उत्तर पश्चिम में राजस्थान, उत्तर पूर्व में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़ और दक्षिण में महाराष्ट्र स्थित है। 
  • भू - आकृतिक तौर से, राज्य को चार क्षेत्रों में बाटा जा सकता है, अर्थात उत्तर में निचला इलाका और उत्तर पश्चिम में ग्वालियर, मालवा पठार, सतपुड़ा और विन्ध्य पर्वतमाला ।
  • मध्य प्रदेश की जलवायु उपोष्णकटिबंधीय है। 
  • वार्षिक वर्षा 800 मी.मी से 1800 मी.मी तक होती है तथा औसत वार्षिक तापमान 22 सेल्सियस से 25° सेल्सियस के मध्य रहता है। 
  • राज्य में कई नदियां बहती रहती है, जिनमे नर्मदा, ताप्ती, सोन बेतवा, शिप्रा और चम्बल शामिल है। 

मध्यप्रदेश भूमि उपयोग प्रतिमान 



मध्यप्रदेश वन रिपोर्ट 2019 | MP Van Report 2019

मध्यप्रदेश वानिकी का संक्षिप्त अवलोकन

  • मध्य प्रदेश एक वन समृद्ध राज्य है और यह अभिलिखित वृक्ष के मामले में राज्यों में पहले स्थान पर है। 
  • राज्य में एक बड़ी जनजातीय और ग्रामीण जनसंख्या है जो अपनी आजीवीका और बुनियादी जरूरतों के लिए वनों पर निर्भर है । 
  • चैपियन और सेठ (1968) के वन प्रकार वर्गीकरण के अनुसार, मध्य प्रदेश में वन पाँच वन प्रकार समूहों के है, जिन्हें आगे 21 वन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है। 
  • मध्य प्रदेश देश में संयुक्त वन प्रबंधन (जे एफ.एम. ) आन्दोलन / संचालन के कार्यान्वयन में एक अग्रणी राज्य है। 
  • राज्य में 15 ,228 जे.एफ. एम.सी / वी.एस.एस / ई. डी सी के माध्यम से 66,874 वर्ग कि मी के क्षेत्र में एक मजबूत जे.एफ.एम नेटर्वक है। 
  • वनोपज के संग्रहण और व्यापार में वनवासियों को लाभ प्रदान के लिए, मध्य प्रदेश राज्य में लघु वनोपज (व्यापार और विकास) सहकारी संघ का गठन 1984 में किया गया था संघ प्राथमिक वन उपज सहकारी समितियों के सहयोग से तेंदू के पत्ते, साल के बीज, कुल्लू और अन्य गैर काष्ठ वन उपज के संग्रह, प्रसंस्करण और विपणन का समन्वय करता है।
  •  मध्य प्रदेश राज्य वन विकास निगम लि0 वनों की वैज्ञानिक फसल और इसके उत्थान का उपक्रम करता है । 
  • राज्य में अभिलिखित वन क्षेत्र (अ.व.क्षे) 94,689 वर्ग कि.मी है, जिनमें से 61,886 वर्ग कि.मी आरक्षित वन है, 
  • 31,098 वर्ग कि.मी संरक्षित वन है और 1,705 वर्ग कि .मी अवर्गीकृत वन हैं । 
  • मध्य प्रदेश में 1 जनवरी, 2015 से  5 फरवरी 2019 की अवधि के दौरान वन संरक्षण अधिनियम, 1980 (पर्यावरण, वन और जलवायु परिर्वतन  मंत्रालय, 2019) के अन्तर्गत कुल 12,785.98 हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वानिकी प्रयोजनों हेतु परिवर्तित कर दिया गया है। 
  • राज्य से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य में पिछले दो वर्षों के दौरान 85,535 हेक्टेयर वृक्षारोपण किया गया है।
  •  मध्य प्रदेश में 10 राष्ट्रीय उद्यान और 25 वन्यजीव अभ्यारण्य राज्य के संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क का गठन करते हैं जो इसके भौगोलिक क्षेत्र का 3.51% है । 
  • राज्य में 6 टाइगर रिजर्व है जो 6117 .26 वर्ग कि .मी के क्षेत्र को कवर करते है। 
  • 19 संरक्षित क्षेत्रों के लिए पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र घोषित किए गए है ।
  • 526 बाघों की आबादी वाले राज्य को हाल ही में जारी 'ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018' के अनुसार भारत के टाइगर राज्य के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है।
  • मध्य प्रदेश में वृक्षावरण का क्षेत्रफल 8339 वर्ग किमी है।
  • मध्य प्रदेश के वनों में कुल कार्बन स्टाॅक 588.73 मिलियन टन  है। जो देश के कुल वन कार्बन का 8.26 प्रतिशत है।

मध्य प्रदेश में वनावरण 

  • अक्तूबर 2017 से जनवरी 2018 की अवधि के IRSS Resource Set- 2 लिस ।।I आकड़ों के निर्वचन के आधार पर मध्य प्रदेश में वन आवरण  77482.49 वर्ग कि मी. है जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 25 .14% है । 
  • वन छत्र घनत्व वर्गो के संदर्भ में, राज्य में 6,676.02 वर्ग कि मी. अत्यंत सघन वन (अ.स.व) 34,341.40 वर्ग कि.मी. सामान्य सघन वन (सा.स.व) और 36,465.07 वर्ग कि मी. खुले वन (खु.व) के अंतर्गत आता है। 
  • भा.व स्थि.रि. 2017 आकलन की तुलना में राज्य के वनावरण में 68.49 वर्ग कि .मी. की वृद्धि हुई है।

मध्य प्रदेश में वनावरण


मध्य प्रदेश में वनावरण

मध्यप्रदेश में राज्यवार वनावरण 

  • मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वन आवरण बालाघाट जिले में 4932 वर्ग कि.मी. है।
  • मध्यप्रदेश में न्यूनतम वन आवरण उज्जैन में 36.22 वर्ग कि.मी. है।
  • मध्य प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 25.14 प्रतिशत भाग पर वनावरण है।
  • मध्य प्रदेश में अत्यंत सघन वन 6676.2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं।
  • मध्य प्रदेश में सामान्य वन 34341.40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं।
  • मध्य प्रदेश में खुले वन 36465 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं।
  • मध्य प्रदेश के वन आवरण में वन स्थिति रिपोर्ट 2017 की तुलना में 68.49 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की वृद्धि हुई है।
  • मध्य प्रदेश में 6001 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में झाड़ियां हैं।

 

मध्यप्रदेश के सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले जिले

  •  बालाघाट- 4932.06 वर्ग कि.मी.
  • छिंदवाड़ा- 4588.01 वर्ग कि.मी.
  • बैतूल- 3663.70 वर्ग कि.मी.
  • श्योपुर- 3460 वर्ग कि.मी.
  • सिवनी- 3069.59 वर्ग कि.मी.


मध्यप्रदेश के न्यूनतम वन क्षेत्र वाले जिले

  •  उज्जैन- 36.22 वर्ग कि.मी.
  • रतलाम- 59.85 वर्ग कि.मी.
  • शाजापुर- 63.35 वर्ग कि.मी.
  • भिंड- 106.75 वर्ग कि.मी.
  • राजगढ़- 172.वर्ग कि.मी.

 
सर्वाधिक वन प्रतिशत वाले मध्य प्रदेश के जिले

  • बालाघाट- 56.44%
  • श्योपुर-52.38%
  • उमरिया-49.62%
  • मंडला-44.44%
  • डिंडोरी-40.59%

न्यूनतम वन प्रतिशत वाले मध्य प्रदेश के जिले

  • उज्जैन-0.59%
  • शाजापुर-1.02%
  • रतलाम-1.23%
  • भिण्ड-2.39%
  • राजगढ़-2.80%

मध्यप्रदेश में राज्यवार वनावरण

मध्यप्रदेश में राज्यवार वनावरण

मध्य प्रदेश वन महत्वपूर्ण तथ्य 

  • एक क्षेत्र जहाँ वृक्षों का घनत्व अत्यधिक रहता है, उसे वन कहते हैं । वन एक बीहड क्षेत्र है । वन अधिनियम 1927 के अनुसार- भू-मण्डल का वह भाग, जो वृक्षों से ढका हुआ है, वन कहलाता है ।
  • भारत के वन संसाधनों की आँकलन की वन स्थिति रिपोर्ट 2019 वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी की गई ।
  •  भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2019 के अनुसार कुल वनों का दायरा 77482.49 वर्ग किलोमीटर है जो प्रदेश  कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का  25.14 प्रतिशत है । 
  • पर्यावरणीय दृष्टि से 33 % वनों का होना आवश्यक है ।
  • मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक वनाच्छादित राज्य है ।
  • मध्यप्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग किलोमीटर है । 
  • राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 30.72% भाग वन क्षेत्र के तहत् आता है । 
  • राज्य के कुल 52 जिलों को 16 क्षेत्रीय वन वृत्त तथा 62 क्षेत्रीय वन मण्डल में विभाजित किया गया है । 
  • राज्य में कुल 925 वन ग्राम हैं, जिनमें 98 वन ग्राम राष्ट्रीय वन उद्यानों अभयारण्य में स्थित, वीरान अथवा विस्थापित है । 
  • मध्यप्रदेश में ऊष्णकटिबंधीय वन पाये जाते हैं । 
  • मध्यप्रदेश के वनों का वर्गीकरण पाँच आधारों यथा-प्रादेशिक आधार, भौगोलिक आधार, प्रजाति आधार, शासकीय आधार तथा वन विभाग के आधार पर किया गया है ।
  • ऊष्ण कटिबंधीय अर्द्धपर्णपाती वन 100 से 150 सेमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं । मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वन वृक्ष सागौन के हैं । दूसरे स्थान पर साल वन है। 
  • मध्यप्रदेश में साल वृक्षों में कीट (साल बोरर) लगने से 10 लाख पेड़ों को काटना पड़ा था 
  • वन अनुसंधान संस्थान देहरादून का क्षेत्रीय कार्यालय मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित है । 
  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट भोपाल में है ।
  • प्रदेश के बालाघाट में "वन राजकीय महाविद्यालय" की स्थापना (1979) की गई है ।
  • प्रदेश का दूसरा वन राजिक महाविद्यालय 1980 में बैतूल में स्थापित किया गया । 
  • मध्यप्रदेश के शिवपुरी में प्रादेशिक वन स्कूल स्थापित है । 
  • प्रदेश के शिवपुरी, अमरकंटक, गोविंदगढ़ व लखनादौन में वनपाली व वन संरक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है । 
  • वन पहरेदारों का ट्रेनिंग स्कूल प्रदेश के बैतूल तथा रीवा में है।
  •  वनों का शत-प्रतिशत राष्ट्रीयकरण करने वाला देश का प्रथम राज्य मध्यप्रदेश है । 
  • प्रदेश में वनों का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1970 में किया गया । 
  • प्रदेश में वनों के राष्ट्रीयकरण के तहत् सर्वप्रथम "तेंदूपत्ता" का राष्ट्रीयकरण किया गया था ।
  • सर्वाधिक आरक्षित वन खण्डवा वन वृत्त में हैं । 
  • उज्जैन वन वृत्त में सबसे कम आरक्षित वन हैं । 
  • संरक्षित वन सर्वाधिक इंदौर वनवृत्त में तथा सबसे कम संरक्षित वन खण्डवा वन वृत्त में हैं । 
  • मध्यप्रदेश वन विकास निगम की स्थापना 1975 में की गई । 
  • मध्यप्रदेश वन जीव संरक्षण अधिनियम 1974 में पारित हुआ ।
  • मध्यप्रदेश के जिन जिलों में वन क्षेत्र 33% से कम है, उनमें वनरोपण हेतु सन् 1976-77 से पंचवन योजना प्रारंभ की गई ।
  • प्रदेश में सामाजिक वानिकी योजना 1976 में प्रारंभ की गई । 
  • मध्यप्रदेश देश के 60% तेंदूपत्ता का उत्पादन करता है । तेंदूपत्ता उत्पादन में प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है । 
  • प्रदेश के सागर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, छतरपुर पन्ना, बैतूल, सिवनी, होशंगाबाद जिलों में ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन पाए जाते हैं।
  •  प्रदेश के बालाघाट, मण्डला, सीधी, शहडोल जिलों में ऊष्ण कटिबंधीय ऊष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन राज्य के श्योपुर , शिवपुरी, रतलाम, अर्द्ध पर्णपाती वन पाए जाते हैं ।मंदसौर, टीकमगढ़, दतिया, ग्वालियर व खण्डवा जिलों में पाए जाते हैं। 
  • मध्यप्रदेश का सम्पूर्ण वन क्षेत्र वन विभाग के नियंत्रण में है । 
  • प्रदेश का मुख्य वन संपदा में सागौन, साल तथा बाँस शामिल है। 
  • गौण वन संपदा में तेंदू पत्ता, लाख, हरा, खैर, गोंद आदि हैं । तेंदूपत्ता संग्रहण का मुख्य क्षेत्र सागर, जबलपुर व शहडोल है । 
  • मध्यप्रदेश में खैर से कत्था बनाया जाता है ।
  • मध्यप्रदेश शासन द्वारा 1988 में तेंदू पत्ता नीति में बिचौलियों की संख्या समाप्त कर दी गयी है । 
  • लाख उत्पादन में म.प्र. का बिहार के बाद दूसरा स्थान है । 
  • भिलावा का उपयोग स्याही और पेन्ट बनाने में होता है । 
  • हर्रा का उपयोग चर्मशोधन प्रिंटिंग प्रेस व दवाईयाँ बनाने में होता है ।
  • प्रदेश में हर्रा का उत्पादन बालाघाट, मण्डला, छिंदवाड़ा, जबलपुर, सतना, बैतूल, पन्ना आदि जिलों में होता है प्रदेश में बबूल, खैर व धावड़ा से गोंद प्राप्त किया जाता है ।
  • सबसे कम वन होशंगाबाद वन वृत्त में है ।
  • मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में साल वृक्षों की सघनता अधिक है ।
  • मध्यप्रदेश शासन की पहली वननीति सन् 1952 में बनी थी तथा दूसरी वन नीति 2005 में बनी । 

मध्यप्रदेश में ऊष्ण कटिबंधीय वन

ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन

  •  ये वन पानी की कमी होने पर पत्ते गिरा देते हैं । ये वन औसत वर्षा 50
  •  से 100 सेमी. हो, वहाँ पाये जाते हैं । ये वन इमारती लकड़ी सागौन, शीशम, नीम, पीपल आदि के लिए प्रसिद्ध हैं । 
  • ये वन प्रदेश के वन क्षेत्र के सर्वाधिक भाग पर पाये जाते हैं।
  • ये वन प्रदेश के सागर, जबलपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, पन्ना, छतरपुर, होशंगाबाद, सिवनी आदि जिलों में पाये जाते हैं ।

 

ऊष्ण कटिबंधीय अर्द्ध-पर्णपाती वन

 

  • ये वन 100-150 सेमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं। ये वन पूर्ण पत्तों को नहीं गिराते हैं । इनमें सागौन, साल, बाँस मुख्यतः पाये जाते हैं । 
  • ये वन प्रदेश के मंडला, बालाघाट, शहडोल, सीधी आदि जिलों में पाए जाते हैं ।

 

ऊष्ण कटिबंधीय शुष्क वन

  •  ये वन 75 सेमी. से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं । इन वनों को कँटीले वन भी कहते हैं । हर्रा, बबूल, शीशम, किकर, पलाश, धीरा इनकी मुख्य प्रजातियाँ हैं । तेंदूये वन प्रदेश के शिवपुरी, भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, रतलाम आदि जिलों में पाए जाते हैं ।

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019  मुख्य विशेषताएं 

  •  देश का कुल वनावरण 7,12,249 वर्ग कि मी. है जो कि, देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2 1.67% है।
  • देश का कुल वृक्षावरण 95,027 वर्ग कि.मी. आकलित किया गया है जोकि, देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.89% है। 
  • कुल देश का कुल वन एवं वृक्षावरण 8.07.27 6 वर्ग कि.मी. है जोकि, देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.56% है। 
  • पिछले आकलन अर्थात भारत वन स्थिति रि. 2017 की तुलना में वर्तमान आकलन वनावरण में 3,376 वर्ग कि. मी. (0.56%) एवं वृक्षावरण में 1,21 2 वर्ग कि मी. ( 1.29% ) तथा वन एवं वृक्षावरण दोनों को मिलाकर 5,188 वर्ग कि मी. (0.56%) की वृद्धि को दर्शाता है। 
  • पिछले आकलन 2017 की तुलना में अभिलिखित वन क्षेत्र/ ग्रीन वॉश के भीतर वनावरण में 330 वर्ग कि.मी. (0.0 5%) का मामूली हास दर्शाता है जबकि अभिलिखित वन क्षेत्र ग्रीन वॉश के बाहर वनावरण में 4,306 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है। 
  • वनावरण में वृद्धि को दर्शाने वाले शीर्ष पाँच राज्य कर्नाटक (1,025 वर्ग कि.मी.), आंध्र प्रदेश (990 वर्ग कि.मी.), केरल (823 वर्ग कि.मी.), जम्मू एवं कश्मीर (371 वर्ग कि.मी.) तथा हिमाचल प्रदेश (334 वर्ग कि मी) है। 
  • देश के पर्वतीय जिलों का वनावरण 2,84,006 वर्ग कि मी. है जोकि, इन जिलों के भौगोलिक क्षेत्रफल का 40.3 0% है। वर्तमान आकलन देश के 140 पर्वतीय जिलों में 544 वर्ग कि.मी. ( 0 .19% ) की वृद्धि को दर्शाता है। 
  • जनजातीय जिलों का वनावरण 4,22,3 51 वर्ग कि मी. है जो कि, इन जिलों के भौगोलिक क्षेत्रफल का 37.54% है। वर्तमान आकलन जनजातीय जिलों के अभिलिखित वन क्षेत्र/ग्रीन वॉश के भीतर 741 वर्ग कि मी. का हास तथा बाहर 1,922 वर्ग कि.मी. की वृद्धि को दर्शाता है।
  •  उत्तर पूर्वी क्षेत्र का वनावरण 1,70.541 वर्ग कि मी है जोकि, इसके भौगोलिक क्षेत्रफल का 65.05% है। वर्तमान आकलन क्षेत्र के वनावरण में 765 वर्ग कि मी. (0.45%) का हास दर्शाता है । असम एवं त्रिपुरा को छोड़कर क्षेत्र के सभी राज्यों के वनावरण में हास देखा गया है ।
  •  पिछले आकलन की तुलना में देश के कच्छ वनस्पति आवरण में 54 वर्ग कि.मी. (1.10% ) की वृद्धि हुई है।
  • देश में काष्ठ की कुल वर्तमान निधि 5 ,915.76 मिलियन घन मीटर आकलित की गई है जिसमें अभिलिखित वन क्षेत्र के भीतर 4,27 3.47 मिलियन घन मीटर एवं अभिलिखित वन क्षेत्र के बाहर (बा.व वृ) में 1,642.29 मिलियन घन मीटर शामिल है। वन में औसत प्रति हेक्टेयर वर्द्धमान निधि 55.69 मिलियन घन मीटर आकलित की गई है। 
  • देश का कुल बाँस धारित क्षेत्र 1,60,037 वर्ग कि.मी. आकलित किया गया है भा. व स्थि रि. 2017 की तुलना में बांस धारित क्षेत्र में 3,229 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है। 
  • वर्तमान आकलन में, वन में कुल कार्बन स्टॉक 7,124.6 मिलियन टन आकलित किया गया है। आकलन 2017 की तुलना में देश के कुल कार्बन स्टॉक में 42.6 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। वार्षिक वृद्धि 21.3 मिलियन टन है जोकि, 78.1 मिलियन टन CO2 के समतुल्य है। 
  • वनों में मृदा जैविक कार्बन (एस ओ सी) विस्तृत कार्बन स्टॉक निकाय का प्रतिनिधित्व करता है, जोकि 4,004 मिलियन टन आकलित किया गया है । देश के कार्बन स्टॉक में (एस ओ सी) का योगदान 56% हैं । 
  • देश अभिलिखित वन क्षेत्र/ ग्रीन वॉश के भीतर कुल 62,466 नम भूमियाँ हैं जो 3.83% क्षेत्र को आच्छादित करती हैं। राज्यों में, गुजरात में अभिलिखित वन क्षेत्र के भीतर सबसे अधिक नम भूमि क्षेत्र है इसके बाद पश्चिम बंगाल का स्थान है। 
  • महाराष्ट्र में ईंधन काष्ठ हेतु वनों पर निर्भरता सबसे अधिक हैं जबकि चारा तथा लघु काष्ठ तथा बाँस की निर्भरता मध्य प्रदेश में सबसे अधिक है। यह आकलित किया गया है कि वन उपांत ग्रामों में रहने वाले लोगों द्वारा लघु काष्ठ का वार्षिक निष्कासन देश के औसत वार्षिक निष्कासन का लगभग 7% है । 
  • राज्य/संघशासित क्षेत्र में शीर्ष पाँच प्रजातियों से प्रभावित क्षेत्र की सूचना एन. एफ.आई. आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर भाव स्थिति पर. में दी गई है। 
  • वनाग्नि घटनाओं की पुनः आवृत्ति के आधार पर 5 कि मी. x 5 कि मी. के ग्रिड मे विभिन्न वनाग्नि प्रवणता श्रेणियों के अंतर्गत वनाग्नि प्रवण क्षेत्रों को मानचित्रित किया गया है । विश्लेषण से ज्ञात होता है कि देश के वनावरण का 21.40% वनावरण अत्यन्त वनाग्नि प्रवणता श्रेणी के अंतर्गत हैं।


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