जिला पंचायत का गठन |जिला पंचायत के कार्य एवं शक्तियाँ | Jila Panchyat Ka Gathan

 

जिला पंचायत का गठन

जिला पंचायत के कार्य एवं शक्तियाँ


जिला पंचायत का गठन जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य (जिनका चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है) जिले में समस्त क्षेत्र पंचायतों के प्रमुखलोक सभा और राज्य सभा के वे सदस्य जिनके निर्वाचन जिले में विकास खण्ड पूर्ण या आंशिक रूप से आता हैराज्य सभा और विधान परिषद के सदस्य जो विकास खण्ड के भीतर मतदाता के रूप में पंजीकृत है को शामिल कर किया जाता है।


जिला पंचायत के सदस्योंअध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव जिला पंचायत में आरक्षण


जिला पंचायत में सदस्यों का चुनाव

  • जिला पंचायत के चुनाव के लिए जिला पंचायत को छोटे छोटे ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों मे बांटा जायेगा जिसकी - आबादी50,000 होगी।
  • जिला पंचायत के सदस्यों का चुनाव ग्राम सभा सदस्यों द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जायेगा। 
  • जिला पंचायत के सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए जरूरी है कि प्रत्याशी की उम्र 21 साल से कम न हो। 
  • यह भी जरूरी है कि चुनाव मे खड़े होने वाले सदस्य का नाम उस निर्वाचन जिला की मतदाता सूची मे हो।


जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव

  • जिला पंचायत में चुने गये सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं। 
  • जिला पंचायत में कुल चुने जाने वाले सदस्यों में से यदि किसी सदस्य का चुनाव किसी कारण से नहीं भी होता है तो भी अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पदों के लिए चुनाव नहीं रूकेगा और चुने गये जिला पंचायत सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का चुनाव कर लेंगे।
  • यदि कोई व्यक्ति संसद या विधान सभा का सदस्य होकिसी नगर निगम का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष होनगर पालिका का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष हो या किसी नगर पंचायत का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष हो तो वह जिला पंचायत अध्यक्ष या उपाध्यक्ष नहीं बन सकता।

जिला पंचायत में आरक्षण

जिला पंचायत के अध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्यों के पदों पर आरक्षण लागू होगा।

  1. अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के लोगों के लिए पदों का आरक्षण कुल जनसंख्या में उनकी जनसंख्या के अनुपात पर निर्भर करता है लेकिन अनुसूचित जाति के लिए पदों का आरक्षण कुल सीटों में अधिक से अधिक 21 प्रतिशत तक ही होगा। इसी प्रकार पिछड़ी जाति के लिए पदों का आरक्षण 27 प्रतिशत होगा। 
  2.  बाकी के पदों पर कोई आरक्षण नहीं होगा।
  3. प्रत्येक वर्ग यानि अनुसूचित जातिपिछड़ी जाति वर्ग के लिए जो सीटें उपलब्ध हैं उनमें से 1/3 पद उसवर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे। सामान्य वर्ग के लिए जो सीटें आरक्षित हैं उनमें से 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी।
  4. लेकिन अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति अनारक्षित सीटों पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। इसी तरह से अगर कोई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं की गई है तो वे भी उस अनारक्षित सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।

आरक्षण चक्रानुक्रम पद्धति से होगा। मतलब एक निर्वाचन क्षेत्र अगर एक चुनाव में अनुसूचित जाति की स्त्री के लिए आरक्षित होगा तो अगली चुनाव में वह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होगा।

जिला पंचायत और उसके सदस्यों का कार्यकाल

  • ग्राम पंचायत व क्षेत्र पंचायत की तरह ही जिला पंचायत का एक निश्चित कार्यकाल होता है। 
  • संविधान में दिये गये नियमों के अनुसार जिला पंचायत का कार्यकाल जिला पंचायत की पहली बैठक की तारीख से 5 वर्षों तक होगा।
  • जिला पंचायत के सदस्यों का कार्यकाल यदि किसी कारण से पहले नहीं समाप्त किया जाता है तो उनका कार्यकाल भी अर्थात पांच वर्ष तक होगा। जिला पंचायत के कार्य काल तक होगा।
  • यदि किसी खास वजह से जिला पंचायत को उसके नियत कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाता है तो 6 महीने के भीतर उसका चुनाव करना जरूरी होगा। इस तरह से गठित जिला पंचायत बाकी बचे समय के लिए कार्य करेगी।

अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का हटाया जाना

  • जिला पंचायत के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को अपने पद की गरिमा के अनुरूप कार्य न करने अथवा संविधान द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को पूर्ण न करने की स्थिति में राज्य सरकार द्वारा पद से हटाया जा सकता है। अर्थात यदि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अपने कार्यों को ठीक प्रकार से नहीं करता है तो राज्य सरकार नियत प्रक्रिया व नियमों के अनुसार उसे निश्चित अवसर देकर पद से हटा भी सकती है।

अध्यक्ष या उपाध्यक्ष द्वारा त्याग पत्र

  • अध्यक्ष उपाध्यक्ष या जिला पंचायत का कोई निर्वाचित सदस्य खुद से हस्ताक्षर किए हुए पत्र द्वारा पद त्याग कर सकता है जो अध्यक्ष की दशा में राज्य सरकार को और अन्य दशाओं में जिला पंचायत के अध्यक्ष को सम्बोधित होगा।
  • अध्यक्ष का त्याग पत्र उस दिनांक से प्रभावी होगा जब त्याग पत्र की अध्यक्ष द्वारा स्वीकृति जिला पंचायत के कार्यालय में प्राप्त हो जाए। 
  • उपाध्यक्ष या सदस्य का त्याग पत्र उस दिनांक से प्रभावी होगा जब जिला पंचायत के कार्यालय में उनकी नोटिस प्राप्त हो जाये और यह समझा जायेगा कि ऐसे अध्यक्षउपाध्यक्ष या सदस्य ने अपना पद रिक्त कर दिया है।

जिला पंचायत की बैठक

  • जिला पंचायत के कार्यों के संचालन हेतु संविधान में जिला पंचायत की बैठक का प्रावधान किया गया है। जिसके अर्न्तगत हर दो महीनों में जिला पंचायत की कम से कम एक बैठक जरूर होगी। जिला पंचायत की बैठक को बुलाने का अधिकार अध्यक्ष को है। अध्यक्ष की गैरहाजिरी में उपाध्यक्ष जिला पंचायत की बैठक बुला सकता है।
  • इसके अतिरिक्त जिला पंचायत की अन्य बैठकें भी बुलाई जा सकती है। यदि जिला पंचायत के 1/5 सदस्य लिखित रूप से मांग करें और यह मांग पत्र सीधे हाथ से दिया गया हो या प्राप्ति पत्र सहित रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिया गया हो तो आवेदन प्राप्ति के एक महीने के भीतर अध्यक्ष जिला पंचायत बैठक जरूर बुलायेगा।
  • आवश्यकता पड़ने पर कोई बैठक आगे की तिथि के लिए स्थगित की जा सकती है और इस प्रकार स्थगित बैठक आगे भी स्थगित की जा सकती है। सभी बैठक जिला पंचायत कार्यालय में होंगी। अगर बैठक किसी अन्य स्थान पर होना निश्चित की गई है तो इसकी सूचना सभी को पूर्व में दी जाती है। बैठक में जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष या मुख्य विकास अधिकारी से प्रशासन से संबंधी कोई विवरणअनुमानआंकड़ेसूचनाकोई प्रतिवेदनअन्य ब्यौरा या कोई पत्र की प्रतिलिपि मांग सकते हैं। अध्यक्ष या मुख्य विकास अधिकारी बिना देर किये मांगी गई जानकारी सदस्यों को देंगे।

जिला पंचायत के कार्य एवं शक्तियाँ

जिला पंचायत जिले स्तर पर निम्न लिखित कार्यों को संचालित करेगी

1. कृषि जिसके एंव कृषि का प्रसार.

  • कृषि तथा बागवानी का विकास।
  •  सब्जियोंफलों और पुष्पों की खेती और उन्नति।

2. भूमि विकास व भूमि सुधार -चकबन्दीभूमि सरंक्षण एव सरकार के भूमि सुधार कार्यक्रमों में सरकार को सहायता प्रदान करना।

3. लघु सिंचाईजल प्रबंध और जलाच्छादन विकास

  • लघु सिचाई कार्यों के निर्माण और अनुरक्षण में सरकार की सहायता करना।
  • सामुदायिक तथा वैयक्तिक सिचाई कार्यों का कार्यान्वयन।

4. पशुपालनदूध उद्योग और मुर्गी पालन.

  • पशु सेवाओं की व्यवस्था।
  • पशुमुर्गी और अन्य पशुधन की नस्लों का सुधार करना।
  • दूध उद्योगमुर्गी पालन और सुअर पालन की उन्नति।

5. मत्स्य पालनमत्स्य पालन का विकास एवं उन्नति

6. सामाजिक तथा कृषि वानिकी

  •  सड़कों तथा सार्वजनिक भूमि के किनारों पर वृक्षारोपण और परिरक्षण करना।
  • सामाजिक वानिकी और रेशम उत्पादन का विकास और प्रोन्नति।

7. लघु वन उत्पादलघु वन उत्पाद की प्रोन्नति और विकास

8. लघु उद्योग

  •  ग्रामीण उद्योग के विकास में सहायता करना।
  •  कृषि उद्योगों के विकास की सामान्य जानकारी का सृजना

9. कुटीर और ग्राम उद्योग- कुटीर उद्योगों के उत्पादों के विपणन की व्यवस्था करना।

10. ग्रामीण आवास -ग्रामीण आवास कार्यक्रम में सहायता देना और उसका कार्यन्वयन करना।

11. पेय जल 

  • पेय जल की व्यवस्था करना तथा उसके विकास में सहायता देना। 
  • दूषित जल को पीने से बचाना।
  • ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देना और अनुश्रवण करना।

12. ईधन तथा चारा भूमि

  •  ईधन तथा चारा से सम्बन्धित कार्यक्रमों की प्रोन्नति।
  •  जिला पंचायत के क्षेत्र में सड़कों के किनारे वृक्षारोपण।

13. सडकपुलियापुलोंनौकाघाट जल मार्ग तथा संचार के अन्य साधन -

  •  गांव के बाहर सडकोंपुलियों का निर्माण और उसका अनुरक्षण।
  • पुलों का निर्माण
  • नौका घाटोंजल मार्गों के प्रबंधन में सहायता करना।

14. ग्रामीण विद्युतिकरण -ग्रामीण विद्युतिकरण को प्रोत्साहित करना।

15. गैर पारम्पारिक ऊर्जा स्त्रोत- गैरपारम्पारिक ऊर्जा स्त्रोत के प्रयोग को बढ़ावा देना तथा उसकी प्रोन्नति।

16. गरीबी उन्मूलन कार्यो का क्रियान्वयन -गरीबी उन्मूलन के कार्यों का समुचित क्रियान्वयन करना।

17. शिक्षा

  • प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा का विकास।
  • प्रारम्भिक और सामाजिक शिक्षा की उन्नति।

18. तकनीकी प्रशिक्षण और व्यवसायिक शिक्षा-ग्रामीण शिल्पकारों और व्यवसायिक शिक्षा की उन्नति।

19. प्रौढ साक्षरता और अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों का पर्यवेक्षण।

20. पुस्तकालय ग्रामीण पुस्तकालयों की स्थापना एवं उनका बिकास।

21. खेल -कूद तथा सांस्कृतिक कार्य• सांस्कृतिक कार्यों का पर्यवेक्षण।

  •  लोक गीतोंनृत्यों तथा ग्रामीण खेलकूद की प्रोन्नति और आयोजन।
  • सांस्कृतिक केन्द्रों का विकास और उन्नति।

22. बाजार तथा मेले -ग्राम पंचायत के बाहर मेलों और बाजारों की प्रबंधन।

23. चिकित्सा और स्वच्छता

  • प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और औषद्यालयों की स्थापना और अनुरक्षण।
  • महामारियों पर नियंत्रण करना।
  • ग्रामीण स्वच्छता और स्वास्थ्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना।

24. परिवार कल्याण -परिवार कल्याण और स्वास्थ्य कार्यक्रमों की उन्नति।

25. प्रसूति तथा बाल विकास

  • महिलाओं एव बाल स्वास्थ्य तथा पोषण कार्यक्रमों में विभिन्न संगठनों की सहभगिता के लिए कार्यक्रमों की प्रोन्नति।
  • महिलाओं एवं बाल कल्याण के विकास से सम्बन्धित कार्यक्रमों का आयोजन व प्रोन्नति।

26.समाज कल्याण

  •  विकलांगो तथा मानसिक रूप से मन्द व्यक्तियों का कल्याण।
  •  वृद्धावस्था विधवा पेंशन योजनाओं का अनुश्रवण करना।

27. कमजोर वर्गों विशिष्टतया अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का कल्याण

  •  अनुसूचित जातियों तथा कमजोर वर्गों के कल्याण की प्रोन्नति।
  • सामाजिक न्याय के लिए योजनायें तैयार करना और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत आवश्यक वस्तुओं का वितरण।

28. सामुदायिक अस्तियों का अनुरक्षण

29. नियोजन और आंकड़े.

  • आर्थिक विकास के लिए योजनाये तैयार करना।
  • ग्राम पंचायतों की योजनाओं का पुनरावलोकनसमन्वय तथा एकीकरण।
  • खण्ड तथा ग्राम पंचायत विकास योजनाओं के निष्पादन को सुनिश्चित करना।
  •  सफलताओं तथा लक्ष्यो की नियतकालिक समीक्षा।
  • खण्ड योजना के कार्यान्वयन से सम्बन्धित विषयों के सम्बन्ध में सामग्री एकत्र करना तथा आंकड़े रखना।

30. ग्राम पंचायतों पर पर्यवेक्षण -ग्राम पंचायत के क्रिया कलापों के ऊपर नियमों के अनुसार सामान्य पर्यवेक्षण।

जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के कार्य

अध्यक्ष के कार्य

  • जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रमुख कार्य जिला पंचायत तथा समितियों की जिसका वह सभापति है उनकी बैठक बुलाना और उनकी अध्यक्षता करना है।
  • अध्यक्ष का कर्तव्य है कि वह बैठकों में व्यवस्था बनाये रखे तथा बैठकों में लिये गये निर्णयों की जानकारी रखे।
  •  वित्तीय प्रशासन पर नजर रखना तथा योजनाओं के अनुरूप वित्तीय प्रबंधन की निगरानी करना।
  • अध्यक्ष को ऐसे कार्य भी करने होते हैं जो सरकार द्वारा समय-समय पर उन्हें दिये जाते हैं।

उपाध्यक्ष के कार्य

  • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष बैठकों की अध्यक्षता करता/करती है और ऐसे समय में वह अध्यक्ष के अधिकारों का उपयोग कर सकता/सकती है।
  • अध्यक्ष की अनुपस्थिति में या उसका पद खाली होने पर अध्यक्ष के अधिकारों का उपयोग और उसके कार्यों के सम्पादन की जिम्मेदारी उपाध्यक्ष की होती है।
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