मध्य प्रदेश में सहकारिता आंदोलन | MPPSC MAINS PAPER-3 Question Answer

 

MPPSC MAINS PAPER-3 Question Answer

MPPSC MAIN 2018


मध्य प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को स्पष्ट कीजिए (MPPSC MAIN 2018)


स्वतंत्रता के बाद 51 वर्षों में सहकारिता की उपादेयकता एवं मानवीय आवश्यकताओं की पारस्परिक सहायता के आधार पर प्रतिपूर्ति करने की क्षमता स्पष्ट प्रमाणित हुई है। आज के भूमंडलीकरण और आर्थिक उदारवाद के समय में सहकारिता ही ऐसी सक्षम व्यवस्था मानी जा रही है, जिसमें सदस्य समानता के आधार पर स्वेच्छा से अपने आर्थिक विकास हेतु सामूहिक प्रयास कर सकते हैं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं बड़े उद्योगों घरनों की प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ में अपनी पहचान बनाए रख सकते हैं।

वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता विधान को नया स्वरूप प्रदान करने की पहल हो चुकी है। सहकारिताओं द्वारा नई आर्थिक व्यवस्था में अपनी भूमिका इस नए परिप्रेक्ष्य में एक मित्र, दार्शनिक एवं मार्गदर्शक की प्रतिपादित की जा रही है ताकि सहाकारिताएं एवं उनसे जुड़े किसानों, कारीगरों, बुनकरों, मछुआरों, अनुसूचित जाति तथा जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं महिलाओं को सामजिक एवं आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण अवदान किया जा सके।

राज्य शासन द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली का भी सहकारीकरण किया गया है। वर्तमान में राज्य की लगभग 18690 उचित मूल्य की दुकाने सहकारी समितियों के माध्यम से संचालित की जा रही हैं, जिनमें 15270 दुकाने ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 3320 दुकानें शहरी क्षेत्रों में कार्यरत हैं।


सहकारिता विभाग

सहकारिता विभाग विभिन्न प्रकार की सहकारी संस्थाओं को आवश्यक मार्गदर्शन, संरक्षण एवं आर्थिक तथा तकनीकी सुविधा जैसे- अंश, पूंजी, ऋण व ऋण गारंटी था अनुदान आदि सुलभ कराता है। सहकारिता विभाग शासन के अन्य विभागों से पूर्णतः भिन्न है। यह सहकारी आंदोलन में कार्यरत संस्थाओं को प्रोत्साहित करने वाला विकास विभाग है। इसके कुछ नियामक दायित्व भी है। किन्तु यह धनराशि व्यय करने वाला विभाग नहीं है। सहकारिता विभाग की गतिविधियों का मुख्य आधार सहकारी संस्थाएं हैं। विभाग लगभग 30838 संस्थाओं के माध्यम से प्रदेश में अल्पकालिक व दीर्घकालिक ऋण, खाद, बीज, और कृषि आदानों की व्यवस्था, शहरी साख व्यवस्था, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शहरी उपभोक्ता सहकारिता, आवास सहकारिता एवं मतस्य, डेयरी वनोपज, बुनकर तथा खनिज कर्म एवं वैधानिक कार्य की गतिविधियों का संचालन करता है।

सहकारिता क्षेत्र में ग्रामीणों को अल्पकालीन साख सुविधा सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक एवं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां कार्य करती हैं। इसी प्रकार दीर्घकालिक साख व्यवस्था के अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक द्वारा 52 जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों के माध्यम से दीर्घकालीन ़़ऋण वितरित किया जाता है।

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