भारत के प्रमुख संस्थान | Bharat Ke Pramukh Sansthan Aur unki Jankari

 भारत के प्रमुख संस्थान 


राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority-NALSA)



  • नालसा (NALSA) का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अंतर्गत समाज के कमज़ोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लोक अदालतों का आयोजन करने के उद्देश्य से किया गया है।
  • भारत का मुख्य न्यायाधीश नालसा (NALSA) का मुख्य संरक्षक होता है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 39 A, अवसर की समानता के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने के लिये समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 22 (1), विधि के समक्ष समानता सुनिश्चित करने के लिये राज्य को बाध्य करते हैं. 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड:(Central Pollution Control Board):



  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत सितंबर 1974 में किया गया।
  • इसके पश्चात् केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गए।
  • यह बोर्ड पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कार्यों को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत वर्णित किया गया है।

राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष (National Investment and Infrastructure Fund- NIIF):



  • राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (NIIF) देश में अवसंरचना क्षेत्र की वित्तीय समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने वाला और वित्तपोषण सुनिश्चित करने वाला भारत सरकार द्वारा निर्मित  एक कोष है।
  • NIIF की स्थापना 40,000 करोड़ रुपए की मूल राशि के साथ की गई थी, जिसमें आंशिक वित्तपोषण निजी निवेशकों द्वारा किया गया था।
  • इसका उद्देश्य अवसंरचना परियोजनाओं का वित्तपोषण करना है, जिसमें अटकी हुई परियोजनाएँ शामिल हैं।
  • NIIF में 49% हिस्सेदारी भारत सरकार की है तथा शेष हिस्सेदारी विदेशी और घरेलू निवेशकों की है।
  • केंद्र की अति महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी के साथ NIIF को भारत का अर्द्ध-संप्रभु धन कोष माना जाता है।
  • अपने तीन फंडों- मास्टर फंड, फंड ऑफ फंड्स और स्ट्रैटेजिक फंड से परे यह 3 बिलियन डॉलर से अधिक की पूंजी का प्रबंधन करता है।
  • इसका पंजीकृत कार्यालय नई दिल्ली में है। 

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI)



  • यह भारत सरकार के तहत सांविधिक निकाय है, जिसका गठन मुख्य तौर पर  प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधानों को सही ढंग से लागू करने के लिये 14 अक्तूबर, 2003 को किया गया था।
  • इसका मुख्य कार्य ऐसी प्रथाओं को समाप्त करना है, जिनका बाज़ार की प्रतिस्पर्द्धा और संवर्द्धन शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो। इस तरह यह आयोग उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और भारतीय बाज़ार में व्यापार की स्वतंत्रता बनाए रखने की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के सदस्यों की कुल संख्या 7 (एक अध्यक्ष और 6 अन्य सदस्य) निर्धारित की गई है, जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।

 भारतीय बैंक संघ (Indian Banks’ Association):



  • इसका गठन वर्ष 1946 में हुआ था।
  • यह भारत में कार्यरत बैंकिंग प्रबंधन का एक प्रतिनिधि निकाय है अर्थात् भारतीय बैंकों और मुंबई में स्थित वित्तीय संस्थानों का एक संघ है।
  • IBA का गठन भारतीय बैंकिंग के विकास, समन्वय एवं मज़बूती के लिये किया गया था।
  • यह नई प्रणालियों के कार्यान्वयन एवं सदस्यों के बीच मानकों को अपनाने सहित विभिन्न तरीकों से सदस्य बैंकों की सहायता करता है।
  • वर्ष 1946 में प्रारंभिक तौर पर भारत में 22 बैंकों का प्रतिनिधित्त्व करने वाले एक निकाय के रूप में वर्तमान में IBA, भारत में कार्यरत 237 बैंकिंग कंपनियों का प्रतिनिधित्त्व करता है।  

हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT):

हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT):


  • इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा सितंबर, 1942 में एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी।
  • हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा संपूर्ण भारत में CSIR की मौजूदगी में 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 दूरस्थ केंद्रों, 3 नवोन्मेषी कॉम्लेसंपूक्सों  और 5 यूनिटों के सक्रिय नेटवर्क का संचालन किया जा रहा है। 

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM)



  • अल्पसंख्यक आयोग एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत की गई थी।
  • यह निकाय भारत के अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और हितों की रक्षा हेतु अपील के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
  • संरचना: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के मुताबिक, आयोग में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष समेत कुल सात सदस्य का होना अनिवार्य है, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन समुदायों के सदस्य शामिल हैं।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का कार्य:

  • संघ और राज्यों के तहत अल्पसंख्यकों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना;
  • संविधान और संघ तथा राज्य के कानूनों में अल्पसंख्यकों को प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों की निगरानी करना;
  • अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की सुरक्षा के लिये नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु आवश्यक सिफारिशें करना;
  • अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों और रक्षोपायों से वंचित करने से संबंधित विनिर्दिष्ट शिकायतों की जाँच पड़ताल करना;
  • अल्पसंख्यकों के विरुद्ध किसी भी प्रकार के विभेद के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं का अध्ययन करना/करवाना और इन समस्याओं को दूर करने के लिये सिफारिश करना;
  • अल्पसंख्यकों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास से संबंधित विषयों का अध्ययन अनुसंधान और विश्लेषण करना;
  • केंद्र अथवा राज्य सरकारों को किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित उपायों को अपनाने का सुझाव देना;
  • केंद्र और राज्य सरकारों को अल्पसंख्यकों से संबंधित किसी विषय पर विशिष्टतया कठिनाइयों पर नियतकालिक अथवा विशिष्ट रिपोर्ट प्रदान करना;
  • कोई अन्य विषय जो केंद्र सरकार द्वारा उसे निर्दिष्ट किया जाए।

भारत के रजिस्ट्रार जनरल(Registrar General of India):

  • भारत सरकार ने वर्ष 1961 में गृह मंत्रालय के अधीन भारत के रजिस्ट्रार जनरल की स्थापना की थी।
  • यह भारत की जनगणना सर्वेक्षण और भारत के भाषाई सर्वेक्षण सहित भारत के जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण के परिणामों की व्यवस्था, संचालन तथा विश्लेषण करता है।
  • रजिस्ट्रार का पद पर आमतौर पर एक सिविल सेवक होता है जो संयुक्त सचिव होता है।
  • भारत में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) महत्त्वपूर्ण घटनाओं (जन्म, मृत्यु, स्टिलबर्थ) और उसके बाद की विशेषताओं की निरंतर, स्थायी, अनिवार्य और सार्वभौमिक रिकॉर्डिंग की एकीकृत प्रक्रिया है। एक पूर्ण और अद्यतित CRS के माध्यम से प्राप्त डेटा सामाजिक-आर्थिक नियोजन के लिये आवश्यक है।

राष्ट्रीय जूट बोर्ड (National Jute Board):

  • भारतीय जूट के प्रचार के लिये राष्ट्रीय जूट बोर्ड (NJB) सर्वोच्च निकाय है।
  • राष्ट्रीय जूट बोर्ड अधिनियम-2008 (National Jute Board Act-2008) के तहत स्थापित इस बोर्ड की अध्यक्षता भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के सचिव द्वारा की जाती है।
  • जूट विनिर्माता विकास परिषद (Jute Manufacturers Development Council) का गठन वर्ष 1984 में एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था किंतु अब इसे राष्ट्रीय जूट बोर्ड में समाहित कर दिया गया है।

भारतीय जूट निगम लिमिटेड (Jute Corporation of India Ltd.):

  • भारतीय जूट निगम लिमिटेड कोलकाता में स्थित भारत सरकार की एक एजेंसी है जो जूट की खेती करने वाले राज्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं सहायता प्रदान करती है।
  • इसका गठन वर्ष 1971 में हुआ था। 

राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC):

  • राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद की स्थापना वर्ष 1958 में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी।
  • उत्पादकता के क्षेत्र में अनुसंधान के अलावा NPC सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्थाओं को  कृषि-व्यवसाय, आर्थिक सेवा, गुणवत्ता प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी, प्रौद्योगिकी प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन, पर्यावरण प्रबंधन के क्षेत्रों में परामर्श और प्रशिक्षण सेवाएँ प्रदान करता है।
  • NPC टोक्यो (जापान) स्थित एशियाई उत्पादकता संगठन (Asian Productivity Organisation- APO) का एक निर्वाचक है।
  • उल्लेखनीय है कि भारत APO का एक संस्थापक सदस्य भी है। 

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (Rashtriya Kamdhenu Aayog- RKA):

  • RKA की घोषणा केंद्रीय बजट 2019-20 में की गई थी।
  • RKA की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा 6 फरवरी, 2019 को की गई थी।
  • RKA भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (Ministry of Fisheries, Animal Husbandry & Dairying) के अंतर्गत आता है।
  • इसका उद्देश्य देश में गोवंश के संरक्षण, सुरक्षा और संवर्द्धन के साथ उनकी संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना है।

 

नवाचार संस्थान परिषद (Institution Innovation Council-IIC)

  • वाचार संस्थान परिषद (IIC) की स्थापना केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में की गई थी।
  • अब तक लगभग 1700 उच्च शिक्षण संस्थानों में इसकी शाखाएँ खोली जा चुकी हैं।
  •  कपिलाकलाम कार्यक्रम के अवसर पर नवाचार संस्थान परिषद 2.0 (IIC 2.0) की वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और IIC 3.0 की शुरुआत करने की घोषणा की गई।
  • IIC 3.0 के तहत 5000 उच्च शिक्षण संस्थानों में नवाचार संस्थान परिषद बनाई जाएगी।

 केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान

  • भारत सरकार ने 19 मार्च 1947 को कलकत्ता (बैरकपुर) में एक केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान स्टेशन की स्थापना की थी।
  • वर्ष 1959 में केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान स्टेशन को पूर्णतः एक अनुसंधान संस्थान में परिवर्तित करके इसका नाम केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान कर दिया गया था।
  • वर्ष 1967 में इसे कृषि मंत्रालय के आई.सी.ए.आर. (Indian Council of Agricultural Research) विभाग के अधीन लाया गया।
  • यह संस्थान सतत् मत्स्यन, जलीय जैव-विविधता के संरक्षण, पारिस्थितिक सेवाओं की अखंडता एवं इस जल से सामाजिक लाभ पहुँचाने वाली गतिविधियों के संबंध में ज्ञान आधारित प्रबंधन की व्यवस्था सुनिश्चित करता है।

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (Indian Veterinary Research Institute-IVRI):

  • यह उत्तर प्रदेश के इज़्ज़तनगर (Izatnagar), बरेली में अवस्थित है।
  • यह पशु चिकित्सा एवं संबद्ध शाखाओं के क्षेत्र में भारत की प्रमुख उन्नत अनुसंधान सुविधा प्रदान करता है।
  • इस संस्थान का प्रशासनिक नियंत्रण वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), नई दिल्ली के अधीन है।

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ (CIPET):

  • हाल ही में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ (CIPET) का नाम बदलकर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ (CIPET) कर दिया गया है।
  • परिवर्तित नाम तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1975 (Tamil Nadu Societies Registration Act, 1975) के तहत पंजीकृत किया गया है।
  • CIPET, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत एक प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1968 में भारत सरकार ने चेन्नई (तमिलनाडु) में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की सहायता से की थी।
  • CIPET का प्राथमिक उद्देश्य शिक्षा एवं अनुसंधान के संयुक्त कार्यक्रम के माध्यम से प्लास्टिक उद्योग के विकास को बढ़ावा देना है।

सशस्त्र सेना मेडिकल कॉलेज’ (Armed Forces Medical College- AFMC):

  • AFMC, भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे में एक मेडिकल कॉलेज है। इस कॉलेज का प्रबंधन भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया जाता है।
  • इसे मई, 1948 में बीसी रॉय समिति (BC Roy Committee) की सिफारिश पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्नातकोत्तर शिक्षण संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था।
  • AFMC की स्नातक विंग (Undergraduate Wing) को 4 अगस्त, 1962 को स्थापित किया गया था।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA):

  • यह नई दिल्ली में शहरी विकास एवं प्रबंधन में अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं सूचना प्रसार के लिये एक संस्थान है।
  • इसे वर्ष 1976 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम-1860 के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। 

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (All India Bank Employees’ Association- AIBEA):

  • यह भारत में बैंक कर्मचारियों का सबसे पुराना एवं सबसे बड़ा राष्ट्रीय व्यापार संघ केंद्र है।
  • इसकी स्थापना 20 अप्रैल, 1946 को कोलकाता में की गई थी।
  • वेतन और सेवा शर्तों में सुधार के लिये संघर्ष के अतिरिक्त AIBEA ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लिये भी अभियान चलाया था। परिणामतः जुलाई, 1969 में 14 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद (NCPUL):

  • NCPUL भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) के माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा विभाग (Department of Secondary and Higher Education) के अधीन एक स्वायत्त निकाय है।
  • उर्दू भाषा को बढ़ावा देने, विकसित करने एवं उसका प्रचार करने के लिये गठित NCPUL ने 1 अप्रैल, 1996 को दिल्ली में अपना संचालन शुरू किया।
  • NCPUL उर्दू भाषा के प्रचार के लिये राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में तथा उर्दू भाषा एवं उर्दू शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये प्रमुख समन्वय एवं निगरानी प्राधिकरण है। 

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI)

  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) की स्थापना दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता,  2016 के तहत 1 अक्तूबर, 2016 को हुई थी।
  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) मुख्य तौर पर  दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता,  2016 को सही ढंग से लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है।

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (TRIFED):

  • TRIFED का गठन वर्ष 1987 में जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्त्वावधान में राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में किया गया।
  • इसे बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 1984 (Multi-State Cooperative Societies Act) के तहत पंजीकृत गया था।
  • इसने अपने कार्यों की शुरुआत वर्ष 1988 में नई दिल्ली स्थित मुख्य कार्यालय से की।
  • उद्देश्य: जनजातीय लोगों का सामाजिक-आर्थिक विकास, आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देना, ज्ञान, उपकरण और सूचना के साथ जनजातीय लोगों का सशक्तीकरण एवं क्षमता निर्माण करना।
  • कार्य: यह मुख्य रूप से दो कार्य करता है पहला-लघु वन उपज ( Minor Forest Produce (MFP) विकास, दूसरा खुदरा विपणन एवं  विकास (Retail Marketing and Development) हैं। 

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी)

  • राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2010 द्वारा भारत में एक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की स्थापना की गई है।
  • यह एक विशेष पर्यावरण अदालत है जो पर्यावरण संरक्षण और वनों का संरक्षण से संबंधित मामलों कि सुनवाई करती है।
  • अधिकरण की प्रधान पीठ नई-दिल्ली में और भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई अधिकरण के अन्य चार पीठें हैं।
  • इसमें पूर्णकालिक अध्यक्ष के रूप में भारत के सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, न्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य शामिल होते हैं।
  • प्रत्येक श्रेणी में निर्धारित न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों की न्यूनतम संख्या 10 अधिकतम संख्या 20 होती है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) 

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन भारतीय राष्ट्रीयय राजमार्ग अधिनियम, 1988 के तहत किया गया था । इस प्रकार यह एक वैधानिक निकाय है।
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) देश के राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है।
  • एनएचएआई सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई)

  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन वर्ष 1962 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 4 के तहत किया गया था।
  • यह एक वैधानिक सलाहकार निकाय है तथा यह भारत सरकार को पशु कल्याण विधानों पर परामर्श प्रदान करता है।
  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का आरम्भ प्रसिद्ध मानवतावादी श्रीमति रुक्मिणी देवी अरुंडेल के नेतृत्व में किया गया था।
  • यह बोर्ड पशु कल्याण से संबंधित कानूनों का देश में सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करता है और इस कार्य से जुड़ी संस्थाओं की मदद करता है।
  • इस बोर्ड का मुख्यालय हरियाणा के फरीदाबाद ज़िले के बल्लभगढ़ में है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई)

  •  स्वस्थ और सुरक्षित भोजन पर सबका अधिकार होइस उद्देश्य के साथ सरकार ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 में पारित किया। इसके पश्चात् सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानकों से संबंधित मामलों के लिए देश का सबसे बड़ा नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को 2008 में गठित किया।
  • एफएसएसएआई (FSSAI) खाद्य क्षेत्र को विनियमित करने वाला शीर्ष निकाय है।
  • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण खाद्य सुरक्षा और पोषण पर केन्द्र और राज्य सरकारों को वैज्ञानिक सलाह भी देता है।

भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI)

  • भारतीय चिकित्सा परिषद की स्थापना भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1933 के तहत वर्ष 1934 में की गयी थी।
  • बाद में वर्ष 1956 में इसकी जगह एक नया अधिनियम को पारित किया गया| वर्तमान में भारतीय चिकित्सा परिषद इसी अधिनियम के तहत एक वैधानिक संस्था के रूप में कार्य करती है।

भारतीय चिकित्सा परिषद के प्रमुख कार्य

  • इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत में उच्चस्तरीय चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा संस्थानों के लिए एकसमान मानक तय करने और डॉक्टरों का स्थायी या अस्थायी पंजीकरण था।
  • स्नातकस्तरीय चिकित्सा शिक्षा के लिए एकसमान मानक तय करना और उनका पालन करना।
  • भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा महाविद्यालयों में दी जा रही स्नातकोत्तर (Postgraduate) चिकित्सा शिक्षा का नियमन करना।
  • भारत के चिकित्सा संस्थानों द्वारा प्रदान की गयी डिग्रियों को मान्यता प्रदान करना।
  • चिकित्सा महाविद्यालयों और भारत में स्थापित विदेशी चिकित्सा संस्थानों को मान्यता प्रदान करना।
  • डॉक्टरों का स्थायी या अस्थायी पंजीकरण करना या उसे रद्द करना।
  • सभी पंजीकृत डॉक्टरों की निर्देशिका (Directory) तैयार करना, जिसे भारतीय चिकित्सा रजिस्टरकहा जाता है।
  • गौरतलब है की 2018 में राष्ट्रपति द्वारा भारतीय चिकित्सा परिषद को भंग कर दिया गया था और इसके स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का गठन किया गया है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग

  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा 8 अगस्त 2019 को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एमएमसी) कानून 2019 को मंजूरी प्रदान की गई थी।
  • यह आयोग गुणवत्तापूर्ण और किफायती चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच में सुधार के लिए प्रणाली उपलब्ध कराएगा।
  • देश के सभी हिस्सों में पर्याप्त एवं उच्च गुणवत्ता से परिपूर्ण चिकत्सा पेशेवरों की उपलब्धता तथा अन्य चीजें सुनिश्चित करेगा।
  • नए कानून के तहत चिकित्सा शिक्षा, पेशे और संस्थानों से जुड़े सभी पहलुओं के विकास और नियमन के लिए एमसीआई की जगह एनएमसी की स्थापना की गई है।

आयकर विभाग

  • आयकर विभाग, भारत सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह करने वाला एक विभाग है। यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कार्य करता है।
  • आयकर विभाग को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा शासित किया जाता है।
  • आयकर विभाग की मुख्य जिम्मेदारी विभिन्न प्रत्यक्ष कर कानूनों को लागू करना है, इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है आयकर अधिनियम, 1961है। इसके अतिरिक्त, यह बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 और काला धन अधिनियम, 2015 जैसे अन्य आर्थिक कानूनों को भी लागू करता है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड(CBDT)

  • आयकर विभाग की सहायता से सीबीडीटी प्रत्यक्ष करों से संबंधित नीतियों, कानूनों, योजनाओं आदि को प्रशासित करता है।
  • भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम,1963 के तहत वर्ष 1963 में दो संस्थाओं का गठन किया गया था -केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxation-CBDT) तथा केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Excise and Customs-CBEC)। इस प्रकार सीबीडीटी एक सांविधिक निकाय है।
  • सीमा शुल्क (Custom Duty), केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty), सेवा कर (Service Tax) तथा नारकोटिक्स (Narcotics) के प्रशासन इत्यादि को सीबीईसीप्रशासित करता है।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) 

  • वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है।
  • इसकी स्थापना सितंबर 1942 में की गई थी। और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • CSIR विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत स्वायत्त निकाय है।
  • भारत का प्रधानमंत्री इस परिषद का पदेन अध्यक्ष और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पदेन उपाध्यक्ष होता है।
  • वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद का उद्देश्य राष्ट्रीय महत्व से संबंधित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान करना है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI)

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की स्थापना 5 अगस्त 2008 को गयी थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य देश में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की शुद्धता की जांच करना है।
  • एफएसएसएआई को अपने कार्यों को संपादित करने की शक्ति खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 से प्राप्त होती है।
  • इसका संचालन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाता है।
  • एफएसएसएआई मानव उपभोग के लिये पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात की सुरक्षित व्यवस्था को सुनिश्चित करने का काम करता है।
  • इसके अलावा, यह देश के सभी राज्यों , जिला एवं ग्राम पंचायत स्तकर पर खाद्य पदार्थों के उत्पादन और बिक्री के तय मानकों को बनाए रखने में सहयोग करता है। यह समय-समय पर खुदरा एवं थोक खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता की जाँच भी करता है।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद

  • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations-ICCR), भारत सरकार का एक स्वायत्त संगठन है, जो अन्य देशों तथा उनके निवासियों के साथ भारत के बाहर सांस्कृतिक संबंधों (सांस्कृतिक कूटनीति) के सांस्कृतिक आदान-प्रदान से संबंधित गतिविधियों को देखता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1950 में स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद द्वारा की थी।
  • ICCR को वर्ष 2015 से भारतीय मिशनों/पोस्टों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) को आयोजित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र

(Indian National Centre for Ocean Information Services-INCOIS)

  • INCOIS, भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र (Indian Tsunami Early Warning Centre- ITEWC) की भारत को सुनामी संबंधित सलाह/सूचना देने हेतु नोडल एजेंसी है।
  • INCOIS की स्थापना वर्ष 1999 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी और यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन की एक इकाई है।
  • INCOIS, UNESCO-IOC द्वारा सौंपी गई ज़िम्मेदारी वाले सुनामी सेवा प्रदाताओं के रूप में, हिंद महासागर क्षेत्र (25 देशों) को सुनामी संबंधी सलाह/सूचना भी प्रदान करता है।
  • लोगों में सुनामी संबंधी जागरूकता के लिये, INCOIS नियमित रूप से तटीय राज्यों और ज़िला स्तरीय आपदा प्रबंधन अधिकारियों (Disaster Management Officials- DMOs) के लिये, सुनामी मानक संचालन प्रक्रिया (Tsunami Standard Operating Procedure- SOP) कार्यशालाओं, प्रशिक्षण सत्रों और सेमिनारों का आयोजन करता है।
  • ITEWC और ICG/IOTWMS के समन्वय से INCOIS में  आईओवेव सुनामी मॉक अभ्यास का भी आयोजन किया जाता है।
  • इसके अलावा आपात स्थितियों से निपटने की क्षमताओं को मज़बूती प्रदान करने के लिये वैकल्पिक वर्षों में गृह मंत्रालय, NDMA तथा राज्य आपदा प्रबंधन एजेंसियों (State Disaster Management Agencies- SDMA) के समन्वय से राष्ट्रीय स्तर पर मॉक अभ्यास का आयोजन किया जाता है।

केंद्रीय वक्फ परिषद (Central Waqf Council)

  • केंद्रीय वक्फ परिषद एक सांविधिक निकाय है तथा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। इसकी स्थापना वर्ष 1964 में वक्फ अधिनियम, 1954में किये गए प्रावधानों के तहत की गई थी।
  • यह एक सलाहकारी निकाय है जो वक्फ बोर्डों और औकाफ (Auqaf) के नियत प्रशासन से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह देता है।
  • औकाफ (Awkaf/Auqaf), अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है संपत्ति।
  • परिषद में एक अध्यक्ष (जो वक्फ का प्रभारी केंद्रीय मंत्री भी होता है) तथा अधिकतम 20 सदस्य होते हैं, जिन्हें भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जा सकता है।
  • प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है, जिसमें एक अध्यक्ष, राज्य सरकार द्वारा मनोनीत एक या दो व्यक्ति, मुस्लिम विधायक और सांसद, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य, इस्लामी धर्मशास्त्र तथा मुतवली (Mutawalis) के मान्यता प्राप्त विद्वान शामिल होते हैं।


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